न्‍याय केे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हरीश रावत

kotgari-temple-harish-rawat-1*देवी की अदालत ………….कोटगाडी दरबार* को न्‍याय का सुप्रीम कोर्ट माना जाता है- हरीश रावत भी विगत दिनों कोटगाडी दरबार पहुंचे- कोकिला कोटगाड़ी देवी को न्याय की देवी के रुप में प्रतिष्ठा प्राप्त है। जब सभी देवता कुछ विषेष परिस्थितियों में स्वयं को न्याय देने व फल प्रदान करने में असमर्थ मानते है, तो ऐसी स्थिति में कोकिला कोटगाड़ी देवी तत्काल न्याय देने को तत्पर रहती है, एक्‍सक्‍लूसिव- आलेख-‘ www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal) 

* रमाकान्त पन्त’
*हिमालय की पावन भूमि जनपद पिथौरागढ़ के पाखू नामक क्षेत्र में स्थित कोकिला देवी का दरबार भक्त जनों के लिए माता भवानी की और से उनकी कृपा की अलौकिक सौगात है, अभीष्ट कार्यों की सिद्वियों के लिए इनकी ्रषरणागत सब प्रकार से मनांेवाछित फल प्रदान करने वाली कही गयी है, मंदिर में फरियादों के असंख्य पत्र न्याय की गुहार के लिए लगते रहते रहे है, दूर-दराज से श्रद्वा लुजन डाक द्वारा भी मंदिर के नाम पर पत्र भेजकर मनौती मागते है, तथा मनौती पूर्ण होने पर दर्षन के लिए यहा अवष्य पधारते है, यह दंत कथा भी काफी प्रसिद्व है कि माता के प्रभाव से आजादी के पूर्व अग्रेजों के ्रषासन काल में एक जज ने जटिल यात्रा कर यहां पहंुचकर क्षमा याचना की इसके पिछे कारण बताया जाता है।कि क्षेत्र के एक निर्दोष व्यक्ति को जब अदालत से भी न्याय नही मिला तो सामाजिक दंष से आहत होकर स्वंय को निर्दोष साबित करने के लिए करुण पुकार के साथ भगवती कोटगाड़ी के चरणों में विनती की भक्त की करुण विनती के फलस्वरुप चमत्कारिक घटना के साथ कुछ समय के बाद जज ने यहां पहुचकर उसे निर्दोष बताया इस तरह के एक नही सैकड़ो चमत्कारिक करिष्में देवी के इस दरबार से जुड़ी हुई है। हिमालय के देवी
शक्‍ति पीठों में कोकिला माता का महात्म्य सबसे निराला है, सिद्वि की अभिलाषा रखने वाले तथा ऐष्वर्य की कामना करने वाले लोगों के लिए भी यह स्थान त्वरित फलदायक है, देवी के उपासक इन्हें विष्वेष्वरी, चन्द्रिका, कोटवी, सुगन्धा, परमेष्वरी, चण्डिका, वन्दनीया, सरस्वती, अभया प्रचण्डा, देवमाता, नागमाता, प्रभा आदि अनेक नामों से पुकारते है।
कोकिला कोटगाड़ी देवी को न्याय की देवी के रुप में प्रतिष्ठा प्राप्त है। जिस किसी को भी कही से जब न्याय की उम्मीद नही रह जाती है, तो वह कोटगाड़ी देवी की शरण में जाकर न्याय की गुहार करता है, यह भी मान्यता है,कि कोटगाड़ी देवी उसे अवष्य ही न्याय दिलाती है, जनश्रुति के अनुसार जब सभी देवता कुछ विषेष परिस्थितियों में स्वयं को न्याय देने व फल प्रदान करने में असमर्थ मानते है, तो ऐसी स्थिति में कोकिला कोटगाड़ी देवी तत्काल न्याय देने को तत्पर रहती है, मंदिर के समीप ही अनेक पावन व सुरभ्य स्थल मौजूद है। इस पौराणिक मंदिर मेंष््रषक्ति कैसे और कब अवतरित हुई इसकी कोई प्रमाणिक जानकारी नही हो पायी है ,दंत कथाओं में कई भक्त मानते है, कि यह देवी नेपाल से यहां आई है इनके विश्राम स्थल अनेकों स्थानों पर है, जहां नित्य इनकी पूजा होती है कोट का तात्पर्य अदालत से माना जाता है, पीड़ितों को तत्काल न्याय देने के कारण ही इस देवी को न्याय की देवी माना जाता है, और इसी भाव से इनकी पूजा प्रतिष्ठा सम्पन कराने की परम्परा है, एक प्राचीन कथा के अनुसार जब योगेष्वर भगवान श्री कृष्ण ने बालपन में कालिया नाग का मर्दन किया और उसे जलाषय छोड़ने को कहा तो कालिया नाग व उसकी पत्नियों ने भगवान कृष्ण से क्षमा याचना कर प्रार्थना की कि, हे प्रभु हमे ऐसा सुगन स्थान बताये जहांॅ हम पूर्णतः सुरक्षित रह सके तब भगवान श्री कृष्ण ने इसी कष्ट निवारिणी माता कीष््रषरण में कालिया नाग को भेजकर अभयदान प्रदान किया था।

;;;एक ओर धार्मिक स्‍थलों की यात्रा- दूसरी ओर- उत्‍तराखण्‍ड में भ्रष्‍टाचार का खुला खेल- इस पर सोशल मीडिया में जबर्दस्‍त प्रतिक्रिया-
इस आदमी ने लुटते-पिटते, बीमार-घायल उत्तराखंड से मोटा पैसा लेकर जेब भरी है
डॉ. वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल लिखते है कि-
मैंने कैलाश खेर नामक इस गायक को अभी तक नहीं सुना है और अब सुनने की इच्छा समाप्त हो गई है। इस आदमी ने लुटते-पिटते, बीमार-घायल उत्तराखंड से मोटा पैसा लेकर जेब भरी है। यह बात सच है कि पूरे दस करोड़ कैलाश खेर की जेब में नहीं गए होंगे। कई अन्य जगहों पर भी प्रसाद बंटा होगा, पर कैलाश खेर ने जो किया, वह बिल्कुल भी किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता। सरकार तो सरकार ठहरी, उसे क्या कहना!!! लुटाने वाला निर्मम-बेशर्म हो तो लेने वाले को तो शर्म आए। धर्म तो यही कहता है। डाॅक्टर भी गरीब मरीज से कई बार कुछ पैसे माफ कर देता है।
कैलाश बाबू पेट पालने के लिए प्रोफेशनलिज्म भी जरूरी है, लेकिन प्रोफेशनलिज्म पर नैतिकता का आवरण भी इतना ही आवश्यक है। मानता हूँ आप उत्तराखंड के नहीं हो, लेकिन आप यह क्यों भूले कि उत्तराखंड 2000 से ही लंगड़ा कर चल रहा है, उसे चील-कौवे नोंच रहे हैं और 2013 में उसकी क्या दशा हुई?
सियासतदां संवेदनहीन और मौकापरस्त होते हैं, यह तो सुना-देखा है, पर गायक भी मौका ताड़कर चौका लगा सकते हैं, यह आपके इस कदम को देखकर लगने लगा है। औली में थोडे़ से गायन के अस्सी हजार लेने का भी आप पर आरोप है।
सुना है आप शिव भक्त हो। आपने कभी सोचा कि आपके इस कृत्य पर केदारनाथ की घाटी में क्या प्रतिक्रिया होगी? क्या आपने इस रकम से कुछ हिस्सा केदारघाटी के उन अभागों के पुनर्वास के लिए दिया, जिन्होंने अपने लोग, छत और रोजी गंवा दी थी? खैर, कल्पना करिए कैलाशवासी उस बाबा ने आपसे इस संबंध में सवाल किया तो क्या जवाब दोगे?
कैलाश बाबू हमारे यहाँ बडे़ से बडे़ लोककलाकार को हमारी सरकार एक सरकारी कार्यक्रम का अधिक से अधिक 2 लाख देती होगी, पर आप पर इतनी मेहरबानी ऐसे ही नहीं हुई होगी। मजेदार यह कि कथित बडे़ अखबारों में यह खबर स्थान नहीं बना पाई। एक बात और, सरकार अगर आठ महीने तक रोज पहाड़ के एक लोककलाकार की नाइट भी वहां आयोजित करती और प्रत्येक रात (कुल 240 दिन) के दो लाख देती तब इसका आधा यानी 48000000 ही खर्च होते।
खैर, खेर साहब आप गायक हो, प्रसंगवश आपको अपने एक लोकगायक के गीत की दो पंक्तियाँ फ्री में सुनाता हूँ। -चकडै़त त ऐंचै ऐंच लौंकै ल्येगैनि फलिंडा… माटा मा बरमंड रेची क्य पाई रे तिन। (जो चतुर-चालबाज थे, वे तो पेडो़ं के ऊपर ही ऊपर से फल लेकर फरार हो गए और तू धर्म की दुहाई देकर पेडो़ं की जडो़ं को मिट्टी-पानी ही देता रहा।)
-डाॅ. वीरेन्द्र बर्त्वाल
जबर्दस्‍त प्रतिक्रिया- सत्ता इस कदर नेता को नंगा कर देती है यह नही सोचा था
Vishan Kandari ; इन्सान कब बदल जाय कुछ पत्ता नही चलता मुझे लगा था की वास्तव मे उत्तराखंड की बागड़ोर अब सही हाथो मे आई है पर सत्ता इस कदर नेता को नंगा कर देती है यह नही सोचा था । आगामी चुनाव मे जो भी पार्टी सत्ता संभालेगी वो इन दोनो (भाजपा,कोंग्रेश) से ही होगी तो समझा जाय की उत्तराखंड नोदित राज्य के साथ क़भी इंसाफ होगा भी य नही शेम !शेम!

भाजपा पार्टी प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि केदारघाटी आपदा मद से 12 करोड रूपये कैलाश खेर को गीत-संगीत ,सूफी संगीत आदि के लिये बुक किया गया जिससे 11-12 एपीसोड का कोई कार्यक्रम तैयार होना है । उन्होने कहा कि केंद्र सरकार के दूरदर्शन में ऐसे कार्यक्रमों की सरकारी दर अधिकतम प्रति एपीसोड दो-ढाई लाख रूपये है । इसे खींचतान का पांच लाख रूप्ये प्रति एपीसोड भी कर लिया जाये तो भी उत्तराखंड सरकार ऐसे ही कार्यक्रम तैयार करने को प्रति एपीसोड एक करोड रूपये से ज्यादा दे रही है। वह भी उस मद से जो आपदा अधिनियम से आच्छादित है। इसके उल्लंघन को जिम्मेदार अफसर और कोई भी अधिकरण कानूनी कार्यवाही का पात्र है । उन्होने कहा कि इस कार्यक्रम से केदार घाटी आपदा में अनाथ हुऐ न तो किसी बच्चे की शिक्षा दीक्षा संपन्न होगी, न किसी बेघर को छत मिलेगी और न ही नष्ट अवस्थापना तंत्र का पुनर्निर्माण ही होगा । उन्होने कहा कि अब रंगे हाथ पकडे जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष तथा कांग्रेस प्रवक्ता बता रहे हैं कि इस मद में अभी भुगतान नही हुआ है। स्वयं मुख्यमंत्री इस बारे में जवाब देने की बजाय महाराष्ट्र,गुजरात, मध्य प्रदेश आदि के उदाहरण गिना रहे हैं,इस बात से बेपरवाह कि दो गलतियां तीसरी गलती को न्यायोचित सिद्ध नही कर सकती ।
चौहान ने कहा कि यह केवल शुरूआत भर है क्योकि इसके बाद कैलाश खेर के इन एपीसोड के प्रसारण को भी राज्य सरकार चैनलों को भुगतान करेंगी तो ये एपीसोड कितने मंहगे साबित होंगें । इसमें भी एपीसोड केदारनाथ के बजाय मुख्यमंत्री को फोकस करते हैं जो सर्वाच्च न्यायालय के 2015 के उस निर्देश का उल्लंघन करते हैं जिसमें सरकारी विज्ञापनों में राजनीतिक नेताओं के फोटो छापने के प्रतिबंध के बाद अपील सुनते हुए विज्ञापनों में केवल सरकारी कामों के उल्लेख की छूट दी गयी है।
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कालिया नाग का प्राचीन मंदिर कोटगाड़ी से थोड़ी ही दूरी पर पर्वत की चोटी पर स्थित है जिसे स्थानीय भाषा में ‘‘काली नाग को डान कहते है, बताते है, पर्वत की चोटी पर स्थित इस मदिर को कभी भी गरुड़ आर-पार नही कर सकते ऐसी परमकृपा है, कोटगाड़ी माता की कालिया नाग पर इस मंदिर की ्रषक्ति पर किसी ्रषस्त्र के वार का गहरा निषान स्पष्ट रुप में दिखाई देता है, लोक मान्यताओं के अनुसार किसी ग्वाले की सुन्दर गाय इस ्रषक्ति पर आकर अपना दूध स्वय दुहाकर चली जाती थी, ग्वाले का परिवार बेहद अचम्भे में रहता था, कि आखिर इसका दूध कहा जाता है। इस प्रकार एक दिन ग्वाले की पत्नी ने चुपचाप गाय का पिछा किया जब उसने यह दृष्य देखा तो धारधार ्रषस्त्र से उस ्रषक्ति पर वार कर डाला इस प्रहार से तीन धाराये खून की बह निकली जो क्रमषः पाताल, स्वर्ग व पृथ्वी पर पहुंची पृथ्वी पर खून की धारा प्रतीक स्वरुप यहां देखी जा सकती है। वार वाले स्थान पर आज भी कितना ही दूध अर्पित किया जाए, दूध ्रषोषित हो जाता है। कालिया नाग मंदिर के दर्षन स्त्रियों के लिए अनष्टिकारी माने जाते है, जिसे श्राप का प्रभाव कहा जाता है। मंदिर के पास ही माता गंगा का एक पावन जल कुण्ड है, मान्यता है, कि ब्रहम व मूहत में माता कोकिला इस जल से स्नान करती है। सच्चे श्रद्वालुओं को इस पहर में यहां पर माता के वाहनष््रषेर के दर्षन होते है, इस प्रकार की एक नही सैकड़ों दंत कथाएं इस ्रषक्तिमयी देवी के बारे प्रचंलित है, जो माता कोकिला के विषेष महात्मय को दर्षाती है, इस दरबार में माता कोकिला के साथ बाण मसूरिया, उडर, घषाण आदि अनेकों देवताओं की पूजा की जाती है स्थानीय गांॅव के पुजारी पाठक मंदिर में पूजा अर्चना का कार्य सम्पन करते है। भण्डारी, गोलू चोटिया व वाण के पुजारी कार्की लोग है।
कुमाऊ मण्डल में जनपद नैनीताल के हरतोला क्षेत्र में स्थित कोकिला वन की कोकिला माता इन्ही का रुप मानी जाती है, दारमा घाटी के कनार क्षेत्र में भी माता विराजमान है, भक्तों का यह भी मत है, कि कत्यूर घाटी से इन्हें इनके भक्तजन चंदवषीय राजा लोग नेपाल को ले जा रहे थ,े लेकिन मांॅ को यह स्थान भा गया और वे यही स्थापित हो गयी माता की कृपा से ही कालीय नाग को भद्रनाग नामक पुत्र की प्राप्ति हुई,भदनाग की महिमा का वर्णन मानस खण्ड के 51 वे अध्याय में आता है, इन्होंने माता भद्रकाली की घोर आराधना करके विषेष सिद्वियां प्राप्त की माताकोकिला माता भद्रकाली के पूजन के साथ भद्रनाग व कालिया नाग के पूजन से सर्पभय दूर होता है। ज्ञातव्य हो कि माता भद्रकाली का मंदिर बागेष्वर जनपद के कांडा नामक स्थान से लगभग चार पांॅच किमी की दूरी पर स्थित है, यह अद्भूत क्षेत्र है, मन्दिर के नीचे गुफा है जिसमें षिव व ्रषक्ति दोनों विराजमान है, कोकिला माता की छत्रछाया में विराजमान काली नाग को भी काली का परम उपासक माना जाता है।
काली सम्पूज्यते विप्रा कालीयने महात्मना
81/11 (मानस खण्ड)
कुल मिलाकर कोकिला माता का दरबार श्रद्वा व भक्ति का संगम है, जो सदियों से पूज्यनीय है।

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