ज्योतिष में विश्वास रखने वाले मुख्यमंत्री ने वि0स0 भंग की
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने विधानसभा भंग करने संबंधित प्रस्ताव को राज्यपाल को सौंप दिया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया. इसके बाद राज्यपाल ने केसीआर को सरकार का केयरटेकर नियुक्त किया.# -मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केसीआर ने राजभवन पहुंच कर राज्यपाल इएसएल नरसिम्हन से मुलाकात की# ज्योतिष में खासा विश्वास रखने वाले मुख्यमंत्री 6 अंक को बेहद शुभ मानते हैं, इसलिए उन्होंने इस अहम फैसले के लिए 6 सितंबर के दिन को चुना है. राज्य विधानसभा का अगला चुनाव 2019 में लोकसभा चुनाव के साथ ही कराया जाना है, लेकिन मुख्यमंत्री राव चाहते हैं कि इस साल के अंत में 4 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ ही इस राज्य के चुनाव करा लिए जाएं. साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छ्त्तीसगढ़ और मिजोरम में एक साथ विधानसभा चुनाव होने हैं. हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्तsराखण्डl www.himalayauk.org
हैदराबाद: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया है. केसीआर कैबिनेट ने समय से पहले विधानसभा भंग कर चुनाव कराने का निर्णय लिया है. तेलंगाना की विधानसभा का कार्यकाल 2 जून 2019 तक था और तेलंगाना में चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होने थे. केसीआर थोड़ी देर में इस फैसले की जानकारी राज्यपाल को देंगे. केसीआर की पार्टी टीआरएस चाहती है कि तेलंगाना में चुनाव में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के साथ कराए जाएं.
चंद्रशेखर राव काफी दिनों से इस बारे में फैसला लोने की सोच रहे थे. इसको लेकर तैयारियां भी शुरू हो गई थीं. हाल ही में मुख्यमंत्री केसीआर ने राज्य में मेगा रैली का आयोजन किया था. इसके साथ ही राज्य में बड़े पैमाने पर आईपीएस और आईएएस अधिकारियों का तबादला भी किया था. केसीआर ने टीआरएस के वरिष्ठ नेताओं से चुनाव चर्चा करके तैयारियों का जायजा लिया था. इस बातचीत के दौरान पार्टी के कैंपेन को लॉन्च करने से जुड़ी तैयारियों पर भी चर्चा की गई. तेलंगाना में विधानसभा की कुल 119 सीटें हैं. राज्य की वर्तमान स्थिति की बात करें तो तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के पास 90, कांग्रेस 13 और बीजेपी के पास 05 सीटें हैं. टीआरएस सरकार के इस फैसले के बाद बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिंम्हा राव ने एबीपी न्यूज़ से कहा, ”चुनाव को लेकर फैसले लेने का अधिकार टीआरएस का है. लेकिन इन्हें राज्य जनता को बताना पड़ेगा कि चुनाव जल्दी क्यों कराए जा रहे हैं? कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता से भयभीत है.’
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने गुरुवार को मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाई जिसमें राज्य विधानसभा को भंग करने की सिफारिश की गई. बैठक के बाद मुख्यमंत्री केसीआर ने राज्यपाल इएसएल नरसिम्हन से मुलाकात कर विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव सौंपा जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया. वहीं राज्यपाल से मुलाकात के बाद केसीआर ने प्रेस कांफ्रेंस की जिसमें उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए 105 उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी. इस बीच, तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष एन उत्तम कुमार रेड्डी ने केसीआर के फैसले की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि केसीआर ने विधानसभा भंग करके अपनी कब्र खोदी है. वह मोदी के एजेंट हैं. हम चुनाव के लिए तैयार हैं. बता दें कि करीब 15 दिनों से विधानसभा भंग करने और जल्दी चुनाव कराए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं. तेलंगाना विधानसभा का चुनाव अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ निर्धारित है, लेकिन सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) दोनों चुनाव अलग-अलग कराए जाने में राजनीतिक लाभ देख रही है. पार्टी को मई 2014 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में राज्य में जीत मिली थी. उसने 119 सदस्यीय विधानसभा में 63 सीटों पर जीत हासिल की थी.
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) ने समय से पहले विधानसभा भंग कर दी है. उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात करके उन्हें विधानसभा भंग करने की सिफारिश की है. साथ ही राज्य में चुनाव कराने की सिफारिश की है. विधानसभा भंग होने के बाद छह महीने के भीतर राज्य में चुनाव कराए जाएंगे. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सीएम केसीआर ने समय से पहले विधानसभा भंग करने की सिफारिश क्यों. इतने बड़े फैसले के लिए उन्होंने 6 सितंबर का दिन क्यों चुना है? इस तरह के कई सवाल लोगों के जेहन में उठ रहे हैं. राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि ‘6’ अंक के फेर में पड़कर सीएम केसीआर ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश की है.
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रमुख और राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव बेहद धार्मिक स्वभाव के माने जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि वह ग्रह-नक्षत्र के हिसाब से ही जीवन के फैसले लेने में यकीन करते हैं. ये भी कहा जाता है कि सीएम केसीआर अपने लिए 6 नंबर को भाग्यशाली मानते हैं. इसी वजह से वे अपने जीवन के ज्यादातर बड़े फैसले इसी तारीख को लेते हैं.
इसका अनुमान उनके एक और फैसले से लगाया जा सकता है. समय से पहले विधानसभा चुनाव कराने के लिए मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के सदन को भंग करने की तरफ बढ़ने के संकेतों के बीच पांच दिनों में दूसरी बार गुरूवार को यहां राज्य मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई थी. दिलचस्प बात यह है कि बुधवार को यह बैठक शाम छह बजे शुरू हुई और 6:45 बजे संपन्न हुई. इसी बैठक में सीएम केसीआर ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने का फैसला लिया था, जिसका ऐलान गुरुवार को किया गया.
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव और राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव के दौरान आंध्र प्रदेश में सत्ताधारी तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) और कांग्रेस एक साथ खड़े दिखे थे. ऐसे में टीआरएस को अंदेशा है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में टीडीपी और कांग्रेस जैसे घोर विरोधी पार्टियां एक साथ आ सकती हैं. यह अनुमान इसलिए और भी प्रभावी माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी से सामना करने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक साथ आ गए हैं.
सीएम केसीआर किसी भी सूरत में तेलंगाना में कांग्रेस को बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते हैं. उनका अनुमान है कि वह लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अलग-अलग उतरते हैं तो उन्हें ज्यादा फायदा होगा. इसलिए वे चाहते हैं कि तेलंगाना में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ विधानसभा चुनावों के साथ वोटिंग हो ना कि आम चुनाव के साथ. मालूम हो कि मई 2014 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में टीआरएस ने 119 सीटों में से 63 जीती थीं. इस बार देखना दिलचस्प होगा कि सीएम केसीआर की ओर से 6 सितंबर को विधानसभा भंग करने का फैसला सही साबित होता है या उन्हें इसपर पछताना पड़ेगा.
मुख्यमंत्री राव को इस बात एहसास है कि राज्य में आज की तारीख में विपक्ष के पास उनके बराबर का कोई भी नेता नहीं है. लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव कराए जाने से उन्हें खासी मेहनत नहीं करनी पड़ेगी और अपनी छवि का राज्यस्तरीय चुनाव में फायदा उठा सकेंगे. अगर वह अप्रैल तक रुकते हैं तो आम चुनाव के माहौल में राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का फैक्टर तेलंगाना समेत शेष भारत में फैल सकता है. कांग्रेस वहां पर मुख्य विपक्षी दल है और पार्टी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर देती है तो लोकसभा वोटिंग के दौरान विधानसभा वोटिंग पर इसका असर पड़ सकता है. लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में विधानसभा चुनाव कराए जाते हैं तो ऐसे में मुख्यमंत्री राव को दोनों चुनाव की तैयारियों के लिए भरपूर समय मिल जाएगा. तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के मुखिया और मुख्यमंत्री राव को इस बात का डर है कि साल के अंत में 4 राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम) में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करती है तो 2019 में आम चुनाव में कांग्रेस को लेकर माहौल बनने का खतरा बन सकता है जो टीआरएस के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. राव को लगता है कि आम चुनाव के दौरान राष्ट्रीय मुद्दा हावी रह सकता है. मुख्य मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच होने के कारण स्थानीय मुद्दों की जगह राष्ट्रीय मुद्दे जगह बना सकते हैं जिससे स्थानीय पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने कभी ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ का समर्थन किया था, लेकिन राजनीतिक हित के चक्कर में मुख्यमंत्री राव महज 4 महीने के अंदर राज्य को 2 बार चुनाव में धकेलना चाहते हैं, जो पूरी तरह से पैसे की बर्बादी है.
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