4 नवंबर सेे तेल की कीमत रिकार्ड तोड देगी-ऐसा क्यो & Top National News 26 sep 18
HIGH LIGHT; 26 SEP. 2018 # #मध्य प्रदेश – खाली कुर्सियों की तस्वीरें भाजपा की चिंता बढ़ाने वाली # अक्टूबर के पहले सप्ताह यानि 4 से 6 अक्टूबर के बीच निर्वाचन आयोग मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा कर सकता है। # सुप्रीम कोर्ट ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा #फलहारी महाराज को उम्र कैद #महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर राहुल गांधी का बडा फैसला #एससी/एसटी के प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को बरकरार रखा #मैं मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने में करूंगा- किसने किया ऐलान-ए-जंग #मोदी पर ट्वीट पर देशद्रोह का मामला दर्ज #छत्तीसगढ़ – राजनीतिक भूचाल – सेक्स सीडी कांड # राजे के खिलाफ IPS अधिकारी की पत्नी ने किया चुनाव लड़ने का ऐलान #रक्षा क्षेत्र में राफेल घोटाला इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला – सांसद संजय सिंह ## #Presented by- हिमालयायूके- www.himalayauk.org #ईरान पर पहले चरण का प्रतिबंध पहले से ही लागू है, वहीं व्यापक प्रतिबंध चार नवंबर से पूरी तरह से लागू हो जाएंगे। अमेरिका को उम्मीद है कि भारत सहित सभी देश उस वक्त तक ईरान से तेल का आयात बंद कर देंगे। अमेरिकी सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई भी देश ईरान से व्यापार करना जारी रखता है तो अमेरिकी बैंकिंग और आर्थिक तंत्र तक उसकी पहुंच ब्लॉक हो जाएगी।
भारत नवंबर तक ईरान से तेल आयात पूरी तरह बंद कर सकता है। माना जा रहा है कि अमेरिका की ओर से प्रतिबंध की धमकियों के बीच भारतीय कंपनियां नवंबर तक ईरान से तेल की आपूर्ति खत्म कर सकती हैं। अभी तक किसी भी कंपनी ने ईरान को नवंबर के लिए तेल का ऑर्डर तक नहीं दिया है।
देश भर में आनलाइन दवा बिक्री के विरोध में दवा विक्रेता 28 सितंबर को दवा दुकानें बंद रखकर विरोध व्यक्त करेंगे। आल इंडिया केमिस्ट एसोसियेशन ने अपना विरोध करते हएु सरकार को आनलाइन दवा बिक्री को बंद करने को कहा है। दवा दुकानें 27 सितंबर की रात्रि 12 बजे से 28 सितंबर की रात्रि 12 बजे तक बंद रहेगी। पूरे देश में 150 करोड़ का दवा कारोबार प्रभावित होगा।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वक्त आ गया है कि संसद ये कानून लाए ताकि अपराधी राजनीति से दूर रहें. राष्ट्र तत्परता से संसद द्वारा कानून का इंतजार कर रहा है. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ़ आरोप तय होने से किसी को अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता है और बिना सज़ा के चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई जा सकती है. साथ ही कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ रहे उनके जिन उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, उनकी जानकारी वेबसाइटों और इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट, दोनों मीडिया में सार्वजनिक करने के निर्देश दिए.
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केंद्र सरकार ने ऐशो-आराम के सामान (लग्जरी आइटम्स) पर बेसिक कस्टम ड्यूटी (मूल सीमा शुल्क) बढ़ाने का फैसला ले ही लिया। सरकार ने 19 लग्जरी आइटम्स पर आयात शुल्क में वृद्धि की है। यानी, अब विदेशों से आनेवाले ये सामान अब महंगे हो जाएंगे। दरअसल, रुपये के मुकाबले डॉलर के भाव में लगातार आ रही मजबूती की वजह से संभावना जताई जा रही थी कि भारत सरकार चालू खाता घाटे को नियंत्रण में रखने के लिए विदेशों से खरीदे जानेवाले कुछ गैर-जरूरी सामानों के आयात रोकने की रणनीति के तहत इन पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का ऐलान करेगी।
#########चार नवंबर सेे तेल की कीमत रिकार्ड तोड देगी-ऐसा क्यो
भारत अपनी योजना पर आगे बढ़ गया तो अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ईरान को तेल के एक बड़े ग्राहक से हाथ धोना पड़ेगा। दरअसल, भारत नवंबर महीने से ईरान से कच्चा तेल आयात नहीं करने का मन बना रहा है। भारतीय तेल रिफाइनरी कंपनियों, इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन, ने नवंबर महीने में ईरान से तेल की खेप का ऑर्डर अब तक नहीं दिया है। इसकी जानकारी दोनों कंपनियों के अधिकारियों ने दी। तेल उद्योग के एक बड़े अधिकारी ने कहा है कि नायरा एनर्जी भी इसी नक्शेकदम पर चल रही है और उसकी भी ईरान से तेल खरीदने की कोई योजना नहीं है। हालांकि, मंगलोर रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिकल्स लि. के एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी ने इस महीने के लिए तो कोई ऑर्डर नहीं दिया, लेकिन बाद में दे सकती है। वैसे नवंबर की खेप के लिए अक्टूबर के शुरुआत तक ऑर्डर दिया जा सकता है, इसलिए कंपनियों के विचार बदलने की संभावना खारिज नहीं की जा सकती।
ईरान के कच्चे तेल से निर्यात में गिरावट की वजह से ब्रेंट क्रूड का भाव चार वर्ष के ऊपरी स्तर पर पहुंचकर 80 डॉलर के पार हो गया है। ऊपर से उत्पादन कम होने की वजह से कीमतें और बढ़ सकती हैं क्योंकि रिफाइनरीज दूसरे देशों से तेल आयात के रास्ते तलाश रही हैं। दुनियाभर में सिर्फ सऊदी अरब और कुछ-कुछ यूनाइटेड अरब अमीरात एवं रूस के पास ही तेल उत्पादन बढ़ाने की क्षमता है।
अमेरिका ने कहा है कि ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों से बचने के लिए विभिन्न देशों द्वारा ‘विशेष भुगतान तंत्र’ तैयार करने की कोशिश नुकसानदेह साबित होगी। अमेरिका का यह बयान उस वक्त आया है, जब यूरोपीय संघ ने इस्लामी देश के साथ कानूनी तौर पर व्यापार शुरू करने के लिए एक नया तंत्र स्थापित करने का निर्णय किया है। गौरतलब है कि इस वर्ष की शुरुआत में ट्रंप प्रशासन 2015 के ईरान परमाणु समझौते से हट गया था और उसने ईरान पर कई कड़े प्रतिबंध दोबारा लगा दिए थे। ईरान पर पहले चरण का प्रतिबंध पहले से ही लागू है, वहीं व्यापक प्रतिबंध चार नवंबर से पूरी तरह से लागू हो जाएंगे। अमेरिका को उम्मीद है कि भारत सहित सभी देश उस वक्त तक ईरान से तेल का आयात बंद कर देंगे। अमेरिकी सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई भी देश ईरान से व्यापार करना जारी रखता है तो अमेरिकी बैंकिंग और आर्थिक तंत्र तक उसकी पहुंच ब्लॉक हो जाएगी। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रतिबंधों को लागू नहीं किया है और भारत की यह नीति रही है कि वह केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को ही लागू करता है।
भारत ईरान से तेल आयात करने वाले सबसे बड़े देशों में एक है और उसने तेल का आयात घटा दिया है, लेकिन उसकी ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए इस बात की संभावना कम है कि वह आयात बंद कर दे। भारत और अमेरिका इस मुद्दे पर बातचीत कर रहे हैं। इस बीच ईयू ने घोषण की कि वह ईरान के साथ तेल और अन्य प्रकार के व्यापार को बरकरार रखने के लिए अमेरिका की दंडनीय कार्रवाई से बचने के लिए नया भुगतान तंत्र विकसित करेगा। ईयू के इस बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा, ‘यह सर्वाधिक प्रतिकूल कदमों में से एक है।’
गौरतलब है कि चीन के बाद भारत ईरान का दूसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। भारत ने इस वर्ष वहां से प्रति दिन औसतन 5 लाख 77 हजार बैरल तेल मंगाया है। ब्लूमबर्ग के आंकड़े के मुताबिक, यह मध्य पूर्व के देशों के कुल तेल निर्यात का 27 प्रतिशत है।
दरअसल, दक्षिण कोरिया, जापान और यूरोपीय देश भी ईरान से तेल आयात बंद करने जा रहे हैं। ऐसे में भारत का इस तरह का फैसला ईरान को बड़ा झटका देगा। उधर, 4 नवंबर से ईरान से तेल आयात पर शुरू हो रही अमेरिकी पाबंदी के कारण ब्रेंट क्रूड का भाव 80 डॉलर से बहुत आगे जा सकता है। आशंका यह भी जताई जा रही है कि 2014 के बाद पहली बार कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल की ऊंचाई छू सकता है।
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आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आधार आम नागरिक की बड़ी पहचान बन गई है. सुप्रीम कोर्ट ने आधार एक्ट की धारा 57 को रद्द कर दिया
सुप्रीम कोर्ट ने कुछ बदलावों के साथ पहचान पत्र आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बैंक खाते खोलने, स्कूलों में दाखिले या मोबाइल कनेक्शन हासिल करने जैसे मामलों में आधार नंबर की जरूरत नहीं होगी. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की एक पांच सदस्यीय पीठ ने आधार अधिनियम की धारा 57 को रद्द कर दिया, जो निजी कंपनियों को अपनी सेवाओं तक पहुंच के लिए लोगों से उनके आधार नंबर की मांग करने की इजाजत देती थी.
स्कूल में दाखिले के लिए आधार जरूरी नहीं, यानि CBSE, NEET के लिए आधार जरूरी नहीं है सर्वशिक्षा अभियान के लिए जरूरी नहीं है. बैंक में खाता खोलन के लिए आधार जरूरी नहीं है. नया मोबाइल नंबर लेने के लिए आधार जरूरी नहीं है. मोबाइल वॉलेट के लिए भी उस एप को आधार से लिंक करना जरूरी नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”आज तक हमने आधार अधिनियम में ऐसा कुछ नहीं पाया है जो किसी व्यक्ति की निजता के अधिकार का उल्लंघन करता हो.” पीठ की ओर से न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी ने फैसला पढ़ते हुए आधार कानून के उस प्रावधान को भी रद्द कर दिया, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के हवाले से आधार डेटा साझा करने की इजाजत देता था. न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति मिश्रा और न्यायमूर्ति सीकरी के बहुमत के फैसले ने धन विधेयक के प्रावधानों को मंजूरी दे दी. फैसले में कहा गया, “हमारा यह मानना है कि आधार योजना के तहत जुटाए गए डेटा को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय मौजूद हैं.”
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया, “मोबाइल कनेक्शन जारी करने और बैंक खाता खोलने के लिए आधार को लिंक करना असंवैधानिक है.” एक अलग फैसले में न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार अधिनियम को धन विधेयक के तौर पर नहीं देखा जा सकता. एक ऐसा विधेयक जो कि धन विधेयक नहीं है, उसे धन विधेयक के रूप में पारित करना संविधान के साथ धोखा है. उन्होंने यह भी कहा कि आधार योजना के तहत जुटाए गए डेटा के बल पर लोगों की निगरानी का एक जोखिम भी है और इस डेटा का दुरुपयोग भी किया जा सकता है. बता दें कि सरकार ने बैंक अकाउंट और मोबाइल जैसी तमाम सुविधाओं के लिए आधार को अनिवार्य किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने आधार योजना को संवैधानिक रूप से वैद्य माना है. सबसे बड़ी बात यह रही कि आधार कानून की धारा 57 को खत्म कर दिया है. आधार की अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आधार की कानूनी मान्यता बरकरार रखी है. लेकिन आधार एक्ट के कई प्रावधानों में बदलाव किए गए है. सुप्रीम कोर्ट ने आधार एक्ट की धारा 57 को रद्द कर दिया. प्राइवेट कंपनियां आधार की मांग नहीं कर सकती हैं. आधार को बैंक खाता नंबर से लिंक करने की अनिर्वाता को भी सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि आयकर दाखिल करने और PAN को आधार के साथ लिंक करना जरूरी है.
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फलहारी महाराज को उम्र कैद की सजा – की महिला से रेप करने का आरोप
जस्थान के अलवर में रामानुजाचार्य संम्प्रादाय से जुड़े रेप के दोषी कौशलेन्द्र प्रपन्नाचार्य फलहारी महाराज को उम्र कैद की सजा मिली है. इतना ही नहीं उन्हें एक लाख रुपए अर्थदंड भी देना होगा. फलहारी महाराज को धारा 376 (2) एफ में उम्र कैद, धारा 506 में एक साल की कैद मिली है. आज निचली आदलत ने ये फैसला सुनाया है.
फलहारी महाराज पर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में रहने वाली 21 साल की महिला से रेप करने का आरोप लगा था. ये महिला फलहारी महाराज की शिष्य थी. बिलासपुर की रहने वाली 21 साल की युवती इसे अपना गुरु मानती थी और रक्षाबंधन के मौके पर जिंदगी की पहली कमाई गुरु को भेंट करने के लिए अलवर आई थी. आरोप है कि बाबा कौशलेंद्र महाराज ने लड़की को अपने कमरे में बुलाया और फिर उसे खाने के लिए प्रसाद दिया. प्रसाद खाने के बाद युवती बेहोश हो गई, जिसके बाद आरोपी बाबा ने युवती से रेप किया. सुबह होने पर पीड़ित किसी तरह आश्रम से भाग पाने में कामयाब हो पाई
फलहारी महाराज पर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में रहने वाली 21 साल की महिला से रेप करने का आरोप लगा था. ये महिला फलहारी महाराज की शिष्य थी. बिलासपुर की रहने वाली 21 साल की युवती इसे अपना गुरु मानती थी और रक्षाबंधन के मौके पर जिंदगी की पहली कमाई गुरु को भेंट करने के लिए अलवर आई थी.
आरोप है कि बाबा कौशलेंद्र महाराज ने लड़की को अपने कमरे में बुलाया और फिर उसे खाने के लिए प्रसाद दिया. प्रसाद खाने के बाद युवती बेहोश हो गई, जिसके बाद आरोपी बाबा ने युवती से रेप किया. सुबह होने पर पीड़ित किसी तरह आश्रम से भाग पाने में कामयाब हो पाई
अपने साथ हुई ज्यादती से लड़की इतनी घबराई हुई थी कि उसमें काफी समय तक घटना की शिकायत करने की हिम्मत ही नहीं थी, लेकिन रेप केस में राम रहीम को सजा मिलने के बाद से लड़की को कुछ हिम्मत मिली और फिर उसने बिलासपुर में आरोपी बाबा के खिलाफ केस दर्ज कराया.
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महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर राहुल गांधी का बडा फैसला
नई दिल्ली: कांग्रेस ने एलान किया है कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर पार्टी देश भर में कार्यक्रम करेगी. पार्टी इसकी शुरुआत 2 अक्टूबर को महाराष्ट्र के वर्धा में CWC यानि कार्यसमिति की बैठक से करेगी. कांग्रेस संगठन महासचिव अशोक गहलोत ने कहा कि महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती को लेकर राहुल गांधी ने फैसला किया है कि देश भर में कार्यक्रम होंगे. 2 अक्टूबर को वर्धा के सेवाग्राम आश्रम में CWC की बैठक होगी. इसके साथ ही प्रार्थना, शांति मार्च और जनसभा का भी आयोजन होगा. CWC कांग्रेस में फैसले लेने वाली सबसे बड़ी इकाई है. इसमें करीब 51 सदस्य हैं.
आशोक गहलोत ने कहा कि आज फासीवादी ताकतें सत्ता में हैं. हिंसा में यकीन करने वाले गांधी को लेकर राजनीति कर रहे हैं. निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं. हिंसा और नफरत का महौल है. मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए गहलोत ने कहा कि मोदी और उनके साथी जिन्हें गांधी की विचारधारा पर यकीन नहीं है वो उनका नाम लेते हैं लेकिन देश में संदेश घृणा और हिंसा का पहुंच रहा है.
गहलोत ने कहा कि वर्धा में गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की नींव रखी थी. पार्टी के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 1942 में वर्धा में CWC की बैठक में ‘भारत छोड़ो’ का प्रस्ताव पास किया गया था. सुरजेवाला ने कहा कि एक बार फिर भय, हिंसा, झूठ भारत छोड़ो और भ्रष्टाचारी, हिंसा के उपासकों गद्दी छोड़ो का आह्वान किया जाएगा.
वर्धा का महत्व बताते हुए रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने साबरमती आश्रम से नमक आंदोलन शुरू किया और 6 अप्रैल को दांडी में नमक कानून तोड़ा. इसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें 5 मई को गिरफ्तार कर यरवदा जेल में डाल दिया. गांधीजी 1933 में रिहा हुए.
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एससी/एसटी के प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को बरकरार रखा
नई दिल्ली: एससी/एसटी के प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में नागराज बनाम भारत सरकार के फैसले को बरकरार रखा और इस मामले में आए फैसले पर दोबारा विचार करने से इनकार कर दिया है. लेकिन अदालत ने फैसले के कुछ हिस्से में बदलाव कर दिया है, जिससे प्रमोशन में आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के नागराज फैसले में बदलाव करते हुए उसमें आरक्षण के लिए आंकड़े जुटाना जरूरी नहीं रखा है.
दरअसल, आज सुप्रीम कोर्ट में एससी/एसटी के प्रमोशन में आरक्षण को लेकर नागराज फैसले को चुनौती दी गई थी, लेकिन आज संविधान पीठ ने नागराज फैसले को पूरी तरह से रद्द नहीं किया. हालांकि, अदालत ने कुछ बदलाव किए, जिससे ये साफ होता है कि एससी/एसटी के प्रमोशन में आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है.
दरअसल, आज सुप्रीम कोर्ट में एससी/एसटी के प्रमोशन में आरक्षण को लेकर नागराज फैसले को चुनौती दी गई थी, लेकिन आज संविधान पीठ ने नागराज फैसले को पूरी तरह से रद्द नहीं किया. हालांकि, अदालत ने कुछ बदलाव किए, जिससे ये साफ होता है कि एससी/एसटी के प्रमोशन में आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है.
एम नागराज बनाम भारत सरकार मामले में एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण देने के कानून को कोर्ट ने सही ठहराया था, लेकिन कहा था कि इस तरह का आरक्षण देने से पहले सरकार को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरी में सही प्रतिनिधित्व न होने के आंकड़े जुटाने होंगे. लेकिन आज के ताजा फैसले में आंकड़े जुटाने की बाध्यता खत्म कर दी गई है. इसके साथ ही पिछड़ेपन का मुद्दा खत्म कर दिया गया है.
इस वक्त केंद्र की सरकार नौकरी में अनुसूचित जाति की संख्या 17.55 फीसदी है, जबकि अनुसूचित जनजाति की संख्या 8.37 फीसद है.
सरकारी नौकरियों में प्रमोशन के मामले में SC/ST आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने बुधवार को अपना अहम फैसला सुनाया है. सरकारी नौकरियों के लिए प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सरकारी नौकरियों के प्रमोशन में SC/ST को आरक्षण मिलेगा. सरकारी नौकरी में प्रमोशन में SC/ST आरक्षण पर फैसले के लिए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ ने कहा कि नागराज जजमेंट को सात जजों को रैफर करने की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लेकिन एक राहत के तौर पर राज्य को वर्ग के पिछड़ेपन और सार्वजनिक रोजगार में उस वर्ग के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता दिखाने वाला मात्रात्मक डेटा एकत्र करना जरूरी नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों की दलील स्वीकारीं और कहा कि अब सरकार सरकारी नौकरी में प्रमोशन में SC/ST आरक्षण दे सकती है. बता दें कि संविधान पीठ को यह तय करना था कि सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के संविधान पीठ के 12 साल पुराने नागराज फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं.
सरकारी नौकरियों में SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों ने अपने फैसले में कहा कि पिछड़ापन मांपने के लिए किसी डेटा की जरूरत नहीं है. पर्याप्त प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक क्षमता मांपने का काम सरकार पर छोड़ा जाना चाहिए. मगर किसी कॉडर में SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए डेटा जरूरी है. कोर्ट ने कहा कि सरकार को ये दिखाना होगा कि समुदाय को किसी नौकरी में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. SC/ST पर भी क्रीमी लेयर का नियम लागू किया जा सकता है ताकि जो लोग इसका लाभ उठाकर पिछडेपन से दूर हो चुके हैं ताकि वो पिछडे़ लोगों के साथ आरक्षण के दायरे से बाहर हो सकें. लेकिन ये संसद का काम है कि वो SC/ST में क्रीमी लेयर को शामिल करे या हटाए. बता दें कि 2006 के नागराज फैसले पर पुनर्विचार के लिए सात जजों के पीठ को भेजने की जरूरत नहीं है.
अक्टूबर 2006 में नागराज बनाम भारत संघ के मामले में पांच जजों की संविधान बेंच ने इस मुद्दे पर निष्कर्ष निकाला कि राज्य नौकरी में पदोन्नति के मामले में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण करने के लिए बाध्य नहीं है. हालांकि अगर वे अपने विवेकाधिकार का प्रयोग करना चाहते हैं और इस तरह का प्रावधान करना चाहते हैं तो राज्य को वर्ग के पिछड़ेपन और सार्वजनिक रोजगार में उस वर्ग के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता दिखाने वाला मात्रात्मक डेटा एकत्र करना होगा.
30 अगस्त को सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट की सविधान पीठ ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ के समक्ष इस तरह के कोटे के खिलाफ 2006 के नागराज फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी हो गई थी. केंद्र और राज्य सरकारों ने जहां सरकारी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण की वकालत की है तो वहीं याचिकाकर्ताओं ने इसका विरोध किया है. केंद्र ने कहा है कि संविधान में SC/ST को पिछड़ा ही माना गया है. इसलिए वर्ग के पिछड़ेपन और सार्वजनिक रोजगार में उस वर्ग के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता दिखाने वाला मात्रात्मक डेटा एकत्र करने की जरूरत नहीं है.
सहारनपुर हिंसा के बाद सुर्खियों में आई भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर और दूसरे प्रदेशों से यूपी में सक्रिय जिग्नेश मेवानी सहित कई युवा नेताओं की बीएसपी सुप्रीमो मायावती के साथ जुगलबंदी अब बीजेपी के लिए चिंता का सबब बनने लगी है। दलित नेताओं का एक सुर में बोलना, दलित वोटबैंककी आस लगाई बीजेपी के लिए अब सियासी टेंशन का कारण बन गया है। वहीं राजनीति के जानकार यह मानते हैं कि युवा दलितों की यह एकजुटता बीएसपी के लिए संजीवनी और बीजेपी के लिए खतरा बन सकती है। इस बात को समझ रही बीजेपी भले ही अंदरखाने में मंथन कर रही हो, लेकिन संगठन की ओर से सार्वजनिक तौर पर अब तक इसपर कुछ भी कहने से बचा जा रहा है। लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले से ही यूपी की दलित राजनीति में लगातार उलटफेर दिख रहा हैं। भीम आर्मी, विधायक जिग्नेश मेवाणी और बीएसपी एकजुट होते नजर आने लगे हैं। भीम आर्मी के चंद्रशेखर की मौजूदगी में जिग्नेश ने जिस तरह बीएसपी सुप्रीमो मायावती को प्रधानमंत्री बनाने के लिए खुला ऐलान किया है, उसके कई सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं। माना जा रहा है कि दलितों में मायावती को सियासी रहनुमा मानने का साफ संदेश मिलने के बाद चंद्रेशखर के रुख में बदलाव आया है। सियासी जानकार मान रहे है कि दलितों के वोटबैंक को अपने साथ रखने के उद्देश्य से चंद्रशेखर लगातार बैकफुट पर हैं। इसके अलावा विधायक जिग्नेश मेवाणी भी चाहते है बीजेपी के दलित जोड़ अभियान में चंद्रशेखर शामिल ना हों। माना जा रहा है कि अगर दलित समुदाय का एक एक छोटा हिस्सा भी बीजेपी के साथ जाता है तब नुकसान संभावित गठंबधन को होगा। ऐसे में मेवाणी दलित कार्ड खेलकर इस वोटबैंक को मायावती के साथ ही रखना चाहते हैं। इसे लेकर मेवाणी के अलावा कभी मायावती के बेहद खास रहे जयप्रकाश समेत कई दलित नेता भी लगातार चंद्रशेखर से संपर्क में हैं। दलित नेताओं की जुगलबंदी और मायावती से नजदीकी होने को बीजेपी के लिए बड़ी चिंता बताया जा रहा है। बीजेपी के एक प्रदेश स्तरीय नेता का कहना है कि शब्बीरपुर और दो अप्रैल की हिंसा के बाद भले ही पार्टी दलितों को साधने की लाख कोशिश कर ले लेकिन जैसा साथ हमारी पार्टी उनका चाहती है, वह मिलना फिलहाल मुश्किल ही दिखता है। इस नेता की मानें तो पार्टी में कई लोगों ने हाईकमान को यह बताया है कि चंद्रशेखर लगातार दूसरे युवा नेता जिग्नेश मेवाणी, कन्हैया कुमार के संपर्क में हैं। यही वजह है कि जेल से निकलकर चंद्रशेखर ने बीजेपी को लगातार कोसना शुरू किया है, जिसके कारण दलितों में उनकी विश्ववसनीयता भी बढ़ी है।
गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी का कहना है कि वह पहले ही साफ कर चुके हैं कि मायावती के नेतृत्व में सभी मिलकर काम करेंगे और आने वाले चुनाव के लिए बीएसपी को मजबूत किया जाएगा। भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर ने कहा, ‘बीएसपी प्रमुख हमारी वरिष्ठ नेता हैं और हम दलित लोग उन्हें मजबूती देने का काम करते रहेंगे।’
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मैं मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने में करूंगा- किसने किया ऐलान-ए-जंग
नई दिल्ली: गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने मोदी सरकार पर चुनाव पूर्व किये गये वादे पूरे नहीं करने का आरोप लगाया है. वाघेला ने कहा है कि वह अगले चुनाव में इस सरकार को दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिए बीजेपी विरोधी सभी दलों का बिना शर्त समर्थन करेंगे. वाघेला ने बुधवार को कहा ”मैं किसी एक दल से नहीं हूं, अब मैं सिर्फ़ बीजेपी विरोधी हूं. मैं अगले चुनाव के दौरान सभी दलों में अपने सम्बंधों का इस्तेमाल मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने में करूंगा.”
वाघेला ने बुधवार को कहा ”मैं किसी एक दल से नहीं हूं, अब मैं सिर्फ़ बीजेपी विरोधी हूं. मैं अगले चुनाव के दौरान सभी दलों में अपने सम्बंधों का इस्तेमाल मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने में करूंगा.”
वाघेला ने कहा कि चार साल पहले बीजेपी 100 स्मार्ट सिटी, हर खेत को पानी, हर साल दो करोड़ नौकरी देने जैसे बड़े-बड़े वादे करके सत्ता में आयी थी. लेकिन साढ़े चार साल में इस सरकार ने सिवाय नोटबंदी के कोई काम नहीं किया. वाघेला ने कहा ”मै गुजरात मॉडल को कीचड़ मॉडल कहता हूं, जिससे निकला कमल सत्ता के रूप मे बीजेपी के पास आ जाता है और कीचड़ जनता के पास रह जाता है. यही मॉडल इस सरकार ने पूरे देश मे पेश कर जनता को बदहाल कर दिया है.”
वाघेला ने कहा कि चार साल पहले बीजेपी 100 स्मार्ट सिटी, हर खेत को पानी, हर साल दो करोड़ नौकरी देने जैसे बड़े-बड़े वादे करके सत्ता में आयी थी. लेकिन साढ़े चार साल में इस सरकार ने सिवाय नोटबंदी के कोई काम नहीं किया. वाघेला ने कहा ”मै गुजरात मॉडल को कीचड़ मॉडल कहता हूं, जिससे निकला कमल सत्ता के रूप मे बीजेपी के पास आ जाता है और कीचड़ जनता के पास रह जाता है. यही मॉडल इस सरकार ने पूरे देश मे पेश कर जनता को बदहाल कर दिया है.”
पूर्व मुख्यमंत्री ने मोदी सरकार पर राफ़ेल सौदे मे रिलायंस जैसी दिवालिया कंपनी को साझेदार बनाने का आरोप लगाते हुए कहा ”जिस तरह बोफ़ोर्स से मिला कुछ नहीं था, सिर्फ़ एक चेहरा निकला था वी पी सिंह का, जिसे सबका समर्थन मिला था. वैसे ही इस बार देखना होगा कि राफ़ेल से क्या निकलता है.”
अपनी चुनावी रणनीति के सवाल पर वाघेला ने कहा ”मेरा सभी दलों से आह्वान है कि देश के व्यापक हित मे ऐसी समझदारी से चुनाव लड़े जिससे जनता मौजूदा सरकार को नकार दे. इसके लिए स्थायी सरकार दे सकने वाले संयुक्त गठबंधन की पहल होनी चाहिए.” ख़ुद चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी, समय आने पर वह इस बारे मे कोई फ़ैसला करेंगे. वाघेला ने कहा ”मेरा संदेश साफ़ है कि लोकसभा का चुनाव राज्यों की स्थानीय परिस्थिति के मुताबिक़ लड़ा जाए जिससे आपसी खींचतान में एक भी मतदाता का वोट ख़राब न जाये और इसका लाभ बीजेपी न उठा सके.”
उन्होंने कहा कि 2019 में यह सरकार जानी चाहिए. क्योंकि जो लोगों से वादे किए थे उन्होंने पूरे नहीं किए हैं. उन्होंने कहा कि ये जनविरोधी सरकार है. पूरे विपक्ष को एक साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए. 2019 का चुनाव पीएम बनाम आम जनता का होगा.
शंकर सिंह वाघेला का कहना है कि एनडीए सरकार ने जनता को उल्लू बना दिया. देश की जनता केंद्र सरकार से नाराज है. लोग और सभी एक साथ आकर सरकार को हराएं. राफेल डील को लेकर हो रहे हंगामे पर शंकर सिंह वाघेला का कहना है कि जो बोफोर्स हुआ था तो उस वक्त वीपी सिंह निकले थे और उनका सब ने समर्थन किया था. अब राफेल में क्या निकलेगा यह आप ही लोगों को तय करना है.
उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि अच्छा विपक्ष बने. सब मिलकर लड़े. 2019 का चुनाव स्पोर्ट्समैन की तरह लड़ना चाहिए. मैं इतना कह सकता हूं कि 2019 में इनकी सरकार नहीं होगी. 2014 में बीजेपी ने मार्केटिंग की थी. मार्केट हाईप था और यूपीए-2 की छवि भी ठीक नहीं थी. विपक्ष बंटा हुआ था. शंकर सिंह वाघेला का कहना है कि 2019 में एनडीए पहले से बहुत कम सीटें मिलेंगी. 2019 है ये 2014 नहीं है. जनता के हित में सरकार ने कुछ नहीं किया. जो वादे किए थे, पूरे नहीं किए. हर चीज को लेकर झूठ बोला जा रहा है. वोटों का बंटवारा नहीं होना चाहिए. 2019 में मोदी के खिलाफ चेहरे पर शंकर सिंह वाघेला का कहना है कि चेहरे तो पहले भी कई बार चुनाव में नहीं थे. 1977 में कोई चेहरा नहीं था. अपने आप चेहरा बन जाते हैं और बाद में आ जाते हैं. आरएसएस पर निशाना साधते हुए शंकर सिंह वाघेला ने कहा कि जो लोग सीमा पर जाकर सुरक्षा करने की बात किया करते थे आज खुद सुरक्षा के घेरे में घूम रहे हैं.
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मोदी पर ट्वीट पर देशद्रोह का मामला दर्ज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक ट्वीट करने पर कांग्रेस की पूर्व सांसद और कांग्रेस सोशल मीडिया सेल की संयोजक दिव्या स्पंदना के खिलाफ राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर थाने में देशद्रोह का मामला दर्ज कराया गया है. दिव्या के खिलाफ लखनऊ के वकील सैयद रिजवान अहमद ने मामला दर्ज कराया है. अहमद ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ‘ट्वीट अपमानजनक था. प्रधानमंत्री भारत गणराज्य और इसकी संप्रभुता के प्रतिनिधि हैं. इसलिए यह (ट्वीट) राष्ट्र के लिए दुर्भाग्य है और अवमानना भी. हमने एक प्राथमिकी दर्ज कराई है.’
अहमद लखनऊ के विवेकखंड इलाके में रहते हैं. उनकी तहरीर पर मंगलवार को दिव्या के खिलाफ देशद्रोह और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर मामले की जांच साइबर सेल को सौंप दी गई है. दिल्ली की दिव्या ने सोमवार दोपहर पीएम मोदी की फोटो पोस्ट करते हुए आपत्तिजनक ट्वीट किया था. उनकी इस पोस्ट पर कई लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी और उनकी आलोचना की थी. टि्वटर पर कई यूजर्स ने दिव्या को ट्रोल भी किया.
दिव्या ने अपने ट्विटर अकाउंट पर पीएम का एक वीडियो शेयर किया जो पीएम मोदी के वर्ष 1998 में दिए इंटरव्यू का है. इसमें मोदी कह रहे हैं कि उन्होंने 17 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था और वो तब से आज तक भटक रहे हैं. इस वीडियो में वो यह कहते भी दिख रहे हैं कि उन्होंने हाई स्कूल तक पढ़ाई की है. इस वीडियो को शेयर करते हुए दिव्या ने लिखा कि बहुत मुश्किल से वीडियो ढूंढा है जो कि 1998 का है. इसमें ‘साहब’ (पीएम मोदी) खुद कह रहे हैं कि उन्होंने हाई स्कूल तक पढ़ाई की है लेकिन आज वो कहते हैं कि उन्होंने 1979 में ग्रैजुएशन किया था और उनके पास इसकी डिग्री भी है.
दरअसल दिव्या ने अपने ट्विटर अकाउंट पर पीएम का एक वीडियो शेयर किया जो पीएम मोदी के वर्ष 1998 में दिए इंटरव्यू का है. इसमें मोदी कह रहे हैं कि उन्होंने 17 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था और वो तब से आज तक भटक रहे हैं. इस वीडियो में वो यह कहते भी दिख रहे हैं कि उन्होंने हाई स्कूल तक पढ़ाई की है. इस वीडियो को शेयर करते हुए दिव्या ने लिखा कि बहुत मुश्किल से वीडियो ढूंढा है जो कि 1998 का है. इसमें ‘साहब’ (पीएम मोदी) खुद कह रहे हैं कि उन्होंने हाई स्कूल तक पढ़ाई की है लेकिन आज वो कहते हैं कि उन्होंने 1979 में ग्रैजुएशन किया था और उनके पास इसकी डिग्री भी है.
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छत्तीसगढ़ – राजनीतिक भूचाल – सेक्स सीडी कांड
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों की तारीख नजदीक आ रही है और इसी के साथ सेक्स सीडी कांड को लेकर सियासत गर्म है। पिछले साल जो सेक्स सीडी सामने आई थी, उसने अब राजनीतिक भूचाल का रूप ले लिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल की गिरफ्तारी के बाद पूरे छत्तीसगढ़ का राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। सेक्स सीडी कांड की जांच कर रही सीबीआई ने एक बड़ा खुलासा किया है। सीबीआई ने चार्जशीट में दावा किया कि पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत की सेक्स सीडी फ़र्ज़ी थी, जो उनकी ही पार्टी के बीजेपी नेता कैलाश मुरारका ने तैयार करवाई थी।
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा कि कथित सेक्स वीडियो मुंबई में तैयार कराया गया था। सीबीआई ने आरोप लगाया कि बीजेपी नेता कैलाश मुरारका ने इस फर्जी सेक्स वीडियो बनाने के लिए अन्य आरोपी विनय पांड्या और रिंकू खानुजा को 75 लाख रुपये का भुगतान किया था। दोनों ने मंत्री राजेश का एक मोर्फ (नकली) वीडियो तैयार करने के लिए मानस साहू को 98 हजार रुपये का भुगतान किया था। एक सेक्स वीडियो पर मंत्री राजेश का चेहरा लगाकर इस वीडियो को तैयार कराया गया था। इसके बाद वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा, जो आरोपी के संपर्क में थे, दिल्ली में एक दुकान में गए और कथित तौर पर सेक्स वीडियो की 500 सीडी तैयार करवाई।
सीबीआई ने मामले में कांग्रेस नेता भूपेश बाघेल, बीजेपी नेता कैलाश मुरारका, विजय पांड्य, पत्रकार विनोद वर्मा, विजय भाटिया और रिंकू खानुजा को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 469 (प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य के लिए फर्जीवाडा), 471 (जाली दस्तावेज उपयोग करना), 120B (आपराधिक षड्यंत्र) और आईटी एक्ट की धारा 67A के तहत आरोपी बनाया है। इससे पहले छत्तीसगढ़ पुलिस ने मामले में वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया था। छत्तीसगढ़ के PWD मंत्री राजेश मूणत के कथित सेक्स सीडी मामले में दो एफआईआर दर्ज कराई थी। FIR दर्ज होने के चंद घंटों में गाजियाबाद से वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा को पुलिस ने हिरासत में लिया था। इसके बाद मंत्री खुद सामने आए थे और कहा था कि सीडी में वो नहीं हैं। यह सीडी फर्जी बनाई गई है।
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राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ IPS अधिकारी की पत्नी ने किया चुनाव लड़ने का ऐलान
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ एक मौजूदा IPS अधिकारी की पत्नी मुकुल चौधरी ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। खबर है 2009 बैच के राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी की पत्नी मुकुल चौधरी झालरापाटन से चुनाव लड़ेंगी। चौधरी ने बताया कि लोकतंत्र में राजे के शासन में अन्याय से लड़ने के लिये उन्होंने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।
चौधरी ने बताया कि ‘मैं निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भ्रष्टाचार और कुशासन के मुद्दे पर अपने जन्म स्थान झालरापाटन से चुनाव लडूंगी। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के शासन में पूरा प्रदेश भ्रष्टाचार और कुशासन की मार झेल रहा है। प्रदेश में अपराधों की संख्या बढ रही है. मैं इन मुद्दों पर जमीनी स्तर पर काम कर रही हूं। चौधरी ने बताया कि उनके पति को प्रताड़ित किया गया और ईमानदारी से काम करने के बावजूद उन्हें चार्जशीट और लगातार स्थानांतरण से रूबरू होना पड़ा. उन्होंने बताया कि ‘ईमानदार अधिकारियों को प्रताड़ित किया जा रहा है और मेरे पति भी उसका हिस्सा हैं।
मैं पहले झालरापाटन की बेटी और उसके बाद ईमानदार आईपीएस अधिकारी की पत्नी हूं। उन्होंने बताया कि झालरापाटन से चुनाव लड़ने की वहज यह है कि सरकार की मुखिया मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे यहां से विधायक चुनी जाती हैं। मुझे भ्रष्टाचार, कुशासन और लोगों की परेशानियों के लिये चुनाव लड़ने की प्रेरणा मिली है। चौधरी की मां शांति दत्ता 1993 में पूर्व भैंरो सिंह शेखावत सरकार में कानून मंत्री थीं जबकि उनके पति जयपुर में स्टेट क्राइम रिकार्डस ब्यूरो में पुलिस अधीक्षक हैं।
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दिल्ली , बीजेपी और कांग्रेस में राफेल सौदे को लेकर राजनीतिक जंग जारी है। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान ने आग में घी का काम किया है। इसके बाद कांग्रेस के हमले तेज हो गए हैं वहीं बीजेपी भी जवाब देने से नहीं चूक रही है। कांग्रेस ने इस मामले की जॉइंट पार्ल्यामेंट्री कमिटी (JPC) से जांच करवाने की मांग की है। बीजेपी का कहना है कि जांच से हमारे विरोधियों को रक्षा संबंधी जानकारियां मिल सकती हैं। इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस पर वार किया था। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस कीचड़ इसलिए उछाल रही है क्योंकि यह उसके लिए आसान है। वह ऐसा पहले भी करती रही है। लेकिन हम उनको बताना चाहते हैं कि जितना कीचड़ उछालोगे, उतना ही कमल खिलेगा।’
पिछले सत्र में संसद में कामकाज का हिसाब अच्छा रहा लेकिन अगर कांग्रेस जेपीसी की मांग दोबारा करती है तो संसद चलने में दिक्कत होगी। 2010 में शीत सत्र के दौरान बीजेपी ने 2जी आवंटन के मामले में CAG की रिपोर्ट के बाद जेपीसी जांच की मांग की थी। इसके बाद सत्र का काम काफी प्रभावित हुआ था और यह अबतक का सबसे ज्यादा हंगामेदार सत्र रहा।
जेपीसी संसद द्वारा बनाई गई एक समिति होती है जो एक निश्चित समय के लिए बनाई जाती है। इसमें दोनों सदनों के सदस्य होते हैं। लोकसभा के सदस्यों की संख्या राज्यसभा के सदस्यों से दोगुनी होती है। कमिटी सार्वजिनिक संस्थानों, जानकारों के साथ किसी की व्यक्तिगत विचार भी ले सकती है। आज तक सात जेपीसी बनाई गई हैं। इनमें बोफोर्स मामला (1987), हर्षद मेहता स्कैंडल (1992), केतन पारेख शेयर मार्केट घोटाला (2001), पेय पदार्थों में कीटनाशक (2003), 2जी आवंटन (2011), अगुस्टा वेस्टलैंड (2013) और भूमि अधिग्रहण मामला (2015) शामिल हैं। जेपीसी द्वारा दी गई अधिकतर रिपोर्ट या तो रिजेक्ट कर दी गई हैं या उनपर ध्यान नहीं दिया गया है।
विपक्ष को एक हथियार देने के साथ बीजेपी उस परिस्थिति से भी बचना चाहेगी जैसा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ हुआ था। उन्हें 2011 में जेपीसी के सामने पेश होना पड़ा था जिसकी वजह से कांग्रेस को शर्मिंदा होना पड़ा। अगर जेपीसी बनती है तो ऐसी स्थिति प्रधानमंत्री मोदी के लिए भी बन सकती है।
########मुकेश अंबानी ने हर दिन 300 करोड़ रुपए की कमाई की
देश के सबसे अमीर शख्स, नामी कारोबारी और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने पिछले साल हर दिन 300 करोड़ रुपए की कमाई की। यह खुलासा ‘बार्कलेज हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2018’ में हुआ है। तीन लाख 71 हजार करोड़ रुपए की कुल संपत्ति के साथ वह इस सूची में बीते सात सालों से पहले पायदान पर जमे हुए हैं। कमाई के साथ उनकी कंपनी के शेयर के भाव में उस दौरान तकरीबन 45 फीसदी का इजाफा हुआ।
सूची में अंबानी के बाद दूसरे स्थान पर एसपी हिंदुजा परिवार (एक लाख 59 हजार करोड़ रुपए की कुल संपत्ति), तीसरे पायदान पर एलएन मित्तल परिवार (एक लाख 14 हजार 500 करोड़ रुपए) और चौथे नंबर पर अजीम प्रेमजी (96 हजार 100 करोड़ रुपए) के नाम हैं। मगर अकेले अंबानी की संपत्ति इन तीनों की कुल धन-दौलत से ज्यादा है। बार्कलेज की इस लिस्ट में भारत के उन सबसे अमीर लोगों को शामिल किया जाता है, जिनकी नेट वर्थ एक हजार करोड़ रुपए या उससे अधिक होती है। साल 2017 की सूची के मुकाबले इस बार एक तिहाई लोग अधिक लोग शामिल किए गए। पिछले साल सूची में 617 लोगों के नाम थे, जबकि इस 2018 में इसमें 831 नाम हो गए। सूची में पांचवें नंबर पर सन फार्मा के दिलीप सांघवी का नाम है, जो कि इस बार तीन पायदान नीचे खिसक आए हैं। उनकी संपत्ति लगभग 89 हजार 700 करोड़ रुपए के आसपास है। उनके बाद छठे स्थान पर 78 हजार 600 करोड़ रुपए की संपत्ति के साथ कोटक महिंद्रा बैंक के उदय कोटक काबिज हैं, जबकि सूची में सातवें नंबर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सायरस एस.पूनावाला का नाम दर्ज है। उनकी कुल संपत्ति 73 हजार करोड़ रुपए की है। आगे आठवें स्थान पर अडानी एंटरप्राइजेज के गौतम अडानी और नौवें पर सायरस पलोंजी के नाम हैं। उनकी संपत्ति क्रमशः 71 हजार 200 करोड़ रुपए और 69 हजार 400 करोड़ रुपए है।
##########मध्य प्रदेश – खाली कुर्सियों की तस्वीरें भाजपा की चिंता बढ़ाने वाली
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक साथ मंच पर होने के बावजूद अपेक्षा के अनुरूप भीड़ न जुटने और खाली कुर्सियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होना भाजपा की चिंता बढ़ाने वाली हैं। इन स्थितियों ने प्रदेश संगठन के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।
भाजपा ने लगातार चौथी बार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कराने के लिए मंगलवार को राजधानी के जंबूरी मैदान में 10 लाख कार्यकर्ताओं को लाने का ऐलान किया था। भाजपा का दावा कुछ कमजोर नजर तब आया, जब सोशल मीडिया पर सैकड़ों खाली कुर्सियों और सोते कार्यकर्ताओं की तस्वीरें वायरल हुईं।
अक्टूबर के पगले सप्ताह में प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीख का एलान हो सकता है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा रहा है कि प्रदेश सरकार ने 29 सितंबर और एक अक्टूबर को कैबिनेट बैठक करने जा रही है। संभवत: अक्टूबर महीने की पहली तारीख को होने वाली कैबिनेट बैठक इस सरकार की आखिरी बैठक हो। सरकार इस बैठक में कुछ बड़े फैसले ले सकती है। विधानसभा चुनावों की आचार संहिता लगने से पहले भाजपा सरकार 29 सितंबर और एक अक्टूबर को कैबिनेट बैठक करने जा रही है। इसकी सूचना सभी संबंधित विभाग प्रमुख व मंत्रियों को दे दी गई है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि अक्टूबर के पहले सप्ताह यानि 4 से 6 अक्टूबर के बीच निर्वाचन आयोग चुनाव की घोषणा कर सकता है।
राजनीतिक विश्लेषक सॉजी थॉमस का कहना है, “भाजपा ने कार्यकर्ता महाकुंभ में 10 लाख कार्यकर्ताओं के आने का दावा किया था, मगर ऐसा हुआ नहीं। सरकार और संगठन ने ताकत भी झोंकी, उसके बाद भी 10 लाख कार्यकर्ता नहीं आए। सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें आ रही हैं, वह भाजपा के लिए चिंता बढ़ाने वाली होंगी, इसे नकारा नहीं जा सकता। इसके बावजूद यह तो मानना ही होगा कि भाजपा के इस आयोजन में भीड़ कम नहीं थी, भले ही उसने लक्ष्य न पाया हो।”
भाजपा की प्रदेश इकाई ने दावा किया था कि इस महाकुंभ में 65 हजार बूथों से 10 लाख कार्यकर्ता आएंगे। प्रदेश संगठन के दावे पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भी सवाल उठाए, और उन्होंने आए कार्यकर्ताओं की संख्या पांच लाख से अधिक बताई।
भाजपा के आयोजन पर कांग्रेस के प्रदेशायक्ष कमलनाथ ने सवाल उठाते हुए उसे फ्लॉप शो करार दिया है।
कमलनाथ ने कहा, “सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च करके किया गया यह आयोजन एक फ्लॉफ शो रहा। इससे प्रदेश की जनता को कोई फायदा नहीं हुआ। प्रदेश की जनता को इस महाकुंभ से सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है। प्रदेशवासियों को उम्मीद थी कि महंगाई से निजात दिलाने के लिए कोई बड़ी घोषणा होगी। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस आयोजन में आने से आíथक संकट से जूझ रहे प्रदेश को कोई बड़ी सौगात या बड़े पैकेज मिलने की उम्मीद थी, लेकिन निराशा हाथ लगी।”
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर का आरोप है कि सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहा है, वह कांग्रेस की हरकत है और आयोजन से पहले बनाया गया है। अमित शाह द्वारा पांच लाख से अधिक कार्यकर्ताओं का अनुमान लगाने की बात पर पाराशर ने कहा कि प्रदेश संगठन का अनुमान है कि 10 लाख के करीब कार्यकर्ता कुंभ में पहुंचे थे।
–आईएएनएस
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रक्षा क्षेत्र में राफेल घोटाला इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला – सांसद संजय सिंह
आम आदमी पार्टी (आप) के उत्तर प्रदेश प्रभारी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने यहां मंगलवार को कहा कि रक्षा क्षेत्र में राफेल घोटाला इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है। देश की सुरक्षा के नाम पर घोटाला करने वाले ‘फर्जी राष्ट्रभक्तों’ को कतई बक्शा नहीं जाएगा।
संजय ने कहा कि बुंदेलखंड क्षेत्र में 12 अक्टूबर से शुरू हो रही आप की तीसरे चरण की जन अधिकार पदयात्रा के माध्यम से सैकड़ों कार्यकर्ता राफेल घोटाले की सच्चाई जनता तक पहुंचाएंगे। पदयात्रा के माध्यम से मोदी सरकार की कथनी और करनी की असलियत जनता के सामने लाई जाएगी।
आप सांसद ने कहा कि कांग्रेस ने भ्रष्टाचार किया था तो आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ मैदान में उतरी थी। भाजपा तो भ्रष्टाचार के मामले में उससे भी आगे निकल गई।
उन्होंने कहा, “मन की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने परममित्र अनिल अंबानी को बड़े स्तर पर लाभ पहुंचाने के लिए राफेल में 36 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा का घोटाला कराया है। प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि 540 करोड़ का लड़ाकू विमान 1670 करोड़ में क्यों खरीदा? सरकार की अपनी कंपनी के रहते ठेका उस प्राइवेट कंपनी को दिला दिया, जिसने कभी लड़ाकू विमान बनाया ही नहीं। फर्जी राष्ट्रभक्तों ने अपने मित्र को लाभ पहुंचाने के लिए देश की सुरक्षा से समझौता कर लिया।”
संजय ने कहा कि भाजपा ने राफेल घोटाला कर देश की सुरक्षा व्यवस्था के साथ खिलवाड़ किया है। देश इनको कभी माफ नहीं करेगा।”
–आईएएनएस
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भारतीय मूल के पूर्व छात्रों ने अमेरिकी उच्च शिक्षण संस्थानों को 18 साल में 8,640 करोड़ रुपए (120 करोड़ डॉलर) का दान दिया। साल 2000 से 2018 के दौरान यह राशि दी गई। सबसे ज्यादा 23.5% रकम बिजनेस स्टडी के लिए दी गई। इंडियास्पोरा के सर्वे में यह आंकड़े सामने आए। संस्था ने पहली बार ‘मॉनिटर ऑफ यूनिवर्सिटी गिविंग’ रिपोर्ट जारी की है।
इंडियास्पोरा के संस्थापक एमआर रंगास्वामी के मुताबिक 1.2 अरब डॉलर का आंकड़ा वास्तविक दान राशि से कम हो सकता है। क्योंकि, इसमें 10 लाख डॉलर और उससे ज्यादा की डोनेशन ही शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक 50 लोगों ने 68 बार में 1.2 अरब डॉलर की रकम डोनेट की। इनमें से आधे लोग ऐसे हैं जिन्होंने एक से ज्यादा बार दान दिया।
इंडियास्पोरा के संस्थापक एमआर रंगास्वामी के मुताबिक 1.2 अरब डॉलर का आंकड़ा वास्तविक दान राशि से कम हो सकता है। क्योंकि, इसमें 10 लाख डॉलर और उससे ज्यादा की डोनेशन ही शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक 50 लोगों ने 68 बार में 1.2 अरब डॉलर की रकम डोनेट की। इनमें से आधे लोग ऐसे हैं जिन्होंने एक से ज्यादा बार दान दिया। फ्लोरिडा में रह रहे पति-पत्नी किरण और पल्लवी पटेल ने सबसे ज्यादा 1,440 करोड़ रुपए (20 करोड़ डॉलर) का योगदान दिया। यह राशि साउदर्न फ्लोरिडा और नोवा साउदर्न यूनिवर्सिटी को दी गई। रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका में भारतीय समुदाय सबसे ज्यादा शिक्षित है। एक मध्यम वर्गीय परिवार की सालाना कमाई एक लाख डॉलर से ज्यादा है। करीब 32% भारतीय अमेरिकी बैचलर डिग्री धारक हैं। जबकि, अमेरिकी मूल के लोगों की संख्या सिर्फ 18% है। अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के 38% लोगों के पास एडवांस डिग्री है। अमेरिकियों की संख्या सिर्फ 10% है। अमेरिकी संस्थानों को दान देने वालों की लिस्ट में आनंद महिंद्रा और रतन टाटा के नाम भी शामिल हैं। महिंद्रा ने हार्वर्ड और टाटा ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की थी।
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