ब्राह्मणों को लेकर सियासी गहमागहमी & आपके पास शक्ति है तो गलत इस्तेमाल न हो,क्यो? & Top News 1 Sep. 20
1 Sep. 20: Himalayauk Newsportal Bureau# High Light# इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कफील खान को तुरंत रिहा किया जाए #उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को लेकर सियासी गहमागहमी # सितंबर — आपकी जेब से जुड़ी कई चीजें महंगी # उत्तर प्रदेश –अब सिर्फ रविवार को पूर्ण रूप से लॉकडाउन रहेगा # बिहार में एक दल अपने बलबूते पर चुनाव जीतकर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं — उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी # IGNOU Admissions 2020: अंतिम तिथि को एक बार फिर आगे बढ़ा दिया # पितृ पक्ष का समापन 17 सितंबर को होगा # मलेशिया — भारतीयों के प्रवेश पर रोक # केंद्रीय चुनाव आयोग — राजीव कुमार को नया सदस्य नियुक्त किया गया # चारू सिन्हा – Inspector General CRPF कश्मीर ##
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया डॉ कफील खान की तुरंत रिहाई का आदेश
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कफील खान का भाषण सरकार की नीतियों का विरोध था. उनका बयान नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने वाला नहीं बल्कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता का संदेश देने वाला था. इस निष्कर्ष पर पहुंचते हुए कोर्ट ने कहा कि कफील खान को तुरंत रिहा किया जाए.
कफील खान की रिहाई होने वाले दिन ही अलीगढ़ पुलिस की तरफ से कफील खान पर NSA लगा दिया गया. पुलिस ने कहा कि गोरखपुर जिले के राजघाट का रहने वाला डॉक्टर कफील आपराधिक और सांप्रदायिक प्रकृति का व्यक्ति है. कफील खान ने सीएए और एनआरसी के मसले पर मुस्लिम समुदाय को भड़का कर सौहार्द बिगाड़ने का काम किया है. कफील खान की गतिविधियों से डर और आतंक का माहौल है. इसके द्वारा जो कृत्य किए गए हैं वो पब्लिक ऑर्डर को खतरा पैदा करते हैं. डीआईजी अलीगढ़ ने इसकी सूचनी मजिस्ट्रेट को दी और कफील खान की रिहाई पर रोक लगाने की मांग की. 13 फरवरी को ही अलीगढ़ मजिस्ट्रेट ने कफील खान की न्यायिक हिरासत को जारी रखने का आदेश पारित कर दिया. इस तरह कफील खान जेल से बाहर नहीं आ पाए.
डॉक्टर कफील खान. एक ऐसा डॉक्टर, जो गोरखपुर में ऑक्सीजन सप्लाई की कमी के चलते छोटे बच्चों की मौत की घटना के बाद चर्चा में आया. एक ऐसा डॉक्टर, जो अलीगढ़ में बड़े बच्चों के बीच भड़काऊ भाषण देने के आरोप में जेल गया. एक ऐसा डॉक्टर, जिसके ऊपर जेल से छूटने के दिन ही NSA जैसा दूसरा संगीन इल्जाम लगा और बाहर नहीं आ पाया. इस डॉक्टर पर मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश दिया और कहा कि NSA लगाना गैर-कानूनी है, लिहाजा डॉक्टर कफील को तुरंत रिहा किया जाए.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1 SEP 20 मंगलवार को मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ‘NSA के तहत डॉक्टर कफील को हिरासत में लेना और हिरासत की अवधि को बढ़ाना गैरकानूनी है. कफील खान को तुरंत रिहा किया जाए.’
एमडी की डिग्री लेने के बाद डॉक्टर कफील खान की नियुक्ति अगस्त 2016 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई. मेडिकल कॉलेज के हास्पिटल में 10-11 अगस्त की रात अचानक ऑक्सीजन सप्लाई की कमी आ गई. बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो गई. हादसे के बाद बीआरडी के कई डॉक्टरों के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज किया गया, जिसमें डॉक्टर कफील खान का नाम भी था. कफील खान को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. सस्पेंड कर दिया गया. अप्रैल 2018 में कफील खान को बेल मिल गई.
दिसंबर 2019 में केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून पारित किया. इस कानून का देश के कई इलाकों में विरोध किया गया. कानून को धर्म के आधार पर पक्षपात करने वाला बताया गया. खासकर, मुस्लिम समुदाय के लोग इस कानून के खिलाफ सड़कों पर उतर आए. दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी से लेकर शाहीनबाग और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी तक छात्र-छात्राएं, महिलाएं सड़कों पर उतर आए और कानून वापसी की मांग करने लगे.
12 दिसंबर को एक तरफ राष्ट्रपति ने सीएए को मंजूरी दी और दूसरी तरफ इसी दिन AMU में प्रदर्शन कर रहे छात्रों को योगेंद्र यादव और डॉक्टर कफील खान ने संबोधित किया. अगले ही दिन कफील खान के खिलाफ अलीगढ़ के सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 153-ए के तहत केस दर्ज कर लिया गया. इसके बाद कुछ और धाराएं भी जोड़ दी गईं. कफील खान पर अपने भाषण से नफरत फैलाने, बांटने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने जैसे आरोप लगे. 29 जनवरी 2020 को डॉक्टर कफील खान की गिरफ्तारी मुंबई से हुई. यूपी लाकर कफील खान को मथुरा की जेल में रखा गया.
10 फरवरी को अलीगढ़ के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने कफील खान को 60 हजार की जमानत राशि के साथ बेल दे दी. बेल ऑर्डर के हिसाब से कफील खान को 13 फरवरी की सुबह 11 बजे मजिस्ट्रेट के सामने पेश होना था. लेकिन न ही कफील खान को रिहा किया गया और न ही मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया.
कफील खान की रिहाई होने वाले दिन ही अलीगढ़ पुलिस की तरफ से कफील खान पर NSA लगा दिया गया. पुलिस ने कहा कि गोरखपुर जिले के राजघाट का रहने वाला डॉक्टर कफील आपराधिक और सांप्रदायिक प्रकृति का व्यक्ति है. कफील खान ने सीएए और एनआरसी के मसले पर मुस्लिम समुदाय को भड़का कर सौहार्द बिगाड़ने का काम किया है. कफील खान की गतिविधियों से डर और आतंक का माहौल है. इसके द्वारा जो कृत्य किए गए हैं वो पब्लिक ऑर्डर को खतरा पैदा करते हैं. डीआईजी अलीगढ़ ने इसकी सूचनी मजिस्ट्रेट को दी और कफील खान की रिहाई पर रोक लगाने की मांग की. 13 फरवरी को ही अलीगढ़ मजिस्ट्रेट ने कफील खान की न्यायिक हिरासत को जारी रखने का आदेश पारित कर दिया. इस तरह कफील खान जेल से बाहर नहीं आ पाए.
अलीगढ़ के मजिस्ट्रेट ने कफील खान की कस्टडी बढ़ाने वाले अपने आदेश में कफील खान के भाषण के कुछ हिस्सों का जिक्र किया और उन्हें आधार मानते हुए अपना आदेश दिया. कोर्ट ने बताया कि 12 दिसंबर 2019 को शाम करीब 6.30 बजे AMU के बाब-ए सैयद गेट पर कफील खान ने यूनिवर्सिटी के करीब 600 छात्रों को संबोधित किया, भाषण में धार्मिक भावनाएं भड़काने की कोशिश की. भाषण में कहा गया कि सीएए के जरिए मोटा भाई सिखाते हैं कि हम हिंदू बनेंगे या मुस्लिम बनेंगे, एनआरसी लागू होने के बाद हम दोयम दर्ज के नागरिक हो जाएंगे, आपको ये कहकर परेशान किया जाएगा कि आपके पिता के दस्तावेज सही नहीं हैं. ये अस्तित्व की लड़ाई है और हम इसे लड़ेंगे.
अलीगढ़ के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि ऐसे बयानों के जरिए आपने (कफील खान) मुस्लिम छात्रों के दिमाग में हिंदू, सिख, ईसाई और पारसी समुदाय के खिलाफ दुश्मनी का भाव पैदा करने की कोशिश की. मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी और वीडियो रिकॉर्डिंग से ये साबित होता है कि उस दिन आपने लॉ एंड ऑर्डर बिगाड़ने की कोशिश की. इसका नतीजा ये हुआ कि 13 दिसंबर 2019 को AMU के करीब 10 हजार छात्रों ने अलीगढ़ शहर की तरफ मार्च किया. पुलिस ने इन्हें बहुत कोशिशों से रोका, अगर ऐसा नहीं होता तो कानून व्यवस्था बिगड़ जाती. इसके बाद 15 दिसंबर को रात करीब 8.30 बजे छात्रों ने बैरिकेड तोड़कर अलीगढ़ शहर में जाने की कोशिश की, जब उन्हें रोका गया तो पुलिस को टारगेट किया गया, पत्थरबाजी की गई, फायरिंग की गई. जिससे शहर में अफरा-तफरी मच गई और डर का माहौल पैदा हो गया.
अगर आपके पास NSA की शक्ति है तो उसका गलत इस्तेमाल मत करिए.’
उनकी पत्नी शबिस्ता खान (Shabista Khan) ने कहा कि उनकी जिंदगी से सात महीने छीन लिए गए, जिसे अब कोई वापस नहीं लौटा सकता है. बिस्ता खान ने कहा, ‘एक निर्दोष व्यक्ति, जिसने कुछ नहीं किया है, उसपर NSA लगाकर उसे जेल में बंद कर दिया गया और सात महीनों तक उसे प्रताड़ित किया गया. वो सात महीने कोई वापस नहीं ला सकता है. हम तो जब सोचते हैं कि ये सात महीने कैसे गुजरे हैं तो हमारी रूह कांप जाती है. अगर आपके पास NSA का पावर है तो उसे मिसयूज़ मत करिए. अगर कोई दंगा कर रहा है. कुछ गलत कर रहा है तो जरूर उसे जेल में डाल दीजिए, उसपर NSA लगा दीजिए. लेकिन जिसने कुछ किया ही नहीं है, उसपर NSA लगा दिया गया और जेल में डाल दिया गया. प्लीज़ यही अपील है कि अगर आपके पास NSA की शक्ति है तो उसका गलत इस्तेमाल मत करिए.’
हालांकि, कफील खान के पक्ष में बोलने वाले लोग लगातार कहते रहे हैं कि उनके भाषण में ऐसा कुछ नहीं था जो कानून व्यवस्था के लिए चुनौती हो. यहां कि कफील खान के उस वक्त मौजूद योगेंद्र यादव ने भी सार्वजनिक मंचों से कहा कि वो भाषण भड़काऊ नहीं था, बल्कि एक कानून के खिलाफ आवाज उठाई जा रही थी. इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश में भी अलीगढ़ मजिस्ट्रेट के आधार को सेलेक्टिव बयानों की बुनियाद पर लिया गया फैसला बताया गया
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 1 सितंबर को दिए गए अपने आदेश में कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं. कोर्ट ने कहा, एडिशनल एडवोकेट जनरल की तरफ से बताया गया है कि कफील खान जेल में रहते हुए भी AMU के छात्रों के संपर्क में हैं और अलीगढ़ का मौहाल खराब करने की कोशिश की जा रही है. कोर्ट ने कहा कि ये आरोप किसी तरह से साबित नहीं किया गया है इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है. आदेश में कहा गया कि जेल में कोई डिवाइस नहीं रहती है जिससे किसी से संपर्क किया जाए और जेल में किसी मिलने वाले के जरिए संदेश पहुंचाने की बात भी रिकॉर्ड में नहीं है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, ”इसमें कोई शक नहीं है कि कस्टडी बढ़ाने के लिए भाषण के जिन वाक्यों का इस्तेमाल किया गया है वो स्पीच का हिस्सा हैं, लेकिन उनका संदर्भ अलग है. वक्ता (कफील खान) निश्चित रूप से सरकार की नीतियों का विरोध कर रहा था और ऐसे करते वक्त उसकी तरफ से कुछ उदाहरण जरूर दिए गए, लेकिन वो ऐसे नहीं कि कस्टडी में रखना पड़े.”
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में सबसे महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा, ”पूरा भाषण पढ़ने से पृथम दृष्टया कहीं जाहिर नहीं होता कि नफरत या हिंसा को बढ़ाने का प्रयास किया गया है. साथ ही इससे अलीगढ़ शहर की शांति को भी कोई चुनौती नहीं दिखाई देती है. भाषण राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ावा देने वाला है. ऐसा लगता है कि डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने भाषण का कुछ हिस्सा पढ़ा और भाषण के असल मकसद को दरकिनार कर कुछ हिस्से वहां से ले लिए.
कोर्ट ने आदेश में कहा, ”13 फरवरी, 2020 को अलीगढ़ डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया आदेश, जो कि यूपी सरकार द्वारा भी कंफर्म किया गया था, रद्द किया जाता है. डॉक्टर कफील को जेल में रखना गैर-कानूनी करार दिया जाता है. उन्हें तुरंत रिहा किया जाए.”
इस तरह सात महीने बाद डॉक्टर कफील खान को जमानत मिल गई है और उनके बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है.
उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को लेकर सियासी गहमागहमी —
उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को लेकर सियासी गहमागहमी बढ़ती जा रही है. विपक्षी दलों समेत तमाम विरोधी खेमे राज्य की मौजूदा सरकार पर ब्राह्मण विरोधी होने के आरोप लगा रहे हैं, साथ ही ब्राह्मणों के पक्ष में आवाज उठा रहे हैं. इसी कड़ी में मंगलवार को कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिंडल ने शामली जाकर पीड़ित ब्राह्मण परिवार से मिलने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें गाजियाबाद में ही रोक लिया गया.
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपने ट्वीट में लिखा है, ”ब्राह्मणों के ‘पीड़ित’ परिवार से मिलने मैं ‘शामली’ जा रहा हूं लेकिन गाजियाबाद की पुलिस मुझे वहां जाने से रोक रही है, ये सरकार की ‘तानाशाही’ नहीं तो और क्या है, योगी जी कुछ तो ‘शर्म’ करो आप भी एक ‘संत’ हो, इतने ‘निष्ठुर’ कैसे हो गये.”
दरअसल, पश्चिमी यूपी के शामली में 24 अगस्त को बच्चों के खेल में दो पक्षों के बीच विवाद हो गया था. विवाद इतना बढ़ा कि फायरिंग तक बात पहुंच गई. इस फायरिंग में दो लड़कियों समेत एक ही परिवार के चार लोगों को गोलियां लगीं. फायरिंग में घायल संजय शर्मा व उसके परिवार की तरफ से मुकदमा दर्ज कराया गया. इसके बाद आरोपियों की गिरफ्तारियां भी हुईं. लेकिन बाद में गोलियों से घायल हुए परिवार के खिलाफ केस दर्ज किया गया. इसके विरोध में संजय शर्मा के परिवार ने पलायन करने के पोस्टर लगा दिए.
पलायन के पोस्टर लगने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया. कांग्रेस भी इसमें कूद पड़ी. 31 अगस्त को यूपी कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि शामली के हसनपुर गांव में हालात का जायजा लेने के लिए कांग्रेस के डेलीगेशन का गठन किया गया है. इसमें आचार्य प्रमोद कृष्णम, पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक, प्रदीप माथुर, पूर्व मंत्री सतीश शर्मा, महासचिव योगेश दीक्षित और बदरुद्दीन कुरैशी शामिल हैं. 1 सितंबर को घटनास्थल पर जाकर पीड़ित परिवार से मिलने और पुलिस से जानकारी लेकर रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेजने के लिए कहा गया था. इसी आदेश पर आज आचार्य प्रमोद कृष्णम के नेतृत्व डेलिगेशन शामली जा रहा था, लेकिन उन्हें रास्ते में ही रोक लिया गया.
सितंबर — आपकी जेब से जुड़ी कई चीजें महंगी
नए महीने यानी सितंबर की शुरुआत हो चुकी है. इस नए महीने में आपकी जेब से जुड़ी कई चीजें महंगी हो रही हैं. वहीं, कुछ चीजों पर राहत भी मिलने वाली है. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने लोन के लिए रेपो से जुड़ी ब्याज दर (आरएलएलआर) को 0.15 प्रतिशत बढ़ा दिया है. अब ये दर 6.80 प्रतिशत है. नयी दरें एक सितंबर से लागू हो गई हैं. आपको बता दें कि आवास, शिक्षा, वाहन, सूक्ष्म और लघु उद्योगों को दिए जाने वाले सभी नए लोन आरएलएलआर से जुड़े हैं.
इस नए महीने में विमान सेवाएं महंगी होंगी. दरअसल, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 1 सितंबर से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों से उच्च विमानन सुरक्षा शुल्क (एएसएफ) वसूलने का फैसला किया है. आपको यहां बता दें कि एएसएफ शुल्क के तौर पर घरेलू यात्रियों से अब तक 150 रुपये लिए जाते रहे हैं लेकिन अब 160 रुपये वसूला जाएगा.
अगस्त के बाद सितंबर महीने में भी एलपीजी रसोई गैस सिलेंडर के दाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है. दिल्ली में 14.2 किलोग्राम वाले गैर-सब्सिडाइज्ड एलपीजी सिलेंडर के दाम दिल्ली में 594 रुपये पर स्थिर हैं. अन्य शहरों में भी घरेलू रसोई गैस सिलेंडर के दाम भी स्थिर हैं.
सरकार ने कंपोजीशन योजना के तहत आने वाले डीलरों के लिये वित्त वर्ष 2019-20 की जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा को फिर बढ़ा दिया है. इसे दो माह आगे बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2020 तक कर दिया गया है. पिछले कुछ माह में यह दूसरी बार समयसीमा को बढ़ाया गया है. इससे पहले रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 15 जुलाई थी जिसे बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया था. आपको बता दें कि जीएसटी के तहत कोई भी करदाता, जिसका सालाना कारोबार डेढ करोड़ रुपये तक है, कंपाजीशन योजना को अपना सकता है.
कैब सेवा देने वाली ओला और उबर के चालक दिल्ली-एनसीआर में हड़ताल पर रहेंगे. उनकी मांग है कि कोविड-19 के मद्देनजर कर्ज की किस्त भुगतान पर लगाई गई रोक को बढ़ाया जाए और भाड़े में इजाफा किया जाए. हड़ताल से बड़ी संख्या में लोगों को दिक्कत हो सकती है, क्योंकि मेट्रो सेवा पहले से ही बंद है और सरकारी बसें सामाजिक दूरी के नियम के मद्देनजर कम क्षमता में चल रही हैं.
उत्तर प्रदेश –अब सिर्फ रविवार को पूर्ण रूप से लॉकडाउन रहेगा
लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार ने वीकेंड लॉकडाउन को खत्म कर दिया है. अब सिर्फ रविवार को पूर्ण रूप से लॉकडाउन रहेगा. मंगलवार को राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया कि बाजार अब सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक खोला जाए. शनिवार को भी दुकानें खुलेंगी. नये निर्देश के तहत शनिवार रात 12 बजे से रविवार रात 12 बजे तक पूरी तरह से बंदी रहेगी. इस बात की जानकारी प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने दी.
योगी सरकार ने सप्ताह के दो दिन शनिवार, इतवार को लॉकडाउन का एलान किया था. हालांकि राज्य में संक्रमण के नये मामले तेजी से आ रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ कोरोना से निपटने के लिये सरकार लगातार सख्ती बरत रही है. मास्क न लगाने वालों पर जुर्माना लगाया जा रहा है.
रविवार को योगी सरकार ने अनलॉक-4 की गाइडलाइंस जारी की थी. इसके तहत कंटेनमेंट जोन के बाहर डीएम स्थानीय स्तर पर कोई लॉकडाउन नहीं करेंगे. राज्य के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने सभी मंडलों और जिलों के प्रशासन-पुलिस के अफसरों को इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश भेजे थे. इसमें कहा गया है कि कंटेनमेंट जोन में लॉकडाउन 30 सितंबर तक जारी रहेगा. इस दौरान सिनेमा हॉल, स्विमिंग पूल और थिएटर भी बंद रहेंगे. अंतिम संस्कार में 20 और शादी में 30 लोगों तक ही भागीदारी की व्यवस्था 20 सितंबर तक जारी रहेगी. 21 सितंबर से शुरू होने वाली सेवाओं के लिए प्रोटाकॉल अलग से जारी होंगे.
इसके अलावा अनलॉक-4 के दिशा-निर्देश के तहत राज्य के अंदर या बाहर लोगों के आने-जाने के अलावा मालवाहक सेवाओं पर भी किसी तरह की रोक नहीं रहेगी. इसके लिए अलग से किसी पास की जरूरत नहीं पड़ेगी. 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों, 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बीमारियों से ग्रसित लोगों को आपात परिस्थितियों को छोड़कर घर के भीतर ही रहने को कहा गया है.
बिहार में एक दल अपने बलबूते पर चुनाव जीतकर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं — उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी
पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कहना है कि बिहार में गठबंधन की राजनीति एक ‘वास्तविकता’ है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) इसके त्रिकोण हैं, और इनमें से किसी को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि वह अपने बूते चुनाव जीतकर सरकार बना सकता है.
बिहार बीजेपी के कद्दावर नेता मोदी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सामने आरजेडी के नेतृत्व वाला विपक्षी महागठबंधन दूर-दूर तक नहीं टिकता. उन्होंने कहा कि अगला विधानसभा चुनाव एनडीए के सभी घटक दल मिलकर लड़ेंगे और सफलता हासिल करेंगे.
सुशील कुमार मोदी ने कहा, ”बीजेपी जदयू और राजद बिहार की राजनीति के त्रिकोण हैं और गठबंधन एक वास्तविकता है. इसे लेकर किसी को कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए. आज कोई भी एक दल अपने बलबूते पर चुनाव जीतकर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है.” मोदी ने कहा कि 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी अलग चुनाव लड़कर देख चुकी है, जबकि 2014 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू लोकसभा का अलग चुनाव लड़कर देख चुका है.
IGNOU Admissions 2020: अंतिम तिथि को एक बार फिर आगे बढ़ा दिया
IGNOU Admissions 2020: इंद्रा गांधी नेशनल ओपेन यूनिवर्सिटी के विभिन्न कोर्सेस के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि को एक बार फिर आगे बढ़ा दिया है. अब कैंडिडेट 15 सितंबर 2020तक आवेदन कर सकते हैं. यही नहीं इस समय सीमा के भीतर फ्रेश रजिस्ट्रेशन भी हो सकते हैं और री-रजिस्ट्रेशन भी. ऐसा कई बार हुआ है जब आवेदन करने की अंतिम तारीख को आगे बढ़ाया गया है. सबसे पहले आवेदन करने का अंतिम दिन 31 जुलाई था उसके बाद हुआ 16 अगस्त 2020. जिसे बदलकर 31 अगस्त किया गया और अब 31 अगस्त को भी बदल दिया गया है और अंततः आवेदन करने की अंतिम तारीख सितंबर महीने की 15 तारीख कर दी गई है. यह सुविधा कोरोना महामारी के कारण दी जा रही है. आवेदन आरंभ की बात करें तो ये शुरू हुए थे 06 जून 2020 को. यहां यह भी बताना जरूरी हो जाता है कि इंद्रा गांधी नेशनल ओपेन यूनिवर्सिटी के विभिन्न कोर्सेस के लिए आवेदन केवल ऑनलाइन ही हो सकता है. इसके लिए स्टूडेंट्स को इस वेबसाइट पर जाना होगा – ignou.ac.in.
कैंडिडेट इग्नू के विभिन्न कोर्सेस में आवेदन कर सकते हैं जैसे बैचलर प्रोग्राम्स, पोस्टग्रेजुएट डिग्री एवं डिप्लोमा प्रोग्राम, पीजी सर्टिफिकेट, आदि. नीचे दिए स्टेप्स को फॉलो करके अप्लाई किया जा सकता है. विस्तार से जानकारी के लिए वेबसाइट देखें.
- इग्नू के विभिन्न कोर्सेस में आवेदन करने के लिए सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट यानी ignou.ac.in पर जाएं.
- यहां होमपेज पर एक लिंक दिया होगा जिस पर लिखा होगा registration link, इस पर क्लिक करें.
- इतना करते ही एक नया पेज खुल जाएगा जिस पर आपके सभी डिटेल्स आपसे मांगे जाएंगे. इस पेज को बहुत सावधानी से ठीक से भरें ताकि कोई गलती न हो जाए.
- अब एकाउंट में लॉगइन करें और जरूरी जानकारियां भरने के बाद रजिस्ट्रेशन फीस जमा कर दें.
- अब सबमिट का बटन दबा दें और पेज को डाउनलोड कर लें.
- इसकी एक हार्डकॉपी संभालकर अपने पास रख लें जो भविष्य में काम आ सकती है.
पितृ पक्ष का समापन 17 सितंबर को होगा
पितृ पक्ष में पूर्णिमा, प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्टी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या की तिथि को श्राद्ध किया जाता है. पितृ पक्ष पूर्णिमा की तिथि से आरंभ होता है. पंचांग के अनुसार इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 2 सितंबर तक है. पंचांग के अनुसार पूर्णिमा की तिथि 2 सितंबर प्रात: 10 बजकर 53 मिनट 42 सेकेंड तक रहेगी. मान्यता के अनुसार श्राद्ध कर्म दोपहर में किया जाना चाहिए.
पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष का समापन 17 सितंबर को होगा. इसके बाद 18 सितंबर से पुरुषोत्तम मास का आरंभ होगा. जो 16 अक्टूबर तक रहेगा. पुरुषोत्तम मास को ही अधिकमास कहा जाता है. इसके मलमास भी कहा जाता है.
पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म की तिथियां — 1 सितंबर 2020: पूर्णिमा- पहला श्राद्ध
2 सितंबर: पूर्णिमा- दूसरा श्राद्ध 3 सितंबर: प्रतिपदा- तीसरा श्राद्ध
4 सितंबर: द्वितीया- चौथा श्राद्ध 5 सितंबर: तृतीया (महाभरणी)- पांचवा श्राद्ध
6 सितंबर: चतुर्थी- छठा श्राद्ध 7 सितंबर: पंचमी- सांतवा श्राद्ध
8 सितंबर: षष्ठी- आंठवा श्राद्ध 9 सितंबर: सप्तमी- नवां श्राद्ध
10 सितंबर: अष्टमी- दसवां श्राद्ध 11 सितंबर: नवमी- ग्यारहवां श्राद्ध
12 सितंबर: दशमी- बारहवां श्राद्ध 13 सितंबर: एकादशी- तेरहवां श्राद्ध
14 सितंबर: द्वादशी- चौदहवां श्राद्ध 15 सितंबर: त्रयोदशी- पंद्रहवां श्राद्ध
16 सितंबर: चतुर्दशी- सौलवां श्राद्ध 17 सितंबर: (सर्वपितृ अमावस्या)- सत्रहवां श्राद्ध
मलेशिया — भारतीयों के प्रवेश पर रोक
नई दिल्ली:भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के मामलों में तेजी से हो रही बढ़ोतरी ने चिंता बढ़ा दी है. महामारी की मार झेल रहे भारतीयों के लिए अब मलेशिया से बुरी खबर आई है. दरअसल, यहां की सरकार ने देश में भारतीयों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. ये प्रतिबंध इंडोनेशिया और फिलीपींस के नागरिकों पर भी लागू होगा.
बता दें कि मलेशियाई सरकार के इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित लंबी अवधि वाले पासधारक, छात्र और प्रवासी नागरिक होने वाले हैं. साथ ही स्थायी निवासी भी सरकार के इस फैसले से प्रभावित होंगे. ये प्रतिबंध कब तक जारी रहेगा इसके बारे में अभी कोई जानकारी सामने नहीं आई है. मार्च से ही मलेशिया ने सभी विदेशी पर्यटकों के देश में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा है. मलेशिया के प्रधानमंत्री मोहिउद्दीन यासीन ने बीते शुक्रवार को एक भाषण में कहा था कि कोरोना महामारी सक्रिय रूप से दुनियाभर में तेजी से फैल रही है. इसपर अंकुश लगाने के लिए किए गए उपायों को वर्ष के अंत तक बढ़ा दिया गया है
गौरतलब है कि बीते 24 घंटों में देश में 69,921 नए कोरोना संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई है, जबकि 819 लोगों की मौत हो गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में कुल कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा अब 36 लाख के पार पहुंच गया है. अब तक 36,91,167 मरीजों में कोरोना की पुष्टि हुई है. जबकि अब तक कुल 65,288 लोगों की मौत भी हो गई है. हालांकि राहत की बात रही है कि अबतक 28,39,833 लोग इलाज के बाद ठीक हो गए हैं.
केंद्रीय चुनाव आयोग — राजीव कुमार को नया सदस्य नियुक्त किया गया
नई दिल्ली: केंद्रीय चुनाव आयोग से अशोक लवासा के इस्तीफे के बाद राजीव कुमार को नया सदस्य नियुक्त किया गया है. राजीव कुमार देश के पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव रहे हैं. उनकी नियुक्ति के साथ ही तीन सदस्यीय चुनाव आयोग का कोरम पूरा हो गया है.
बता दें कि अशोक लवासा ने 18 अगस्त को चुनाव आयोग की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. केंद्र सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 31 से उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया.
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने राजीव कुमार की नियुक्ति की आधिकारिक अधिसूचना जारी की. जिसके बाद 1984 बैच के झारखंड कैडर के रिटायर्ड IAS ऑफिसर राजीव कुमार ने मंगलवार को आयोग में पहुंचकर कार्यभार ग्रहण कर लिया.
राजीव कुमार के पास 30 वर्षों से ज्यादा प्रशासनिक सेवा का अनुभव है. उन्होंने अपने गृह राज्य झारखंड में प्रशासनिक पोस्टिंग सहित कई बड़े प्रभार संभाले. राजीव कुमार ने केंद्र सरकार के कई मंत्रालयों में भी काम किया. उन्हें 19 मार्च, 2012 से 12 मार्च, 2015 तक वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग में संयुक्त सचिव के रूप में तैनात किया गया था. बाद में उन्हें अतिरिक्त सचिव का भी प्रभार दिया गया. इसके बाद उन्हें कार्मिक लोक शिकायत विभाग और पेंशन मंत्रालय का प्रभार संभाला.
चारू सिन्हा – Inspector General CRPF कश्मीर
नई दिल्ली: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (Central Reserve Police Force -CRPF) के कश्मीर सेक्टर को पहली बार महिला पुलिस महानिरीक्षक (Inspector General-IG) मिली है. इस पद पर अब वरिष्ठ महिला आईपीएस अधिकारी चारू सिन्हा को तैनात किया गया है. जो जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के श्रीनगर सेक्टर का कार्यभार संभालेंगी. चारू सिन्हा 1996 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं. तेलंगाना काडर की चारू सिन्हा सीआरपीएफ (CRPF) के बिहार सेक्टर आईजी (Inspector General) रह चुकी हैं और उन्हें नक्सलियों से निपटने का भी अनुभव है. चारू सिन्हा अबतक जम्मू में सीआरपीएफ की आईजी थी.
श्रीनगर सेक्टर में सीआरपीएफ को शीर्ष पद पर कभी महिला अधिकारी की नियुक्ति नहीं हो पाई थी. कश्मीर सेक्टर में सीआरपीएफ आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन को अंजाम देती रही है. आईजी के तौर पर चारू सिन्हा भारतीय सेना और कश्मीर पुलिस के साथ भी सहयोग करेंगी.
सीआरपीएफ की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि श्रीनगर के ब्रेईन निशत में सीआरपीएफ की कश्मीर सेक्टर की तैनाती है. यहां पर सीआरपीएफ साल 2005 से तैनात है. जो जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के बडगाम, गंदरबल, श्रीनगर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में कार्रवाई को अंजाम देती है.’ कश्मीर सेक्टर में सीआरपीएफ के पास दो रेंज, 22 यूनिट और तीन महिला कंपनी है. चारू सिन्हा कश्मीर सेक्टर में सीआरपीएफ के सभी ऑपरेशन की अगुवाई करेंगी. इस बीच सीआरपीएफ के कश्मीर सेक्टर को 6 नए आईपीएस अधिकारी मिले हैं, वहीं चार वरिष्ठ काडर अधिकारी भी मिले हैं.
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