UTTRAKHAND; साल की इस पहली बर्फबारी व बारिश

अकाल से सहमे उत्‍तराखण्‍ड में कुदरत की पहली फुहार  #धनोल्टी में बर्फबारी – जौनसार बावर की ऊंची चोटियों पर बारिश के साथ बर्फबारी- साल की इस पहली बर्फबारी व बारिश

Photo: Pramod  Uniyal from Chamba Tehri 
उत्तराखंड में मंगलवार को मौसम की पहली बारिश पड़ी. सर्दियों का मौसम अब तक पूरी तरह सूखा गुज़र गया था और इस बारिश की फ़सलों के लिए सख़्त ज़रूरत महसूस की जा रही थी. विशेषज्ञों ने आम और लीची के लिए इस बारिश को सोने की बरिश बताया है   इससे एलर्जी के केसों में कमी आएगी. मंगलवार को दोपहर बाद देहरादून और आसपास के इलाकों में मौसम में अचानक बदलाव हुआ। सुबह से निकली चटख धूप के बाद आसमान में बादल छा गए और ठंडी हवाओं ने ठिठुरन बढ़ा दी। इसके बाद झमाझम बारिश शुरू हो गई। जिससे एक बार फिर ठंड की वापसी हो गई।मौसम में अचानक हुए परिवर्तन का पर्वतीय और मैदानी इलाकों में बारिश से मौसम का मिजाज बदलेगा। ठंड का दौर लौटेगा। फिलहाल अगले दो से तीन दिन तक बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है।इस साल अभी तक सीजन की अच्छी बर्फबारी को पहाड़ तरस रहे हैं। कुछ बेहद ऊंचाई वाले इलाकों में तो बर्फबारी हुई है

 
एक सप्ताह से जोशीमठ के जंगल धू धूकर जल रहे हैं — जोशीमठ के जंगलों में आग लगने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। रात बड़गांव के सामने की पहाड़ियों पर अचानक आग लग गई। यह आग चोटी से नीचे की ओर नदी तक पहुंची।  अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में वन विभाग ने फायर लाइन काटकर आग पर काबू पाने की कोशिशें भी तेज कर दी है। बीते एक सप्ताह से जोशीमठ के जंगल धू धूकर जल रहे हैं। भंग्यूल, थैंग, उर्गम, बड़गांव की पहाड़ियां, ऐरा तोक, भ्यूंडार में तकरीबन 150 हेक्टेयर क्षेत्र जंगल आग की भेंट चढ़ चुका है। अन्य स्थानों पर आग बुझ चुकी थी। बड़गांव के सामने की पहाड़ियों पर अचानक आग धधक गई। रात होने के चलते वन विभाग आग बुझाने के लिए सुबह होने का इंतजार करता रहा। परंतु आग चोटी से सीधे धौली गंगा तक नीचे आकर बुझ गई। हालांकि सुबह वन विभाग के कर्मचारियों ने जंगल में पहुंचकर फायर लाइन काटी। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के वन क्षेत्राधिकारी दिनेश चंद्र बिष्ट ने बताया कि जोशीमठ के अग्नि प्रभावित व संवेदनशील जंगलों में वन विभाग फायर लाइन काटने की कार्रवाई कर रहा है। इसके लिए नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के 16 कर्मचारी विभिन्न जंगलों में डेरा डाले हुए हैं।

 

उत्तराखंड मौसम विभाग के अनुसार मंदलवार दोपहर शुरू हुई बारिश के कल सुबह तक जारी रहने की संभावना है. हालांकि इसके बाद फिर चार-पांच दिन तक बारिश पड़ने की संभावना नहीं है और दिन फिर साफ़ हो जाएंगे. इस बारिश का फसलों का बेसब्री से इंतज़ार था. लीची और आम में बौर आने वाली है और यह बारिश उनके लिए सोने की बारिश साबित होगी क्योंकि बारिश से फ़सलों के स्वाद में बहुत असर पड़ जाता है. यह असर क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों में बहुत फ़र्क आ जाता है.  लीची और आम के लिए तो बहुत बढ़िया समय पर बारिश हो गई लेकिन फूलगोभी, बंदगोभी, को बारिश न पड़ने से होने वाला नुक़सान हो चुका है. लेकिन बैंगन, शिमला मिर्च, गाजर, बीन्स जैसी सब्ज़ियों को तीन से चार टुकड़ों में बोया जाता है… तो उनकी अब होने वाली फ़सल अच्छी होने वाली है. मौसम की पहली बारिश सर्दी, खांसी से परेशान लोगों के लिए भी राहत लेकर आई है.  यह बारिश एलर्जी के मरीज़ों के लिए भी अच्छी है.  अब तक पूरी तरह ड्राई मौसम की वजह से भी लोगों को सर्दी, ख़ांसी की शिकायत बढ़ी थी. अब बारिश होने से न सिर्फ़ लोगों को इससे राहत मिलेगी बल्कि प्रदूषण कम होने का भी फ़ायदा मिलेगा.
 मौसम के करवट बदलने से जौनसार बावर की ऊंची चोटियों पर बारिश के साथ बर्फबारी हुई। बर्फबारी होने से क्षेत्र में ठिठुरन बढ़ गई। ठंड से बचने को लोग घरों में दुबक गए। लोगों ने कहा नए साल की ये पहली बर्फबारी बागवानी के लिए मुफीद नहीं है, जबकि कृषि फसलों के लिए बारिश व बर्फबारी उपयुक्त है।
लंबे अरसे बाद मौसम के बरसने से लोगों को बड़ी राहत मिली है। मंगलवार सुबह से आसमान में छाए बादल शाम को बारिश व बर्फबारी के रूप में बरसने लगे। वर्ष 2018 की पहली बर्फबारी और मौसम की दूसरी बर्फबारी से जौनसार बावर के ग्रामीण किसान व बागवानों को राहत मिली है।
मौसम के बरसने के साथ मंगलवार शाम से चकराता ब्लॉक की सबसे ऊंची चोटी लोखंडी, देववन, मुंडाली, खंडबा, कोटी-कनासर व कथियान समेत आसपास के ऊंचे इलाकों में बर्फबारी हुई। बारिश के साथ बर्फबारी होने से समूचा क्षेत्र शीतलहर की चपेट में है। साल की इस पहली बर्फबारी व बारिश को कृषि फसलों के लिए उपयुक्त माना जा रहा है, जबकि बागवानी के लिए मौसम की ये बर्फबारी ज्यादा मुफीद नहीं है।
विशेषज्ञों का मानना है बागवानी के लिए 15 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच की बारिश व बर्फबारी ज्यादा फायदेमंद होती है। बागवानी के लिए इस समयावधि को चिलिंग पीरियड कहा जाता है। जिसकी नमी लंबे समय तक रहती है। इससे फसल की पैदावार अच्छी होती है।

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