गलत खबर चलाने पर वेबसाइट संचालक गिरफ्तार & TOP NATIONAL NEWS 5 JAN 19

लोकसभा चुनाव 2019 का रंग जमने वालाहै. फिल्म और टीवी के सितारे भी राजनीतिक इनिंग खेलने को बेकरार दिख रहे हैं. इस बीच टीवी की मशहूर एक्ट्रेस शिल्पा शिंदे ने राहुल गांधी के नेतृत्व में भरोसा जताते हुआ कांग्रेस का दामन थाम लिया है. 
 शिल्पा ने कहा कि वो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती हैं. उन्होंने प्रियंका गांधी के कांग्रेस में शामिल होने का स्वागत किया और यह भी कहा कि वे महाराष्ट्र में जाति पाति की राजनीति नहीं करेंगी. पार्टी को मजबूत बनाएंगी. 

शिल्पा शिंदे ने मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम और चरण सिंह सपरा की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ले ली. शिल्पा, टीवी शो भाबी जी घर पर हैं से फेमस हुई थीं. उन्होंने पिछले साल रियलिटी शो बिग बॉस का खिताब भी जीता था.

कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद शिल्पा ने एक इंटरव्यू में कहा, “पार्टी ने जिस तरह से स्वागत किया वो मेरे लिए खुशी की बात है. मैं चाहती हूं कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री बने.” शिल्पा ने प्रियंका गांधी के कांग्रेस में शामिल होने का स्वागत किया. शिल्पा ने यह भी कहा कि वे जाति पाति की राजनीति नहीं करेंगी. 

शिल्पा के कांग्रेस में आने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि कई और सेलिब्रिटी भी कांग्रेस ज्वाइन कर सकते हैं.  शिल्पा शिंदे के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया है. सोशल मीडिया में जहां कुछ लोगों ने राजनीति ज्वाइन करने को लेकर उनकी तारीफ़ की है, वहीं कई लोगों ने निंदा भी की. वैसे काफी समय से कई फ़िल्मी सितारों के कांग्रेस में आने के कयास लगाए जा रहे थे. कुछ दिन पहले करीना कपूर खान के भी कांग्रेस में शामिल होने की खबर सामने आई थी. कहा यह भी गया कि वे भोपाल से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ सकती हैं. हालांकि करीना ने ख़बरों को अफवाह बताया था.
वर्क फ्रंट पर देखें तो श‍िल्पा बिग बॉस के बाद क्र‍िकेट पर बने कॉमेडी शो में सुनील ग्रोवर संग नजर आई थीं. हाल ही में उन्होंने एक मराठी शो में भी कैमियो किया है. इसकी तस्वीरें सोशल मीड‍िया पर वायरल हुई थीं. 

प्रशांत किशोर ने शिवसेना के लिए रणनीति बनाने का प्रस्ताव दिया

चुनावी रणनीतिकार और जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सहयोगी शिवसेना के लिए आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में रणनीति बनाने का प्रस्ताव दिया है. मंगलवार को मुंबई में प्रशांत किशोर ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से उनके निवास पर मुलाकात की जिसमें पार्टी के सभी सांसद मौजूद रहे. हालांकि इस बैठक में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन पर कोई चर्चा नहीं हुई.

प्रशांत किशोर और उद्धव ठाकरे के साथ इस बैठक में मौजूद शिवसेना सांसद ने इंडिया टुडे को बताया कि किशोर ने पार्टी को आगामी चुनावों में उसी तरह से मदद करने का प्रस्ताव दिया है, जैसी उन्होंने 2014 के चुनाव में बीजेपी की की थी. बता दें कि प्रशांत किशोर ने साल 2013 में सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG) के जरिए प्रधानमंत्री मोदी के साथ युवा प्रोफेशनल्स को जोड़ने का व्यापक अभियान चलाया था. किशोर के इस अभियान की वजह से आईआईटी, आईआईएम और अन्य विश्वविद्यालयों के युवा पीएम मोदी के चुनावी अभियान से जुड़ गए थे.

शिवसेना सांसद ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने इस बैठक में प्रशांत किशोर का सबसे परिचय कराया. किशोर ने हमें महाराष्ट्र के स्थानीय मुद्दों को उठाने के लिए कहा. उन्होंने शिवसेना के प्रचार अभियान और मीडिया मैनेजमेंट के लिए रणनीतिक मदद देने की बात कही. उद्धव ठाकरे ने इस बैठक में कहा कि पार्टी को राज्य में अपना मुख्यमंत्री बनाने के लक्ष्य की दिशा में काम करना चाहिए. शिवसेना प्रमुख ने पार्टी नेताओं से कहा कि अगर वे अभी से इस लक्ष्य पर काम करेंगे तो विधानसभा चुनाव तक इसे प्राप्त कर लेंगे.

हालांकि शिवसेना सांसद ने भविष्य में शिवसेना और जेडीयू का बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने की संभावना से इनकार किया. प्रशांत किशोर बिहार और केंद्र में एनडीए के अहम सहयोगी दल जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. उन्होंने सितंबर 2018 में राजनीति में पहली बार अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत जेडीयू से की. आपको बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना की छवि उत्तर भारतीय विरोधी दल के तौर होती है, माराठा स्वाभिमान की लड़ाई लड़ने वाले शिवसैनिकों की तरफ से राज्य में उत्तर भारतीयों खासकर बिहारियों के खिलाफ हिंसा की खबरें आती रही हैं. लिहाजा एक बिहारी (प्रशांत किशोर) द्वारा शिवसेना को आगामी चुनाव में रणनीतिक पेशकश के बड़े राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं.

शिवसेना सांसद ने बताया कि प्रशांत किशोर ने बैठक में साफ कर दिया कि वे शिवसेना और बीजेपी के संभावित गठबंधन में कोई भूमिका निभाने नहीं जा रहे और न ही उनका उद्देश्य जेडीयू और शिवसेना को करीब लाने का है. उनकी रणनीति महाराष्ट्र में शिवसेना के चुनावी अभियान तक सीमित रहेगी. इस बीच शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा प्रशांत किशोर की उद्धव ठाकरे से मुलाकात किसी राजनेता के तौर पर नहीं थी. यह एक शिष्टाचार भेंट थी और इसके राजनीतिक मायने नहीं निकाले जाने चाहिए.

आपके बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी अभियान से प्रशांत किशोर की पहचान जीत की गारंटी दिलाने वाले रणनीतिकार के तौर पर हुई. लोकसभा चुनावों के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से प्रशांत किशोर की मतभेद की खबरों के बीच उन्होंने जेडीयू का दामन थामा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निवास पर रहते हुए 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाई. नीतीश कुमार के जनसंपर्क अभियान ‘हर-घर दस्तक’ और ‘बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है’ जैसे लोकप्रिय नारे के पीछे किशोर ही थे.

इसके बाद प्रशांत किशोर 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के पंजाब और उत्तर प्रदेश में चुनावी अभियान से जुड़ें. कैप्टन अमरिंदर सिंह के ‘कॉफी विद कैप्टन’ और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (तब उपाध्यक्ष थे) की किसान यात्रा और ‘खाट सभा’ की रूप रेखा भी तैयार की. हालांकि यूपी में कांग्रेस के पक्ष में किशोर की रणनीति काम नहीं आई और पार्टी की ताकत 7 सीटों पर सिमट कर रह गई. लेकिन पंजाब में लगातार दो विधानसभा चुनाव हार चुकी कांग्रेस ने जीत का स्वाद चखा.

सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार को कड़ी फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को असम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरएसी) की प्रक्रिया को लेकर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के रवैये से ऐसा लगता है कि सरकार इस प्रक्रिया को आगे ही नहीं बढ़ने देना चाहती. कोर्ट ने गृह मंत्रालय को यह फटकार लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एनआरसी की प्रक्रिया रोकने की याचिका पर लगाई है.

केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से एनआरसी की प्रक्रिया में लगे केंद्रीय सशस्त्र बल की 167 कंपनियों की लोकसभा चुनाव में भूमिका को देखते हुए इस कार्य को 2 हफ्ते तक रोकने की गुहार लगाई थी. प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस रोहिंटन नरीमन की अगुवाई वाली पीठ ने केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया. जस्टिस रंजन गोगोई ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा ऐसा प्रतीत होता है कि गृह मंत्रालय एनआरसी के कार्य को बर्बाद करने पर तुला है. हम इस मामले में गृह सचिव को तलब करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार शुरू से इस मामले में सहयोग नहीं कर रही है और हर बार एक नया बहाना दिया जाता है. अदालत ने दोहराया कि एनआरसी की प्रक्रिया पूरी करने के लिए 31 जुलाई 2019 की तय समयसीमा आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को चुनाव डयूटी से राज्य के कुछ अधिकारियों को अलग रखने पर विचार करने के लिये कहा है कि ताकि यह सुनिश्चित हो कि एनआरसी की प्रक्रिया जारी रहे.

आपको बता दें कि असम एकमात्र ऐसा राज्य है जिसके पास एनआरसी है, इसे पहली बार 1951 में तैयार किया गया था. लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान हुए असम समझौते के तहत यह तय किया गया कि 25 मार्च, 1971 के पहले से असम में रह रहे लोगों की सूची तैयार कराई जाएगी. इसके तहत मई 2015 में एनआरसी में नाम जुड़वाने की प्रक्रिया की शुरूआत हुई. जिसके तहत असम के 68.27 लाख परिवारों से 6.5 करोड़ दस्तावेज प्राप्त हुए.

लेकिन असम के एनआरसी के दूसरे और अंतिम मसौदे के तहत जुलाई 2018 में जारी सूची पर तब विवाद पैदा हो गया जब इसमें शामिल होने के लिए आवेदित 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम ही शामिल किए गए. जबकि 40 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं किए गए. जिसके बाद सूची में शामिल नहीं किए गए लोगों के भविष्य को लेकर आशंका जाहिर की जाने लगी.

इसके बाद एनआरसी की मसौदा सूची में शामिल नहीं किए गए लोगों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई गई. जिस पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने एनआरसी के मसौदे से बाहर रह गए करीब 40 लाख लोगों के दावे और आपत्तियां स्वीकार करने का काम शुरू करने का आदेश दिया. इस प्रक्रिया की शुरूआत 25 सितंबर, 2018 को शुरू हुई. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि जिन लोगों के नाम एनआरसी के मसौदे में शामिल नहीं हैं, उनके खिलाफ किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी क्योंकि यह अभी सिर्फ मसौदा ही है.

हालांकि एनआरसी के समक्ष दावे और आपत्तियां स्वीकार करने की अवधि समाप्त हो चुकी है. लिहाजा इस समय इन दावों और आपत्तियों की समीक्षा का कार्य जारी है. अदालत ने पिछली सुनवाई में भी यह स्पष्ट किया था कि एनआरसी की प्रक्रिया पूरी करने की समयसीमा 31जुलाई, 2019 से आगे नहीं बढ़ाई जाएगी.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (BJP) को झटका देने की योजना मोदी सरकार के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए दिल्ली में विपक्ष की बैठक. गृह मंत्रालय ने राजीव कुमार के खिलाफ जांच के आदेश दिए. 

धरना खत्म करने का ऐलान करते हुए ममता ने कहा कि पीएम मोदी सब पर कब्जा करना चाहते हैं. उन्हें अब दिल्ली छोड़ गुजरात जाना होगा. गृह मंत्रालय के पत्र पर ममता ने कहा कि उसका जवाब दिया जाएगा. ममता ने कहा कि ये सब फालतू की चीज है. ममता ने कहा कि वे अगले सप्ताह दिल्ली जाएंगी. ममता ने कहा कि देश को बचाना है तो मोदी को हटाना होगा. ममता बनर्जी रविवार रात नौ बजे के करीब मेट्रो चैनल गेट पर धरना देने बैठी थीं. उनका ये धरना तकरीबन 46 घंटे बाद मंगलवार शाम साढ़े 6 बजे खत्म हुआ. ममता ने कहा कि ये धरना भारत और लोकतंत्र को बचाने के लिए था. हमारे आईएएस और आईपीएस के लिए था. इस बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबूनायडू ममता बनर्जी से मिलने पहुंचे. ममता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सकारात्मक था. ममता ने कहा कि ये लड़ाई अब अगले सप्ताह दिल्ली ले जाई जाएगी. गृह मंत्रालय ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए हैं. गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को इस बाबत पत्र लिखा. गृह मंत्रालय ने राजीव कुमार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा है. राजीव कुमार के कुछ अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ ममता बनर्जी के धरने पर बैठने को नियमों का उल्लंघन बताया गया है.

पश्चिम बंगाल (West Bengal) में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Benarjee) ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (BJP) को झटका देने की योजना बना ली है। खबर है कि बंगाल (Bengal) के पुरुलिया जिले में भाजपा की रैली को अभी तक प्रशासन ने इजाजत नहीं दी है। इस रैली को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) संबोधित करेंगे। 
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बंगाल में भाजपा की जगह जगह हो रही रैली को लेकर एक के बाद एक विवाद सामने आ रहा है। जहां सीएम योगी की पुरुलिया जिले की रैली पर संकट है तो वहीं दूसरी तरफ शहनवाज हुसैन की मुर्शिदाबाद और शिवराज सिंह चौहान की बेहरामपुर में रैली को भी इजाजत नहीं मिली है। इससे पहले बंगाल सरकार ने योगी आदित्यनाथ के प्लेन को लैंडिंग के लिए भी इजाजत नहीं दी थी। जिसके बाद भाजपा ने प्लान बनाया कि सड़क के रास्ते रैली स्थल तक पहुंचा जाएगा।  इसके लिए सबसे पहले योगी आदित्यनाथ पहले रांची के बोकारो पहुंचे और वहां से फिर वो सड़क के रास्ते पुरुलिया जिले में होने वाली रैली के लिए रवाना हो चुके हैं। वहीं भाजपा ने कहा है कि रैली वहीं होगी जहां के लिए प्रस्तावित हुई है। 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीबीआई के खिलाफ अपना धरना खत्म कर दिया है। बनर्जी पोंजी घोटाला मामले में नगर पुलिस प्रमुख से पूछताछ की सीबीआई की कोशिश के खिलाफ धरना दे रही थीं। धरने को तीसरे दिन खत्म करते हुए बनर्जी ने कहा कि वह ऐसा विपक्षी की अहम पार्टियों के नेताओं के साथ सलाह-मशविरे और ‘अदालत से अनुकूल आदेश’ आने के बाद कर रही हैं।

वह रविवार रात से एस्प्लेनेड इलाके के मेट्रो चैनल में धरने पर बैठी थीं। यह वही स्थान पर है जहां उन्होंने 2006 में सिंगुर में टाटा मोटर्स के लिए किसानों की भूमि अधिग्रहण के खिलाफ 26 दिन का अनशन किया था। तेदेपा के चंद्रबाबू नायडू, द्रमुक की कनिमोझी और राजद के तेजस्वी यादव जैसे विपक्षी नेताओं ने धरना स्थल का दौरा किया था।

 सुप्रीम कोर्ट ने आज दिन में कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को निर्देश दिया कि वह सीबीआई के समक्ष पेश हों और शारदा चिट फंड घोटाले से संबंधित मामलों की जांच में सहयोग दें। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।

बिना इजाजत पुरुलिया में योगी आदित्यनाथ ने की रैली, मंच से लगाया नारा- ‘गर्व से कहो हम हिंदू हैं’

पश्चिम  बंगाल के पुरुलिया जिले में प्रस्तावित सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की रैली (CM Yogi Adityanath in Bengal) को बंगाल सरकार ने इजाजत नहीं दी है. बताया जा रहा है कि रैली के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ रवाना हो चुके हैं और बीजेपी का कहना है कि रैली होकर रहेगी. वहीं, सूत्रों की मानें तो कागजी कार्रवाई पूरी न होने की वजह से ममता सरकार ने सीएम योगी की रैली को मंजूरी नहीं दी है. इतना ही नहीं, बंगाल सरकार ने बीजेपी नेत शहनवाज हुसैन की मुर्शिदाबाद रैली को भी मंजूरी नहीं दी है. बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ पुरुलिया में रैली को संबोधित करने के लिए झारखंड के बोकारो से रैली स्थल पर सड़क मार्ग से जाएंगे. इधर, भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि रैली उसी जगह पर होगी. क्योंकि सीएम योगी आदित्यनाथ रैली के लिए रवाना हो चुके हैं. इससे पहले बंगाल में सीएम योगी के हेलीकॉप्टर की लैंडिंग की अनुमति नहीं मिलने की सूरत में बीजेपी ने नया प्लान बनाया था. बीजेपी की नई योजना के तहत पुरुलिया में रैली को संबोधित करने के लिए सीएम योगी पहले विमान से रांची गए, वहां से हेलीकॉप्टर से बोकारो और फिर सड़क के रास्ते पुरुलिया पहुंचने वाले हैं. हालांकि, अब यह तय है कि रैली को लेकर बीजेपी का स्टैंड क्लियर है कि वह रैली करके ही रहेेगी. 

जिस जिन भाजपा की सरकार बंगाल में आएगी, उस दिन टीएमसी के गुंडों के गले में तख्ती लटका दी जाएगी. भाजपा शासित राज्यों में गुंडे अपनी जान की भीख मांग रहे हैं.   –
योगी आदित्यनाथ

गलत खबर चलाने पर वेबसाइट संचालक गिरफ्तार

लोकसभा चुनाव 2019 का फर्जी शेड्यूल बेवसाइड के पब्लिश करने के आरोप में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम ने गोमंत कुमार को गिरफ्तार किया है।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम ने वेबसाइट ‘माइटेकबुज’ (mytechbuzz) को संचालन करने वाले गोमंत कुमार को झारखंड स्थित उसके आवास से गिरफ्तार किया है।

mytechbuzz वेबसाइट को संचालन करने वाले गोमंत कुमार पर आगमी लोकसभा चुनाव के फर्जी शेड्यूल को पब्लिश करने का आरोप है। लेकिन पूछताछ के दौरान उसने खुलासा किया कि उसे यह शेड्यूल एक व्हाट्सएप ग्रुप से मिला था। हालांकि बाद में गोमंत कुमार को जमानत पर रिहा कर दिया गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गोमंत कुमार ने वेबसाइट पर लोक सभा चुनाव संबंधित तिथि की क्रमवार लिस्ट है। इस लिस्ट में देश के अलग-अलग राज्यों में होने वाले चुनावों का जिक्र किया गया है।  जब 2019 का फर्जी शेड्यूल बेवसाइड पर पब्लिस हुए तो यह मामला दिल्ली पुलिस के पास पहुंचा। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की थी।

जानकारी के अनुसार झाखंड के रहने वाले गोमंत कुमार लोकसभा चुनाव 2019 का फेक शेड्यूल सोशल मीडिया और अपने वेबसाइट पर प्रसारित किया था. दिल्‍ली पुलिस के साइबर सेल को जब यह जानकारी मिली तो उक्‍त युवक के घर जांच के लिए टीम पहुंच गयी. बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया और पूछताछ की गयी. हालांकि बाद में उसे बेल पर छोड़ दिया गया.
न्‍यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार गोमंत कुमार  ‘mytechbuzz’ नाम का एक वेबसाइट संचालित करता है. जिसमें कथित रूप से उसने लोकसभा चुनाव 2019 का पूरा फेक शेड्यूल जारी कर दिया था. बताया जा रहा है कि गोमंत कुमार मूल रूप से साहेबगंज का रहने वाला है, जो की फिलहाल चुटिया में रहकर अपना वेबसाइट संचालित कर रहा था.

केंद्र सरकार द्वारा किसानों को पेंशन देने की घोषणा को जुमला बताया

भिवानी: केंद्र सरकार द्वारा किसानों को पेंशन देने की घोषणा को जुमला बताते हुए किसानों ने प्रधानमंत्री को 17 रुपये के चेक भेजकर विरोध जताते हुए पेंशन राशि को नाकाफी बताया.

किसान कांग्रेस के नेशनल ज्वाइंट कॉर्डिनेटर राजू मान की अगुवाई में किसानों ने कहा कि पहले सरकार उनके कर्जे माफ करे और बर्बाद फसलों का मुआवजा दे, फिर पेंशन योजना को बढ़ाकर किसानों को दें. ऐसा नहीं होने पर किसान कांग्रेस आगामी दिनों में किसानों को साथ लेकर बड़ा आंदोलन शुरू करेगी.

राजू मान ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा अंतरिम बजट में किसानों को छह हजार रूपये वार्षिक भत्ता देना सिर्फ जुमला है जो आगामी चुनावों को देखते हुए किसानों के साथ धोखा किया जा रहा है. किसान को एक दिन में 17 रुपये देकर सरकार ने किसानों के घावों पर मरहम लगाने की जगह नमक छिडकऩे का काम किया है.

राजू मान ने आगे कहा कि इतने पैसे में किसान का परिवार एक वक्त की चाय भी नहीं पी सकता. यही वजह है आज यहां किसान 17-17 रुपये के चेक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देने आए हैं. किसानों ने कहा कि प्रधानमंत्री को नींद से जगाने के लिए उनको ये चेक भेज रहे हैं. उन्होंने कहा कि बर्बाद फसलों का मुआवजा मिलने व उनका कर्जा माफ होने तक किसानों का संघर्ष लगातार जारी रहेगा.

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