नेशनल खबरे-सवर्ण संगठनों का 10 अप्रैल (मंगलवार) को आंदोलन आहूत

HIGH LIGHTS;  * मोदी के खिलाफ उतरेगे अखिलेश  #मध्य प्रदेश के सवर्णों ने सड़क पर उतरने का फैसला लिया  #जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार हिस्सा लेने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें मंच से उतार दिया गया  #ज्यादा आासानी से तत्काल रेल टिकट बुक कर पाएंगे #कांग्रेस की इस बड़ी जीत के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का भी हाथ था

नई दिल्ली: साल 2015 की यूपीएससी टॉपर टीना डाबी और अतहर आमिर शनिवार को शादी के बंधन में बंध गए हैं. इस जोड़े ने इस अपनी शादी के लिए कश्मीर के पहलगाम को चुना. बता दें कि अतहर आमिर कश्मीर के ही रहने वाले हैं. 2015 में अतहर आमिर सेकेंड टॉपर थे.
जानकारी के मुताबिक टीना डाबी अपने परिवार के साथ शुक्रवार को कश्मीर के पहलगाम पहुंची थीं. खबरों की मानें तो टीना डाबी और अतहर आमिर के बीच आईएएस की ट्रेनिंग के दौरान प्रेम परवान चढ़ा.
टीना ने अपनी शादी को लेकर पहले ही जानकारी दी थी, दोनों ने फेसबुक पर एक फोटो भी शेयर किया था. हालांकि उस दौरान शादी की तारीख को लेकर कोई एलान नहीं किया था.
अपनी शादी की जानकारी देते हुए टीना ने बताया था कि कुछ लोगों ने जातिगत टिप्पणी भी की, कुछ लोगों ने धर्म को लेकर भी सवाल किए लेकिन मेरा का मनाना है कि प्रेम करना कोई गुनाह नहीं है.

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लखनऊ: पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से अखिलेश यादव चुनाव लड़ सकते हैं. इन दिनों समाजवादी पार्टी में ऐसी चर्चा है. मोदी को उनके ही गढ़ में घेरने के लिए बीएसपी के भी कुछ नेता ऐसा ही चाहते हैं. अगर अखिलेश यादव राजी हुए तो वे विपक्ष के साझा उम्मीदवार हो सकते हैं. ऐसे हालात में मोदी के लिए संसद पहुँचने का रास्ता मुश्किल हो सकता है. वैसे अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर अपने मन की बात नहीं बताई है. अखिलेश यादव इस बार हर हाल में लोक सभा का चुनाव लड़ेंगे. यूपी में विधान सभा चुनाव अभी चार साल दूर हैं. अब अखिलेश कहाँ से चुनावी मैदान में उतरें? इस पर फैसला नहीं हो पा रहा है. अखिलेश के एक दोस्त जो अब समाजवादी पार्टी में नेता भी हैं ने कहा,”अखिलेश जी अगर कन्नौज या मैनपुरी से चुनाव लड़ते है और जीत जाते हैं तो ये कोई बड़ी बात नहीं होगी. लेकिन अगर वे मोदी को हरा देते हैं तो देश की राजनीति बदल जाएगी.

समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं की राय है कि अखिलेश ऐसी जगह से चुनाव लड़ें, जिससे एक राजनैतिक मैसेज जाये. इसके लिए वाराणसी से कोई बेहतर जगह नहीं हो सकती है. वैसे अखिलेश यादव ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. मुलायम सिंह यादव इस बार आज़मगढ़ के बदले मैनपुरी से चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं. रामगोपाल यादव इस बार सँभल से लड़ना चाहते हैं. मैनपुरी के सांसद तेज़ प्रताप यादव फिर कहां जायेंगे? समाजवादी पार्टी के सूत्र की मानें तो कन्नौज से तेज़ को टिकट मिल सकता है. हो सकता है कि अखिलेश खुद वाराणसी या फिर किसी हाई प्रोफ़ाइल जगह से चुनाव लड़ें. वैसे अभी फ़ाइनल कुछ नहीं हुआ है. बीएसपी के एक राज्य सभा सांसद ने कहा,”अगर अखिलेश जी बनारस से लड़ते हैं तो फिर हम मोदी जी को वहीं घेरने में कामयाब हो सकते हैं. भले ही अखिलेश जी चुनाव जीते या हारें.” पिछला लोकसभा चुनाव 2014 में हुआ था. तब बीजेपी के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को 4 लाख 81 हज़ार वोट मिले थे. मोदी को 56.37 प्रतिशत वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल रहे. जिन्हें 2 लाख 9 हज़ार यानी 20.30 फ़ीसदी वोट मिले. कांग्रेस तीसरे, बीएसपी चौथे और समाजवादी पार्टी पाँचवें नंबर पर रही थी

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भोपाल: एसी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम को कथित तौर पर शिथिल किए जाने के विरोध में 2 अप्रैल को दलित संगठनों की ओर से किए गए राष्ट्रव्यापी आंदोलन के विरोध में मध्य प्रदेश के सवर्णों ने सड़क पर उतरने का फैसला लिया है. किसी भी संभावित हिंसा के मद्देनजर मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. साथ ही स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई है. सवर्ण संगठनों ने 10 अप्रैल (मंगलवार) को आंदोलन आहूत किया है.

दो अप्रैल को दलितों के आंदोलन के दौरान ग्वालियर, भिंड और मुरैना जिले में हुई हिंसक घटनाओं में 8 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना से सबक लेते हुए राज्य सरकार के आदेश पर इस बार इन जिलों में इंटरनेट सेवा 10 अप्रैल रात 12 बजे तक इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. सवर्ण संगठनों के आहूत प्रदर्शन के मद्देनजर प्रशासन ने कमर कस ली है. 

सोमवार को मध्य प्रदेश सरकार में गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने प्रशासनिक अफसरों से चर्चा की. प्रशासन ने एहतियात के तौर पर ग्वालियर, भिंड और मुरैना में प्रशासन ने स्कूल-कॉलेजों में 10 अप्रैल को छुट्टी घोषित कर दी है. साथ ही भिंड में सोमवार रात से पूरे दिन कर्फ्यू लगाने का फैसला लिया गया है. ग्वालियर में इंटरनेट सेवाएं रविवार रात 11 बजे से मंगलवार रात 10 बजे तक बंद रहेंगी. मुरैना में सोमवार दोपहर 2 बजे से इंटरनेट सेवा बंद रहेगी. सवर्णों के आंदोलन के दौरान किसी भी संभावित हिंसा को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. 2 अप्रैल को हुई हिंसा मामले में केवल मुरैना में अब तक 61 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जबकि करीब 800 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज हैं। इसके साथ ही इलाके के दबंग छवि के लोगों को हिरासत में लिया गया है. गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि 10 अप्रैल को बंद की कोई अधिकृत घोषणा किसी संगठन ने नहीं की है, लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ क्षेत्रों में दुष्प्रचार किया जा रहा है. हम अलर्ट पर हैं, सुरक्षा की दृष्टि से सरकार ध्यान दे रही है. प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है. भूपेंद्र सिंह ने ZEE न्यूज के माध्यम से अपील की है कि जनता शांति बनाए रखे, मध्य प्रदेश का इतिहास शांति और सद्भाव का है. मंत्री ने पूरे घटनाक्रम पर नजर रखने के लिए अपने घर में कंट्रोल रूम बनवाया है.

 उन्होंने बताया कि 10 अप्रैल को संभावित बंद को लेकर ग्वालियर में धारा 144 लागू कर दी गई है, जो 20 अप्रैल तक लागू रहेगी. ग्वालियर में इंटरनेट सेवाएं रविवार रात से हुई बंद कर दी गई है, जो मंगलवार रात तक जारी रहेगा. ग्वालियर के 3 थाना क्षेत्रों में और डबरा के 2 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया है.

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नई दिल्ली: कांग्रेस की ओर से आयोजित देशव्यापी उपवास विवादों में फंस गया है. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में राजघाट पर आयोजित उपवास कार्यक्रम में पार्टी के नेता जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार हिस्सा लेने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें मंच से उतार दिया गया. बताया जा रहा है कि सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर 1984 सिख दंगा मामले में आरोपी हैं, ऐसे में उनके राहुल गांधी के बगल में बैठने से उनकी छवि को नुकसान पहुंच सकता था. इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्हें मंच से उतरने के लिए कह दिया गया. हालांकि पार्टी के नेताओं ने इस आरोप को खारिज किया है. इन विवादों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राजघाट पर पहुंचकर कांग्रेस के उपवास कार्यक्रम में हिस्सा लिया. राहुल गांधी ने बापू की समाधि स्थल पर जाकर सिर झुकाया.

पार्टी के वरिष्ठ नेता अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि यह उपवास पार्टी की ओर से आयोजित किया गया है, इसलिए इसमें नेता आ रहे हैं और अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर जा रहे हैं. उन्होंने सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर को मंच से उतारे जाने की बात को खारिज कर दिया. 

वहीं जगदीश टाइटलर ने भी आरोपों को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि उनके ऊपर ऐसे कोई आरोप नहीं हैं, जिसके चलते उन्हें पार्टी के मंच से उतारा जाए. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समाधिस्थल राजघाट पर उपवास का आयोजन किया गया. इसके अलावा देशभर में कांग्रेस पार्टी के नेता पार्टी कार्यालय में उपवास पर हैं.  कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि हिंसा पर लगाम लगाने और आपसी सद्भाव, भाईचारे, सामाजिक समरसता एवं शांति कायम करने की मांग को लेकर सभी सम्भाग मुख्यालयों पर कांग्रेस कार्यकर्ता सुबह 11 बजे से शाम पांच बजे तक उपवास रख रहे हैं.  राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने एक बयान में कहा कि जब से बीजेपी सरकार बनी है तब से देश एवं प्रदेश में सामाजिक समरसता एवं सद्भावना को आघात पहुंचा है. उन्होंने कहा कि विगत चार सालों में असामाजिक तत्वों ने शांति व्यवस्था को बिगाड़ने एवं आपस में फूट डालकर लोगों को लड़वाने का काम किया है और सरकार मूकदर्शक बनकर बैठी रही है. 

उन्होंने कहा कि आज देश में आपसी भाईचारे को पुनर्स्थापित एवं आमजन के बीच खोये विश्वास की पुन: बहाली की बड़ी आवश्यकता है. इसलिए कांग्रेस पार्टी ने निर्णय लिया है कि बीजेपी सरकार की वैमनस्य बढ़ाने वाली नीति के विरोध स्वरूप देश में भाईचारा कायम करने के लिए कांग्रेसजन सोमवार को उपवास रखकर अहिंसा एवं शांति कायम करने के लिए जनता से अपील करेंगे.

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रेल यात्रा करने के लिए तत्काल टिकट यात्रा से 24 घंटे पहले ही बुक किए जा सकते हैं। जहां एसी के लिए टिकट की बुकिंग 10 बजे से शुरू होती है तो वहीं स्लीपर के लिए तत्काल टिकट बुक करने का समय सुबह 11 बजे से है। 

तत्काल टिकट की बुकिंग काउंटर के अलावा ऑनलाइन होती है। स्टेशन पर लगी लंबी लाइनों से बचने के लिए ऑनलाइन बुकिंग एक अच्छा और सुविधाजनक ऑप्शन है। 

  टिकट का कंफर्म मिल पाना इतना आसान नहीं है। ये सारा खेल बस चंद मिनट या चंद सेकंड का होता है। इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताने जा रहे हैं जिनसे आप ज्यादा आासानी से तत्काल रेल टिकट बुक कर पाएंगे।

ऑनलाइन टिकट बुक करने के लिए सबसे जरूरी है कि आपके पास IRCTC का अकाउंट हो। इसके लिए आप https://www.irctc.co.in वेबसाइट पर जाकर साइनअप कर सकते हैं और अगर पहले से अकाउंट है तो इस पर साइन-इन करें। 

यहां IRCTC अकाउंट में My Profile के ड्रॉपडाउन मेन्यू में मास्टर लिस्ट नजर आएगी। इसमें आप पहले से भी पैसेंजर की लिस्ट बनाकर रख सकते हैं। मास्टर लिस्ट में अधिकतम 20 यात्रियों का डेटा स्टोर कर सकते हैं। इस ऑप्शन का यूज करके आप तत्काल टिकट बुक करने के दौरान सीधे मास्टर लिस्ट से पैसेंजर को सिलेक्ट कर सकते हैं, इससे आपका काफी समय बच जाएगा। 

इसके साथ ही एक और ऑप्शन है ट्रैवल लिस्ट। ये विकल्प भी आपको My Profile में ही मिलेगा। ट्रैवल लिस्ट मास्टर लिस्ट बनाने के बाद ही यूज किया जाता है। इसके जरिए जिन यात्रियों का टिकट बुक करना है, उनकी ट्रैवल लिस्ट बना लें। इसके बाद टिकट बुक करते समय मास्टर लिस्ट से उन यात्रियों के नाम सिलेक्ट कर लें। ये काम आपको टिकट बुक करने से पहले ही कर लेना चाहिए। 

यात्रा की जानकारी देने के बाद आप ट्रेनों के सुझाव पेज पर पहुंच जाएंगे। इसमें उन सारी ट्रेनों की लिस्ट होगी, जो अगले दिन उस रूट पर चलेंगी। इसके बाद आपको ट्रेन की लिस्ट के ऊपर जनरल, प्रीमियम तत्काल, लेडीज़ और तत्काल का ऑप्शन नजर आएगा, यहां आप तत्काल पर क्लिक करें।

इसके बाद आपको जिस ट्रेन से यात्रा करनी है, उसके सामने आ रही बोगी के दर्जे में से एक को चुनें। इस बात का ध्यान रखिए कि तत्काल विकल्प नहीं चुनने पर वेबसाइट पर आपको आम उपलब्धता दिखेगी। इसके बाद जैसे ही 10 बजे, वैसे ही आप अपनी पंसद की ट्रेन की थर्ड एसी क्लास वाले बटन पर फिर से क्लिक करें। यदि रेलवे के सर्वर पर भी 10 बज गए होंगे तो Book Now का बटन एक्टिव हो जाएगा। अब इल पर क्लिक करें।

Book Now बटन के एक्टिव होते ही पैसेंजट डिटेल वाले बॉक्स बॉर्डर लाइन पर Select From Your master List का ऑप्शन दिखेगा। इस पर क्लिक करें और जिन यात्रियों का टिकट बुक करना है उनका नाम चुने। 

जानकारी के अनुसार, करीब 60% लोग कैप्चा कोड गड़बड़ डाल देते हैं और इसलिए वो कंफर्म टिकट मिलने से चूक जाते हैं। क्योंकि दोबारा कैप्चा कोड आने और भरने में करीब 20-30 सेकेंड का समय खराब होता है। आप ध्यान से सही कैप्चा डालें और नेक्स्ट पर क्लिक करें।

इसके बाद फाइनल सम्मिट करने से पहले सारी जानकारियों एक बार जांच लें। यहां आपको पेमेंट करने के लिए कई विकल्प दिखेंगे। लेकिन सबसे आसान नेट बैंकिंग है क्योंकि इसमें ज्यादा जानकारी साझा नहीं करनी होती। वहीं इसके अलावा एक और तरीका है- तत्काल टिकट बुक करने से पहले ही कोई टिकट बुक कर लें और फिर पेमेंट कर दें। यहां पेमेंट करने के बाद रीप्लान पर जाकर तत्काल टिकट बुक करें। ऐसा करने से आपको दोबारा पेमेंट की जानकारी जैसे क्रेडिट कार्ड डिटेल्स नहीं डालनी भरनी पड़ेगी। 

तत्काल टिकट बुक करने के लिए सबसे दुरुस्त इंटरनेट कनेक्शन  होना चाहिए। यदि आप 1 Mbps की इंटरनेट स्पीड पर हैं तो शायद ही कंफर्म तत्काल टिकट बुक कर पाएं। तत्काल के लिए 4 Mbps की स्पीड सबसे बेहतर है। वहीं टिकट बुक करते समय फोन अपने पास रखे, जिससे तुरंत ओटीपी डालकर सफलतापूर्वक टिकट पा सकें

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यूपी की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश करने वाली रेप पीड़िता के पिता की मौत हो गई है. पीड़िता ने बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर गैंगरेप के बाद अपने पिता मारपीट का आरोप लगाया है, जिसके बाद उनकी मौत हो गई. आजतक को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पीड़िता ने बीजेपी विधायक पर गंभीर इल्जाम लगाए हैं.

पीड़िता ने  बताया, ‘ये घटना 4 जून 2017 की है. यह रात 8 बजे की घटना है. एक महिला हमें विधायक कुलदीप सेंगर के पास ले गई थी. जो बीजेपी के नेता हैं. जहां उन्होंने मेरे साथ रेप किया.’ 

उत्‍तर प्रदेश की योगी आदित्‍य नाथ सरकार ने सांप्रदायिक तनाव के चलते हुए पलायन को लेकर महत्‍वपूर्ण निर्देश दिया है। राज्‍य सरकार ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मुख्‍यालय से प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने से पहले सांप्रदायिक तनाव के चलते अपना घर-बार छोड़ने वालों को लेकर रिपोर्ट तलब की है। मुख्‍यमंत्री ने यह निर्देश ऐसे वक्‍त दिया है, जब कैराना लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा आने वाले कुछ दिनों में होने की संभावना जताई जा रही है। राज्‍य सरकार की ओर से जारी ताजा निर्देश में डीजीपी को सभी जिलों के वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षकों (एसएसपी) और पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को इस बाबत पत्र लिखकर 28 फरवरी, 2017 से पहले कथित तौर पर पलायन करने वाले लोगों के बारे में जानकारी उपलब्‍ध कराने को कहा गया है। इसमें घर-बार छोड़ने की वजहों का भी उल्‍लेख करने का निर्देश दिया गया है। सभी एसएसपी और एसपी को एक सप्‍ताह के अंदर रिपोर्ट देनी है। योगी सरकार ने इससे पहले 20 जून, 2017 को इसको लेकर आदेश जारी किया था। आंकड़े अपर्याप्‍त पाए जाने पर इस साल 29 मार्च को डीजीपी और डिविजनल कमिश्‍नरों को नए सिरे से निर्देश दिए गए थे। योगी आदित्‍य नाथ ने 19 मार्च, 2017 को मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली थी। विपक्षी समाजवादी पार्टी ने राज्‍य सरकार के फैसले की आलोचना की है।

पीड़िता ने बताया कि जब उन्होंने बीजेपी विधायक से रेप का विरोध किया तो उसने परिवार वालों को मारने की धमकी दी.’ उन्होंने बताया कि जब वो थाने में गई तो एफआईआर नहीं लिखी गई. इसके बाद तहरीर बदल दी गई.

योगी से मिली, पर नहीं मिला इंसाफ

पीड़िता ने बताया, ‘मैं जून 2017 में योगी जी से मिली थी. उन्होंने कहा था कि बेटा इंसाफ मिलेगा. लेकिन एक साल हो चला है और अब तक कुछ नहीं हुआ. मैंने हर जगह तहरीर भेजी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. पूरा प्रशासन उसी (बीजेपी विधायक) के हाथ में है.’ 

पीड़िता ने बताया कि उनके पापा छोटे बच्चे को देखने के लिए घर आए थे. जिसके बाद विधायक के लोगों ने मेरे पिता को बहुत मारा. पीड़िता ने बताया, ‘पुलिस पहुंच गई तब भी उन्होंने मेरे पापा को मारा. हमारा दरवाजा खोलकर पापा को घसीटकर ले गए और खूब पिटाई की. पीटने के बाद उन्हें अपने घर के बाहर फेंक दिया.’

इसके आगे उन्होंने बताया, ‘मैं अपने पापा को जिंदा देखने के लिए उन्नाव लेकर चली आई लेकिन मैं अपने पिता को जिंदा नहीं देख सकी. मैं कल योगी जी के आवास पर लखनऊ गई. अगर कल आग लगा लेती तो आज ये दुख न देखती.’ पीड़िता ने बताया कि वह चार बहन हैं और ऐसे में कहां जाएंगी. रोते हुए उसने बताया, ‘उन्हें (विधायक और उसके समर्थकों को) बुला लो हमें भी गोली मार दे. उसने पूरा थाना खरीद रखा है. थाने वाले अतुल-कुलदीप का नाम निकाल देते हैं. हमारे चाचा कोई अपराध नहीं करते, वे तो दिल्ली में रहते हैं, उनपर आरोप लगाते हैं. पुलिस से अरेस्ट करवाते हैं.’ पीड़िता ने बताया, ‘हम योगी आदित्यनाथ से मिले. जो-जो हुआ वह बताया. उन्होंने कहा जाओ बेटा जांच होगी पूरी. जांच नहीं हुई. हमारे साथ कैसे कैसे रेप हुआ, कहां रखा, हम सब बताते. उन्नाव में अपने घर में रखा, कानपुर में घर में रखा. सारे आदमियों से रेप कराते रहे.’ 

डीआईजी लॉ एंड ऑर्डर ने बताया कि पप्पू उर्फ सुरेंद्र की न्यायिक हिरासत में मौत हुई है. इसके न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं. यदि इस मामले में पुलिस की कोई भी लापरवाही सामने आई, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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भारत के राजनीतिक इतिहास में साल 1984 के आम चुनावों में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड दर्ज है। कांग्रेस ने उस वक्त 523 लोकसभा सीटों में से 415 पर अकेले जीत दर्ज की थी। ये चुनाव प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के करीब दो महीने बाद हुई थी इसलिए कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति की लहर भी थी। एक किताब में खुलासा किया गया है कि कांग्रेस की इस बड़ी जीत के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का भी हाथ था। किताब में कहा गया है कि उस वक्त कांग्रेस और आरएसएस ने हाथ मिलाए थे। राशिद किदवई ने अपनी किताब ’24 अकबर रोड: ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ दि पीपुल बिहाइंड द फॉल एंड द राइज ऑफ द कॉंग्रेस’ में दावा किया है कि तत्कालीन राजनीतिक जटिलताओं का विवरण अन्य कही नहीं किया गया है, जैसा उन्होंने किया है।

उन्होंने तीसरे चैप्टर में लिखा है कि इंदिरा गांधी की हत्या होने के बाद राजीव गांधी आनन-फानन में दिल्ली लौटे थे। तब एम्स में उनके साथ इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव पी सी अलेक्जेंडर और गांधी परिवार के अन्य विश्वस्त लोग वहां मौजूद थे। वहां राजीव को बताया गया कि कैबिनेट और पार्टी के लोग उन्हें प्रधानमंत्री के पद पर बैठाना चाहते हैं। अलेक्जेंडर ने राजीव गांधी को सोनिया से दूर करते हुए कैबिनेट के फैसले से उन्हें अवगत कराया। इसके बाद सोनिया गांधी ने राजीव को ऐसा करने से मना कर दिया था, बावजूद राजीव गांधी ने यह कहते हुए पार्टी के फैसले को मान लिया कि यह उनकी ड्यूटी है। इसके बाद राजीव गांधी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा की राजनीति यहीं से शुरू होती है। कुछ दिनों बाद आम चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया गया। 24 से 27 दिसंबर, 1984 के बीच देशभर में आम चुनाव तय हो गए। किताब में दावा किया गया है कि राजीव गांधी का चुनाव प्रचार बहुत ही आक्रामक अंदाज में था। सिखों द्वारा अलग खालिस्तान की मांग को कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बनाया था। इसके पीछे हिन्दुओं में छिपे असुरक्षा की भावना को व्यापक फलक पर पहुंचाना था। साथ ही यह संदेश भी देना था कि राजीव गांधी ही हिन्दुओं को पूर्ण सुरक्षा दे सकते हैं। राशिद किदवई के मुताबिक राजीव गांधी ने 25 दिनों के धुआंधार चुनाव प्रचार में कुल 50 हजार किलोमीटर की यात्रा कार और हेलीकॉप्टर से की थी। उन्होंने दावा किया है कि चुनाव प्रचार के दौरान देश में इंदिरा गांधी की निर्मम हत्या के खिलाफ एक सहानुभूति की लहर चल पड़ी थी। बावजूद इसके राजीव ने हिन्दुत्व कार्ड खेलने के लिए तत्कालीन आरएसएस प्रमुख बाला साहेब देवराज से हाथ मिलाने की सोच ली थी। किताब में दावा किया गया है कि इन दोनों नेताओं के बीच गुप्त बैठक हुई थी। इसका परिणाम यह हुआ कि आरएसएस के कैडर लोकसभा चुनाव में ने बीजेपी को छोड़ कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करने लगे थे। उस समय बीजेपी अपने बाल्यकाल में थी और पहला आम चुनाव लड़ रही थी। आरएसएस प्रमुख की राजीव गांधी से मुलाकात कराने में नागपुर के तत्कालीन सांसद बनवारी लाल पुरोहित ने बड़ी भूमिका निभाई थी। पुरोहित ने 2007 में इसका खुलासा किया था और कहा था कि आरएसएस ने समर्थन के लिए शर्त रखी थी कि कांग्रेस को अयोध्या में राम जन्मभूमि का शिलान्यास करने की इजाजत देनी होगी।

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