सोशल मीडिया दोधारी तलवार-शाह & उत्तराखण्ड में ध्वस्त हुआ मीडिया मैनेजमेन्ट
वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा के चुनावी रण में भारतीय जनता पार्टी की ‘साइबर सेना’ की अत्यंत मुख्य भूमिका होगी। साइबर सेना यानी सोशल मीडिया पर काम करने वाली टीम। इस टीम को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कामयाबी का मंत्र भी दिया।
दिल्ली प्रवास के दौरान शाह ने सोशल मीडिया की टीम, आईटी सेल के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से लंबी बातचीत की। भाजपा की साइबर सेना विपक्षी दलों के आरोपों का जबाव देने के लिए विशेष रूप से काम कर रही है। इसके लिए बकायदे डाटा बैंक भी तैयार किया जा रहा है। ताकि, आरोपों का जवाब तथ्य और आंकड़ों के साथ दिया जा सके। साथ ही उपलब्धियों को बताने के लिए भी डाटा बैंक का उपयोग किया जाएगा।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का कहना है कि राजधानी दिल्ली में सोशल मीडिया का बहुत महत्व है। इसी कारण उन्होंने दिल्ली की टीम को सबसे अधिक जिम्मेदारी दी है। साइबर टीम से जुड़े लोगों का कहना है कि सोशल मीडिया पर काम करने के लिए बड़ी टीम तैयार की जा रही है। इस टीम के एक व्यक्ति पर 300 कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया में जोडऩे की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इस प्रक्र्रिया में विशेष दायित्व क्रिएटिव टीम को सौंपा जाएगा।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में पार्टी को जिताने के लिए साइबर सेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जिस तरह से वहां पर वाट्सएप के ग्रुप बनाए गए थे, उसी तरह यहां भी गु्रप बनाकर कार्यकर्ताओं को जोड़ा जाएगा। शाह का मानना है कि सोशल मीडिया दोधारी तलवार की तरह होती है। जिसके फायदे के साथ-साथ नुकसान होने की भी जोखिम होते हैं। इस कारण अत्यंत होशियारी से सोशल मीडिया पर पूरी ईमानदारी से काम करने का मंत्र उन्होंने कार्यकर्ताओं को दिया।
उत्तराखण्ड में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के योगा कार्यक्रम में उत्तराखण्ड केे मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री के साथ एक भी सम्मानजनक फोटो न होनेे से सोशल मीडिया में यह संदेश तेजी से वायरल हुआ कि मोदी जी त्रिवेन्द्र रावत से नाखुश है, वही श्री मोदी जी जब हवाई जहाज से उतरे तो वीडियो में देखा गया कि मुख्यमंत्री की ओर भावहीन चेहरे से देखा तथा कोई भी प्रतिक्रिया श्री मोदी जी द्वारा नही दी गयी, जबकि मुख्यमंत्री को विशेष तवज्जो मिलती है, इससे यह संदेश तेजी से गया कि उत्तराखण्ड के हालात की जानकारी ऊपरी स्तर तक है, ऐसे उत्तराखण्ड में परिवर्तन तय है-
यह सब मुख्यमंत्री के लम्बे चौडे सूचना विभाग, तथा मीडिया मैनेजमेन्ट केे ध्वस्तीकरण का प्रत्यक्ष प्रमाण है, अगर अभी भी श्री त्रिवेन्द्र सिह रावत जी सचेत न हुए तो मुटठी में भरी रेत के समान कुर्सी कब खिसक जायेगी, कहा नही जा सकता- क्योंकि सब कुछ सामान्य नही है-
उत्तराखण्ड में सरकार होने के बावजूद सोशल मीडिया केे मामले में असफलता दिखाई दे रही है, जिससे रोज सनसनीखेज मामले सामने आ रहे हैं, हालांकि प्रिन्ट मीडिया के बडे अखबारो का मैनेज किया जा रहा है परन्तु सोशल मीडिया ने उत्तराखण्ड के अनेक सनसनीखेज मामले सामने ला दिये हैं, जिससे राज्य सरकार का मीडिया मैनेजमेन्ट ध्वस्त व नाकारा साबित हुआ है, पूरे राज्य में यही संदेश जा रहा है कि डबल इंजन की सरकार खडी है, जब तक मुखिया परिवर्तन नही होगा, राज्य में डबल इंजन की सरकार खडी रहेगी- तो इस समय पूरे राज्य में परिवर्तन का मानो इंतजार किया जा रहा है, चर्चा तो यहा तक है कि जब गुजरात में परिवर्तन की आहट सुनाई दे रही है तो उत्तराखण्ड में क्यो नहीं, क्या यहां के हालात कुछ अखबारो को मैनेज करके दबा दिये जायेगे तो सोशल मीडिया सब कुछ सामने रख दे रहा है, आज कुछ न्यूज पोर्टलो की सनसनीखेज रिपोर्ट सामने आयी है जिससे उत्तराखण्ड सरकार की साख पर गंभीर असर पडा है, उन पोर्टलो काा लिंक ज्यो का त्यो अटैच है- ऐसे में सवाल यह उठता है कि उत्तराखण्ड के राजकोष पर सफेद हाथी बने सलाहकारो को क्यो ढोया जा रहा है, जबकि उनका कोई भी सम्पर्क किसी भी मीडिया संगठनो आदि से नही है, वही सूचना के महानिदेश के रूप में पहली बार ऐसे आई0ए0एस0 को बैठा दियाा गया है जिनके पास सूचना महानिदेशालय में बैठने का समय नही है, दूरदराज से आये पत्रकार सरकार को कोसते हुए वापस चल देते हैं-
अन्य पोर्टलो की खबरे- जिन्होने उत्तराखण्ड में सनसनी फैला दी-
क्या महाधिवक्ता और सीएससी पर गिरेगी सरकार को संकट में डालने वाले निर्णयों की गाज़* http://www.devbhoomimedia.com/advocate-genral-and-the-csc-…/
अन्य पोर्टलो की खबरे-
*खुलासा : ओमप्रकाश के हाथों का खिलौना बने मुख्यमंत्री*। *प्रधानमंत्री कार्यालय ने दिए कार्यवाही के आदेश।जानिए आखिर क्यों दो महीने आदेश दबाकर बैठे रहे ओम प्रकाश* http://parvatjan.com/Ghurdauri-om-prakash-sandip-ragistrar+
फोकस :”21 जून पीएम मोदी का देहरादून में योग प्रोग्राम”: उत्तराखंड ने बड़ा अवसर गवाया, राजस्थान की मुख्यमंत्री ने 2 लाख लोगों को योग कराकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का सम्मान प्राप्त किया, जबकि उत्तराखंड के पास भी यह स्वर्णिम अवसर था, जब मोदी जी की गरिमामय उपस्थिति थी, काश, इस समय प्रदेश मुखिया के मीडिया नवरत्नों की ऊंची सोच होती तो मोदी जी के नाम होता योग का वर्ल्ड रिकॉर्ड : जिन्होंने योग को असीम ऊचाइयों पर पहुचाया, परन्तु उत्तराखंड में आकर वो मात खा गए, और हैरत की बात यह रही कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नाम यह वर्ल्ड रिकॉर्ड गया, जिनसे आजकल आंकड़ा 36 का चल रहा है,
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वही दूसरी ओर बीजेपी के लिए खतरे की घंटी बजती दिखाई दे रही है, बीजेपी के बागी नेताओ के कांग्रेस में शामिल होने के संकेत मिल रहे हैं, नरेंद्र मोदी के नीतियों को लेकर लगातार सवाल खड़े करने वाले बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा और दरभंगा से बीजेपी के निलंबित सांसद और पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद कांग्रेस से 2019 के सियासी रण में अपनी किस्मत अाजमा सकते हैं. शत्रुघ्न सिन्हा 2019 के लोकसभा चुनाव दिल्ली के नॉर्थ ईस्ट सीट से कांग्रेस के टिकट पर लड़ सकते हैं. मौजूदा समय में इस सीट से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी सांसद हैं. बिहारी बाबू फिलहाल बिहार के पटना साहिब लोकसभा सीट से सांसद हैं.
दरअसल शत्रुघ्न सिन्हा पिछले दिनों आरजेडी के इफ्तार पार्टी में पहुंचकर स्पष्ट संकेत दिए थे कि वो महागठबंधन कि टिकट पर चुनाव लड़ेंगे. इतना ही नहीं उनके विपक्षी दल के नेताओं के साथ रिश्ते बहुत बेहतर हैं. महागठबंधन में वैसे भी पटना साहिब की सीट कांग्रेस के खाते में है. माना जा रहा है कि शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे. हालांकि, आरजेडी की तरफ से भी उन्हें टिकट का ऑफर है. दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी के नेता और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से उनकी नजदीकियां किसी से छिपी नहीं है.
वही दूसरी ओर कीर्ति आजाद ने भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने का संकेत दिए हैं. दरभंगा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की जमकर तारीफ की थी. उनकी पत्नी पूनम आजाद पहले ही कांग्रेस का दामन थाम चुकी हैं. ऐसे में उनके कांग्रेस में जाने की काफी संभावना हैं. कीर्ति आजाद कांग्रेस में शामिल होने के संकेत भले ही दे रहे हो, लेकिन दुविधा ये है कि उनकी सीट दरभंगा से आरजेडी चुनाव लड़ती रही है. ऐसे में वहां से कांग्रेस से टिकट मिलना मुश्किल हो सकता है. अशरफ फातमी आरजेडी की टिकट पर सांसद रह चुके हैं और केंद्र की यूपीए सरकार में मंत्री भी रहे हैं. कीर्ति आजाद ने कहा था कि बीजेपी ने जो परिस्थितियां बनाई हैं, ऐसे में उनके पास दूसरा विकल्प ही बचा है. अब वो दरभंगा से किसी और पार्टी से चुनाव लड़ेंगे और वो विकल्प एक राष्ट्रीय पार्टी होगी. कांग्रेस में कीर्ति के जाने के संकेत में दम तब और देखने को मिलता है जब कीर्ति आज़ाद ने राहुल गांधी की जमकर तारीफ करते हुए कहा था कि राहुल के कुशल नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी काफी तेजी से आगे बढ़ रही है. राहुल गांधी के अंदर काफी दम भी दिखता है जो सत्ता पक्ष (बीजेपी) के लिए खतरे की घंटी है.
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