सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस विशेष मामले पर सुनवाई करेगा
कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर शिकायत की है कि चुनाव आयोग द्वारा स्पष्ट प्रतिबंध के बावजूद नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने नफ़रत फैलाने वाले भाषण दिए और अपनी रैलियों में सशक्त बलों का ज़िक्र किया.
गोगोई ने कहा, ‘ध्यान रखिए… आपको अंतिम में सुना जाएगा.’
बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. बीजेपी का आरोप है कि राहुल, प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं.
राफेल मुद्दे पर अदालत की अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी नोटिस पर राहुल गांधी ने सोमवार को नया हलफनामा दायर किया है. इसमें भी अपने विवादित बयान के लिए माफी नहीं मांगते हुए उन्होंने खेद प्रकट किया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (30 अप्रैल) को अगली सुनवाई होगी. दरअसल राहुल गांधी के खिलाफ BJP सांसद मीनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की है.
कांग्रेस ने कहा कि 23 अप्रैल को मतदान के दिन गुजरात में रैली करके प्रधानमंत्री ने आचार संहिता का उल्लंघन किया. कांग्रेस ने चुनाव आयोग से पीएम और अमित शाह के उल्लंघन की शिकायत की है लेकिन तीन हफ्ते बीतने के बाद भी चुनाव आयोग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है. आमतौर पर इस तरह के मामलों में चुनाव आयोग उल्लंघन करने वालों पर 72 घंटे तक प्रचार पर बैन लगाता है.
सुप्रीम कोर्ट कल यानी कि मंगलवार को कांग्रेस सांसद और पार्टी महिला विंग की अध्यक्ष सुष्मिता देव की एक याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें आरोप लगाया गया है कि चुनाव आयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा किए जा रहे चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.
लाइव लॉ की खबर के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के सामने इस याचिका को पेश किया गया था.
देव ने शिकायत की है कि चुनाव आयोग द्वारा स्पष्ट प्रतिबंध के बावजूद मोदी और शाह ने नफरत फैलाने वाले भाषण दिए और सशक्त बलों का अपने रैलियों में इस्तेमाल किया. सुष्मिता देव का दावा है कि कांग्रेस के पास इन आरोपों के स्पष्ट सबूत हैं.
जब कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस याचिका को पेश किया, तो मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि उल्लंघन किसके द्वारा किए जाने का आरोप है. इस पर सिंघवी ने प्रधानमंत्री और अमित शाह का नाम लिया, तो मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने कहा, ‘ध्यान रखिए… आपको अंतिम में सुना जाएगा.’
याचिकाकर्ता ने कहा कि 10 मार्च 2019 से यानी कि जब से आम चुनाव 2019 की घोषणा की गई है, तब से मोदी और अमित शाह, विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों और राज्यों में, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और चुनाव नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं.
राफेल डील मामले (Rafale Deal Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) केंद्र सरकार को फटकार लगाई है. केंद्र सरकार ने जवाबी हलफनामे के लिए और वक्त मांगा है. साथ ही कहा कि मंगलवार को होने वाली सुनवाई टाल दी जाए. इस पर सीजेआई रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) ने कहा कि वो इस संबंध में आदेश जारी करेंगे. इस दौरान मेंशनिंग में नाम ना बोलने पर बेंच में शामिल सीजेआई नाराज हो गए और उन्होंने केंद्र सरकार के वकील को फटकार लगाई. इसके साथ ही पीएम मोदी (PM Modi) और अमित शाह (Amit Shah) के कथित तौर पर आचार संहिता उल्लंघन मामले में अभिषेक मनु सिंघवी को भी फटकार लगाई. सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि सब कोर्ट के साथ हाइड एंड सीक का खेल क्यों खेल रहे हैं?
सीजेआई ने कहा कि केंद्र के वकील कह रहे हें कि वो जवाबी हलफनामा दाखिल करना चाहते हैं लेकिन ये नहीं बता रहे कि वो राफेल में हलफनामा दाखिल करना चाहते हैं. इसलिए उनको और वक्त चाहिए तो वो सुनवाई टालना चाहते हैं. उनको कहना चाहिए कि कल (मंगलवार) दो बजे होने वाली राफेल मामले की सुनवाई में वो जवाबी हलफनामा दाखिल करना चाहते है. इसी तरह सिंघवी भी पीएम मोदी और अमित शाह का नाम नहीं ले रहे. आपको ये सब बंद करना चाहिए. कोर्ट के साथ हाईड एंड सीक खेल नहीं चलेगा.
राफेल मुद्दे पर अदालत की अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी नोटिस पर राहुल गांधी ने सोमवार को नया हलफनामा दायर किया है. इसमें भी अपने विवादित बयान के लिए माफी नहीं मांगते हुए उन्होंने खेद प्रकट किया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (30 अप्रैल) को अगली सुनवाई होगी. दरअसल राहुल गांधी के खिलाफ BJP सांसद मीनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की है.
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि राफेल मामले में गोपनीय दस्तावेज को भी बहस का हिस्सा बनाने के SC के फैसले को कांग्रेस अध्यक्ष ने गलत तरीके से पेश किया है. लेखी ने राहुल पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने ‘चौकीदार चोर है’ के अपने बयान को सुप्रीम कोर्ट के बयान की तरह प्रस्तुत किया. उन्होंने राहुल पर आरोप लगाते हुए कहा कि रफाल की पुनर्विचार याचिका के मामले में SC के फैसले के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि ‘सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि चौकीदार चोर है!’
उसके बाद 23 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर ‘चौकीदार चोर है’ का बयान देने के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अवमानना नोटिस जारी किया गया. पहले कोर्ट ने राहुल से स्पष्टीकरण मांगा था, उसके बाद अवमानना नोटिस जारी किया है. सोमवार (22 अप्रैल) को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में अपनी टिप्पणी पर खेद व्यक्त किया था, जिसमें कहा था कि चुनावी माहौल में ऐसा बयान दे दिया था जिसके लिए उन्हें खेद है.
उस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिये दायर याचिका पर 30 अप्रैल को राफेल सौदे पर उसके 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिका के साथ ही सुनवाई करेगी. कोर्ट ने लेखी की ओर से दायर आपराधिक अवमानना का मामला खत्म करने का राहुल गांधी का अनुरोध ठुकरा दिया.
लेखी के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा था कि राहुल गांधी ने जवाब में बयान पर खेद जताया है और कहा है कि उन्होंने कोर्ट का आदेश देखे बग़ैर पत्रकारों से ऐसा कहा था. उन्होंने माना कि कोर्ट आदेश में ऐसा नही था. रोहतगी ने कहा जैसे उन्होंने खेद जताया है उसे माफ़ी मांगना नहीं कहा जा सकता. जब राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोर्ट ने उनसे सिर्फ स्पष्टीकरण मांगा था जो कि उन्होंने दिया है. कोर्ट ने उन्हें नोटिस नहीं जारी किया है. इस पर सीजेआई ने कहा कि आप कह रहे हैं कि नोटिस नहीं जारी हुआ तो अब नोटिस कर रहे हैं और कोर्ट ने राहुल को नोटिस जारी किया.
उससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल मामले में फ़ैसले के बाद सुप्रीमकोर्ट का नाम लेकर ‘चौकीदार चोर है’ बयान पर खेद जताया था. राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव प्रचार के जोश में ऐसा कह दिया था. कहा- किसी भी तरीके से राफेल मामले को लेकर चल रही सुनवाई या फैसले के संदर्भ में गलत टिप्पणी कर अदालत की अवमानना करने की उनकी मंशा नहीं थी. उन्होंने उक्त बयान सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर भरोसा करके और उनके पास मौजूद एक्टिविस्ट व कार्यकर्ताओं की बातों पर भरोसा करते हुए कही थी.
शीर्ष अदालत ने 15 अप्रैल को स्पष्ट किया था कि राफेल पर उसके फैसले में ऐसा कुछ भी नहीं था, जिसके हवाले से यह कहा जा सके कि ‘चौकीदार चोर है.’