उच्चतम न्यायालय ने 30 लाख एनजीओ को गंभीरता से लिया
विदेशी कोष नियमों का कथित उल्लंघन करने को लेकर गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) पर सरकार की कार्रवाई के बीच उच्चतम न्यायालय ने देश भर में कुकुरमुत्ते की तरह उग चुके ऐसी करीब 30 लाख संस्थाओं को गंभीरता से लिया है। इनमें से कई एनजीओ बरसों से आयकर रिटर्न नहीं दाखिल कर रहे हैं। उच्चतम न्यायालय के पास यह विषय करीब पांच साल से है और इसने सीबीआई को कई एनजीओ के कोष में अनियमितिा के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया था। शीर्ष न्यायालय ने जानना चाहा है कि समस्या के आकार और तीव्रता पर गौर करने के लिए क्या कोई नियामक इकाई है। प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा, ‘‘यह एक बड़ी समस्या है। ये चौंकाने वाले आंकड़ें हैं।’’ उन्होंने कहा कि लाखों ‘सोसाइटी’ को दुनिया भर से धन मिल रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे एनजीओ को कोष प्राप्त होने में प्रभावी नियमन और पारदर्शिता के लिए विधान बनाने को लेकर क्या विधि आयोग ने कोई सिफारिश की है।’’
न्यायूर्ति एएम खानविलकर की सदस्यता वाली पीठ ने मामले में न्यायालय की सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी को न्याय मित्र नियुक्त करते हुए कहा, ‘‘धन को दूसरे मद में डाल देना जैसा अतीत में जो कुछ हुआ है उसकी तह में जा पाना मुश्किल है लेकिन भविष्य में पारदर्शिता होनी चाहिए।’’ पीठ ने कहा कि विवाद की प्रकृति और देश में पंजीकृत करीब 29,99,623 सोसाइटी से पैदा होने वाली समस्या की तीव्रता को मद्देनजर रखते हुए हम वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी को इस अदालत की न्यायमित्र के रूप में सहायता करने का अनुरोध करते हैं जो ऐसा करने के लिए राजी हुए हैं। पीठ ने कहा, ‘‘रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह उन्हें रिट याचिका और इस न्यायालय द्वारा जारी किए गए पिछले आदेशों सहित संबद्ध कागजातों की एक प्रति दो दिनों के अंदर सौंपे।’’
इस बीच सीबीआई के वकील ने न्यायालय के पहले के आदेशों के अनुपालन में कई रिपोर्ट, दस्तावेज और सीडी शीर्ष न्यायालय को सौंपा। इसने विभिन्न राज्यों में पंजीकृत एनजीओ की संख्या बताई है जिसके मुताबिक महाराष्ट्र में पांच लाख से अधिक, बिहार में 61,000 और असम में 97,000 स्वयंसेवी संस्थाएं हैं। सीबीआई ने न्यायालय को यह भी बताया कि कर्नाटक, ओड़िशा और तेलंगाना सरकारों ने इसके पहले के आदेशों का अब तक अनुपालन नहीं किया है। याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने अपनी दलीलें पेश करने के लिए वक्त मांगा जिसके बाद पीठ ने मामले को 23 सितंबर के लिए मुल्तवी कर दिया। गौरतलब है कि सीबीआई ने पिछले साल सितंबर में शीर्ष न्यायालय को सूचना दी थी कि देश भर में संचालित हो रहे 30 लाख से अधिक एनजीओ में 10 फीसदी से भी कम ने अपना रिटर्न और ‘बैलेंस शीट’ तथा अन्य वित्तीय ब्योरा अधिकारियों को सौंपा है।
सीबीआई ने अपने दूसरे हलफनामा में कहा था कि पंजीकृत एनजीओ में करीब 9. 33 प्रतिशत ने कर रिटर्न भरने की योग्यता पूरी की। शीर्ष न्यायालय ने साल 2011 में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे द्वारा संचालित हिंद स्वराज ट्रस्ट नाम के एनजीओ के खिलाफ दर्ज जनहित याचिका का दायरा बढ़ा दिया था। पीआईएल के जरिए कोष में कथित अनियमितता की जांच की मांग की गई थी।