मेरा प्रयास देवभूमि उत्तराखण्ड की मूल भावना परिलक्षित ;प्रेम चन्द अग्रवाल
विधान सभा अध्यक्ष की पहल # ## नैनी झील के संरक्षण व संवर्द्धन के लिये कोई कोर कसर नहीं (www.himalayauk.org) Leading Digital Newsportal Presents:
देवभूमि उत्तराखण्ड के लिए आदर्श बनती विधान सभा अध्यक्ष की पहल…….।
देवभूमि उत्तराखण्ड में देवत्व की भावना जागृत हो इसलिए उत्तराखण्ड विधान सभा में विधान सभा अध्यक्ष श्री प्रेम चन्द अग्रवाल द्वारा प्राचीन भारतीय विचारधारा को स्थापित करने के लिए अभूतपूर्व प्रयास किये जा रहे हैं।
उत्तराखण्ड में सरकार गठन के पश्चात् 23 मार्च, 2017 को विधिवत श्री प्रेम चन्द अग्रवाल का निर्विरोध निर्वाचन हुआ। निर्वाचन के पश्चात् जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि आप उत्तराखण्ड विधान सभा के विधान सभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद पर आसीन हुए हैं, ऐसे में आप प्रदेश के हित के लिए नया क्या करेंगे? श्री अग्रवाल ने अपना उत्तर देते समय कहा था कि उत्तराखण्ड में इस चैथी विधान सभा में पाॅंचवें विधान सभा अध्यक्ष निर्वाचित हो कर आये हैं, इसलिए मेरा प्रयास होगा कि प्रदेश के हित के लिए अब तक जो अन्य विधान सभा अध्यक्षों ने नहीं किया है, मेरा प्रयास होगा कि मैं वह सब कार्य करूॅं, जिससे देवभूमि उत्तराखण्ड की मूल भावना प्रदेश एवं देश में परिलक्षित हो।
ऋषिकेश विधान सभा से लगातार तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए श्री प्रेम चन्द अग्रवाल ने देवभूमि उत्तराखण्ड के प्रति अपनी भावना उसी समय प्रकट कर दी थी, जब उन्होंने एक विधायक के रूप में संस्कृत भाषा में शपथ ली। प्रदेश में श्री अग्रवाल एक मात्र ऐसे विधायक हंै, जिन्होंने न केवल संस्कृत भाषा में शपथ ली, बल्कि अपने कहे कथनों के अनुसार श्री अग्रवाल ने विधान सभा अध्यक्ष का पद सुशोभित करते ही सबसे पहला कार्य संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए विधान सभा भवन परिसर में लगी हुई नामपट्टिका में स्वयं एवं उपाध्यक्ष, विधान सभा सहित तमाम अधिकारी, कर्मचारियों के नाम को हिन्दी के साथ-साथ संस्कृत में भी लिखवाया। उसी कड़ी में विधान सभा में ‘संस्कृत उन्नयन समिति’ निर्माण के साथ-साथ आज उत्तराखण्ड विधान सभा भवन पर लगा हुआ विधान सभा का बोर्ड जहाॅं हिन्दी का मान बढ़ा रहा है वहीं देववाणी संस्कृत को भी सुशोभित कर रहा है। इतना ही नहीं 28 मार्च को भारतीय नववर्ष चैत शुक्ल प्रतिपदा को देहरादून स्थित अपने शासकीय आवास में मा0 राज्यपाल, मा0 मुख्यमंत्री एवं उत्तराखण्ड सरकार के तमाम मंत्रियों व विधायकों को रात्रि भोज देकर सबको प्राचीन भारतीय विचारधारा का न केवल परिचय कराया, बल्कि वर्ष प्रतिपदा की शुभकामनाएं भी दी।
श्री प्रेम चन्द अग्रवाल मूलतः देहरादून जनपद के डोईवाला के निवासी हैं। इनका परिवार प्रारम्भ से ही राष्ट्र विचारों से ओत-प्रोत रहा है। पिता स्व0 श्री मांगेराम अग्रवाल जी ने जीवन पर्यन्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। पिताश्री के संस्कार श्री प्रेम चन्द अग्रवाल में भी कूट-कूट कर भरे हैं। बाल्यकाल से संघ के स्वयंसेवक, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भाजयुमो के विभिन्न दायित्वों को निभाते हुए राजनीतिक पगडन्डियों को पार करते हुए आध्यात्म नगरी ऋषिकेश से पहली बार 2007 विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने श्री अग्रवाल को चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतारा। अपने गृह क्षेत्र डोईवाला से ऋषिकेश में चुनाव लड़ना श्री अग्रवाल के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। परन्तु मानो ऐसा लग रहा था कि माॅं गंगा अपने पुत्र को अपने पास बुला कर पुष्पित व पल्लवित करना चाहती थी, परिणामस्वरूप श्री अग्रवाल न केवल 2007 अपितु 2012 व 2017 का विधान सभा चुनाव भारी अन्तर से जीतते गये और ऋषिकेश विधान सभा क्षेत्र की जनता ने उन्हें जैसे अंगीकृत कर लिया।
वास्तव में आध्यात्मिक दृष्टि का ऋषिकेश का भारतीय संस्कृति में एक उच्च स्थान है। इस विधान सभा के लिए उच्च आदर्शो वाले भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत जिस प्रतिनिधि की आवश्यकता थी, वह अब ऋषिकेश को प्रेम चन्द अग्रवाल के रूप में मिल चुके थे। नियमित प्रातः उठकर गंगा के दर्शन, गौ को ग्रास खिलाना, दिन भर साधु-संतों के बीच में अपनी सनातन संस्कृति कैसे जीवित रह सकती है, इसी चिन्तन-मनन में श्री अग्रवाल की राजनीतिक यात्रा आगे बढ़ती है।
विधान सभा अध्यक्ष का पद संवैधानिक होते हुए वह मर्यादाओं में बंधा होता है। किसी भी राजनीतिक गतिविधियों में ना तो विधान सभा अध्यक्ष सम्मिलित हो सकते हैं और ना ही किसी दल विशेष के बारे में सार्वजनिक रूप से कोई भी बयान दे सकते हैं, परन्तु जिस व्यक्ति के अन्दर कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो वो अपने रास्ते स्वयं तलाश लेते हैं, इसी का परिणाम है कि जो प्रेम चन्द ऋषिकेश स्थित गंगा किनारे आस्था पथ पर खड़े होकर पतित पावनी माॅं गंगा को निहारते हैं, उनके मन में गंगा की स्वच्छता व निर्मलता के लिए भी बार-बार विचार आते थे और इसके लिए वे प्रयासरत् भी रहते हैं।
विगत 18 मई, 2017 को विधान सभा अध्यक्षीय शोध कदम के तहत ‘‘गंगा की अविरलता एवं निर्मलता’’ को लेकर ऋषिकेश में पावन गंगा तट पर एक विशाल संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें न केवल अनेक विषयों के विशेषज्ञ शामिल हुए बल्कि प्रदेश के माननीय राज्यपाल डाॅ0 के0के0पाॅल ने कार्यक्रम में पहुॅंचकर न केवल विधान सभा अध्यक्ष की प्रशंसा की बल्कि गंगा किनारे संगोष्ठी स्थल को देख कर भाव-विभोर हो उठे। साथ ही उन्होंने गंगा एवं पर्यावरण संरक्षक को लेकर विधान सभा द्वारा की गयी इस पहल का स्वागत किया।
विधान सभा अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद जब श्री अग्रवाल ने विधान सभा परिसर का निरीक्षण किया तो उन्हें बहुत सारी खामियाॅं दिखायी दी। उन्होंने सचिव विधान सभा को निर्देशित करते हुए कहा कि विधान सभा में पान, गुटखा, तम्बाकू पूर्ण रूप से निषेध किया जाए। इसी क्रम में 31 मई, 2017 को ‘अंतराष्ट्रीय तम्बाकू निषेध दिवस’ के अवसर पर विधान सभा सभागार में तम्बाकू निषेध पर संगोष्ठी कर यह संदेश देने का प्रयास किया है कि हमारे जीवन में तम्बाकू का सेवन अत्यन्त हानिकारक है। इस मौके पर कैंसर रोग के विशेषज्ञों के साथ-साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र रावत भी उपस्थित रहे।
विधान सभा अध्यक्ष द्वारा समाज जागरण एवं समाज में परिवर्तन लाने वाले इस प्रकार के कार्यक्रमों की प्रदेश के मा0 मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रशंसा ही नहीं की, बल्कि समय-समय पर इस प्रकार के कार्यक्रम कराने का अनुरोध भी किया।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रशंसा ही नहीं की, बल्कि
विधान सभा अध्यक्ष श्री प्रेम चन्द अग्रवाल ने जब अपना सम्बोधन प्रारम्भ किया और विधान सभा में कार्यरत सभी कर्मचारियों को परिवार का सदस्य कहा तो सभा स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। श्री अग्रवाल ने कहा है कि मेरा दायित्व है कि विधान सभा का प्रत्येक सदस्य निरोगी रहे इसलिए ‘अंतराष्ट्रीय तम्बाकू निषेध दिवस’ पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, इतना ही नहीं उसी दिन सायं को श्री अग्रवाल ने ऋषिकेश स्थित अपनी विधान सभा में भी ‘अंतराष्ट्रीय तम्बाकू निषेध दिवस’ के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें एम्स ऋषिकेश के निदेशक डाॅ0 रविकान्त सहित अनेकों विशेषज्ञ भी उपस्थित हुए।
अपने कार्य को गति देते हुए 05 जून, 2017 को अंतराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के अवसर पर अपने विधान सभा क्षेत्र ऋषिकेश से अनेकों स्थानों पर पौधारोपण का शुभारम्भ कर विधान सभा परिसर एवं देहरादून स्थित सरकारी आवास तक पौधे रोपने का कार्य किया। श्री अग्रवाल का मानना है कि हम लोग अपने प्रत्येक शुभ अवसरों जैसे-जन्मदिन, शादी के समय नवदम्पत्ति अपने-अपने ससुराल क्षेत्र में पौधारोपण करें।
विधान सभा अध्यक्ष के रूप में श्री अग्रवाल भले ही दलीय राजनीति में प्रतिभाग नहीं कर पा रहे है, बल्कि वे उत्तराखण्ड को देवभूमि की परिकल्पना को साकार करने के लिए हर समय अवसर की तलाश में रहते हैं और अवसर का लाभ उठाते ही कुछ ऐसा कर जाते हैं, जिससे लोग लाभान्वित होते हैं। इसी कड़ी में आगामी 21 जून अंतराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर विधान सभा के तत्वाधान में प्रदेश को स्वस्थ रखने के लिए एक और पहल की तैयारी शुरू हो चुकी है।
presents by; (भारत चैहान) सूचनाधिकारी, मा0 अध्यक्ष, विधान सभा, उत्तराखण्ड।
######### नैनी झील के संरक्षण व संवर्द्धन के लिये कोई कोर कसर नहीं
नैनीताल/देहरादून 09 जून, 2017(सू.ब्यूरो)
नैनी झील राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त है। नैनी झील के संरक्षण व संवर्द्धन के लिये कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जायेगी। राज्य सरकार इसके लिये पूरी सहायता करेगी। झील के संरक्षण संवर्द्धन के लिये राज्य सरकार द्वारा 3 करोड़ रूपये की धनराशि अवमुक्त कर दी गयी हैं। झील के संवर्द्धन के लिये जरूरत पड़ने पर केन्द्र सरकार से भी सहयोग लिया जायेगा।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने यह बात वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों व बुद्धिजीवियों के साथ बोट हाउस क्लब में नैनी झील बचाने हेतु आयोजित बैठक में कही। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वैज्ञानिकों की राय के अनुसार ही झील के संरक्षण की डीपीआर बनाई जाये। उन्होंने कहा नैनीताल शहर से लगे हुये पुराने जल सो्रतों को रिचार्ज करने हेतु भी योजना बनायी जाये। उन्होंने कहा कि झील के जलागम क्षेत्र व प्राकृतिक सौन्दर्य को बचाने के लिये झील के आस-पास कतई भी छेड़-छाड़ ना की जाय। उन्होंने झील संरक्षण के लिये आईआईटी रूड़की, वैज्ञानिकों व वन विभाग से भी सहयोग लिया जाय। उन्होंने कहा कि नैनीताल झील में जो भी नाले गिरते हैं, उनमें कैचपिट अनिवार्य रूप से बनाये जायें ताकि झील में मलुवा व कूड़ा आने से रोका जा सकंे। उन्होंने कहा नैनी झील के जलागम क्षेत्र सूखाताल सहित पहाड़ी क्षेत्रों में जहां से सिल्ट हटानी है, उन्हें तत्काल हटाया जाय ताकि बरसात में झील अधिक से अधिक रिचार्ज हो सकें।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिन नदी नालों में सिल्ट जमा होने के कारण पानी का बहाव नहीं हो पा रहा है, उन्हें तत्काल चैनालाइज किया जाय ताकि पानी आसानी से बह सकें। उन्होेंने कहा कि पहाड़ों से पलायन को रोकने के लिये यहां की खेती को लाभकारी बनाने हेतु कमेटी बनाई जायेगी, कमेटी के सुझावों के आधार पर यहां के किसानों की आमदानी बढ़ाई जायेगी। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं व सुझाव जानने के लिये प्रत्येक माह वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों से सीधी वार्ता की जायेगी। मुख्यमंत्री श्री रावत द्वारा झील का निरीक्षण कर मौके पर अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये गए।
बैठक में पुलिस महानिरीक्षक श्री अजय रौतेला, जिलाधिकारी श्री दीपेन्द्र कुमार चैधरी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री जन्मजेय खण्डूरी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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