टयोटा किर्लोस्कर कार का मॉडल भारत सरकार द्वारा अनुमोदित ही नहीं
टयोटा कार का मॉडल पास न कराने पर उपभोक्ता फोरम सख्त
टयोटा को ८.१५ लाख तथा ब्याज उपभोक्ता को भुगतान करने का आदेश
आर.टी.ओ. के पंजीयन अधिकारी के विरूद्ध जांच की सिफारिश
टयोटा कार का मॉडल भारत सरकार से पास कराये बगैर टयोटा कार बाजार में उतारने पर उपभोक्ता फोरम ने कडा रूख अपनाते हुये टयोटा कम्पनी को ८ लाख १५ हजार ७०४ रूपये तथा ब्याज का भुगतान उपभोक्ता को करने का आदेश दिया है। इसके अतिरिक्त मॉडल अनुमोदित हुये बगैर ही रजिस्ट्रेशन करने वाले आर.टी.ओ. कार्यालय के पंजीयन अधिकारी के विरूद्ध भी जांच की सिफारिश उत्तराखंड के परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव तथा परिवहन आयुक्त को की है।
बाजपुर निवासी दलजीत सिंह की ओर से नदीम उद्दीन (एडवोकेट) द्वारा जिला उपभोक्ता फोरम, उधमसिंह नगर में परिवाद दायर करके कहा गया था कि परिवादी दलजीत सिंह ने टयोटा किर्लोस्कर मोटर प्रा०लि० के विज्ञापनों से आकर्षित होकर कम्पनी की इटयोस लिवा वीडी एस पी मॉडल की एक कार रू. ७,०५,७४५ का भुगतान करके कामर्शियल टयोटा, हल्द्वानी से २६ जून २०१४ को खरीदी। वाहन खरीदने के बाद परिवहन विभाग में रजिस्ट्रेशन हेतु आवेदन किया। इस पर सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी काशीपुर द्वारा रजिस्ट्रेशन करने तथा नम्बर प्लेट देने से इस आधार पर इंकार कर दिया कि कामर्शियल टयोटा, हल्द्वानी द्वारा बेची गयी तथा टयोटा किर्लोस्कर मोटर प्रा०लि० कर्नाटक द्वारा निर्मित सम्बन्धित कार का मॉडल भारत सरकार द्वारा अनुमोदित ही नहीं किया गया है। परिवादी को रजिस्ट्रेशन योग्य न हेने वाला वाहन विक्रय करके स्पष्टताः उपभोक्ता सेवा में कमी तथा अनुचित व्यापारिक व्यवहार किया गया है। परिवादी ने विपक्षीगण को अपने अधिवक्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) के माध्यम से नोटिस भी भेजा विपक्षीने इसका कोई उत्तर नहीं दिया गया।
परिवादी की ओर से उसके अधिवक्ता नदीम उद्दीन द्वारा फोरम के अध्यक्ष आर.डी. पालीवाल, महिला सदस्या श्रीमति नरेश कुमारी छाबडा तथा सदस्य सबाहत हुसैन खान के समक्ष बहस की गयी। उन्होंने राष्ट्रीय आयोग के विभिन्न निर्णयों का संदर्भ देते हुए कहा कि गलत वाहन बेचना स्पष्टतः सेवा में कमी का मामला है। विपक्षीगण ने कोई भी ऐसा प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है कि सम्बन्धित कार मॉडल बिक्री की तिथि से पूर्व अनुमोदित कर दिया गया हो। इससे स्पष्ट है कि परिवादी को कार का वह मॉडल बेच दिया जो भारत सरकार से अनुमोदित नहीं था। इस प्रकार उक्त वाहन भारत सरकार द्वारा सुरक्षित घोषित नहीं किया गया था और परिवादी की जान से विपक्षीगण द्वारा खिलवाड किया गया। परिवादी इस वाहन का पंजीकरण नहीं करा सकता था और विपक्षीगण द्वारा जो कथित पंजीकरण की फोटोप्रति प्रस्तुत की है इसमें मॉडल का नाम इटिमोस वी डी अंकित है न कि इटियोस लिवा वीडी एस पी। श्री नदीम ने यह तर्क भी दिया कि विपक्षीगण ने अपने द्वारा अपने को घोटाले से बचाने के लिए पंजीयन अधिकारी काशीपुर से मिलकर वाहन का तथाकथित पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करवा दिया जो की वैध नहीं हैं क्योंकि उसमें वाहन का मॉडल सही नहीं लिखा है और प्रश्नगत वाहन भारत सरकार द्वारा अनुमोदित नहीं था। इस सम्बन्ध में आर.टी.ओ. काशीपुर पर भी कार्यवाही होनी चाहिए क्योंकि उनके द्वारा वाहन का मॉडल जो भारत सरकार द्वारा अनुमोदित नहीं था वाहन का पंजीकरण कैसे कर दिया।
जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष आर.डी. पालीवान तथा सदस्यगण श्रीमति नरेश कुमारी छाबडा तथा सबाहत हुसैन खान ने श्री नदीम के तर्कों से सहमत होते हुये अपने निर्णय में लिखा कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को ऐसा मॉडल विक्रय किया गया जो भारत सरकार द्वारा अनुमोदित नहीं है अतः यह सेवा में कमी एवं अनुचित व्यापार का गंभीर मामला है जिसे बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए। विपक्षीगण का यह कृत्य ग्राहकों को खतरे में पहुंचाने वाला है।
फैसले में यह भी लिखा गया है कि इस सम्बन्ध में उत्तराखंड के परिवहन सचिव व परिवहन आयुक्त को भी सूचित किया जाना आवश्यक होगा कि वे दिनांक २९-०८-२०१४ को काशीपुर में जो पंजीयन अधिकारी थे उनके कार्य के संबंध में जांच करें कि भारत सरकार द्वारा जो मॉडल अनुमोदित ही नहीं हुआ था उसका पंजीकरण काशीपुर के पंजीयन अधिकारी ने कैसे कर दिया।
जिला उपभोक्ता फोरम ने विपक्षीगण को निर्णय तिथि से एक माह के अन्दर रू. ७,०५,७४५ की धनराशि २६ जून २०१४ से भुगतान की तिथि तक ७ प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित भुगतान करने तथा मानसिक क्षति के रू. एक लाख तथा वाद व्यय रू. १० हजार की धनराशि भुगतान करने का आदेश दिया। परिवादी को निर्देश दिया है कि वह १५ दिन के अंदर सबंधित वाहन कामर्शियल टयोटा, हल्द्वानी को उपलब्ध करायें। इसके अतिरिक्त आर.टी.ओ. काशीपुर के पंजीयन अधिकारी की जांच के संबंध में निर्णय की प्रति प्रमुख सचिव परिवहन उत्तराखंड तथा परिवहन आयुक्त उत्तराखंड को भी भेजने का आदेश दिया है।
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