आज पूरे विश्व के लोग शांति की तलाश में ; स्वामी चिदानंद मुनि
राजभवन, देहरादून दिनांक 14 सितम्बर, 2016
उतराखण्ड के राज्यपाल डाॅ0 कृष्ण कांत पाल ने भारतीय संस्कृति और मूल्यांे को अपनाने का आह्वाहन करते हुए कहा कि पश्चिमी सभ्यता, भौतिकतावाद और उपभोक्तावाद के कारण अशांति से पीड़ित व्यक्ति को शांति केे लिए भारतीय जीवन दर्शन, जीवन शैली और मूल्यों को अपनाना होगा जिसमे मन की स्थिरता के लिए ‘ध्यान’ को सबसे सशक्त उपाय बताया गया है।
यह बात राज्यपाल ने आज बुद्धवार को राजभवन के प्रेक्षागृह में लेखिका एवं पत्रकार डा0 राधिका नागरथ की पुस्तक ‘‘शांति की तलाश में जिन्दगी’’ का विमोचन करने के बाद अपने संम्बोधन में कही। राज्यपाल ने पुस्तक को सरल भाषा में रोचक उदाहरणों तथा दैनिक जीवन के उपाख्यानों का दार्शनिक दस्तावेज बताया। लेखिका को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि पुस्तक, लेखिका के जीवन और लोगों के गहन अध्ययन का परिणाम है जिसमें पश्चिमी सभ्यता और सतही मूल्यों के पीछे भागने के कारण उपज रही अशांति से जीवन को खोखला होने से बचने के महत्व पर प्रकाश डाला गया है। उन्हांेने पुस्तक को दार्शनिक चुनौतियों से निबटने और जीवन की सच्चाई को समझने के लिए मस्तिष्क को प्रेरित करने का बेहतरीन सार्थक प्रयास बताते हुए कहा कि लगभग पाँच हजार वर्ष प्राचीन भारतीय सभ्यता में भी मूल्य आधारित जीवन जीने का समर्थन करते हुए सतही जीवन को ‘मृगतृष्णा’ के रूप में माना गया है। उन्होंने अपने सम्बोधन में रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानन्द के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि अपने आचरण में बदलाव के लिए हमारे देश के महान विचारकों ने जो शिक्षा दी, है मन की शांति हेतु उनका अनुशरण निरापद है।
राज्यपाल ने जीवन मे शांति के लिए मन को केन्द्रित और नियन्त्रित करने हेतु ध्यान/मेडिटेशन को महत्वर्पूण बताते हुए कहा कि मेडिटेशन के बल पर हम स्वयं और अन्य सांसारिक लालसाओं पर विजय पा सकते हंै।
राज्यपाल ने सभी को हिन्दी दिवस की बधाई व शुभकामनायें देते हुए कहा कि पुस्तक विमोचन के लिए आज का दिन विशेष व सर्वाधिक उपयुक्त समझकर ही उन्होंने लेखिका को आज की तिथि/समय दिया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित परमार्थ निकेतन के अधिष्ठाता स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि आज पूरे विश्व के लोग शांति की तलाश में हंै लेकिन उनका जीवन भौतिकता की खोज में बीता जा रहा है। उन्होंने कहा कि असीम को पाने की चाहत के पीछे दौडने से शांति नहीं मिल सकती। उन्हांेने ध्यान और आत्मनिरीक्षण को जीवन का महत्वपूर्ण नियंत्रक बताया।
गायत्री परिवार के परमाध्यक्ष डा0 प्रणव पाण्ड्या ने विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने संबोधन में कहा कि शांति हमारे आस-पास है उसे खोजने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है, आत्मस्थ होकर उसे सहज रूप से पाया जा सकता है।
मंचासीन वरिष्ठ पत्रकार श्री शम्भुनाथ शुक्ला ने कहा कि ‘शांति’ हर किसी का लक्ष्य है लोगों को नाखुशी जाहिर करने के बजाय सदैव खुश रहने का पेयास करना चाहिये।
इससे पूर्व पुस्तक की लेखिका डा0 राधिका नागरथ ने अपनी पुस्तक की विषय-वस्तु पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कुछ व्यावहारिक-परीक्षित समाधानों पर आधारित यह पुस्तक पाठकों को मन की शांति प्रदान करने में मदद कर सकती है। उन्हांेने बताया कि शांति के निष्कर्ष तक पहुँचने के लिए कई विशिष्ट महानुभावों (लाइफ कोचेज) के साक्षात्कार भी पुस्तक में शामिल किये गये हैं। 2009 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लाॅस एंजिल्स में यूनाइटेड नेशन्स द्वारा ‘सतत शांति’ के लिए आयोजित सम्मेलन में कतिपय प्रतिभागियों के शांति संबंधी प्रेरक विचारों को भी पुस्तक में शामिल किया गया है।
इस अवसर पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान सांसद डाॅ0 रमेश पोखरियाल निशंक सहित अनेक गणमान्य महानुभाव मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन ए0के0 घिल्डियाल द्वारा किया गया।