सबसे कामयाब सीएम ; दूसरी लहर को संभाली- ट्विटर सर्वे ने किसे बताया? & बॉम्बे हाई कोर्ट का राज्यपाल के कामकाज पर सवाल
HIGH LIGHT# कोरोना काल में किस राज्य का मुख्यमंत्री कैसा काम कर रहा है। पूरे देश प्रवासी भारतीयो, राजनीतिक विश्लेषकों, मीडिया जगत व समाज के बुद्धिजीवी वर्ग, संत समाज तमाम लोगो की नज़र इस बात पर रही मुख्यमंत्रियों की परफ़ॉर्मेंस जांचने के लिए देश के जाने-माने पत्रकार प्रभु चावला ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक सर्वे कराया। इस सर्वे में उन्होंने पूछा था कि किस मुख्यमंत्री ने कोरोना की दूसरी लहर को संभालने में सबसे बढ़िया काम किया है।
& High Light News No. 2: बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्यपाल से पूछा सवाल : हाई कोर्ट ने राज्यपाल के सचिव से सवाल किया कि आखिर कब निर्णय होगा। अदालत ने इस मामले में दो सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट का यह निर्णय राज्यपाल के कामकाज पर एक सवाल के रूप में देखा जा रहा है।
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ख्यमंत्रियों की परफ़ॉर्मेंस जांचने के लिए देश के जाने-माने पत्रकार प्रभु चावला ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक सर्वे कराया। इस सर्वे में उन्होंने पूछा था कि किस मुख्यमंत्री ने कोरोना की दूसरी लहर को संभालने में सबसे बढ़िया काम किया है। सर्वे में उन्होंने 8 राज्यों के मुख्यमंत्रियों का नाम दिया था। इनमें ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, केरल के पिनाराई विजयन, महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे, पंजाब के कैप्टन अमरिंदर सिंह, कर्नाटक के बीएस येदियुरप्पा, मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान, उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम शामिल किया था।
सर्वे में 3 लाख लोगों ने भाग लिया। ट्विटर पर कराए जाने वाले इस तरह के सर्वे पूरी तरह निष्पक्ष होते हैं क्योंकि इनमें छेड़छाड़ की गुंजाइश नहीं होती। प्रभु चावला दशकों से राष्ट्रीय स्तर पर पत्रकारिता करते रहे हैं, ऐसे में उन्हें जानने वालों की संख्या भी लाखों में है और उनके इस सर्वे में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग भी लिया।
सर्वे के जो नतीजे सामने आए, उसमें पहले नंबर पर उद्धव ठाकरे रहे और उन्हें 62.5% वोट मिले जबकि दूसरे नंबर पर शिवराज सिंह चौहान रहे और उन्हें 49% वोट मिले जबकि नवीन पटनायक चौहान से थोड़ा ही पीछे रहे और उन्हें 48.8% वोट मिले।
ठाकरे सरकार बेहतर काम करने में सबसे आगे रही है। कोरोना की पहली लहर में भी ठाकरे सरकार के काम की प्रशंसा हुई ‘मुंबई मॉडल’ की तारीफ़ सुप्रीम कोर्ट ने भी की है।
अपने प्रदेश में ऑक्सीजन, बेड्स व दवाइयों की कमी न होने का दावा करने वाले योगी आदित्यनाथ चौथे नंबर पर रहे और उन्हें 31.6% वोट मिले। इसके बाद नंबर आया अरविंद केजरीवाल का। केजरीवाल को सिर्फ़ 4.6% और अमरिंदर सिंह को 1.7% वोट मिले। पिनराई विजयन को 1.3% और येदियुरप्पा को सिर्फ़ 0.5% वोट मिले।
सर्वे के नतीजे साफ़ करते हैं कि मुंबई, महाराष्ट्र में जबरदस्त संक्रमण के बाद भी ठाकरे सरकार बेहतर काम करने में सबसे आगे रही है। कोरोना की पहली लहर में भी ठाकरे सरकार के काम की प्रशंसा हुई थी। मुंबई जैसे जबरदस्त भीड़-भाड़ वाले शहर में कोरोना को काबू करना बड़ी चुनौती थी और अब जब संक्रमण के मामले घटे हैं तो ‘मुंबई मॉडल’ की चर्चा हो रही है। इस ‘मुंबई मॉडल’ की तारीफ़ सुप्रीम कोर्ट ने भी की है।
दूसरी ओर सर्वे के नतीजे बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल, अमरिंदर सिंह, पिनराई विजयन को और येदियुरप्पा के काम से लोग ख़ुश नहीं हैं और उन्हें पूरी ताक़त के साथ कोरोना से लड़ाई लड़नी होगी जबकि योगी आदित्यनाथ को भी अपना प्रदर्शन सुधारने की ज़रूरत है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से पूछा है कि वे राज्य विधान परिषद के 12 सदस्यों के नामांकन पर फैसला कब करेंगे। राज्य सरकार के मंत्रिमंडल ने नवम्बर 2020 में इन 12 सदस्यों के नामों की सूची सर्वसम्मति से पारित कर राज्यपाल को भेज दी थी, लेकिन उस पर राज्यपाल द्वारा अब तक कोई निर्णय नहीं किया गया। सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं और सरकार की तरफ से कई बार राज्यपाल से इन नियुक्तियों के बारे में पूछा भी गया लेकिन आज तक कोई फैसला नहीं हो सका।
महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी की सरकार के गठन की प्रक्रिया में सरकार बनाने के लिए न्यौता दिए जाने, राष्ट्रपति शासन लगा देने, रातों रात उसे हटाकर अँधेरे में ही देवेंद्र फडणवीस को फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला देने, ऐसे अनेक मामले हैं जब राज्यपाल की भूमिका सवालों के घेरे में आयी।
राज्यपाल को राज्य सरकार की तरफ से विधान परिषद के 12 सदस्यों के नाम की सूची 6 नवंबर 2020 को भेजी गयी थी लेकिन उन्होंने आज तक उस पर कोई निर्णय नहीं किया। इस संबंध में नासिक के रतन सोली ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। न्यायाधीश शाहरुख काथावाला और न्यायाधीश सुरेंद्र तावडे की खंडपीठ इसकी सुनवाई कर रही है। मामले की अगली सुनवाई 9 जून, 2021 को होनी है। इस मामले में सरकार के अनेक मंत्रियों के बयान बार-बार आते रहे हैं।
नाना पटोले ने विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के बाद इस बारे में महत्वपूर्ण बातें कहीं थी। उन्होंने कहा था कि राज्यपाल द्वारा इन नामों की घोषणा नहीं किये जाने से प्रदेश में संवैधानिक संकट निर्माण हुआ है। उन्होंने कहा था कि विधि मंडल की समितियां भले ही सरकार ने बना रखी हैं लेकिन उनमें नामांकित होने वाले विधान परिषद के सदस्यों के स्थान खाली पड़े हुए हैं जिससे भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
पटोले ने कहा था कि इन समितियों के काम को संवैधानिक कहा जाए या कि असंवैधानिक यह सवाल खड़ा हो गया है। पटोले के इन आरोपों के जवाब के बदले उलटे राज्यपाल ने सरकार को एक पत्र लिखकर पूछा कि विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव कब होने वाले हैं। ऐसे में हाई कोर्ट का यह आदेश महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लेकिन एक सवाल तो खड़ा ही होता है कि क्या राज्यपाल अब राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की तरह ही काम करेंगे?
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