नौकरशाही बेचैन; टाइम बाउंड प्रमोशन की पुरानी परंपरा भंग

युवा नौकरशाहों को वरीयता # मोदी नौकरशाही के शीर्ष स्तर पर व्यापक फेरबदल के मूड में  #टाइम बाउंड प्रमोशन की पुरानी परंपरा के भंग # Himalaya Gaurav Uttrakhand 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नौकरशाही के शीर्ष स्तर पर व्यापक फेरबदल के मूड में हैं. मोदी ने चार जून को भारत सरकार के सचिवों की एक बैठक में इशारों-इशारों में ये सख्त संदेश देकर नौकरशाही खासकर वरिष्ठ नौकरशाहों के होश फाख्ता कर दिये कि कार्यकाल और वरिष्ठता के आधार पर सचिव स्तर के पद पर अधिकारियों की स्वत: पदोन्नति अब इतिहास की बात हो जायेगी.
मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री पद संभालने के तत्काल बाद सचिवों के साथ पहली बैठक का हल्के से जिक्र करते हुए ये बात कही. उन्होंने कहा ‘ठीक तीन साल पहले करीब 85 सचिवों के साथ मेरी इसी तरह की बैठक हुई थी. उन 85 अधिकारियों में से केवल चार आज यहां मौजूद हैं और ये चार अधिकारी भी एक्सटेंशन पर हैं’
टाइम बाउंड प्रमोशन की पुरानी परंपरा के भंग होने की वजह से नौकरशाही के शीर्ष क्रम में बेचैनी साफ झलकती है. प्रोन्नति को अपना अधिकार समझने वाला अधिकारियों का एक वर्ग इस नयी मैथडॉलॉजी से परेशान है जिसे प्रोन्नति के लिए 360 डिग्री मूल्यांकन के तौर पर जाना जाता है. इस मैथडॉलॉजी में किसी अधिकारी के व्यवहार और कार्यक्षमता के बारे में ना सिर्फ सीनियर्स बल्कि जूनियर अधिकारियों की राय भी लेकर मुकम्मल फीडबैक लिया जाता है. इस नई प्रक्रिया के लागू होने के बाद कई वरिष्ठ अधिकारियों की प्रोन्नति खारिज कर दी गयी. प्रधानमंत्री वही तरीके राष्ट्रीय स्तर पर लागू करना चाहते हैं और ज्यादा सेवा अवधि वाले युवा नौकरशाहों को वरीयता देंगे ताकि उन्हें सरकार के विजन को साकार करने की जिम्मेदारी सौंपी जा सके. इस तरह वह सिर्फ करियर के लिए नौकरशाही में शामिल अधिकारियों की इस धारणा को भी तोड़ने की कोशिश करेंगे कि सिर्फ सेवा अवधि की लंबाई के एकमात्र आधार पर शिखर पर पहुंचा जा सकता है और वहां कब्जा बनाये रखा जा सकता है.

प्रधानमंत्री ने अपनी नई सोच को स्पष्ट करने के लिए एक किस्सा भी सुनाया – जोड़ तोड़ और परिस्थितियों की बदौलत राजनीतिक सत्ता के शिखर तक जा पहुंचे एक राजनीतिज्ञ से जब ये पूछा गया कि कितने समय तक शिखर पर बने रहने की उनकी योजना है तो राजनीतिज्ञ ने जवाब दिया ‘कोई भी एवरेस्ट पर घर बनाने के लिए चढाई नहीं करता’ मोदी ने सचिवों से कहा कि चोटी पर पहुंचना पर्वतारोहण का उद्देश्य हो सकता है लेकिन ये गवर्नेंस के लिए लागू नहीं होता. HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND 

प्रधानमंत्री के साथ नजदीकी तौर पर काम करने वालों का ये मानना है कि 360 डिग्री मेथडोलॉजी बिल्कुल उसी तरह की है जो गुजरात की नौकरशाही के लिए लागू की गयी थी. वर्ष 1995 में जब गुजरात में केशुभाई पटेल की सरकार थी उस समय बीजेपी के प्रदेश महासचिव के रूप में मोदी ने अधिकारियों की तैनाती के लिए सख्त छानबीन की प्रक्रिया शुरू की थी. मोदी के साथ लंबे समय से काम कर रहे एक अधिकारी ने कहा “गुजरात में पहली बार , केशुभाई की सरकार के पहले दौर में स्वच्छ छवि के अधिकारियों की तैनाती की गयी.’
उन्होंने कहा ‘आप ये देखिए कि मोदी गुजरात में कर्मचारी वर्ग को युवा बनाने को लेकर काफी प्रयत्नशील थे और 2007 में कर्मचारियों की औसत आयु जो 52 साल थी उसे हम घटाकर 40 साल के आस पास ले आये.’
तीन साल में बदल गया नौकरशाही का शीर्ष स्तर
वह जिस तथ्य का मुख्य रूप से उल्लेख कर रहे थे वो ये था कि इन तीन वर्षों में नौकरशाही का शीर्ष स्तर पूरी तरह बदल चुका है, जबकि राजनीतिक नेतृत्व वही का वही है. भारत सरकार के सभी सचिव रिटायर हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि नौकरशाही के शीर्ष पर अधिकारियों की नई टीम के पहुंचने से राजनीतिक और प्रशासनिक लक्ष्य निर्धारण बार-बार बदलता रहता है, उनमें संशोधन होता रहता है और इस कारण सरकार का अपना एजेंडा पीछे चला जाता है.
इसमें निहित संदेश ये है कि जिन अधिकारियों की सेवानिवृत्ति में दो साल से कम का समय बचा हुआ है उनके सचिव पद पर प्रोन्नति के नाम पर विचार की संभावना बहुत कम रह जायेगी. सचिव के रूप में उन्हीं अधिकारियों के नाम पर विचार होगा जिनका कार्यकाल कम से कम तीन साल बचा होगा ताकि उन्हें सरकार के विजन को साकार करने के लिए पर्याप्त कार्यकाल मिल पाये. Himalaya Gaurav Uttrakhand 
ये बदलाव भविष्य के लिए नहीं है बल्कि इसकी शुरुआत हो चुकी है. इसका सटीक उदाहरण है रक्षा सचिव के रूप में संजय मित्रा की नियुक्ति. बंगाल कैडर के अधिकारी मित्रा को मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार का भी पसंदीदा अधिकारी माना जाता था. मुख्य सचिव के रूप में बंगाल जाने के पहले सात साल उन्होंने मनमोहन सिंह के पीएमओ में काम किया. एक मौका ऐसा भी आया था जब मित्रा को मोदी के खिलाफ स्टैंड लेना पड़ा था जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे. लेकिन मोदी सरकार ने उन्हें दिल्ली वापस बुलाया और सड़क परिवहन और राजमार्ग के सचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी. इसके बाद उन्हें पिछले महीने रक्षा सचिव बना दिया गया. रक्षा सचिव के पद पर नियुक्ति निर्धारित अवधि की पोस्टिंग है. मित्रा इस पद पर दो साल तक रहेंगे लेकिन उनकी नियुक्ति के जरिये ये संदेश देने की कोशिश है कि वरिष्ठता पर योग्यता भारी पड़ रही है.
इस बैठक में जो मौजूद थे उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का रूख बिल्कुल स्पष्ट था कि जिस अधिकारी को सेवानिवृत्ति के एक साल पहले सचिव पद की जिम्मेदारी दी गयी है उससे ये अपेक्षा करना गलत होगा कि वो प्रभावी रूप से काम कर पाएगा. उनकी राय में इस तरह के अधिकारी सरकार के लिए योजनायें बनाने पर ध्यान लगाने की बजाय बोरिया बिस्तर समेटने के लिए ज्यादा तत्पर होते हैं.

HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND www.himalayauk.org

(Leading Newsportal & Daily Newspaper)

Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; csjoshi_editor@yahoo.in, himalayauk@gmail.com
Mob. 9412932030;

Availble in: FB, Twitter, whatsup Groups (Lic. by TRAI),  & all News Websites.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *