चमोली -भारतीय सेना का मूवमेंट & भारत में करीब 100 चीनी कंपनियां & Top News 18 June 20
18 JUNE 20# HIGH LIGHT# Himalayauk web & Print Media # चमोली – भारतीय सेना का मूवमेंट # भारत में करीब 100 चीनी कंपनियां # हजारों साल बाद ऐसा ग्रहण आया है # इस ग्रहण की वजह से बहुत देश-दुनिया में बहुत सारे परिवर्तन आएंगे # 200 साल पुराना प्राचीन शिव मंदिर मिला # मथुरा में हजारों वर्ष पुरानी प्राचीन परंपरा टूट जाएगी # हांगकांग और ताइवान के लोगों ने भारत के प्रति अपने समर्थन जाहिर किया # हांगकांग से लेकर ताइवान तक ये तस्वीर वायरल # इसे ‘फोटो ऑफ द डे’ कहा. :
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में एक साथ 5 नए कोरोना संक्रमित केस एक मरीज की मौत
चमोली – भारतीय सेना का मूवमेंट
चमोली: भारत-चीन तनाव के बीच बॉर्डर पर भारतीय सेना का मूवमेंट देखने को मिल रहा है. भारतीय सीमा बड़ाहोती, निति व माणा पास बॉर्डर पर सेना द्वारा हवाई रेकी के अलावा सेना का मूवमेंट भी देखने को मिल रहा है.
पिछले एक माह से मलारी बड़ाहोती क्षेत्र में भारी शंख्या में Itbp के साथ भारतीय सेना मुस्तैदी से डटी हुई है. गलवान वैली की घटना के बाद उत्तराखंड के चमोली मैं नीति पास व माना पास बॉर्डर एरिया में भी आर्मी सेना सक्रिय हो गई है. लगातार हवाई रेकी भी की जा रही है. साथ ही आर्मी के जवानों की चहल कदमी भी देखने को मिल रही है.
चमोली जिला प्रशासन ने जो सीमा से सटे क्षेत्र हैं, वहां पर 3 महीने की राशन भी उपलब्ध करा दी है. चमोली की डीएम स्वाति एस भदोरिया के अनुसार नीति पास, माना पास से सटी हुई क्षेत्रों में 3 महीने की राशन उपलब्ध करवा दी है. हालांकि डीएम का कहना है कि यह राशन मानसून व आपदा को देखते हुए उपलब्ध करवाया जा रहा है.
भारत में करीब 100 चीनी कंपनियां
भारत के कई सेक्टर में चीन की करीब 100 कंपनियां कारोबार कर रही हैं. चीनी कंपनियों के द्वारा भारत में करीब 1.98 लाख करोड़ रुपये का निवेश आने का अनुमान है. आइए भारत में चीनी कंपनियों के कारोबार पर एक नजर डालते हैं.
गौरतलब है कि भारत-चीन तनाव के बीच देश में चीन विरोधी माहौल चरम पर है. सोशल मीडिया पर तो जबरदस्त अभियान चल रहा है कि चीनी कंपनियों के माल का बहिष्कार किया जाए. आरएसएस से जुड़ा स्वदेशी जागरण मंच यह मांग कर चुका है कि चीनी कंपनियों को भारतीय प्रोजेक्ट्स के ठेके न दिए जाएं. लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि भारत और चीन के बीच कारोबारी रिश्ते बहुत मजबूत हैं. चीनी कंपनियां अगर भारत में कारोबार कर रही हैं तो भारतीय कंपनियां भी चीन में कारोबार कर रही हैं. हमारे कुल विदेशी व्यापार का करीब 10 फीसदी हिस्सा अकेले चीन से होता है. ब्रुकिंग्स इंडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन की कंपनियों द्वारा भारत में कुल निवेश (मौजूदा और नियोजित) करीब 1.98 लाख करोड़ रुपये का है. चीन की कंपनियों ने बड़े पैमाने पर भारतीय स्टार्टअप में निवेश कर रखा है.
हाल में भारत सरकार ने अपने एफडीआई नीति को सख्त बनाया है और सीमा से सटे देशों से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को गहराई से छानबीन के बाद इजाजत देने की बात कही है.
करीब 100 चीनी कंपनियों ने भारत में अपने दफ्तर या कारखाने स्थापित किए हैं. भारत में चीनी कंपनियां मुख्यत: इन्फ्रास्ट्रक्चर, इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी और हार्डवेयर, कंज्यूमर ड्यूरेबल आदि फील्ड में हैं. चीन की कई दिग्गज सरकारी कंपनियों को भारत में मशीनरी और इन्फ्रास्ट्रक्चर के फील्ड में प्रोजेक्ट हासिल हुए हैं. इन कंपनियों में साइनोस्टील, शाउगैंग इंटरनेशनल, बायोशान आयरन ऐंड स्टील लिमिटेड, सैनी हैवी इंडस्ट्री लिमिटेड, चोंगक्विंग लाइफन इंडस्ट्री लिमिटेड, चाइना दोंगफैंग इंटरनेशनल, साइनो हाइड्रो कॉरपोरेशन आदि शामिल हैं.
इसी तरह चीन की कई इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी और हार्डवेयर कंपनियां भारत में कारोबार कर रही हैं. इनमें हुवावे टेक्नोलॉजीज, जेटीई, टीसीएल, हायर आदि शामिल हैं. कई चीनी कंपनियां भारत के बिजली क्षेत्र के ईपीसी प्रोजक्ट में लगी हैं. इनमें शंघाई इलेक्ट्रिक, हार्बिन इलेक्ट्रिक, दोंगफैंग इलेक्ट्रिक, शेनयांग इलेक्ट्रिक आदि शामिल हैं.
हाल के वर्षों में देश के स्मार्टफोन बाजार में चीनी कंपनियों ने जबरदस्त सफलता हासिल की है. चीनी कंपनी शाओमी भारत में सबसे ज्यादा स्मार्टफोन बेचने वाली कंपनी है. इसके अलावा विवो, ओप्पो, रियल मी जैसे ब्रांड का भारतीय स्मार्टफोन बाजार पर कब्जा है. इन सभी कंपनियों की भारतीय बाजार में करीब 65 फीसदी हिस्सेदारी है.
हजारों साल बाद ऐसा ग्रहण आया है – इस ग्रहण की वजह से बहुत देश-दुनिया में बहुत सारे परिवर्तन आएंगे
21 जून को साल 2020 का सबसे लंबा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. इस ग्रहण की अवधि पांच घंटे अड़तालीस मिनट की है. हजारों साल बाद ऐसा ग्रहण आया है जिसमें राहु और केतु एक ही पंक्ति में हैं. राहु के साथ बुध और सूर्य है और राहु सूर्य को ग्रहण लगा रहा है. ये महा ग्रहण कालसर्प योग में लग रहा है. रविवार को लगने वाला ये ग्रहण सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर लगेगा और इसका सूतक 15 घंटे पहले 20 जून की रात 9 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगा.
ये सूर्य ग्रहण रविवार के दिन मृगशिरा नक्षत्र और राहु के आद्रा नक्षत्र में लग रहा है. इस नक्षत्र में पड़ने वाला ग्रहण बहुत खतरनाक माना जाता है. इस ग्रहण की वजह से बहुत देश-दुनिया में बहुत सारे परिवर्तन आएंगे. प्राकृतिक आपदा-विपदा आएगी साथ ही कई तरह की परेशानियां बढ़ेंगी. इस ग्रहण को चूड़ामणि का भी नाम दिया गया है जो एक डायमंड रिंग की तरह दिखाई देगा.
ये सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में राहु लगा रहा है और इसके साथ बुध भी है. इसके अलावा मंगल की दृष्टि भी सूर्य पर है. इन ग्रहों की वजह से पानी से होने वाली बीमारियां बढ़ सकती हैं और वायरस पहले से ज्यादा सक्रिय हो सकता है. इस दौरान आपको बहुत संभल कर रहने की जरूरत है.
सूर्य ग्रहण को देखना शुभ या अशुभ नहीं माना जाता है बल्कि सुरक्षा की दृष्टि से इसे नंगी आंखों से देखने से मना किया जाता है. सूर्य ग्रहण को सीधा देखने से आपकी आंखे खराब हो सकती हैं. रंगीन शीशा या चश्मा लगाकर इस ग्रहण को देखा जा सकता है.
सुबह उठकर स्नान करने के बाद लाल रंग के वस्त्र धारण करें. ग्रहण शुरू होने से पहले तांबे के लोटे में थोड़ा दूध, गुड़ और गंगाजल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें और सूर्य के मंत्रों का जाप करें.
200 साल पुराना प्राचीन शिव मंदिर मिला
नेल्लोर: आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के नेल्लोर में मंगलवार को नदी के किनारे रेत की खुदाई का काम चल रहा था, तभी अचानक वहां एक ढांचा दिखाई दिया. थोड़ा और खोदने पर आकृति स्पष्ट हुई और वो ढांचा एक प्राचीन मंदिर का दिखाई दिया. दावा किया जा रहा है कि ये ऐतिहासिक शिव मंदिर (Lord Shiva) है.
ये घटना पेरुमलापाडु गांव के पास पेन्ना नदी की है. खुदाई के दौरान वहां मंदिर का ऊपरी हिस्सा दिखा. इसके बाद अब इस हिस्से के चारों तरफ से मिट्टी निकाले जाने का काम चल रहा है, जिससे मंदिर स्पष्ट रूप से सामने आ सके.
स्थानीय लोगों का दावा है कि ये मंदिर 200 साल पुराना है. लोगों का मानना है कि भगवान परशुराम ने 101 मंदिर बनवाये थे. उन मंदिरों में से एक का निर्माण पेन्ना नदी के किनारे करवाया गया था.
उधर पुरातत्व विभाग के सहायक निदेशक रामसुब्बा रेड्डी ने अंग्रेजी अखबार द हिंदू को बताया कि पेन्ना नदी अपना रास्ता बदलती रहती है. ऐसे में हो सकता है कि कभी ये मंदिर पानी के अंदर डूब गया हो, और फिर रेत में ढक गया हो. उनका अनुमान है कि ये मंदिर 1850 में आई बाढ़ में डूब गया होगा और रेत के नीचे दब गया होगा.
फिलहाल गांव के लोगों में मंदिर को लेकर उत्साह बना हुआ है, और जल्द इसके सामने आने का इंतजार किया जा रहा है. अभी कुछ दिनों पहले ही ओडिशा में भी नदी के अंदर से एक मंदिर निकला था. ये 500 साल पुराना भगवान विष्णु का मंदिर था. 15वीं या 16वीं सदी के इस मंदिर में गोपीनाथ (भगवान विष्णु) की प्रतिमा विराजमान थी.
मथुरा में द्वापर युग से चली आ रही हजारों वर्ष पुरानी प्राचीन परंपरा टूट जाएगी
मथुरा में हजारों वर्ष पुरानी प्राचीन परंपरा टूट जाएगी. गोवर्धन में लगने वाला करोड़ी मेला इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए नहीं लगेगा और गोवर्धन महाराज की परिक्रमा भी नहीं हो पाएगी.
हर साल जुलाई में गुरु पूर्णिमा के दिन मथुरा के गोवर्धन में लगने वाले करोड़ी मेले में 5 दिन के अंदर करीब एक करोड़ श्रद्धालु गोवर्धन महाराज की परिक्रमा लगाने आते हैं लेकिन कोरोना वायरस को देखते हुए इस बार गुरु पूर्णिमा मेले पर लगने वाली परिक्रमा नहीं लग सकेगी क्योंकि इस परिक्रमा में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाएगा. ऐसे में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक रहेगा.
पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने स्थानीय लोगों और साधु-संतों के साथ एक बैठक की. जिसमें गोवर्धन मेले पर लगने वाली परिक्रमा को रोकने पर विचार विमर्श किया गया, साथ ही सभी लोगों ने कोरोना के चलते परिक्रमा शुरू न करने की अपील की, जिस पर पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने भी अपनी स्वीकृति देते हुए कोरोना संक्रमण से बचने के लिए जरूरी कदम बताया. मान्यता है कि गोवर्धन की परिक्रमा द्वापर युग से चली आ रही है.
हांगकांग से लेकर ताइवान तक ये तस्वीर वायरल – भारत के प्रति समर्थन की एक मिसाल — इसे ‘फोटो ऑफ द डे’ कहा.
नई दिल्ली: लद्दाख में LAC पर चीन और भारत के बीच हुए संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए. इस घटना से न केवाल भारत में रोष है बल्कि चीन के खिलाफ दुनियाभर से आवाजें उठ रही हैं. ताइवान और हांगकांग के लोग भी भारत का समर्थन कर रहे हैं. और इस बात का सबूत हैं सोशल मीडिया पर आने वाली प्रतिक्रियाएं. Twitter पर बड़ी संख्या में हांगकांग और ताइवान के लोगों ने भारत के प्रति अपने समर्थन जाहिर किया है.
एक तस्वीर हांगकांग के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म lihkg और ट्विटर पर वायरल हो गई जिसमें भगवान राम को चीन के ड्रेगन की तरफ निशाना लगाते हुए दिखाया जा रहा है. और लिखा हुआ है ‘We conquer, we kill’ (हम जीतते हैं, हम मारते हैं) इस तस्वीर को ताइवान के एक प्रमुख अखबार ताइवान टाइम्स ने प्रमुखता से प्रकाशित किया और इसे ‘फोटो ऑफ द डे’ कहा. इसके बाद ये तस्वीर ट्विटर पर वायरल हो गई. इस वायरल तस्वीर को भारतीय मूल के ही एक डिजाइनर ने 24 घंटे में तैयार किया है और हांगकांग से लेकर ताइवान तक ये तस्वीर वायरल है और भारत के प्रति समर्थन की एक मिसाल पेश करती है.
ताइवान को चीन अपना हिस्सा मानता है, लेकिन ताइवान खुद को चीन का हिस्सा नहीं मानता. ताइवान को वह खुद में मिलाने के लिए सैन्य कार्रवाई की धमकियां देता रहता है. ताइवान को डराने के लिए लड़ाकू विमान भेजता है. वहीं चीन ने हॉन्ग कॉन्ग पर नया सुरक्षा कानून जबरदस्ती थोपने की कोशिश की है. ट्विटर पर HoSaiLei नाम के हॉन्ग कॉन्ग निवासी ने लिखा है कि मैं हांगकांग के एक नागरिक के रूप में भारत के लोगों का समर्थन करता हूं, और मुझे विश्वास है कि मेरे साथी भी आपके साथ होंगे. हांगकांग की Fiona लिखती हैं कि आपराधिक चीनी शासन के खिलाफ लड़ने में भारत का समर्थन करें. चीनी नेता ठग और अपराधी हैं. हांगकांग के लोग ये जानते हैं और ताइवान को भी पता है. दुनिया भी इसके बारे में जानती है.
रेलवे ने चीनी कंपनी से 471 करोड़ का करार खत्म किया
लद्दाख के गलवान घाटी में चीन की करतूत के बाद भारत अब उसे सबक सिखाने में जुट गया है. भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनी से अपना एक करार खत्म कर दिया है. 2016 में चीनी कंपनी से 471 करोड़ का करार हुआ था, जिसमें उसे 417 किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक पर सिग्नल सिस्टम लगाना था. इससे पहले सरकार ने BSNL और MTNL को निर्देश दिया था कि वो चीनी उपकरणों का इस्तेमाल कम करें.
भारतीय रेलवे के डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (DFCCIL) ने बीजिंग नेशनल रेलवे रसिर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशंस ग्रुप कॉ. लि. से करार खत्म कर दिया है. इस प्रोजेक्ट के तहत कानपुर और दीन दयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन के सेक्शन के बीच 417 किमी में सिग्नलिंग व टेलीकम्युनिकेशंस का काम होना था. इसकी लागत 471 करोड़ रुपये है.
भारतीय रेलवे का कहना है कि DFCCIL जो कि भारतीय रेलवे के अधीन है उसने खराब प्रदर्शन के कारण चीनी कंपनी के साथ करार को खत्म किया है. DFCCIL ने कंपनी के खराब प्रदर्शन के कारण ये फैसला लिया है.
बता दें कि गलवान घाटी में सोमवार की रात भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, इसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे. चीन की इस हरकत के बाद देश में गुस्से का माहौल है.
इससे पहले बुधवार को टेलीकॉम मंत्रालय ने BSNL को चीनी कंपनियों की उपयोगिता को कम करने का निर्देश दिया. मंत्रालय ने BSNL को निर्देश दिया कि अपनी किर्यान्वन में चीनी कंपनियों की उपयोगिता को कम करे. अगर कोई बिडिंग है तो उसपर नए सिरे से विचार करे. इसके अलावा संचार मंत्रालय ने निजी कंपनियों को भी हिदायत दी है कि इस दिशा में वे भी नए सिरे से विचार करके पुख्ता निर्णय लें.
वहीं व्यापारिक संगठन कैट ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार और भारतीय वस्तुओं को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रीय अभियान को और अधिक तेज करने का फैसला किया है. संगठन ने 500 सामानों की सूची तैयार की है, जिससे चीन से नहीं मंगाने का फैसला लिया गया है.
वही दूसरी ओर
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में लकड़ी के खिलौने का व्यवसाय एक बार फिर पटरी पर लौटने लगा है. चीन के आधुनिक खिलौनों की चमक-दमक अब लोगों को प्रभाव में नहीं ले पा रही है लिहाजा अब बनारसी रशियन डाल और इसके साथ लकड़ी के लट्टू, चिड़िया और अन्य खिलौनों की डिमांड बढ़ गयी है.
वाराणसी का कश्मीरी गंज मोहल्ला खिलौनों के लिए मशहूर है. पांच हजार की आबादी वाला ये मोहल्ला कभी चीन के चमकीले खिलौनों के दंश से प्रभावित था. यहां कभी निराशा थी लेकि आज यहां खुशहाली है. जो कारीगर कभी खाली बैठे थे आज वो काम में जुटे हैं. लकड़ी के कारीगर राजेन्द्र की मानें तो अभी जिस तरह से मांग बढ़ी है वो आगे और बढ़े तो अच्छा होगा.
काशी के कश्मीरी गंज के बने लकड़ी के खिलौनों का बाजार सिर्फ देश में ही नहीं विदेशों तक था लेकिन कोरैया की लकड़ी महंगी होने के साथ ही चाइनीज खिलौनों की लगातार बढ़ती मांग ने इस व्यवसाय की कमर तोड़ दी थी. लेकिन एक बार फिर वाराणसी और भारत के साथ ही विदेशों में काशी की गुड़िया और अन्य खिलौने डिमांड में हैं. लकड़ी के खिलौना के व्यवसायी अवार्डी रामेश्वर सिंह की मानें तो लकड़ी के खिलौनों की मांग बढ़ी है और अब आगे भी इसे नई ऊंचाइयां देने का प्रयास जारी है.
काशी की पहचान में शुमार लकड़ी के खिलौने एक बार फिर से चलन में आने के लिए तैयार हैं और फिर से चाइनीज चमक पर अपना दबदबा कायम कर रहे हैं. आने वाले दिनों में हालात और बेहतर होने की संभावना है और नए तरकी से बाजार में उतरने की तैयारी है.
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में एक साथ 5 नए कोरोना संक्रमित केस एक मरीज की मौत
बागेश्वर: उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में एक साथ 5 नए कोरोना संक्रमित केस मिलने और एक मरीज की मौत से हड़कंप मच गया है. जिले में अब कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 47 हो गई है. गुरुवार को बागेश्वर के 18 वर्षीय युवक की हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. जिले में ये कोरोना से जुड़ी पहली मौत है.
बागेश्वर में कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. गुरुवार मिले पांचों कोरोना संक्रमितों की ट्रैवल हिस्ट्री रही है. इनमें से दो दिल्ली, दो महाराष्ट्र और एक गुरुग्राम से कुछ दिन पहले ही लौटे थे. सभी संस्थागत क्वारंटाइन में थे. सभी पांचों संक्रमितों का कोविड अस्पताल बागेश्वर में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज हो रहा है. वहीं, अबतक 38 मरीज ठीककर घर भी जा चुके हैं. इनमें से पांच मरीज 17 जून को डिस्चार्ज हुए थे. अब जिले में कुल 9 सक्रिय पॉजिटिव केस हैं.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि 17 जून को जारी हुई हेल्थ रिपोर्ट में 5 नए कोरोना मरीजों की पुष्टि हुई है. उन्होंने बताया कि जिले में अब तक 907 लोगों की सैंपलिंग हो चुकी है. जिन्हें जांच के लिए भेजा गया है. जिले में लगातार कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ने व एक युवक की मौत ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है. हालांकि राहत की बात ये है कि अधिकांश मरीज स्वस्थ्य हो चुके हैं. बता दें कि जिले में कोरोना का पहला मामला 19 मई को सामने आया था. तब से जिले में लगातार आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है.