मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट & गुजरात और HP में हार की भविष्यवाणी & विरोध के बीच ठाकरे का निर्णय & Top News 20 May 22
20 MAY 2022; High Light# # ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को तीसरी बार बैठी # लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के 16 ठिकानों पर शुक्रवार को CBI ने छापेमारी की # प्रशांत किशोर ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की हार की भी भविष्यवाणी की # राज ठाकरे ने 5 जून को प्रस्तावित अयोध्या यात्रा टाल दिया # # # #Presents by www.himalayauk.org (Leading Newsportal & Print Media) Publish at Dehradun & Haridwar Mob. 9412932030 : Mail; csjoshi_editor@yahoo.in
NEW DELHI (Himalayauk) ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को तीसरी बार बैठी। तीन जजों की बेंच ने केस वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया। यानी अब मामले की सुनवाई बनारस के जिला जज करेंगे।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने 51 मिनट चली सुनवाई में साफ शब्दों में कहा कि मामला हमारे पास जरूर है लेकिन पहले इसे वाराणसी जिला कोर्ट में सुना जाए। कोर्ट ने कहा कि जिला जज 8 हफ्ते में अपनी सुनवाई पूरी करेंगे। तब तक 17 मई की सुनवाई के दौरान दिए गए निर्देश जारी रहेंगे।
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में शुक्रवार यानी जुमे के दिन 1200 से ज्यादा लोग नमाज पढ़ने पहुंच गए। हालात यह हो गए कि पहली बार ज्ञानवापी हाउसफुल हो गई। बाहर भी भारी भीड़ जुटी रही। इसके बाद मसाजिद कमेटी ने तुरंत मेन गेट बंद कर दिया। लाउडस्पीकर पर लोगों से दूसरी मस्जिदों में नमाज पढ़ने की अपील की गई। उधर, जुमे को देखते हुए सुबह से ही वाराणसी में हाई अलर्ट कर दिया गया था। ज्ञानवापी के बाहर एहतियातन भारी संख्या में कमांडो और फोर्स को तैनात किया गया है।
17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में तीन बड़ी बातें कही थीं। पहला- शिवलिंग के दावे वाली जगह को सुरक्षित किया जाए। दूसरा- मुस्लिमों को नमाज पढ़ने से न रोका जाए। तीसरा- सिर्फ 20 लोगों के नमाज पढ़ने वाला ऑर्डर अब लागू नहीं। यानी ये तीनों निर्देश अगले 8 हफ्तों तक लागू रहेंगे। इसमें किसी प्रकार का बदलाव नहीं होगा। कोर्ट ने इतना कहने के बाद मामले में आगे की सुनवाई वाराणसी जिला कोर्ट के हवाले कर दी।
कोर्ट ने कहा कि मामला जिला जज के पास भेजा जाए। उनके पास 25 साल का लंबा अनुभव है। इस मामले में सभी पक्षों के हित को सुनिश्चित किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह न समझा जाए कि हम मामले को निरस्त कर रहे हैं। आपके लिए आगे भी हमारे रास्ते खुले रहेंगे।
कोर्ट के पहले ज्ञानवापी का सर्वे शुरू होने के पूर्व आमतौर पर यहां इतने लोग नमाज पढ़ने नहीं आते थे। सर्वे के बाद से यहां काफी भीड़ उमड़ रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि 6 मई को जब सर्वे शुरू हुआ था, तब पहली बार भारी संख्या में नमाजी आए थे। इसके बाद आज जुमे पर काफी भीड़ देखी गई है। इससे पहले करीब 400 लोग ही नमाज पढ़ने आते थे।
मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि रिपोर्ट लीक कर माहौल बिगाड़ने की साजिश रची जा रही है।इस पर कोर्ट ने सख्त ऐतराज जताया और यह निर्देश दिया कि इस पर रोक लगाई जाए।
कोर्ट में हिंदू पक्षकार की ओर से सीनियर वकील वैद्यनाथन और मुस्लिम पक्ष की ओर से मस्जिद कमेटी के वकील हुजेफा अहमदी ने दलीलें पेश कीं।
हिंदू पक्ष ने कहा कि कमीशन की रिपोर्ट आ गई है। पहले उसे देखा जाए। इसके बाद ही फैसले पर विचार हो। मुस्लिम पक्ष ने जवाब में कहा कि सर्वे को लेकर जो भी निर्देश दिए गए हैं, वो अवैध है। इसलिए इसे निरस्त किया जाए। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि 15 अगस्त 1947 के समय ज्ञानवापी विवादित नहीं था। ऐसे में इस पर कोई भी फैसला नहीं दिया जाना चाहिए।
वजूखाने और टॉयलेट को कोर्ट के आदेश से सील कर दिया था। इसके बाद आज पहला जुमा था। चौक सहित मिश्रित आबादी वाले संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस अधिकारियों ने गश्त किया। ज्ञानवापी का वजूखाना सील होने के कारण नमाजियों के लिए प्रशासन की ओर से 1,000 लीटर के दो ड्रम पानी भरकर रखे गए।
मुस्लिम पक्ष ने लोअर कोर्ट के फैसले को भी अवैध बताया। वहीं हिंदू पक्ष ने कहा कि पहले रिपोर्ट देख लीजिए। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे रिपोर्ट लीक करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि देश में एक नैरेटिव तैयार किया जा रहा है। इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा। इसे सिर्फ एक केस न मानें, देश में बड़ा प्रभाव डालेगा।
मुस्लिम पक्ष ने कहा कि मस्जिद के भीतर नमाज पढ़ने में दिक्कत हो रही है। अंदर के एरिया को सील कर दिया गया है। इसपर भी ध्यान दिया जाए। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि हम आपके सामने अयोध्या मामले में जो फैसला आया था, उसका उदाहरण देना चाहते हैं।
ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के लिए अदालत के आदेश पर कमीशन गठित किया गया था। सर्वे के आखिरी दिन यानी 16 मई को ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में पत्थर की ठोस संरचना को लेकर हिंदू पक्ष ने शिवलिंग होने का दावा किया था। हिंदू पक्ष के अनुरोध के आधार पर अदालत ने वजूखाने को सील करने का आदेश दिया था। मुस्लिम पक्ष का कहना है वजूखाने में शिवलिंग नहीं है, बल्कि पुराना फव्वारा है।
ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिली गोलाकार शिला को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष आमने-सामने हैं। कोर्ट के आदेश पर संरक्षित किए गए इस पत्थर को हिंदू पक्ष शिवलिंग बता रहा है। प्रतिवादी पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने इसे वजूखाने में लगा फव्वारा बताया है। फिलहाल, ज्ञानवापी मामले में सभी एप्लिकेशन, सर्वे रिपोर्ट और आपत्तियों पर 23 मई को वाराणसी कोर्ट में सुनवाई होगी।
इतिहासकार ललित मिश्रा कहते हैं, “शिव पुराण, लिंग पुराण और स्कंद पुराण के काशी खंड में काशी विश्वनाथ मंदिर का वर्णन किया गया है। ज्ञानवापी विश्वेश्वर मंदिर का ही हिस्सा है। ऐसे में पुराणों के आधार पर मंदिर का निर्माण आज से करीब 1500 से 1700 साल पहले हुआ होगा। सर्वे में मिली शिला भी इतनी ही पुरानी हो सकती है।”
मिश्रा कहते हैं कि पुराणों के अलावा ज्ञानवापी से जुड़ा सबसे बेस्ट एंड लेटेस्ट एविडेंस 16वीं शताब्दी का है। दत्तात्रेय संप्रदाय के सन्यासी गंगाधर सरस्वती के लिखे गए ‘गुरुचरित्र’ नामक ग्रंथ में ज्ञानवापी का जिक्र किया गया है। इस ग्रंथ में उन्होंने अपने गुरु नरसिंह सरस्वती की काशी यात्रा का वर्णन किया था। गुरुचरित्र के 42वें भाग की 57वीं चौपाई में लिखा गया है…
महेश्वराते पूजोनि। ज्ञानवापीं करी स्नान। नंदिकेश्वर अर्चोन।
तारकेश्वर पूजोन। पुढें जावें मग तुवां ॥५७॥
गंगाधर सरस्वती के मुताबिक, 16वीं शताब्दी में काशी आने वाले तीर्थयात्री पहले ज्ञानवापी में आकर स्थान-ध्यान किया करते थे। इसके बाद वे नंदी की पूजा करके भगवान विश्वेश्वर का दर्शन किया करते थे। यही वो क्रम है जो हमें लिखित रूप में मिलता है। इस आधार पर ये कहा जा सकता है कि मंदिर विध्वंस से पहले से ये प्रक्रिया चलती आ रही थी। गुरुचरित्र के वर्णन से यह माना जा सकता है कि जो ज्ञानवापी परिसर में मिला वह फव्वारा नहीं है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने दावा किया है कि सर्वे के तीसरे दिन ज्ञानवापी परिसर में मिला शिवलिंग ही बाबा विश्वेश्वर हैं। डॉ. तिवारी कहते हैं, “ज्ञानवापी कूप का निर्माण आज से 5 हजार साल पहले भगवान शंकर ने अपने त्रिशूल से किया था। इसी कूप में मां पार्वती नहाकर भगवान विश्वेश्वर के शिवलिंग की पूजा करती थीं। इसका वर्णन स्कंद पुराण में भी किया गया है। ये शिवलिंग भी ज्ञानवापी कूप के ठीक सामने वाली जगह पर मिला है, जिसे नंदी निहार रहे हैं। इसका अर्थ है कि जो शिवलिंग मिला है, वह ही आदि विश्वेश्वर महादेव हैं।”
काशी के पक्का महाल इलाके में रहने वाले परमेश्वर पाठक 73 साल से ज्यादा समय से बनारस में रह रहे हैं। ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिलने के मामले पर वो कहते हैं, “हम बचपन में वहां खेलने जाया करते थे। उस समय वहां खाली जगह थी और मंदिर-मस्जिद के बीच कोई बैरिकेडिंग नहीं थी। मुझे याद है मेरे बाबा मस्जिद से सामने से गुजरते हुए वहां लेट कर भोलेनाथ को प्रणाम करते थे। वो कहते थे कि मस्जिद में बने तालाब में हमारे बाबा हैं। आज वहीं शिवलिंग दुनिया के सामने आ गया है।” ये बात परमेश्वर ने हमें ऑफ कैमरा बताई।
यासीन का कहना है कि जब आजादी से पहले 1937 में कोर्ट ने यह मान लिया था कि ज्ञानवापी वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी है, तो इसे लेकर अब विवाद करना ठीक नहीं है।
‘शृंगार गौरी मंदिर, मस्जिद से दूर है, बैरिकेडिंग के बाहर है। महिलाएं आज भी दर्शन करना चाहें, तो कर सकती हैं। हमें कोई ऐतराज नहीं है।’ ये कहना है अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी एमएस यासीन का।
यासीन ने कहा, ”चाहे दिल्ली के लाल किले में चले जाइए या फिर ताजमहल। मस्जिदों में वजू के लिए खासतौर पर हौज बनाया जाता है। आमतौर पर हौज में भरा पानी गर्म हो जाया करता था। इसलिए इसमें फव्वरा बनाने की परंपरा शुरू हुई, ताकि हौज का पानी ठंडा रहे। ज्ञानवापी परिसर में जो फव्वारा मिला है, वो इसीलिए बनाया गया था।”
उन्होंने कहा, “सर्वे के दौरान भी जब टीम ने उस फव्वारे के छेद में सलाई डाली तो वह 64 सेंटीमीटर अंदर तक चली गई। आप बताइए कि क्या शिवलिंग में होल हो सकता है। जो मिला है वो फव्वारा था और फव्वारा है।”
यासीन ने कहा, ”मस्जिद के पीछे की तरफ वाली दीवार को लेकर ऐसी बातें हो रही हैं कि उनमें मंदिर जैसी नक्काशी बनी हुई है। मैं आपको बता दूं कि जो मस्जिद के पीछे वाली दीवार पर जो अवशेष हैं वो अकबर ने साल 1585 के आस-पास नए मजहब ‘दीन-ए-इलाही’ के तहत बनवाए थे। ये तब हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता था। इसके बाद औरंगजेब ने इस मस्जिद को रेनोवेट कराया था। मस्जिद को को 14वीं सदी में जौनपुर के सुल्तानों ने बनवाया था।”
यासीन ने कहा, ”ज्ञानवापी कूप बहुत गहरा नहीं बल्कि एक साधारण-सा कुआं है। इसकी गहराई 30 से 40 फीट की है। मैंने 2 साल पहले इसकी सफाई भी करवाई थी,वहां कचरे के सिवा कुछ नहीं निकला था। कुएं के नीचे आज भी हमारा जेट पंप फिट है। अब यह कुआं कॉरिडोर का हिस्सा है, मंदिर परिसर में है। पहले हमारे वजू वाली हौज में इसी कुएं से पानी आता था, जिस हौज के फव्वारे को शिवलिंग बताया जा रहा है।”
श्रृंगार गौरी मंदिर के मुख्य पुजारी जीतेंद्र व्यास का। श्रृंगार गौरी केस पर कहते हैं कि ‘जिस जगह पर शिवलिंग मिला, वो ज्ञानवापी की जगह हमारी है। हमारे पूर्वज 400 साल से यहां पूजा करते आए हैं। हमारे पास उस स्थान की वसीयत भी है।’ ज्ञानवापी मस्जिद की जमीन का मालिकाना हक मेरे परिवार के पास है। पिछले करीब 150 साल से हमारा परिवार इस जमीन का पूरा हक पाने के लिए केस लड़ रहे हैं, इसके दस्तावेज भी हमारे पास हैं। हमारी जमीन पर मस्जिद बनाई गई। हम तब से ये केस लड़ रहे हैं, जब हाईकोर्ट आगरा में हुआ करता था। इस जमीन पर व्यास परिवार का हक है।
लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के 16 ठिकानों पर शुक्रवार को CBI ने छापेमारी की
पटना, 20 मई 22 , हिमालयायूके- सीबीआई ने शुक्रवार को ही लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और हेमा यादव समेत 15 लोगों पर केस दर्ज किया। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के 16 ठिकानों पर शुक्रवार को CBI ने छापेमारी की है। लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती के पटना, गोपालगंज और दिल्ली स्थित ठिकानों पर जांच हुई। पटना में राबड़ी देवी के आवास पर RJD कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया। सीबीआई के खिलाफ नारेबाजी हुई।
छापे के दौरान लालू प्रसाद यादव ने सीबीआई के अफसरों से डॉक्टर बुलाने की मांग की। उन्होंने ने कहा कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है आप पहले डॉक्टर को बुला लीजिए। इसके साथ ही 2 वकीलों को भी बुलाया गया था। पटना में राबड़ी देवी से पूछताछ के लिए महिला IPS अफसर भी पहुंची है।
रेलवे भर्ती बोर्ड के ग्रुप डी में हुई गड़बड़ी के मामले में ये कार्रवाई हुई है। आरोप है कि रेलवे में नौकरी देने के बदले एक लाख स्क्वॉयर फीट से ज्यादा की जमीन उपहार में ली गई है। रेलवे में नौकरी पाने वाले लोगों के घरों में भी सीबीआई ने छापा मारा है।
सीबीआई ने शुक्रवार को ही लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और हेमा यादव समेत 15 लोगों पर केस दर्ज किया। पटना में राबड़ी देवी और बड़े बेटे तेजप्रताप यादव से CBI अलग-अलग कमरों में पूछताछ की। पूछताछ के लिए 3-3 अफसरों की दो टीमें बनाई गई है। वहीं दिल्ली में मीसा भारती के आवास पर लालू यादव से CBI के एसपी और डीएसपी स्तर के अफसर पूछताछ की। लालू से भर्ती से जुड़ी फाइलों के बारे में जानकारी ली गई।
सीबीआई के विज्ञप्ति के मुताबिक रेल मंत्री रहते हुए लालू ने 2004-2009 के दौरान समूह ‘डी’ में नियुक्ति के बदले में अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीनें ट्रांसफर कराई। यह जमीन 1 लाख 5 हजार 292 स्क्वॉयर फीट है। यह सारी जमीन पटना में हैं। ये जमीनें लालू के परिवार से संचालित कंपनी के नाम पर गिफ्ट के तौर पर लिया गया है।
सीबीआई ने कहा है कि यह भी आरोप है कि क्षेत्रीय रेलवे में ऐसी नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था। फिर भी पटना के निवासी नियुक्तियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित विभिन्न क्षेत्रीय रेलवे में नियुक्ति दी गई।
पटना में CBI की 8 सदस्यीय टीम 10 सर्कुलर रोड स्थित राबड़ी आवास पर पहुंची। टीम में महिला और पुरुष अधिकारी दोनों ही शामिल हैं। इस दौरान आवास में किसी को भी आने-जाने से रोक दिया गया। टीम दस्तावेजों को खंगाल रही है। पूर्व CM और लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी से पूछताछ की भी खबर है।
बिहार से भाजपा के सांसद और पूर्व डिप्टी CM सुशील मोदी ने कार्रवाई को लेकर कहा कि लालू के रेल मंत्री रहते भ्रष्टाचार का एक नया तरीका अपनाया गया था। लोगों को रेलवे के डी ग्रुप की नौकरी दी गई और बदले में उनसे पैसे की जगह जमीन ली गई।
राजद कार्यकर्ताओं ने छापे को राजनीति से प्रेरित बताते हुए इसे धरना और प्रदर्शन शुरू कर दिया है। छापे की शुरुआत में अफसरों ने लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप को पेड़ के नीचे बैठा दिया था।
प्रशांत किशोर ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की हार की भी भविष्यवाणी की
गुजरात में चुनावी लड़ाई चेहरों पर लड़ी जाती है लेकिन कांग्रेस के पास कोई चेहरा नहीं है। # 2012 के बाद हिमाचल में कांग्रेस सत्ता से दूर है। # पंजाब की परछाई हिमाचल पर न पड़े
प्रशांत किशोर ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की हार की भी भविष्यवाणी की है। प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के चिंतन शिविर को असफल करार दिया है। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उदयपुर चिंतन शिविर से पार्टी को कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। इस शिविर से कांग्रेस नेतृत्व यानी गांधी परिवार को वजूद बचाने का और वक्त मिल गया है। साथ ही प्रशांत किशोर ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की हार की भी भविष्यवाणी की है।
PK ने ट्वीट करके कहा- मुझे बार-बार उदयपुर चिंतन शिविर पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया है, लेकिन मेरे हिसाब से उदयपुर चिंतन शिविर कोई भी सार्थक उद्देश्य पूरा करने में फेल रहा है। इस शिविर से सिर्फ कांग्रेस लीडरशिप को थोड़ा और समय मिल गया है, कम से कम गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों तक के लिए। बता दे, PK ने अप्रैल में कांग्रेस में जान फूंकने के लिए एक 600 पन्नों का प्रेजेंटेशन दिया था।
कांग्रेस ने उदयपुर में 3 दिन तक चिंतन शिविर आयोजित किया था, जिसमें 400 से ज्यादा शीर्ष नेता शामिल हुए थे। शिविर में कांग्रेस ने वन फैमिली-वन टिकट, संगठन में युवाओं को आरक्षण, देशभर में पदयात्रा निकालने जैसे कई अहम फैसले लिए थे। इस दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि हम फिर जनता के बीच जाएंगे, उससे अपने रिश्ते मजबूत करेंगे और ये काम शॉर्टकट से नहीं होगा। ये काम कड़ी मेहनत से होगा।
गुजरात में विधानसभा की 182 सीटें हैं। यहां भाजपा के पास 111 और कांग्रेस के पास केवल 63 सीटें हैं। प्रदेश में 27 सालों से कांग्रेस सत्ता से दूर है। पिछले दिनों कांग्रेस के आदिवासी नेता रहे विधायक अश्विन कोतवाल और युवा नेता हार्दिक पटेल जैसे कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है, जिसके बाद कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। गुजरात में चुनावी लड़ाई चेहरों पर लड़ी जाती है लेकिन कांग्रेस के पास कोई चेहरा नहीं है।
हिमाचल प्रदेश में कुल 68 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें भाजपा के पास 44 और कांग्रेस के पास केवल 21 सीटें हैं। प्रदेश की सियासत में विधानसभा चुनाव में 1985 के बाद से कोई पार्टी अपनी सरकार रिपीट नहीं कर पाई है। एक बार कांग्रेस तो एक बार बीजेपी चुनाव जीतती आई है। 2012 के बाद हिमाचल में कांग्रेस सत्ता से दूर है।
राज्य में कांग्रेस ने प्रदेश में छह बार के सीएम रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह की पत्नी सांसद प्रतिभा को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर नया कार्ड खेला है, लेकिन पंजाब-हरियाणा की तरह यहां भी गुटबाजी कम नहीं है। कांग्रेस को इस बात पर ध्यान देना होगा कि पंजाब की परछाई हिमाचल पर न पड़े।
राज ठाकरे ने 5 जून को प्रस्तावित अयोध्या यात्रा टाल दिया
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने 5 जून को प्रस्तावित अयोध्या यात्रा टाल दिया है. आज सुबह उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए बताया कि प्रस्तावित अयोध्या यात्रा को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है. अयोध्या यात्रा स्थगित करने के पीछे का कारण साफ नहीं है. यह घोषणा एमएनएस को दिक्कत में डाल सकती है. एमएनएस के प्रवक्ता संदीप देशपांडे और पार्टी नेता बाला नंदगांवकर दोनों ने बताने से इनकार कर दिया कि ऐसा निर्णय क्यों किया गया. उन्होंने आश्वासन दिया कि राज रविवार को पुणे में आयोजित सार्वजनिक रैली में खुलासा करेंगे.
एमएनएस की बेचैनी को बढ़ाते हुए, शिवसेना (Shiv Sena) के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) और राज्य कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष नाना पटोले (Nana Patole) दोनों ने घोषणा की कि राम लला दर्शन के लिए उनके आगामी दौरे तय कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ेंगे और उनकी यात्राएं गैर-राजनीतिक होंगी. उत्तर प्रदेश और यहां तक कि अन्य उत्तरी राज्यों में उनकी अयोध्या यात्रा का विरोध करने वाले बीजेपी (BJP) के कुछ नेताओं और कार्यकतार्ओं की तरफ से बड़े पैमाने पर विरोध के बीच राज ठाकरे ने अचानक निर्णय लिया.
बीजेपी नेता और कार्यकर्ता 2008 में एमएनएस आंदोलन में उत्तर भारतीयों के साथ हुए दुर्व्यवहार के लिए माफी की मांग कर रहे थे. राज विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व उत्तर प्रदेश के बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Brijbhushan Sharan Singh) ने किया था. उन्होंने चेतावनी दी थी कि जब राज ठाकरे माफी नहीं मांगते, उनके लाखों समर्थक जून में अयोध्या प्रवेश को रोक देंगे. हालांकि राज ने कुछ भी दौरा रद्द करने का खुलासा नहीं किया है. ऐसी अटकलें हैं कि स्थगन स्वास्थ्य कारणों से हो सकता है.
बृजभूषण शरण सिंह ने स्थगन के दावों को खारिज कर दिया और कहा कि राज ने यात्रा रद्द कर दी है. उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि राज माफी नहीं मांग लेते. इससे पहले, धमकियों को देखते हुए नंदगांवकर ने महा विकास आघाड़ी के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल से मुलाकात की और राज्य सरकार या केंद्र से राज के लिए सुरक्षा की मांग की. साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि, “राज के एक बाल को भी नुकसान पहुंचा तो महाराष्ट्र जल जाएगा.” राज्य की सभी मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग पर आंदोलन शुरू करने के बाद से राज एक महीने से सुर्खियों में हैं.
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