इन घटनाओ ने हिला दिया देश को
देश के कई हिस्सा सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में है. लेकिन राहत की बात ये है कि पश्चिम बंगाल के आसनसोल और रानीगंज में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बात हालात में सुधार है बिहार, बंगाल, गुजरात के बाद अब राजस्थान में भी सांप्रदायिक तनाव: की खबरे है- धर्मनिरपेक्ष’ और ‘सुशासन’ की छवि को नुकसान होते देख जेडीयू की ओर से भी बीजेपी को कड़ा संदेश देने की कोशिश की गई ताकि पार्टी अपने नेताओं पर लगाम लगाए.
2 अप्रैल- ज्योतिष की भाषा में सितारो का ‘ग्रह-युद्ध’ की स्थिति है, ज्योतिषशास्त्र की गणना के अनुसार 2 अप्रैल को आसमान में गजब का नजारा देखने को मिलेगा। शनि और मंगल जिन्हें ज्योतिषशास्त्र में क्रूर और पाप ग्रह कहा गया है वह धनु राशि में बिल्कुल करीब यानी समान अंशों पर आ जाएंगे। ज्योतिषीय दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण घटना है। ज्योतिषशास्त्रीयो के अनुसार देश दुनिया पर क्या होगा प्रभाव।
हिमालयायूके न्यूज पोर्टल की प्रस्तुति-
भागलपुर और औरंगाबाद के बाद समस्तीपुर में भी सांप्रदायिक हिंसा, क्या नीतीश कुमार के हाथ से निकल रहा है बिहार?
बिहार में सांप्रदायिक तनाव का मामला शांत होता नहीं दिख रहा है. इस बार नवादा जिले में मूर्ति तोड़े जाने की घटना के बाद दो समुदाय के लोग आमने-आमने आ गए और एक-दूसरे पर पत्थरबाजी शुरू कर दी. स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस ने कई राउंड गोलियां भी चलाईं. फिलहाल इलाके में स्थिति नियंत्रण में है लेकिन हिंसा को देखते हुए इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है.
नवादा के डीएम ने कहा, ”कुछ असमाजिक तत्वों ने मूर्ति तोड़ दी, जिसकी वजह से दो समुदाय आमने-सामने आ गए. फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है.’
राम नवमी के बाद से 6 जिलों भागलपुर, औरंगाबाद, समस्तीपुर, मुंगेर, नालंदा, नवादा में सांप्रदायिक हिंसा हुई है. जिसके बाद से लगातार बिहार के ‘सुशासन बाबू’ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदा कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं. हालांकि सरकार का कहना है कि हिंसा में शामिल किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा.
नालंदा और समस्तीपुर जिले में पिछले दो दिनों के दौरान दो समुदाय के बीच झडप मामलों में बीजेपी के दो कार्यकर्ताओं सहित 50 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। समस्तीपुर जिला के रोसड़ा बाजार में गत 27 मार्च को चैती दुर्गा पूजा के अवसर पर दो समुदाय के बीच विवाद के बाद पथराव और आगजनी में तीन मोटरसाइकिल जलकर खाक हो गयी।
मां दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन करने को ले जा रहे प्रतिमा पर एक समुदाय के कुछ शरारती तत्वों द्वारा चप्पल फेंकने के बाद दूसरे समुदाय के लोगों ने रोसड़ा बाजार स्थित एक समुदाय के धर्मस्थल मस्जिद पर पथराव किया और तीन मोटरसाइकिल में आग लगा दी।
नालंदा जिला के सिलाव में कल हुए हिंसक झड़प के बाद पुलिस ने अब तक 36 लोगों को गिरफ्तार किया है जिनमें 2 महिलाएं शामिल हैं। बुधवार को रामनवमी जुलूस के दौरान रास्ते को लेकर उत्पन्न विवाद के दौरान बाद दो पक्षों में हिंसक झड़प में दोनों ओर से किए गए पथराव में पुलिसकर्मी समेत दो दर्जन से अधिक लोग जख्मी हो गये थे।
मुंगेर
मुंगेर के रिफ्यूजी कॉलोनी में चैती दुर्गा के विसर्जन के दौरान मंगलवार को दूसरे समुदाय के लोगों ने प्रतिमा ले जाने का कथित तौर पर विरोध किया. किसी तरह दोनों समुदायों को समझाने के बाद मामला शांत हुआ. लेकिन दोबारा प्रतिमा को लेकर निकलने के बाद दूसरे समुदाय के लोगों पीछे से ईंट चलाना शुरू कर दिया. इसके बाद दोनों तरफ से पत्थरबाजी हुई, गोलियां भी चली. इस झड़प में 8-10 लोग घायल हो गए. भागलपुर और औरंगाबाद जिल में भी कई दिनो से तनाव का माहौल है. भागलपुर हिंसा मामले में पुलिस ने केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. कोर्ट ने वारंट भी जारी किया है. हालांकि अब भी अर्जित पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.
50,000 से पांच रुपए तक में बिके पेपर
दिल्ली में 10वीं और 12वीं के पेपर लीक होने के बाद सीबीएसई और केंद्र सरकार के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन जारी है। एक तरह जहां सीबीएसई बिल्डिंग के बाहर छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ छात्रों ने एनआईएसयू के साथ मिलकर केंद्र सरकार के खिलाफ मार्च निकाला है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 10वीं के गणित और 12वीं के अर्थशास्त्र के पेपर दोबार करवाने के खिलाफ छात्रों ने कांग्रेस के यूथ विंग एनएसयूआई के साथ मिलकर उद्योग भवन से लेकर शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के घर तक मार्च निकाला है। छात्रों ने दोबारा एग्जाम ना होने की मांग को दोहराते हुए कहा कि सीबीएसई की गलती हो छात्र क्यों भुगतें वहीं दूसरी छात्र ने कहा कि जिन्हें आगे की पढ़ाई या टेस्ट के लिए जाना पड़ रहा है वो क्या करेंगे। करीब एक हजार छात्रों को लीक पेपर मिले और पहले लीक पेपर के लिए 35 हजार रुपये लिए गए थे. बाद में कुछ अभिभावकों ने इसे 5,000 रुपये में दूसरे को बेचा। ऐसे ये पेपर वायरल हो गया। सीबीएसई ने बुधवार को घोषणा की थी कि पेपर लीक के मद्देनजर 10वीं की गणित की परीक्षा और कक्षा 12वीं की अर्थशास्त्र की परीक्षा दोबारा ली जाएगी।
सीबीएसई पेपर लीक मामले में दंग कर देने वाली जानकारी सामने आई है. मामले में दर्ज कराई गई एफआईआर से पता चला है कि सीबीएसई को परीक्षा के एक रात पहले से ही लीक के बारे में पता था. बोर्ड को दसवीं की परीक्षा से पहले इसकी जानकारी मिल गई थी. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर बोर्ड को इसकी जानकारी थी तो परीक्षा क्यों करवाई गई?
आपको बता दें कि सीबीएसई पेपर लीक मामले में दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक अभी तक 30 से ज्यादा लोगो से पूछताछ की जा चुकी है. ये सभी लोग या तो कोचिंग सेंटर के टीचर है या फिर स्टूडेंट हैं. अभी तक इस मामले में कोई भी अहम कड़ी पुलिस के हाथ नहीं लगी है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक आज भी राजेन्द्र नगर में कोचिंग सेंटर चलाने वाले विक्की से पूछताछ की जाएगी. कल रात उसे पूछताछ के बाद जाने दिया गया था. आज फिर उसे बुलाया गया है.
पुलिस के मुताबिक कल रात सीबीएसई के तीन अधिकारियों से बातचीत हुई थी जिससे पूछताछ नहीं कहा जा सकता है. बातचीत के दौरान उनसे सीबीएसई के पेपर्स को लेकर क्या प्रोसीज़र होता है इससे जुड़ी जानकारी ली गयी थी. पुलिस के मुताबिक अभी तक की जांच में पैसो के लेन देन के बारे में कोई बात सामने नहीं आई है.
सीबीएसई की 10वीं के गणित और 12वीं के अर्थशास्त्र के पेपर लीक मामले में अभी तक इसके मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी नहीं हुई है. दिल्ली पुलिस की जांच जारी है जिसके सिलसिल में पुलिस ने बुधवार रात करीब 10 जगहों पर छापेमारी की. हालांकि, पुलिस ने छापेमारी का आधिकारिक खुलासा नहीं किया है.
क्राइम ब्रांच के स्पेशल सीपी आर पी उपाध्याय ने कहा है कि हमारे पास ऐसी कोई सूचना नहीं है कि यह लीक अखिल भारतीय स्तर पर हुई हो. लेकिन अगर ऐसी कोई बात सामने आती है तो हम दिल्ली के बाहर भी टीमें भेजेंगे. इस मामले में सीबीआई की तरफ से शिकायत मिलने पर दो एफआईआर दर्ज की गई थी.
शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग
पेपर लीक पर राजनीति भी खूब हो रही है. पेपर लीक मसले में विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने शिक्षा मंत्री प्रकाश जावडेकर के इस्तीफे के साथ सीबीएसई की चेयरपर्सन अनिता करवल से इस्तीफे की मांग की है. सरकार ने जहां मीडिया पर सनसनी फैलाने का आरोप मढ़ा तो वहीं कांग्रेस पीएम मोदी को लपेटे में ले रही है.
CBSE पेपर लीक मामले में एक नया मोड सामने आया है। दरअसल, वह ईमेल आईडी सामने आ गई है, जिससे सबसे पहले पेपर लीक होने की जानकारी सीबीएसई को भेजी गई थी। मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच ने अब गूगल से उस ईमेल से संबंधित सारी जानकारी मांगी है।
क्राइम ब्रांच ने बताया कि गूगल से उस मेल के बारे में पूरी जानकारी मांगी गई है, जिससे सीबीएसई को पेपर लीक की शिकायत मिली थी। गूगल से पूछा गया है कि वह मेल कहां से किया गया, इस संबंध में पूरी जानकारी बताई जाए।
सीबीएसई पेपर लीक मामले में 28 मार्च को की गई दूसरी FIR के मुताबिक, सीबीएसई के चेयरमैन की ईमेल आईडी chmn_cbse@nic.in पर पहली बार पेपर लीक के बारे में शिकायत की गई थी।
मिली जानकारी के अनुसार, सीबीएसई चेयरमैन को यह मेलDevn532@gmail.com नाम के ईमेल आईडी से आई थी। बताया जा रहा है कि इस ईमेल आईडी के संचालक का नाम देव नारायण है। सीबीएसई चेयरमैन को इस ईमेल आईडी से भेजे गए मेल में कहा गया था कि 10th क्लास का मैथ का एग्जाम व्हाट्सऐप पर लीक हो गया है, इसलिए यह एग्जाम कैंसिल कर दिया जाए।
यह बताया गया है कि इस मेल में हाथ से लिखा लीक हुआ पेपर भी साथ अटैच किया गया था। गौरतलब है कि 28 मार्च को 10वीं के मैथ का एग्जाम था, जबकि चेयरमैन को यह मेल एक दिन पहले ही यानि 27 मार्च को मिल गया था। इसके बावजूद एग्जाम कैंसल नहीं किया गया।पेपर लीक की शुरूआती जांच में ये भी पता चला है कि छात्रों को प्रश्न पत्र 50 हजार रुपये तक में बेचा गया है लेकिन बाद में यही पत्र 5-10 रुपये तक में बिका. दरअसल इस तरह के मसले में होता ये है कि जिस छात्र ने नकल माफिया से सबसे पहले पेपर को खरीदा, वो बाद में उस पेपर को किसी दूसरे छात्र को कम रेट में बेच देता है. जैसे जिस छात्र ने पेपर 50 हजार में खऱीदा उसने दूसरे छात्र को 40 हजार में बेच दिया. दूसरे छात्र ने तीसरे छात्र को 30 हजार में बेच दिया, तीसरे छात्र ने पांच छात्रों को 5-5 हजार में बेच दिया. इस तरह पेपर का रेट गिरते गिरते 5-10 रुपये तक आ जाता है.
27 मार्च को दर्ज किया गया था पहला मामला
पहला केस 12वीं के पेपर लीक के मामले में 27 मार्च को दर्ज किया गया था जबकि 10वीं क्लास के गणित के पेपर लीक मामले में 28 मार्च को दूसरा कस दर्ज किया गया था. जिन लोगों से पूछताछ की गई है उनमें 18 छात्र, 5 ट्यूटर और दो अन्य लोग शामिल हैं. पूछताछ में सभी ने कबूला की 10वीं के मैथ्स और 12वीं के अर्थशास्त्र का पेपर एग्जाम से पहले ही लीक हो गया था. जांच में पता चला है कि ये दोनों पेपर एग्जाम से एक दिन पहले ही व्हाट्सएप पर लीक हो गए थे जो कुछ टीचर और छात्रों के पास व्हाट्सअप के के माध्य्म से पहुंचे थे जिसको लेकर पुलिस अब इस मामले की कड़ियों को जोड़ने में लगी लगी हुई है. क्राइम ब्रांच सीबीएसई से भी एग्जाम से जुड़ी तमाम जानकारियां मांग रही है.
गुजरात के सूरत में हिंसा भड़क गई
गुजरात के सूरत में बीती रात एक धार्मिक स्थल पर पत्थर फेंके जाने की घटना के बाद दो गुटों में हिंसा भड़क गई. इस हिंसा की चपेट में पुलिस वाले भी तब आ गई जब भीड़ ने उनपर पथराव करना शुरू कर दिया. जवाबी कार्रवाई में पुलिस वालों ने भी आंसू गैस के गोले दागे इस हिंसा में छह लोग घायल हो गए, वहीं अबतक 40 लोगों को हिरासत में लिया गया है. तनाव को देखते हुए इलाके में भारी पुलिस बल तैनात और बताया जा रहा है कि फिलहाल हालात काबू में हैं. देश के कई हिस्से सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में है. लेकिन राहत की बात ये है कि पश्चिम बंगाल के आसनसोल और रानीगंज में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बात हालात में सुधार हो रहा है. भले ही अब भी तनाव बन हुआ हो लेकिन हिंसा की कोई ताज़ा घटना नहीं हुई है. इस हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल की ममात सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच टकराव बरकरार है. आसनसोल में हुई साम्प्रदायिक हिंसा पर ममता सरकार ने गृह मंत्रालय को अभी तक रिपोर्ट नहीं सौंपी है. बिहार में भी दो जगहों पर साम्प्रदायित हिंसा हुई थी लेकिन क्रेंद ने बिहार सरकार से इसके ऊपर कोई रिपोर्ट नहीं मांगी, वहीं बंगाल सरकार से राज्य में हुई हिंसा को लेकर रिपोर्ट की मांग की गई जिससे केंद्र और बंगाल के बीच टकराव की स्थिति पैदा हुई.
39 भारतीयों के शवों को 2 अप्रैल को वतन वापस लाया जाएगा.
इराक में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) की शिकार बने 39 भारतीयों के शवों को 2 अप्रैल को वतन वापस लाया जाएगा. विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह शवों को वापस लाने के लिए विशेष विमान से इराक जाएंगे. उन्होंने करीब 4 सालों तक लापता रहे 39 भारतीयों के बारे में पता लगाने में सक्रिय भूमिका निभाई है.
20 मार्च को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में भारतीयों की मौत की जानकारी दी थी. उन्होंने कहा था कि इराक के मोसुल में 2014 में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) द्वारा अगवा किए गए 39 भारतीयों की मौत हो चुकी है. सुषमा ने कहा था कि, “जनरल वीके सिंह इराक जाकर भारतीयों के अवशेष वापस लाएंगे. अवशेष लाने वाला विमान पहले अमृतसर पहुंचेगा, फिर पटना और उसके बाद कोलकाता जाएगा.” उन्होंने कहा था कि रडार की मदद से भारतीयों के शवों का पता लगाया गया. शवों को कब्रों से निकाला गया और डीएनए जांच के जरिए पहचान की पुष्टि हो सकी है.
मृतकों में 31 पंजाब के, चार हिमाचल प्रदेश और दो-दो बिहार और बंगाल के हैं. ये सभी मजदूर थे और इन्हें मोसुल में इराक की कंपनी ने नियुक्त किया था. साल 2014 में जब आईएस ने इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसुल को अपने कब्जे में लिया था, तब इन भारतीयों को बंधक बना लिया गया था.कांग्रेस ने भारतीयों की मौत पर कहा था कि जानबूझकर जानकारी में देरी की गई. परिजनों को झूठी दिलासा दिया गया. वहीं सरकार का कहना है कि बिना ठोस सबूत के सरकार किसी की मौत की पुष्टि नहीं कर सकती.
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पश्चिम बंगाल में फैली हिंसा- राजनीति भी रुक नहीं रही है
रामनवमी पर जुलूस को लेकर पश्चिम बंगाल में फैली हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है, साथ ही उस पर हो रही राजनीति भी रुक नहीं रही है। इसी बीच कल आसनसोल के दौरे पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो भीड़ पर भड़क उठे। इस पर सुप्रियो का कहना है कि वहां कुछ शरारती तत्व थे। आसनसोल के नाराज लोगों ने उन्हें वापस जाने को कहा तो वह खुली धमकी दे बैठे। उन्होंने कहा कि वह लोगों की खाल उधड़वा देंगे। सुप्रियो के खिलाफ कई गैरजमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। उन पर धारा 144 के उल्लंघन और लोकसेवकों को काम करने से रोकने का आरोप है। यह कार्रवाई तब की गई जब बाबुल सुप्रियो सांप्रदायिक हिंसा से जूझ रहे आसनसोल में घुसने की कोशिश कर रहे थे।
आसनसोल इलाके से ही सांसद हैं बाबुल सुप्रियो
बाबुल सुप्रियो आसनसोल इलाके से ही सांसद हैं। इलाके में हिंसा होने की वजह से वहां धारा 144 लागू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि बीच रास्ते में बुजुर्ग महिला को रोते देख मैंने गाड़ी रुकवाई, लेकिन शरारती तत्वों ने उन्हें महिला से मिलने नहीं दिया। उनहोंने कहा पुलिस को उन लोगों को पकडऩा चाहिए पर निशाना उन्हें ही बनाया गया। अपने बयान पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि यह बयान मैेंने गुस्से में दिया था।
क्या है मामला
बता दें कि 25 मार्च को रामनवमी के मौके पर पश्चिम बंगाल के रानीगंज इलाका समेत कई हिस्सों में हिंसक झड़प हुई। गुस्साए लोगों ने दर्जनों वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इस दौरान कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। वहीं इसमें एक व्यक्ति की मौत होने की बात सामने आई है। इस पूरे मामले में पुलिस ने अब तक हिंसा के आरोप में 19 लोगों को गिरफ्तार किया।
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बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात में घटी सांप्रदायिक घटनाओं के बाद अब राजस्थान में तनाव का माहौल
रामनवमी के दिन (25 मार्च, 2018) बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात में घटी सांप्रदायिक घटनाओं के बाद अब राजस्थान में तनाव का माहौल बना हुआ है। सरकार ने हनुमान जयंती से पहले तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए राज्य के बूंदी में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं। एसएमएस, व्हाट्सएप के साथ सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म पर भी रोक लगा दी गई है। हालांकि ब्रॉडबैंड और लीज लाइन पर नेट चालू रहने की बात कही गई है। रिपोर्ट के अनुसार गुरुवार (29 मार्च, 2018) रात आठ बजे से अगले आदेश तक सभी सेवाओं बंद कर दी गई हैं। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि 31 मार्च को हनुमान जयंती पर आपसी सद्भाव और कानून व्यवस्था बनी रहे।
जानकारी के लिए बता दें कि शनिवार को शहर में शोभायात्रा और अखाड़े निकलेंगे। इसपर सरकार ने किसी भी अप्रिय स्थिति को देखते हुए यह कदम उठाया है। इससे पहले रामनवमी के दिन शोभायात्रा पर हुए पथराव के बाद शहर तीन दिन तक बंद रहा। आरोपियों की गिरफ्तार की मांग के चलते बीते सोमवार, मंगलवाल बुधवार को बाजार बंद रहे। गुरुवार को बाजारों की कुछ दुकानों तो खुली, लेकिन हनुमान जयंती को देखते हुए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
रामनवमी के दिन भड़के दंगों की वजह से पश्चिम बंगाल में चार लोगों की मौत हो चुकी है। चौथे शख्स की मौत बुधवार को हुई, जिसकी पहचान गुरुवार सुबह की गई। बिहार में भी कई जिलों में भड़की हिंसा के बाद अब नया मामला नवादा में सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक यहां एक धार्मिक स्थल पर तोड़-फोड़ की गई है। इस दौरान कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया है, जबकि कई वाहनों को आग लगा दी गई। उधर गुजरात के सूरत में दो समुदाय के बीच हुई झड़प में छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इस मामले में पुलिस ने 40 लोगों को हिरासत में लिया है।
‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘सुशासन’ की छवि को नुकसान होते देख जेडीयू की ओर से भी बीजेपी को कड़ा संदेश देने की कोशिश की गई ताकि पार्टी अपने नेताओं पर लगाम लगाए. जेडीयू के महासचिव श्याम रजक ने कहा, ‘नीतीश जी कभी कानून-व्यवस्था के नाम पर समझौता नहीं करते है. पार्टी इसके लिए कोई भी कीमत देने के लिए तैयार है.’
पार्टी की ओर से दिया गया यह बयान सीएम नीतीश कुमार के उस बयान से कहीं ज्यादा तीखा है जिसमें उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता ‘स्वीकार’ नहीं है. लेकिन नीतीश कुमार के इस बयान का कोई असर बीजेपी नेताओं पर नहीं पड़ा था. भागलपुर से शुरू हुई हिंसा समस्तीपुर के कुछ इलाकों और उनके गृह जिले को नालंदा तक पहुंच गई सूत्रों के हवाले से खबर है कि नीतीश कुमार इन घटनाओं से काफी असहज महसूस कर रहे हैं जो उनकी सुशासन की छवि पर बट्टा लगा रही हैं. हालांकि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के कुछ नेताओं का मानना है कि अब मुख्यमंत्री को कुछ बातों के साथ ही रहना चाहिए. उनका मानना है कि यह 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए जमीनी आधार बनाने की कोशिश है. वहीं एक बीजेपी नेता का कहना है कि यह जेडीयू के साथ सोशल इंजीनियरिंग और ध्रुवीकरण को लेकर रस्साकस्सी चल रही है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास क्या विकल्प हैं? यह सवाल बीते 10 दिनों से बार-बार उठ रहा है. केंद्रीय मंत्री और बिहार से बीजेपी सांसद अश्विनी चौबे के बेटे अरिजीत शास्वत नीतीश कुमार को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं. बिहार के सीएम ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनके धुर विरोधी बन चुके तेजस्वी यादव की तरह ही एनडीए की अंदर ही कोई चुनौती बन जाएगा. भागलपुर में दंगा भड़काने के मामले में अरिजीत के खिलाफ कोर्ट ने वारंट किया है. अरिजीत शास्वत का कहना है कि उन्हें आत्मसमर्पण क्यों करना चाहिए? कोर्ट वारंट जारी करता है लेकिन अदालत आश्रय भी देती है. एक बार जब आप अदालत में जाते हैं तो आप केवल वही करेंगे जो वह आपके लिए तय किया गया होता है.
उधर अश्विनी चौबे भी अपने बेटे के बचाव में आ गए हैं. उसने कोई गलत काम नहीं किया. उन्होंने कहा, ‘सही कहा है कि उसने. जो भगोड़ा होता है वो भागता है, उसने कोई गलत काम नहीं किया है. भारत माता की जयकार और वंदे मातरम किया है उसने, जय श्रीराम कहा है. क्या इस देश के अंदर ये अपराध है, अगर ये अपराध तो वो अपराधी हो सकता है.’ उन्होंने कहा कि एफआईआर कुछ नहीं है. वह एक कूड़ा है जो कुछ भ्रष्ट अफसरों ने दर्ज की है. मेरे बेटे ने कोई गलती नहीं की है.
दूसरी ओर एक और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी मोर्चा खोल रखा है. बीजेपी नेताओं के बयान से आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी नीतीश कुमार पर निशाना साधने से नहीं चूक रहे हैं. दरअसल बिहार में हाल ही में हुए उपचुनाव के बाद से यहां पर सांप्रदायिक संघर्ष बढ़ गया है. रामनवमी के दौरान भागलपुर में तो झड़प की भी खबरें आने लगीं. इसके बाद बिहार के कई जिलों में तनाव बढ़ता चला गया.
बिहार के सीएम नीतीश कुमार की भी झुंझलाहट साफ देखी जा सकती है. पहली बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव द्वारा उठाए गए सवालों पर अपना आप खोते दिखे. उन्होंने तेजस्वी से यह तक कह डाला कि ‘सुनो बाबू, अभी राजनीति में लंबा करियर है. नीतीश कुमार ने 2013 में ही सांप्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता के सवाल पर एनडीए से नाता तोड़ा था. लेकिन बीजेपी से हाथ मिलाने के बाद अभी जो हालात बने हैं और उस पर बीजेपी नेताओं के बयान उनकी सुशासन और धर्मनिरपेक्ष छवि पर गहरी चोट पहुंचा रही है. हालांकि जेडीयू की ओर से बीजेपी को एक कड़ा संदेश देने की भी कोशिश की गई है. बिहार में कानून व्यवस्था को लेकर उठे सवाल पर एनडीटीवी से बातचीत में जेडीयू के महासचिव श्याम रजक ने कहा कि नीतीश जी कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करते और इसके लिए हम कोई भी कीमत देने के लिए तैयार हैं.
नीतीश कुमार ऐसे ही नहीं परेशान हैं. दरअसल उनके पास विकल्प भी बहुत नही हैं. बिहार में लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर 17 महीने तक सरकार चलाने वाले नीतीश कुमार ने आरजेडी सुप्रीम के परिवार पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते गठबंधन तोड़ लिया था. इसके साथ ही उन्होंने राज्य में उन्होंने माय (MY) समीकरण यानी मुस्लिम-यादव से भी नाता तोड़ा था. उस समय उन्होंने कहा था कि इस गठबंधन में उन्हें ‘घुटन’ होने लगी थी.
अब उनका लालू के साथ दोबारा जाने का कोई सवाल तो हाल-फिलहाल नहीं उठता है. लेकिन शांत होकर ‘घुटते’ रहना नीतीश का स्वभाव नहीं है. तो क्या वह इसलिए चुप हैं क्योंकि वह अंदर ही अंदर कोई विकल्प तलाश रहे हैं. 14 अप्रैल यानी बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती के दिन नीतीश कुमार और लोकजनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जा रहे हैं. ऐसे ही एनडीए की ओर सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी नेता उपेंद्र कुशवाहा भी खुलकर ‘विभाजनकारी राजनीति’ के खिलाफ नीतीश कुमार का समर्थन कर चुके हैं.
अगर इस समीकरण को वोट बैंक के लिहाज से देखें तो गैर-यादव ओबीसी और महादलित के बीच यह समीकरण बनता है जो कि बिहार में कुल 38 प्रतिशत के आसपास हैं. नीतीश कुमार को राज्य में कुर्मी और कोरी जातियों के प्रतिनिधि के तौर पर देखा जाता है. लेकिन कुशवाहा ने कोरी वोटबैंक में सेंध लगा दी थी. लेकिन अगर कुशवाहा साथ आते हैं तो नीतीश कुमार मजबूत होंगे.
दूसरा विकल्प किसी तीसरे मोर्चे के साथ जाने का हो सकता है लेकिन अभी यह दूर की कौड़ी है और एक सच्चाई भी ये भी है कि बिहार में नीतीश कुमार इतनी मजबूत नहीं है कि वह ममता बनर्जी और नवीन पटनायक की तरह अपने दम पर सरकार बना लें. फिलहाल नीतीश कुमार के पास अभी तो यही एक रास्ता है कि उन्हें अभी बीजेपी के समर्थन की जरूरत है.
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