रैमजे चिकित्सालय को पीपीपी मोड पर- CM & राज्य में इलाज नही मिल पाया था -नेता प्रतिपक्ष का खुलासा & पहाड़ी जिलों में सड़क निर्माण संभव नहीं & Top UK News 26 Oct
26 Oct. 20: Himalayauk Newsportal & Print Media Bureau # प्रदेश मे होम स्टे प्रोत्साहित # प्रदेश में 2200 होम स्टे संचालित मुख्यमंत्री # राज्य में इलाज नही मिल पाया था -नेता प्रतिपक्ष का खुलासा # पहाड़ी जिलों में सड़क निर्माण संभव नहीं : इस बयान के बाद राजनीतिक भूचाल आ गया, # जनपद चमोली- जिले में 13 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पाॅजिटिव
रैमजे चिकित्सालय को पीपीपी मोड पर चलाये जाने हेतु शीघ्र विज्ञप्ति जारी – मुख्यमंत्री
नैनीताल / देहरादून 26 अक्टूबर, 2020 (सू.ब्यूरो) मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को अपने एक दिवसीय नैनीताल भ्रमण के दौरान नैनीझील में एक करोड़ की लागत से यूएनडीपी के सहयोग से स्थापित दिव्य नैनीझील जल गुणवत्ता आंकलन प्रणाली का लोकर्पण किया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि नैनीझील अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए दुनिया भर में जानी जाती है व सदैव से ही पर्यटकों को आकर्षित करती रही है। उन्होने कहा कि नैनीझील हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग है। उन्हांने जिला प्रशासन व यूएनडीपी को इस अभिनव पहल के लिए बधाई देते हुए सभी से नैनीझील को स्वस्थ व स्वच्छ रखने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि जल गुणवत्ता प्रणाली जल संरक्षण के साथ ही जल की निर्मलता बनाये रखेगी। प्रदेश में जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रदेश की नदियों, झीलों तालाबों और जलस्रोतों को पुर्नजीवित करने के लिए व्यापक जन अभियान शुरू किया गया है, जिसमें सफलता मिली है। कोसी, गगास, रिस्पना, शिप्रा मे व्यापक वृक्षारोपण किया गया है। सौंग व जमरानी बांध बनने से 125 करोड की बिजली बचत होगी। उन्होंने कहा अल्मोडा में तडागताल पुर्नजीवन एवं संरक्षण हेतु 10 करोड रूपये जारी कर दिये गये है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड पर्यटन प्रदेश है। यहां अतिथि देव भवः के साथ ही स्थानीय उत्पाद व स्थानीय भोजन को बढावा देना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश मे होम स्टे को प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में 2200 होम स्टे संचालित है इनको और बढाया जायेगा। उन्होने कहा कि स्थानीय शिल्प को प्रोत्साहित करने हेतु सरकार ने आवास नीति के तहत स्थानीय शिल्प में बनाये जा रहे भवन में एक अतिरिक्त मंजिल बनाने की स्वीकृति दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नैनीताल में एसटीपी व पार्किग के निर्माण की स्वीकृति दे दी गई है। बलिया नाले पर अल्पकालीन व दीर्घकालीन दोनों योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। उन्होने कहा रैमजे चिकित्सालय को पीपीपी मोड पर चलाये जाने हेतु शीघ्र विज्ञप्ति जारी की जायेगी ताकि यहां की जनता व आने वाले पर्यटकों को और बेहतर स्वास्थ्य सुविधायें मिल सके।
रैमजे चिकित्सालय को पीपीपी मोड पर चलाये जाने हेतु शीघ्र विज्ञप्ति जारी की जायेगी ताकि यहां की जनता व आने वाले पर्यटकों को और बेहतर स्वास्थ्य सुविधायें मिल सके।
क्षेत्रीय विधायक संजीव आर्य ने जनपद आगमन पर मुख्यमंत्री का धन्यवाद अदा करते हुये जिला प्रशासन द्वारा किये जा रहे कार्यो की तारीफ की। उन्होंने सरकार द्वारा किये जा रहे विकास कार्यो की विस्तृत जानकारी देते हुये ऐतिहासिक रैमजे चिकित्सालय नैनीताल को पीपीपी मोड पर चलाने की मांग रखी ताकि जनता व पर्यटकों को और बेहतर स्वास्थ्य सुविधायें मिल सके। उन्होंने बताया कि नारायण नगर में पार्किग हेतु 25 बीघा भूमि आवंटित हो चुकी है साथ ही रानीबाग से हनुमानगढी रोपवे का प्रस्ताव भी गतिमान है।
मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुये जिलाधिकारी श्री सविन बंसल ने कहा कि जल गुणवत्ता के सत्त मापन हेतु मल्लीताल पम्प हाउस तथा तल्लीताल एरियेसन प्लांट मे एक-एक प्रोटियएस सेंसर स्थापित किये गये है। जिनसे झील के पानी की गुणवत्ता सम्बन्धित आंकणों को तल्लीताल डांठ महात्मा गांधी के मूर्ति के समीप एलईडी स्क्रीन पर आम जनमानस के लिए प्रसारित किया गया है। इससे झील की गुणवत्ता सम्बन्धित आंकडों के सत्त प्रदर्शन से स्थानीय लोगों एवं पर्यटकों को नैनीझील को स्वच्छ रखने हेतु जागरूकता बढेगी। जल गुणवत्ता के विस्तृत आंकडों एवं चेतावनी एसएमएस एवं मोबाइल एप द्वारा लोगों को प्रसारित की जायेगी। इन सेन्सरों द्वारा बायो कैमिकल ऑक्सीजन डिमांड, टोटल आर्गेनिक कार्बन, डिजाल्व आर्गेनिक कार्बन, प्रेशर क्लोराइड, पीएच टैम्फ्टर, नाइट्रेट टरबीटीटी, क्रूड आयल आदि तत्वों से परिणामों का पता चलेगा। इस प्रणाली से नैनीझील के अन्तर्जलीय वनस्पति एवं जीव जन्तुओं हेतु अनुकूल पर्यावरण विकास एवं प्रबन्धन करते हुए झील का संरक्षण किया जा सकेगा।
राज्य में इलाज नही मिल पाया था -नेता प्रतिपक्ष का खुलासा
जब उत्तराखंड की वरिष्ठ कांग्रेस नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश बीमार हो गईं. इंदिरा को अचानक निमोनिया के साथ कोरोना हो गया. इसके बाद इंदिरा का पहले हल्द्वानी फिर देहरादून और इसके बाद गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज हुआ. कोरोना संक्रमित होने के बाद नेता प्रतिपक्ष और राज्य की सियासत में बोल्ड पॉलीटिशियन की छवि रखने वाले नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के लिए भी इलाज पाना आसान नहीं रहा. उन्होंने इसका खुलासा खुद किया है.
इंदिरा को 16 सितंबर को बुखार आया था. 18 सितंबर को उन्हें हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां कोरोना के साथ निमोनिया होने की पुष्टि हुई थी. इसके बाद इंदिरा को देहरादून के मैक्स अस्पताल ले जाने का निर्णय लिया गया. 20 सितंबर को इंदिरा को एयरलिफ्ट कर देहरादून ले जाया गया. मैक्स अस्पताल में पांच घंटे तक इंतजार के बाद भी नेता प्रतिपक्ष को बेड नहीं मिला.
हृदयेश ने बताया कि देहरादून के मैक्स अस्पताल में बेड न मिलने के बाद उन्होंने दिल्ली या गुरुग्राम के किसी प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने का फैसला किया. लेकिन उकने लिए यह काम आसान नहीं था. इसके लिए उन्हें बीजेपी के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी और हमेशा कांग्रेस पर आग उगलने वाले बीजेपी के दूसरे राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा का सहारा लेने पड़ा.
इंदिरा हृदयेश ने बताया कि बलूनी और पात्रा से उनके बेटे सुमित हृदयेश ने फोन पर बात की. इसके बाद दोनों बीजेपी प्रवक्ताओं ने इंदिरा के इलाज की व्यवस्था की. बलूनी और पात्रा की बदौलत इंदिरा को हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित मल्टी स्पेश्यलिटी हॉस्पिटल मेदांता में इलाज मिल सका.
इंदिरा हृदयेश ने बताया कि बलूनी और पात्रा से उनके बेटे सुमित हृदयेश ने फोन पर बात की. इसके बाद दोनों बीजेपी प्रवक्ताओं ने इंदिरा के इलाज की व्यवस्था की. बलूनी और पात्रा की बदौलत इंदिरा को हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित मल्टी स्पेश्यलिटी हॉस्पिटल मेदांता में इलाज मिल सका. स्वस्थ्य होने के बाद कांग्रेस नेता इंदिरा हृदयेश इन दोनों बीजेपी नेताओं का शुक्रिया कर रही हैं जिनकी बदौलत उन्हें समय पर बेहतर इलाज मिल सका. शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक और सीएम ऑफ़िस से भी मैक्स अस्पताल में इंदिरा हृदयेश को बेड देने को कहा कहा गया था. अंततः उन्हें लिए देहरादून के सिनर्जी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कुछ ही घंटे बाद बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं अनिल बलूनी और संबित पात्रा से बात के बाद इंदिरा हृदयेश को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां वह 12 दिन तक भर्ती रहीं.
पहाड़ी जिलों में सड़क निर्माण संभव नहीं
कुमांऊ के पहाड़ी जिलों में वन भूमि हस्तांतरण की वजह से 568 सड़कों के प्रस्ताव लंबित है. दशकों की मांग के बाद राज्य सरकार ने सड़क बनाने की घोषणा तो की लेकिन वन विभाग और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के तालमेल की कमी सड़क निर्माण संभव नहीं हो पा रहा है. इसकी वजह से बड़ी संख्या में कुमाऊं के ग्रामीणों के लिए आवाजाही का ज़रिया दो पैर ही हैं. माना जा रहा है कि सड़कें न बन पाने की बड़ी वजह वन भूमि के लिए क्षतिपूर्ति भूमि की कमी है.
पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क पहुंचने के बाद ही विकास को रोशनी पहुंचती है. शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी गांवों की मूलभूत आवश्यकताएं सड़क के अभाव में पूरी नहीं हो पाती हैं. पहाड़ के गांवों में सड़क न होने की वजह से गांवों में तेज़ी से पलायन हो रहा है.
सड़क न होने की वजह से कई गांवों में तो मरीज़ों और गर्भवती महिलाओं को डोली में बैठाकर सड़क तक पहुंचाना पड़ता है. कई बार ऐसा हुआ है कि गांव में जवान लोगों के न होने की वजह से डोली सड़क तक नहीं पहुंच पाई और मरीज़ की जान चली गई. अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत और बागेश्वर जिले में ही 568 सड़कों को स्वीकृति मिल चुकी है लेकिन ये वन भूमि हस्तांतरण की वजह से लंबित हैं. अल्मोड़ा ज़िले में 229 सड़कें, पिथौरागढ़ में 169, बागेश्वर में 112 और चंपावत में 58 सड़कें वन भूमि ट्रांस्फ़र न हो पाने की वजह से अटकी हुई हैं.
इस बयान के बाद राजनीतिक भूचाल आ गया
श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने शुक्रवार को कहा कि वे 2022 का चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं. इस बात को लेकर उन्होंने पार्टी हाईकमान को भी अवगत करा दिया है. इस बयान के बाद राजनीतिक भूचाल आ गया, हरक सिंह ने कहा कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे इसका मतलब ये नहीं कि राजनीति से संन्यास ले लेंगे. राजनीति अंतिम सांस तक करेंगे. लेकिन अब चुनाव नहीं लड़ना चाहते.
सीएम के निर्देश और पूरे सिस्टम को धत्ता बताकर दमयंती रावत आज भी दूसरे विभाग यानि की कर्मकार कल्याण बोर्ड में बतौर सचिव काम कर रही है. जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी का कहना है कि दमयंती रावत की इस नियमविरूद्व प्रतिनियुक्ति पर जीरो टालरेंस का नारा देने वाली सरकार और उसके कारिंदों की चुप्पी आर्श्चजनक है. उन्होंने इस पूरे प्रकरण की जांच की मांग उठाई है. उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड का. उत्तराखंड सरकार ने बोर्ड के अध्यक्ष पद पर काबिज श्रम मंत्री हरक सिंह रावत को हटा कर पूरे बोर्ड का ही पुनर्गठन कर डाला. कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद पर मंत्री की जगह श्रम बोर्ड के अध्यक्ष दायित्वधारी शमशेर सिंह सत्याल को बैठा दिया, तो इससे श्रम मंत्री हरक सिंह रावत खासे नाराज हैं. वहीं, हाल ही में उन्होंने कहा था कि मैं 2022 का चुनाव नहीं लड़ना चाहता हूं. अब इसको इसी नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है. इसी बोर्ड में सचिव पद पर तैनात हैं दमयंती रावत.
दमयंती रावत मूल रूप से शिक्षा विभाग में खंड शिक्षा अधिकारी हैं. साल 2012 में जब उत्तराखंड में कांग्रेस सत्ता में आई तो हरक सिंह रावत कृषि मंत्री बनाए गए. तब दमयंती रावत खंड शिक्षा अधिकारी सहसपुर, ग्रेड वेतन 6600 के पद पर तैनात थी. कृषि विभाग में दमयंती रावत के लिए बकायदा विशेष कार्याधिकारी का निसंवर्गीय पद ग्रेड वेतन 8700 स़ृजित किया गया और इस पर प्रतिनियुक्ति के जरिए दमयंती रावत की ताजपेाशी की गई. हालांकि, तत्कालीन शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने एनओसी देने से मना कर दिया था. लेकिन दमयंती रावत बेरोकटोक प्रतिनियुक्ति पर आ गई. यही नहीं कुछ समय बाद उनका ओहदा बढ़ाकर उन्हें कृषि विभाग में उत्तराखंड बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण अभिकरण के निदेशक पद पर तैनात कर दिया गया. लेकिन, 2016 में सत्ता के समीकरण गड़बड़ाए और मंत्री हरक सिंह रावत को अपनी विधायकी से हाथ धोना पड़ा तो इसका असर दमयंती रावत पर भी पड़ा.
नतीजा 2016 में बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण अभिकरण के डायरेक्टर पद से छुट्टी कर उन्हें मूल विभाग को वापस कर दिया गया. लेकिन, दमयंती रावत ने एक साल दो महीने तक वापस अपना मूल विभाग भी ज्वाइन नहीं किया. कृषि विभाग से विदाई के बाद दमयंती रावत ने दस जुलाई 2017 को शिक्षा विभाग में ज्वाइनिंग दी. सवाल उठा कि एक साल दो महीने वे कहां गायब रही. इसके लिए शिक्षा विभाग ने उनको आरोप पत्र थमा दिया. दमयंत्री रावत ने आरोपों के जवाब में चिकित्सा प्रमाण पत्रों के साथ ही जो स्पष्टीकरण दिया उस पर आज भी फैसला नहीं हो पाया है. लेकिन, 31 अक्टूबर 2017 को उन्हें खंड शिक्षा अधिकारी, विण, पिथौरागढ़ के पद पर नियुक्ति दे दी गई.
इसे दमयंती रावत का रुतबा ही कहा जाएगा कि तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखती आ रही दमयंती रावत ने पिथौरागढ़ में ज्वाइनिंग नहीं ली. इसके पीछे एक कारण ये भी है कि मार्च 2017 में भाजपा की सरकार बन चुकी थी और हरक सिंह रावत को वन एवं श्रम मंत्री बनाया गया था. हरक सिंह रावत अब दमयंती को अपने विभाग में लाना चाहते थे. इसके लिए श्रम विभाग के अधीन कर्मकार कल्याण बोर्ड सबसे उपयुक्त पाया गया. दमयंती रावत के लिए अपर कार्याधिकारी का पद भी खोज लिया गया. मंत्री हरक सिंह रावत पहले श्रम विभाग के सचिव के बजाए खुद बोर्ड के अध्यक्ष बने और फिर 15 दिसंबर 2017 को बोर्ड ने शिक्षा विभाग को पत्र भेजकर दमयंती रावत को प्रतिनियुक्ति के लिए कार्यमुक्त करने का पत्र भेजा. लेकिन अबकी बार शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय दमयंती रावत को एनओसी न देने पर अड़ गए.
इसकी परवाह न दमयंती रावत ने की और न हरक सिंह ने. बिना एनओसी के ही दिसंबर 2017 में दमयंती रावत को अपर कार्याधिकारी कर्मकार कल्याण बोर्ड में यह कहकर तैनाती दे दी गई कि वह अपने विभाग से शीघ्र एनओसी उपलब्ध करा देंगी. लेकिन, दमयंती रावत को आज तक एनओसी नहीं मिली. यहां भी पूर्ववर्ती सरकार की तरह कहानी देाहराई गई. विशेष कार्याधिकारी से जुलाई 2018 में उन्हें सचिव पद पर तैनाती दी गई. आदेश में लिखा गया कि नियमित तैनाती होने तक कामचलाऊ व्यवस्था के तहत अग्रिम आदेशों तक उन्हें बोर्ड का सचिव बनाया जाता है. तब से दमयंती रावत बेरोकटोक बोर्ड के सचिव की कुर्सी पर विराजमान हैं. इसी सचिव पद पर रहते हुए उन पर श्रमिकों के नाम पर मशीन, साइकिल आदि खरीदने में करोड़ों रूपए घोटाले के आरोप लग रहे हैं. क्या हुआ दमयंती रावत की एनओसी का नियम कहता है कि सरकारी सेवक को जो प्रतिनियुक्ति पर जा चुका हो, उसे दूसरी बार प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए कम से कम दो साल अपने मूल विभाग में सेवा देना अनिवार्य है.
विशेष परिस्थितियों में गुणावगुण के आधार पर छह महीने के भीतर यदि दोबारा प्रतिनियुक्ति पर जाना हो तो इसका अधिकार प्रशासकीय विभाग को होगा. इससे कम अवधि के लिए वित्त विभाग की सहमति आवश्यक है. लेकिन, इसे पॉवर कारीडोर में पहुंच ही कहेंगे कि इनसबको धत्ता बताते हुए दमयंती रावत विभाग में तैनाती देने के छह महीने से भी काफी पहले दोबारा प्रतिनियुक्ति पर चली गई. कर्मकार कल्याण बोर्ड के लिए जब दमयंती रावत की एनओसी की फाइल शिक्षा विभाग की सचिव भूपेंद्र कौर औलख के पास आई तो दो जनवरी 18 को औलख ने लिखा कि दमयंती रावत लंबे समय से प्रतिनियुक्ति पर हैं.
आरोप पत्र पर आए उनके स्पष्टीकरण पर भी अभी तक निर्णय नहीं हुआ है. प्रतिनियुक्ति की समय सीमा पांच साल भी पूर्ण हो चुकी है. ऐसे में दमयंती रावत प्रतिनियुक्ति की अर्हता पूरी नहीं करती हैं. अत: उन्हें प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाना संभव नहीं है. सचिव औलख की इस टिप्पणी पर नौ जनवरी को सीएम त्रिवेंद्र रावत ने भी अपनी सहमति जताई है. सीएम की सहमित के बाद 16 जनवरी 2018 को सचिव भूपेंद्र कौर औलख ने महानिदेशक विधालयी शिक्षा को पत्र लिखा कि दमयंती रावत का प्रतिनियुक्ति पर जाने का प्रस्ताव औचित्यहीन है. उनकी प्रतिनियुक्ति संभव नहीं है. इसलिए एनओसी नहीं दी जा सकती.
जनपद चमोली- जिले में 13 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पाॅजिटिव
चमोली 26 अक्टूबर,2020 (सू0वि0) सोमवार को जिले में 13 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पाॅजिटिव मिली। जिसमें कर्णप्रयाग से 6, देवाल से 3, जोशीमठ से 2 तथा पीपलकोटी व घाट से 1-1 व्यक्ति की रिपोर्ट पाॅजिटिव आई। स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमितों का इलाज शुरू कर दिया है। कोरोना वायरस से जिले में अब तक 1686 लोग संक्रमित हुए है। हालांकि इसमें से 1460 लोग स्वस्थ भी हो चुके हंै और 226 एक्टिव केस है।
कोविड संक्रमण की रोकथाम को लेकर जिला प्रशासन सभी जरूरी कदम उठा रहा है। जनपद वासियों को संक्रमण से बचने के लिए शारीरिक दूरी रखने एवं मास्क पहनने के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है। कोविड की जांच के लिए जिला प्रशासन ने गौचर एवं जोशीमठ में भी ट्रू-नाॅट मशीन लगा दी है। जबकि कर्णप्रयाग व जिला अस्पताल में पहले से ही जांच के लिए यह सुविधा है। जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया के निर्देशों पर स्वास्थ्य विभाग ने सैंपल जांच का दायरा भी बढा दिया है ताकि अधिक से अधिक लोगों की जांच हो सके। सोमवार को 160 संदिग्ध व्यक्तियों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए। जिले से अभी तक 37022 व्यक्तियों के सैंपल टेस्ट के लिए भेजे जा चुके हैं, जिसमें से 33034 सैंपल नेगेटिव तथा 1686 सैंपल पाॅजिटिव मिले। जबकि 530 सैंपल की रिपोर्ट आनी बाकी है।
कोविड संक्रमण से बचाव के दृष्टिगत बाहरी प्रदेशों से आए 28 प्रवासी अभी फेसलिटी क्वारटीन में ठहराए गए लोगों की रेग्यूलर जाॅच कर रही है। इसके अलावा 132 प्रवासियों को होम क्वारंटीन किया गया है। होम क्वारंटीन लोगों के मेडिकल जांच के लिए गठित 23 मोबाइल चिकित्सा टीमें गांवों में घर-घर जाकर जांच कर रही है। इसके अलावा आशा के माध्यम से भी होम क्वारंटीन लोगों की नियमित स्वास्थ्य जांच की जा रही है। जिलाधिकारी ने सभी प्रवासियों को क्वारंटीन नियमों का पूरी तरह से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है। शासकीय कार्मिकों के माध्यम से क्वारंटीन लोगों पर निरतंर निगरानी रखते हुए नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध कार्यवाही भी अमल में लाई जा रही है।
जिले में कोविड नियमों का उल्लंघन करने पर डीएम एक्ट के तहत 43 एफआईआर, सोशियल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने पर 2077 तथा मास्क न पहनने पर 5676 लोगों को दंड स्वरूप जुर्माना लगाया गया। महामारी अधिनियम के तहत क्वारंटाइन का उल्लंघन करने पर 15 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने पर 01 तथा पुलिस एक्ट के तहत 2538 लोगों के खिलाफ कार्यवाही की गई है। पुलिस प्रशासन के माध्यम से अब तक 6948 मास्क भी वितरित किए गए है।
जिले में आवश्यक सेवाओं के तहत खाद्यान की आपूर्ति सुचारू बनी हुई है। स्टाॅक में गेहूं 2941.19 कुन्तल, चावल 1762.71 मसूर दाल 1.53 कुन्तल, चना दाल 9.55 कुन्तल, अरहर दाल 563.95, उडद दाल 536.33, चीनी 39.48 कुन्तल, पीएम गरीब कल्याण चावल 308.17, कुन्तल पीएम गरीब कल्याण गेहूं 5046.90 कुन्तल व दाल 660.17 कुन्तल तथा घेरलू गैस के 2489 गैस सिलेण्टर अवशेष है।