विष्णु के १० अवतारों में से सातवें हैं राम
राम (रामचन्द्र), प्राचीन भारत में अवतरित, भगवान हैं। हिन्दू धर्म में, राम, विष्णु के १० अवतारों में से सातवें हैं। राम का जीवनकाल एवं पराक्रम, महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित, संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में लिखा गया है| उन पर तुलसीदास ने भी भक्ति काव्य श्री रामचरितमानस रचा था। खास तौर पर उत्तर भारत में राम बहुत अधिक पूजनीय हैं। रामचन्द्र हिन्दुओं के आदर्श पुरुष हैं।
हिमालयायूके न्यूज पोर्टल की प्रस्तुति
Photo Caption; Painting of Rama. He is depicted blue-skinned and carrying a strung bow with a quiver full of arrows on his back and a single arrow in his right hand. On laid and water-marked European paper with a fleur de lys. This is elsewhere in the series dated 1816.
राम, अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बडे पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम सीता था (जो लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं) और इनके तीन भाई थे- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। हनुमान, भगवान राम के, सबसे बड़े भक्त माने जाते है। राम ने राक्षस जाति के राजा रावण का वध किया|
राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता पिता, यहाँ तक की पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। राम रघुकुल में जन्में थे, जिसकी परंपरा प्राण जाए पर वचन ना जाये की थी। पिता दशरथ ने सौतेली माता कैकेयी को वचन दिया था, उसकी 2 इच्छा ( वर) पुरे करने का। कैकेयी ने इन वर के रूप में अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा और राम के लिए 14 वर्ष का वनवास माँगा। पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया। पत्नी सीता ने आदर्शपत्नी का उदहारण पेश करते हुए पति के साथ वन जाना पसंद किया। सौतेला भाई लक्ष्मण ने भी भाई का साथ दिया। भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरणपादुका( चप्पल) ले आए। फिर इसे ही राज गद्दी पर रख कर राजकाज किया। राम की पत्नी सीता को रावण हरण(चुरा) कर ले गया। राम ने उस समय की एक जनजाति वानर के लोगो की मदद से सीता को ढूंढा। समुद्र में पुल बना कर रावण के साथ युद्ध किया। उसे मार कर सीता को वापस लाये। जंगल में राम को हनुमान जैसा दोस्त और भक्त मिला जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराये। राम के आयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य उनको ही सौंप दिया। राम न्याय प्रिय थे ।बहुत अच्छा शासन् किया इसलिए आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते हैं। इनके पुत्र कुश व लव ने इन राज्यों को संभाला। हिन्दू धर्म के कई त्यौंहार, जैसे दशहरा और दीपावली, राम की जीवन-कथा से जुड़े हुए हैं।
नौमी तिथि मधुमास पुनीता, सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता।
मध्य दिवस अति सीत न घामा, पावन काल लोक बिश्रामा।।
रामचरितमानस बालकाण्ड से।
वैज्ञानिक तथा प्लेनिटेरियम सॉफ्टवेयर के अनुसार राम जन्म 10 जनवरी 7,393 ई° पूर्व हुआ था, यह गणना हिन्दू कालगणना से मेल खाता है।किन्तु जिस आधार पर यह गणना की गई है, उन ग्रह नक्षत्रों की वही स्थिति निश्चित समय अंतराल पर दोहराई जाती है और सॉफ्टवेयर द्वारा निकला गया दिनांक सबसे निकट के समय को ही संदर्भित करता है, अतः यह समय इससे बहुत पूर्व का भी हो सकता है क्योंकि हिन्दू काल गणना के अनुसार राम त्रेतायुग में पैदा हुए थे जो 8 लाखवर्ष पूर्व हुआ था। वाल्मीकि पुराण के अनुसार राम जन्म के दिन पाँच ग्रह अपने उच्च स्थान में स्थापित थे, नौमी तिथि चैत्र शुक्लपक्ष तथा पुनर्वसु नक्षत्र था। जिसके अनुसार सूर्य मेष में 10 डिग्री, मंगल मकर में 28 डिग्री, ब्रहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर, शुक्र मीन में 27 डिग्री पर एवं शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था।
वाल्मीकि तथा तुलसीदास नें अपने ग्रंथों में लिखा है कि रामजन्म मध्यान्ह में हुआ था। पीवी वर्तक के अनुसार वाल्मीकि रामायण जैसी परिस्थितियाँ राम जन्म के दिन दोपहर 12:25 बजे दृश्य थीं।
पुराणों तथा किवदंतियों में श्री राम के जन्म के बारे में स्पष्ट प्रमाण मिलते कि श्री राम का जन्म उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले के अयोध्या नमक नगर में हुआ था।अयोध्या जो कि भगवान् राम के पूर्वजों की ही राजधानी थी|राम चन्द्र जी के पूर्वज रघु थे|
बचपन से ही शान्त स्वभाव के वीर पुरूष थे। उन्होंने मर्यादाओं को हमेशा सर्वोच्च स्थान दिया था। इसी कारण उन्हे मर्यादा पुरूषोत्तम राम के नाम से जाना जाता है। उनका राज्य न्यायप्रिय और खुशहाल माना जाता था। इसलिए भारत में जब भी सुराज की बात होती है, रामराज या रामराज्य का उदाहरण दिया जाता है। धर्म के मार्ग पर चलने वाले राम ने अपने तीनों भाइयों के साथ गुरू वशिष्ठ से शिक्षा प्राप्त की। किशोरवय में विश्वामित्र उन्हें वन में राक्षसों द्वारा मचाए जा रहे उत्पात को समाप्त करने के लिए ले गये। राम के साथ उनके छोटे भाई लक्ष्मण भी इस काम में उनके साथ थे। ताड़का नामक राक्षसी बक्सर (बिहार) में रहती थी।[कृपया उद्धरण जोड़ें] वहीं पर उसका वध हुआ। राम ने उस समय ताड़का नामक राक्षसी को मारा तथा मारीच को पलायन के लिए मजबूर किया। इस दौरान ही विश्वामित्र उन्हें मिथिला ले गये। वहाँ के विदेह राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए एक समारोह आयोजित किया था। जहाँ शिव का एक धनुष था जिसकी प्रत्यंचा चढ़ाने वाले शूरवीर से सीता का विवाह किया जाना था। बहुत सारे राजा महाराजा उस समारोह में पधारे थे। बहुत से राजाओं के प्रयत्न के बाद भी जब धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाना तो दूर धनुष उठा तक नहीं सके, तब विश्वामित्र की आज्ञा पाकर राम ने धनुष उठा कर प्रत्यंचा चढ़ाने की प्रयत्न की। उनकी प्रत्यंचा चढाने की प्रयत्न में वह महान धनुष घोर ध्वनि करते हुए टूट गया। महर्षि परशुराम ने जब इस घोर ध्वनि सुना तो वहाँ आगये और अपने गुरू (शिव) का धनुष टूटनें पर रोष व्यक्त करने लगे। लक्ष्मण उग्र स्वभाव के थे। उनका विवाद परशुराम से हुआ। तब राम ने बीच-बचाव किया। इस प्रकार सीता का विवाह राम से हुआ और परशुराम सहित समस्त लोगों ने आशीर्वाद दिया। अयोध्या में राम सीता सुखपूर्वक रहने लगे। लोग राम को बहुत चाहते थे। उनकी मृदुल, जनसेवायुक्त भावना और न्यायप्रियता के कारण उनकी विशेष लोकप्रियता थी। राजा दशरथ वानप्रस्थ की ओर अग्रसर हो रहे थे। अत: उन्होंने राज्यभार राम को सौंपनें का सोचा। जनता में भी सुखद लहर दौड़ गई की उनके प्रिय राजा उनके प्रिय राजकुमार को राजा नियुक्त करनेवाले हैं। उस समय राम के अन्य दो भाई भरत और शत्रुघ्न अपने ननिहाल कैकेय गए हुए थे। कैकेयी की दासी मंथरा ने कैकेयी को भरमाया कि राजा तुम्हारे साथ गलत कर रहें है। तुम राजा की प्रिय रानी हो तो तुम्हारी संतान को राजा बनना चाहिए पर राजा दशरथ राम को राजा बनाना चाहते हैं।
राम के बचपन की विस्तार-पूर्वक विवरण स्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस के बालकाण्ड से मिलती है।
राजा दशरथ के तीन रानियाँ थीं: कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी। राम कौशल्या के पुत्र थे, सुमित्रा के दो पुत्र, लक्ष्मण और शत्रुघ्न थे और कैकेयी के पुत्र भरत थे। राज्य नियमो से राजा का ज्येष्ठ लड़का ही राजा बनने का पात्र होता है अत: राम को अयोध्या का राजा बनना निश्चित था। कैकेयी जिन्होने दो बार दशरथ की जान बचाई थी और दशरथ ने उन्हें यह वर दिया था कि वो जीवन के किसी भी पल उनसे दो वर मांग सकती है। राम को राजा बनते हुए और भविष्य को देखते हुए कैकेयी चाहती थी उसका पुत्र भरत ही राजा बनें, इसलिए उन्होने राजा दशरथ द्वारा राम को १४ वर्ष का वनवास दिलाया और अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राज्य मांग लिया। वचनों में बंदे राजा दशरथ को मजबूरन यह स्वीकार करना पड़ा। राम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया। राम की पत्नी सीता और उनके भाई लक्ष्मण भी वनवास गये थे।
वनवास के समय, रावण ने सीता का हरण किया था। रावण एक राक्षस तथा लंका का राजा था। रामायण के अनुसार, जब राम , सीता और लक्ष्मण कुटिया में थे तब एक हिरण की वाणी सुनकर सीता व्याकुल हो गयी। वह हिरण रावण का मामा मारीच था। उसने रावण के कहने पर सुनहरे हिरण का रूप बनाया| सीता उसे देख कर मोहित हो गई और श्रीराम से उस हिरण का शिकार करने का अनुरोध किया| श्रीराम अपनी भार्या की इच्छा पूरी करने चल पड़े और लक्ष्मण से सीता की रक्षा करने को कहा| मारीच श्रीराम को बहुत दूर ले गया| मौका मिलते ही श्रीराम ने तीर चलाया और हिरण बने मारीच का वध किया| मरते – मरते मारीच ने ज़ोर से “हे सीता ! हे लक्ष्मण” की आवाज़ लगायी| उस आवाज़ को सुन सीता चिन्तित हो गयीं और उन्होंने लक्ष्मण को श्रीराम के पास जाने को कहा | लक्ष्मण जाना नहीं चाहते थे, पर अपनी भाभी की बात को इंकार न कर सके| लक्ष्मण ने जाने से पहले एक रेखा खींची, जो लक्ष्मण रेखा के नाम से प्रसिद्ध है।
राम, अपने भाई लक्ष्मण के साथ सीता की खोज में दर-दर भटक रहे थे। तब वे हनुमान और सुग्रीव नामक दो वानरों से मिले। हनुमान, राम के सबसे बड़े भक्त बने।
सीता को को पुनः प्राप्त करने के लिए भगवन राम ने हनुमान , विभीषण और वानर सेना की मदद से रावन के सभी बंधु-बांधवों और उसके वंशजों को पराजित किया था और लौटते समय विभीषण को लंका का राजा बनाकर अच्छे शासक के लिए मार्गदर्शन किया।
भगवान राम ने जब रावण को युद्ध में परास्त किया और उसके छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया। राम, सीता, लक्षमण और कुछ वानर जन पुष्पक विमान से अयोध्या की ओर प्रस्थान किया। वहां सबसे मिलने के बाद राम और सीता का अयोध्या में राज्याभिषेक हुआ। पूरा राज्य कुशल समय व्यतीत करने लगा।
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