Top National News 17 Oct. 18- खबर उसी पल

HIGH LIGHT # राजस्थान में बीजेपी को बड़ा झटका :बीजेपी के संस्थापक सदस्य के सुपुत्र ने भाजपा से नाता तोडा-# मानवेंद्र सिंह के अलावा महाराष्ट्र से बीजेपी के विधायक आशीष देशमुख भी कांग्रेस में शामिल शिवपाल यादव का  नए सरकारी बंगले में गृह प्रवेश  #सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर सडक  मे संग्राम भारतीय सेना का जवान जासूसी के आरोप में मेरठ छावनी से गिरफ्तार- जवान उत्तराखंड का- सिद्दपीठ शाकुम्भरी देवी के दर्शनों  को जा रहेे थेेे– भयानक दुर्घटना-केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को सरकार का झटका # आपरेशन कमल इन गोवा के बाद विश्वजीत राणे की नए सीएम के रूप में ताजपोशी की संभावनाएं # Presented by- हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्तराखण्ड www.himalayauk.org

बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र और उनका पूरा परिवार बुधवार को कांग्रेस में शामिल हो गया.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर बीजेपीमुश्किल में है. वजह कि एससी-एसटी से जुड़े कानून को लेकर सवर्णों में नाराजगी दिख रही है. कई जगहों पर बीजेपी के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है. लोग बीजेपी की जगह नोटा को वोट देने की बात कर रहे हैं. बीजेपी के खिलाफ कई पोस्टर भी लगे हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रक्षा और विदेश मंत्री रहे जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह ने बीजेपी बड़ा झटका दिया है. मानवेंद्र आज राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हो गए. राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए जारी कैंपेन के बीच मानवेंद्र ने कांग्रेस का हाथ थामा है.

मानवेंद्र सिंह ने हाल ही में बाड़मेर के पचपदरा में स्वाभिमान रैली की थी. वहां उन्होंने ‘कमल का फूल, बड़ी भूल’ कहते हुए बीजेपी से अपना रास्ता अलग कर लिया था. दरअसल, मानवेंद्र की बीजेपी के प्रादेशिक नेतृत्व और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से लंबे समय से खटपट चल रही थी. राज्य के बाड़मेर व जैसलमेर के साथ-साथ आसपास के राजपूत समुदाय में मानवेंद्र और उनके जसोल परिवार की अच्छी पकड़ मानी जाती है. बीजेपी से संबंध मानवेंद्र के 2014 के लोकसभा चुनाव में ही खराब हो गए थे, जब पार्टी ने उनके पिता और पूर्व रक्षा मंत्री जसवंत सिंह को टिकट देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद जसवंत सिंह निर्दलीय चुनाव लड़े और बीजेपी के उम्मीदवार से हार गए थे.

मानवेंद्र सिंह के अलावा महाराष्ट्र से बीजेपी के विधायक आशीष देशमुख भी कांग्रेस में शामिल हुए। कांग्रेस में शामिल होने से पहले मानवेंद्र सिंह ने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की। दोनों नेताओं का कांग्रेस में स्वागत करते हुए गहलोत ने कहा, ”मानवेंद्र सिंह और आशीष देशमुख बीजेपी छोड़कर शामिल हुए हैं। देश में तानाशाही चल रही है। सिर्फ दो लोगों .. अमित शाह और नरेंद्र मोदी का शासन चल रहा है। बीजेपी में लोग परेशान हैं। बीजेपी के बहुत सारे नेता कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं।” गहलोत ने आरोप लगाया कि जसवंत सिंह का बीजेपी ने अपमान किया है। हाल ही में मानवेंद्र सिंह ने बाड़मेर के पचपदरा में स्वाभिमान रैली की थी और बीजेपी छोड़ने का ऐलान किया था।

मानवेंद्र सिंह ने हाल ही में बाड़मेर के पचपदरा में स्वाभिमान रैली की थी. वहां उन्होंने ‘कमल का फूल, बड़ी भूल’ कहते हुए बीजेपी से अपना रास्ता अलग कर लिया था. दरअसल, मानवेंद्र की बीजेपी के प्रादेशिक नेतृत्व और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से लंबे समय से खटपट चल रही थी. राज्य के बाड़मेर व जैसलमेर के साथ-साथ आसपास के राजपूत समुदाय में मानवेंद्र और उनके जसोल परिवार की अच्छी पकड़ मानी जाती है. बीजेपी से संबंध मानवेंद्र के 2014 के लोकसभा चुनाव में ही खराब हो गए थे, जब पार्टी ने उनके पिता और पूर्व रक्षा मंत्री जसवंत सिंह को टिकट देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद जसवंत सिंह निर्दलीय चुनाव लड़े और बीजेपी के उम्मीदवार से हार गए थे.

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मानवेंद्र सिंह के कांग्रेस में शामिल होने को एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि, बीजेपी का कहना है कि मानवेंद्र के इस कदम का पश्चिमी राजस्थान में पार्टी की संभावनाओं पर कोई असर नहीं होगा. बाड़मेर के शिव विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार मानवेन्द्र सिंह ने 2013 के विधानसभा चुनाव में 31 हजार 425 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. मानवेंद्र सिंह ने पिछले दिनों कहा था कि वह आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आवास पर जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह आज पूरे परिवार के साथ पार्टी में शामिल हो गए. मानवेंद्र इस समय बीजेपी से शिव सीट से विधायक हैं. मानवेंद्र के साथ उनकी पत्नी चित्रा सिंह, जीवंत सिंह के दूसरे बेटे भूपेन्द्र सिंह और जसवंत सिंह की पत्नी शीतल कवर ने कांग्रेस की सदस्यता ली. कांग्रेस का दामन थामने के बाद मानवेंद्र सिंह ने पूरे परिवार के साथ अपने आवास पर यज्ञ भी कराया.  पिछले महीने हुई बाड़मेर के पचपदरा की स्वाभिमान रैली में मानवेंद्र सिंह ने ‘एक ही भूल कमल का फूल’ कहकर बीजेपी छोड़ दी थी. उसके बाद से अटकलें लगाई जा रही थी कि मानवेंद्र सिंह कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं, लेकिन अब मानवेंद्र ने साफ कर दिया है कि वो कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं.

बाड़मेर के कांग्रेसी नेताओं ने भी इसका स्वागत किया. कांग्रेस के सचिव हरीश चौधरी ने कहा कि उन्होंने मानवेंद्र सिंह का विरोध नहीं किया है. उनके आने से कांग्रेस और मजबूत होगी. राजस्थान में राजपूत बीजेपी के कोर वोट बैंक रहे हैं.

कांग्रेस इस बार कोशिश कर रही है कि नाराज राजपूतों को तोड़ा जाए और कांग्रेस में लाया जाए. हालांकि, बीजेपी कोशिश कर रही है कि राजपूतों का डर दिखाकर कांग्रेस के परंपरागत वोटर जाटों को अपने पक्ष में लाया जाए, लेकिन कांग्रेस अपने जाट नेताओं को भरोसे में लेकर नाराज राजपूतों को रिझाने की कोशिश कर रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जसवंत सिंह को टिकट नहीं दिया था. इससे उनको निर्दलीय ही चुनाव लड़ना पड़ा था. उस चुनाव में जसवंत सिंह हार गए थे. इसी के बाद से जसवंत सिंह का परिवार बीजेपी से नाराज चल रहा था.

#####जवान उत्तराखंड का-  भारतीय सेना का जवान जासूसी के आरोप में मेरठ छावनी से गिरफ्तार

भारतीय सेना सिग्नल रेजिमेंट के एक जवान को जासूसी के आरोप में यूपी के मेरठ छावनी में गिरफ्तार किया गाया है। खुफिया विभाग की टीम भारतीय सेना सिग्नल रेजिमेंट के जवान से पूछताछ कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गिरफ्तार किए गए जवान पर पाकिस्तान के लिए जानकारी जुटाने और साझा करने का आरोप है। भारतीय सेना में नौकरी करते हुए ये जवान पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा था।   जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया जवान पिछले 10 साल से भारतीय सेना में नौकरी कर रहा है। जवान उत्तराखंड का रहने वाला है।

आरोपी का नाम कंचन सिंह है. इस मामले में सेना के सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना के सिग्नल रेजिमेंट के सैनिक को जासूसी के आरोप में मेरठ छावनी में गिरफ्तार किया गया है. उससे अभी पूछताछ जारी है.हालांकि इस सेना के जवान की गिरफ्तारी  ब्रह्मोस के मामले में नही हुई हैं. इसे सेना के खुफिया विभाग , आईबी और उत्तर प्रदेश के पुलिस ने गिरफ्तार किया है. ये जवान मेरठ में सेना के सिग्नल में तैनात था । इसका नाम कंचन सिंह है और इसपर सेना के खुफिया जानकारी बाहर देने का आरोप है.

########## शिवपाल यादव का  नए सरकारी बंगले में गृह प्रवेश

सपा से बगावत कर समाजवादी सेकुलर मोर्चा बनाने वाले शिवपाल यादव बुधवार को अपने नए सरकारी बंगले में गृह प्रवेशकिया. इस बंगले में शिवपाल से पहले मायावती रहती थीं. बुधवार को गृहप्रवेश के दौरान शिवपाल ने भतीजे अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला. शिवपाल ने   कहा कि अखिलेश यादव से कहीं ज्यादा योगदान समाजवादी पार्टी को बनाने में मेरा है. हम ही समाजवादी पार्टी हैं और हम सेकुलर भी हैं.     सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के द्वारा समाजवादी सेकुलर मोर्चा को बीजेपी की बी टीम कहे जाने पर भड़के शिवपाल ने कहा कि अखिलेश यादव को मुझे बीजेपी की बी टीम कहने का कोई अधिकार नहीं है. अभी जहां-जहां चुनाव हो रहे हैं वहां समाजवादी पार्टी की हैसियत क्या है पता चल जाएगा.

शिवपाल ने   कहा कि अखिलेश यादव से कहीं ज्यादा योगदान समाजवादी पार्टी को बनाने में मेरा है. हम ही समाजवादी पार्टी हैं और हम सेकुलर भी हैं.   सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के द्वारा समाजवादी सेकुलर मोर्चा को बीजेपी की बी टीम कहे जाने पर भड़के शिवपाल ने कहा कि अखिलेश यादव को मुझे बीजेपी की बी टीम कहने का कोई अधिकार नहीं है. अभी जहां-जहां चुनाव हो रहे हैं वहां समाजवादी पार्टी की हैसियत क्या है पता चल जाएगा. शिवपाल ने कहा,’ मैंने मुलायम सिंह यादव के आशीर्वाद से ही समाजवादी सेकुलर मोर्चा बना बनाया है. नेता जी का आशीर्वाद हमारे साथ हमेशा रहा है और आगे भी रहेगा. 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी सेकुलर मोर्चा के बिना केंद्र में कोई सरकार नहीं बनेगी. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में हमारा जलवा दिखेगा.

शिवपाल ने कहा,’ मैंने मुलायम सिंह यादव के आशीर्वाद से ही समाजवादी सेकुलर मोर्चा बना बनाया है. नेता जी का आशीर्वाद हमारे साथ हमेशा रहा है और आगे भी रहेगा.

उन्होंने दावा किया कि 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी सेकुलर मोर्चा के बिना केंद्र में कोई सरकार नहीं बनेगी. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में हमारा जलवा दिखेगा.

शिवपाल ने कहा कि बीजेपी ने मुझे सरकारी बंगला देकर कोई मेहरबानी नहीं की है मेरे ऊपर खतरा था एलआईयू की रिपोर्ट थी. मैं 5 बार का विधायक हूं सबसे सीनियर हूं और मुझे छोटा सा फ्लैट दिया गया था. यही वजह है कि मुझे यह बंगाला आवंटित किया गया है. उन्होंने कहा कि शासन ने तो हम से नीचे और कम अनुभव वाले लोगों को बड़े-बड़े बंगले दे रखे हैं इसलिए यह आरोप गलत है.

शिवपाल ने कहा कि नवरात्र अच्छा वक्त होता है इसीलिए हम लोगों ने गृह प्रवेश के लिए यह दिन चुना है. ये घर होगा और यहीं पर पार्टी के लोगों से मिलूंगा. उन्होंने कहा, ‘मैं सभी दूसरे दलों के ऐसे लोगों को जोड़ रहा हूं जो अपने दलों में उपेक्षित हैं. समाजवादी और गांधीवादी लोगों का एक गठजोड़ बनेगा.

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर सडक  मे संग्राम

# #सुप्रीम कोर्ट में जो जज इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, वह संघ परिवार से ही हैं -केरल के कृषि मंत्री

केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर संग्राम जारी है. सबरीमाला मंदिर के आसपास एक तरफ सुप्रीम कोर्ट का आदेश और उसको मानने वाले समर्थक हैं तो दूसरी तरफ फैसले का विरोध करने वाले रूढ़ीवादी परंपराओं के पक्षधर. तनाव को देखते हुए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये गए हैं. मंदिर जाने के मुख्य रास्ते निलक्कल में सुबह से माहौल तनावपूर्ण है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आज सबरीमाला के अयप्पा मंदिर का द्वार खुल रहा है.

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री के खिलाफ केरल कांग्रेस, नेताओं ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. बीजेपी के कार्यकर्ता भी विरोध में सड़कों पर.

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का मुद्दा अब भी गर्माया हुआ है. बुधवार को ही सबरीमाला मंदिर के कपाट खुल रहे हैं. शाम 5 बजे गेट खुलेंगे, लेकिन अभी से ही वहां पर भीड़ लगनी शुरू हो गई है. महिलाएं बड़ी संख्या में कूच कर रही हैं. अब इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है. सबरीमाला की आसपास की पहाड़ियों पर रहने वाले आदिवासियों ने आरोप लगाया है कि सरकार और त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड(टीडीबी) प्रसिद्ध सबरीमला मंदिर में 10 से 50 साल आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देकर सदियों पुरानी प्रथा को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.

सबरीमाला मंदिर में सभी लड़कियों और महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से मंदिर के द्वार आज खुलने जा रहे हैं. आज शाम 5 बजे सबरीमाला मंदिर के कपाट खुलने हैं.  इस बीच, भगवान अयप्पा की सैकड़ों महिला भक्तों ने निलक्केल में कई वाहनों को रोककर चेक किया. इस दौरान वे मासिक धर्म की उम्र वाली महिलाओं को आगे जाने से रोक दिया. इसके बाद तनाव और बढ़ गया है. मंदिर परिसर से करीब 20 किलोमीटर दूर निलक्कल बेस कैंप में भगवान अयप्पा के बहुत सारे भक्त ठहरे हुए हैं.

केरल के कृषि मंत्री सुनील कुमार ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी उत्तर भारत में राम का उपयोग करती है और अब वह केरल में अयप्पा के नाम का इस्तेमाल कर रही है. क्योंकि केरल में राम नहीं बिकते हैं, यहां अयप्पा का नाम चलता है. यहां के लोग सब समझ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि मैं बीजेपी-कांग्रेस को चैलेंज देता हूं कि वह इस मुद्दे पर अध्यादेश पास करे. सुप्रीम कोर्ट में जो जज इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, वह संघ परिवार से ही हैं. और यहां पर लोगों को मिस गाइड कर रहे हैं. केरल के मंत्री के अलावा सीताराम येचुरी ने भी बीजेपी-कांग्रेस को इस मुद्दे पर आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी को कोई बदलाव करना है तो वह संसद को बुलाए या फिर अध्यादेश लाए, इस तरह सड़क पर हंगामा करने से कुछ नहीं होगा. उन्होंने कांग्रेस को भी कहा कि उन्हें भी इस मुद्दे पर अपना रुख साफ करना चाहिए, दोनों दल दिल्ली में अलग बात कहते हैं और यहां पर आकर दूसरा चेहरा दिखाते हैं.

गौरतलब है कि केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के कपाट खुलने का समय जैसे-जैसे करीब आ रहा है तनाव बढ़ता जा रहा है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद यहां महिलाओं को प्रवेश नहीं देने की कोशिश की जा रही है. वहीं, स्वामी अयप्पा के दर्शन के लिए महिला श्रद्धालु जुटने लगीं हैं. मंदिर परिसर के बाहर विरोध-प्रदर्शन और तनाव के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.

सबरीमाला की आसपास की पहाड़ियों पर रहने वाले आदिवासियों ने आरोप लगाया है कि सरकार और त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड(टीडीबी) प्रसिद्ध सबरीमला मंदिर में 10 से 50 साल आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देकर सदियों पुरानी प्रथा को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने दावा किया कि रजस्वला लड़कियों और महिलाओं पर लगी बंदिशें केरल के जंगलों में रहने वाले आदिवासी समाजों केरीति-रिवाज का हिस्सा हैं. आदिवासियों ने यह भी कहा कि सबरीमला मंदिर और इससे जुड़ी जगहों पर जनजातीय समुदायों के कई अधिकार सरकारी अधिकारी और मंदिर का प्रबंधन करने वाले टीडीबी अधिकारी छीन रहे हैं.

अट्टाथोडू इलाके में आदिवासियों के मुखिया वी के नारायणन (70) ने कहा, ‘देवस्वोम बोर्ड ने सबरीमाला के आसपास की कई पहाड़ियों में पड़ने वाले आदिवासी देवस्थानों पर भी कब्जा कर लिया है.’ उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी मंदिर से जुड़े सदियों पुराने जनजातीय रीति-रिवाजों को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.  नारायणन ने कहा, ‘मेरी त्वचा देखिए. हम आदिवासी हैं. जिन संस्थाओं पर हमारे रीति-रिवाजों के संभालने की जिम्मेदारी है, वही उन्हें खत्म कर रहे हैं.’ यहां आदिवासियों के मुखिया को ‘मूप्पेन’ कहा जाता है. उन्होंने कहा कि रजस्वला लड़कियों और महिलाओं को अशुद्ध मानना एक द्रविड़िय रिवाज है और आदिवासी लोगों की प्रकृति की पूजा से जुड़ा है.

सबरीमाला आचार संरक्षण समिति के प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे नारायणन ने कहा, ‘भगवान अयप्पा हमारे भगवान हैं. किसी खास आयु वर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हमारे रीति-रिवाज का हिस्सा है. घने जंगलों में भगवान अयप्पा के मंदिर में पूजा करने के लिए रीति-रिवाजों का पालन करना बहुत जरूरी है. इसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए. अशुद्ध महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं देनी चाहिए.’

सबरीमला आचार संरक्षण समिति के प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे एक ने कहा, ‘‘भगवान अयप्पा हमारे भगवान हैं. किसी खास आयु वर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हमारे रीति-रिवाज का हिस्सा है. घने जंगलों में स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में पूजा करने के लिए रीति-रिवाजों का पालन करना बहुत जरूरी है. इसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए. अशुद्ध महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं देनी चाहिए.’’  सबरीमला की आसपास की पहाड़ियों पर रहने वाले आदिवासियों ने आरोप लगाया है कि सरकार और त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) प्रसिद्ध सबरीमला मंदिर में 10 से 50 साल आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देकर सदियों पुरानी प्रथा को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.

#####सिद्दपीठ शाकुम्भरी देवी के दर्शनों  को जा रहेे थेेे– भयानक दुर्घटना-

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में थाना चिलकाना के अन्तर्गत एक पिकअप गाड़ी और एक ट्रैक्टर ट्रॉली के बीच टक्कर में एक ही परिवार के तीन लोग सहित चार लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।

एस पी सिटी प्रबल प्रताप सिंह ने बताया कि मंगलवार रात शामली के झिझाना इलाके के ग्राम बिडोली से एक पिकअप गाड़ी में सवार होकर कुछ लोग सिद्दपीठ शाकुम्भरी देवी के दर्शनों को जा रहे थे।

इस पिकअप गाड़ी में महिलाओं और बच्चों सहित कुल 16 श्रद्धालु सवार थे। सिंह ने बताया कि रात साढ़े दस बजे ग्राम पठेड के निकट लकड़ियों से भरी एक टैक्ट्रर ट्राली ने पिकअप गाड़ी में जोरदार टक्कर मार दी ।यह टक्कर इतनी तेज थी कि पिकअप के परखच्चे उड़ गये।
हादसे की सूचना मिलते ही थाना चिलकाना पुलिस मौके पर पहुचीं और गाड़ी में बुरी तरह फंसे घायलों को किसी तरह बाहर निकालकर उन्हें चिकित्सालय पहुंचाया।
उन्होंने बताया कि हादसे में तीतरो निवासी उषा उनका बेटा मनोज, बेटी कोमल और ग्राम बिडौली निवासी वशं की मौत हो गई और आठ लोग घायल हो गये। सिंह ने बताया कि हादसे की जानकारी मिलते ही सहारनपुर के जिलाधिकारी आलोक कुमार पाण्डेय रात में ही जिला चिकित्सालय पहुचें और उन्होंने चिकित्सकों को समुचित उपचार के निर्देश दिये।
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केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को सरकार का झटका

मी टू मुहिम ( #MeToo)  के तहत तमाम हस्तियों पर लग रहे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने रिटायर्ड जजों की कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया था. ताकि ऐसे सभी मामलों की जांच सेनानिवृत्त न्यायाधीश कर रिपोर्ट पेश करें और उसी आधार पर कार्रवाई हो.

नरेंद्र मोदी सरकार (Modi govt) की कैबिनेट ने केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी( Maneka Gandhi) के प्रस्ताव को खारिज करते हुए जजों से जांच की बात ठुकरा दी है. सरकारी सूत्र बता रहे हैं कि अब इसके स्थान पर सरकार  मंत्रियों का समूह( GOM) बनाने पर विचार कर रही है. यानी यौन शोषण के मामलों की जांच कराने के लिए अब केंद्र सरकार मंत्रियों के समूह का सहारा लेगी.

मगर नरेंद्र मोदी सरकार (Modi govt) की कैबिनेट ने केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी( Maneka Gandhi) के प्रस्ताव को खारिज करते हुए जजों से जांच की बात ठुकरा दी है. सरकारी सूत्र बता रहे हैं कि अब इसके स्थान पर सरकार  मंत्रियों का समूह( GOM) बनाने पर विचार कर रही है. यानी यौन शोषण के मामलों की जांच कराने के लिए अब केंद्र सरकार मंत्रियों के समूह का सहारा लेगी. मंत्रियों के समूह की रिपोर्ट पर ही सरकार ऐसे मामलों पर कार्रवाई और रोकथाम के लिए कदम उठाएगी.  बता दें कि महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी मी टू मामलों को लेकर काफी गंभीर रहीं. उन्होंने ऐसे मामलों की जांच कराने की बात कही थी. मेनका गांधी ने जजों की कमेटी का ऐलान किया था.

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आपरेशन कमल इन गोवा के बाद विश्वजीत राणे की नए सीएम के रूप में ताजपोशी की संभावनाएं

गोवा में कांग्रेस के दो विधायकों के मंगलवार को बीजेपी में शामिल होने के कुछ घंटे बाद राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन के कमजोर बहुमत में सुधार आया है. मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की जगह अगले मुख्यमंत्री के रूप में मौजूदा मंत्री विश्वजीत प्रताप सिंह राणे की संभावनाएं बनती नजर आ रही हैं. हालांकि फिलहाल पर्रिकर के सीएम पद छोड़ने के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

साल 2010 में पहली बार विधायक चुने गए राणे, राज्य कैबिनेट में स्वास्थ्य, महिला और बाल विकास मंत्री हैं. उनके पिता कांग्रेस के विधायक प्रताप सिंह राणे चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं  गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की लगातार बिगड़ती सेहत के कारण बीजेपी ने कई बार वहां पर मुख्यमंत्री बदलने की कोशिश की मगर सफल नहीं हो पाई, क्योंकि मुख्यमंत्री के नाम पर उनके अपनी पार्टी में ही एक राय नहीं थी. यहां तक कि अस्पताल में भर्ती रहे मुख्यमंत्री पर्रिकर के नाम पर ही बीजेपी गोवा में राज करती रही. मगर अब ऐसे हालात बनते दिख रहे हैं कि बीजेपी को पर्रिकर का विकल्प ढूंढ़ना ही पड़ेगा. बीजेपी ने साम, दाम, दंड, भेद जैसे हथकंडे अपनाने का सहारा लिया. ऑपरेशन गोवा के तहत गोवा के दो कांग्रेस विधायकों को दिल्ली बुलाया गया उनसे इस्तीफा दिलवाया गया. कांग्रेस के दयानंद सोते और सुभाष शिरोडकर दिल्ली आकर बीजेपी में शामिल हो गए.

कुछ इसी तरह ऑपरेशन कमल के तहत कर्नाटक में भी बीजेपी ने सरकार बनाने की कोशिश की थी. उस चक्कर में राज्यपाल के पद की गरिमा पर भी दाग लगाया. उसी चक्कर में बीजेपी ने अपने से धुर विरोधी पीडीपी से हाथ मिलाकर जम्मू कश्मीर में सरकार बनाई जो चल नहीं पाई और अपने विरोधावासों के तले गिर गई. मगर गोवा में वह सफल हो गई. अब इंतजार कीजिए किसी नए राज्य के लिए जहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच फासला कम हो और एक और ऑपरेशन कमल किया जाए.

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की लगातार बिगड़ती बियत के बाद बीजेपी ने यह फैसला किया है कि अब वह गोवा में एक नया मुख्यमंत्री बनाएगी. उसने अपने सरकार के बहुमत के लिए कांग्रेस के दो विधायकों का भी इस्तीफा भी करा दिया. गोवा जैसे छोटे से राज्य में अपनी सरकार बनवाने के लिए इतनी बड़ी मशश्कत करना यह दिखाता है कि बीजेपी छोटे से छोटे राज्य में अपनी सरकार बनवाने को लेकर कितनी गंभीर है. बीजेपी ने यही फॉर्मूला उत्तर पूर्व के कई राज्यों में अपनाया जहां बीजेपी के विधायकों की संख्या काफी कम है, मगर जोड़-तोड़ करके उन्होंने सरकार बनाई, यानी किसी भी हालत में किसी और पार्टी को सरकार नहीं बनाने देना है भले ही बीजेपी को उस राज्य में बहुमत न हो या वह सबसे बड़ी पार्टी भी न हो. अब जरा गोवा के हालात को देखें. जो आंकडे़ चुनाव बाद आए थे, उसमें 40 की विधानसभा में कांग्रेस के पास 16 और बीजेपी के पास 14 विधायक थे, मगर उसने एमजेपी के 3, गोवा पीपुल्स पार्टी के 3 और 3 निर्दलीय की मदद से सरकार बना ली. मगर इन सभी दलों ने एक ही शर्त्त रखी थी कि मनोहर पर्रिकर ही मुख्यमंत्री होंगे, तभी पर्रिकर को केंद्र में से रक्षामंत्री के पद से हटाकर गोवा भेजा गया.

इसके बाद जब पर्रिकर बीमार हुए तो बीजेपी ने कई बार वहां पर मुख्यमंत्री बदलने की कोशिश की मगर सफल नहीं हो पाई, क्योंकि मुख्यमंत्री के नाम पर उनके अपनी पार्टी में ही एक राय नहीं थी और सहयोगी भी नहीं मान रहे थे. इसलिए अस्पताल में भर्ती मुख्यमंत्री के नाम पर बीजेपी गोवा में राज करती रही. मगर अब ऐसे हालात बन गए हैं कि बीजेपी को पर्रिकर का विकल्प ढूंढ़ना ही पड़ रहा है तो बीजेपी ने साम, दाम, दंड, भेद जैसे हथकंडे अपनाने का सहारा लिया. ऑपरेशन गोवा के तहत गोवा के दो कांग्रेस विधायक को दिल्ली बुलाया गया उनसे इस्तीफा दिलवाया गया. कांग्रेस के दयानंद सोते और सुभाष शिरोडकर दिल्ली आकर बीजेपी में शामिल हो गए. अब गोवा के आंकड़ों को देखें तो 40 की गोवा विधानसभा में 2 कांग्रेस के विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है, मतलब विधानसभा में सदस्य बचे 38. बीजेपी के आंकड़ों को देखें तो उनके 14, एमजीपी के 3, गोवा पीपुल्स पार्टी के 3 और 3 निर्दलीय विधायकों को मिला दें तो उसके पास बहुमत से अधिक विधायक होंगे. बता दें कि सोपते ने पिछले चुनाव में गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर को हराया था. गोवा में यदि बीमार विधायकों को देखें तो कई और लोग हैं जैसे पांडुरंग मडगईकर को ब्रेन स्ट्रोक हुआ था और वो अपना इलाज करवा कर कुछ दिन पहले ही लौटे हैं. फ्रांसिस डिसूजा का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है, एमजेपी के सुदीन धावलेकर भी अपना इलाज करवा कर आए हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि बीजेपी का मुख्यमंत्री कौन होगा. जो नाम सबसे आगे चल रहा है उसमें विश्वजीत राणे का नाम सबसे आगे है. विश्वजीत ने सारी जिंदगी कांग्रेस में गुजारी और मन ही मन मुख्यमंत्री बनने का सपना दिल में पालते रहे. उनके पिता प्रताप सिंह राणे गोवा के चार बार मुख्यमंत्री रहे और अभी भी कांग्रेस से विधायक हैं. विश्वजीत को जब लगा कि कांग्रेस में उनका कोई चांस नहीं है तो उन्होंने पाला बदल लिया और बीजेपी का दामन थाम लिया. बीजेपी को भी यह सही बैठता था और अब तय है कि ऑपरेशन कमल के तहत गोवा में बीजेपी की सरकार बनने वाले हैं.

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