मुखिया तथा सरकार के मुखिया की कुर्सी जाते जाते बची?
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के. मुख्यमंत्री हरीश रावत से चल रहे तल्ख रिश्तो का असर अबकांग्रेस पर भी साफ नजर आने लगा है । विधान सभा चुनाव से पूर्व स्थिति विस्फोटक होने की आशंका लगातार व्यक्त की जाती रही, आखिर वह घडी आ गयी थी, जिसमें कांग्रेस आलाकमान दोंनो की कुर्सी बदलने को तैयार था परन्तु तभी दोनों ने आंशिक समझौता कर लिया । www.himalayauk.org (UK Leading Digital Execlusive Report)
नवरात्र में उत्तराखण्ड कांग्रेस संगठन के मुखिया तथा सरकार के मुखिया की कुर्सी जाते जाते बची- दोनों एक दूसरे की कुर्सी खिचने की हद तक पहुंच चुके थे- दोनों ने मास्टर स्टोक खेला था- आखिरकार समझौता हुआ, और फिलहाल तलवारे म्यान में वापस गई-
नवरात्र में- उत्तराखण्ड सरकार के मुखिया ने स्रगठन के मुखिया को हटाने की रणनीति चली, देहरादून पहुंचे आलाकमान के दूतों के समक्ष कांग्रेस संगठन के मुखिया को बदले जाने की कवायद शुरू होने लगी वही इससे पूर्व पीडीएफ को भेजा राहुल गॉधीी के पास, परन्तु संगठन मुखिया भी पक्के खिलाडी थे, राजीव गॉधी के दरबार में कार्य करने का व्यापक अनुभव रहा है, तुरंत कई विधायकों के इस्तीफा देने तथा सरकार गिराने की धमकी पर हिल गयी सरकार-
सोशल मीडिया में आज सुबह से ही गहमागहमी थी- सवाल उठ रहे थे-
क्या आज ही उत्तराखंड सरकार और संगठन में परिवर्तन
वरिष्ठ पत्रकार मानू भटट आज शुरू से ही संकेत दे रहे थे- कि
उत्तराखण्ड में surgical strike की तैयारी मे कांग्रेस। खबर है कि आज मोती लाल वोहरा, अम्बिका सोनी, capt अमरिंदर सिंह,capt सतीश शर्मा,भंवर जीतेन्द्र सिंह की देहरादून में होने वाली बैठक मे कुछ कड़े फैसले लिए जा सकते हैं।
हरीश पर भारी पड़े किशोर
किशोर उपाध्याय पहली बार हरीश रावत के सामने भारी पड़ते दिखाई दिए।
कांग्रेस के आला नेतृत्व के भेजे दूतों के बीच प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और मुख्यमंत्री हरीश रावत आमने सामने थे। दोनो एक दूसरे की कुर्सी हिलाने के इरादे से मीटिंग मे शामिल हुए। इस मीटिंग में किशोर का जाना लगभग तय था और नए अध्यक्ष के रूप में गणेश गोदियाल के नाम पर सहमती बनाई जानी थी। लेकिन किशोर ने अपनी टीम के साथ मिलकर अपनी कुर्सी तो बचा ही ली साथ ही मुख्यमंत्री को अपनी ताकत का अहसास भी करा दिया।
इस बीच केबिनेट मंत्री राजेन्द्र भंडारी का नाम भी अध्यक्ष के लिए खूब चर्चा मे रहा। इस बीच capt सतीश शर्मा और संजय कपूर के सामने हो रही बैठक में संसदीय बोर्ड के गठन पर सहमती भी बन गई। तय ये हुआ कि दोनों ही गुटों के आधे आधे लोग चुनाव से पहले पार्लियामेंट्री बोर्ड में शामिल होंगे। टिकट बंटवारे मे इस बोर्ड की अहम भूमिका होगी।
अब देखना ये है की चुनाव से पहले कांग्रेस के अंदर मचा घमासान कैसे शांत होता है।
सोशल मीडिया में चर्चा रही-
हरदा ने PDF को राहुल
के पास भेज कर चोका लगाया जवाब मे किशोर का return gift….छक्का लगाकर
Arya Surendra मामला समझौता वार्ता हो जाने के बाद टाँय-टाँय फिस हो चूका है।
Shiv Prasad Sati तख़्ता पलट कर छोड़ेगे आज जय हो
Naveen Uniyal कुछ नहीं हुआ बात हुयी और बाहरी तोर पर समझोता, खटास बरक़रार, वैसे भी अब कदम बढ़ाकर किशोर उपाध्याय जी के लिए पाँव खींचना नुकसानदायक होगा। निजी राय
वही हिमालयायूके की रिपोर्ट के अनुसार
कांग्रेस संगठन ने धीरे धीरे तेवर तीखे कर लिए थे। गढ़वाल मंडल के जिलाध्यक्षों की बैठक में रावत सरकार के रवैये पर खुलकर नाराजगी जताई गई थी। वहीं संगठन स्तर पर प्राप्त अधिकारों का सख्ती से इस्तेमाल करने का भी निर्णय हुआ। प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने सभी जिलाध्यक्षों को सरकार में दायित्व देने की पैरवी करते हुए सीएम पर बढत बना दी थी
-कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के. मुख्यमंत्री हरीश रावत से चल रहे तल्ख रिश्तो का असर अब कांग्रेस पर भी साफ नजर आने लगा है ।
मीडिया में इस बात पर काफी लिखा जा चुका है कि
राज्य गठन के बाद जिसने भी हरीश रावत को नजरअंदाज कर दूसरे नेता का करीबी दर्शाने की कोशिश की वही टिकट से वंचित रहा। वर्ष 2002 में अधिकतर उन्ही नेताओं को चुनाव लड़ने का मौका मिला जो कि हरीश रावत के करीब रहे। उस समय उनके नजदीकी रहे इंजीनियर एसपी सिंह की हां में हां की। वर्ष 2007 में भी ऐसा ही हुआ । जिसमें उसको ही टिकट मिल पाया जो कि हरीश रावत के निष्ठावान माने गए। वर्ष 2012 में जब टिकटों के बंटवारे में हरीश रावत खेमे को राज्य व केंद्रीय स्तर पर डॉ हरक सिंह रावत, विजय बहुगुणा व यशपाल आर्य,इंदिरा हृदयेश की ओर से कड़ी चुनौती मिली तो तब भी बाजी हरीश रावत के हाथ ही रही।ज्यादातर टिकट उनकी मर्जी से ही फाइनल हुए। वर्ष 2017 का चुनाव नजदीक है । पूर्व के चुनाव के दौरान टिकट वितरण की स्थिति को देखते हुए दावेदारों का हरीश रावत में अटूट आस्था दिखाना जरुरी है। अब जब राज्य सभा सदस्य के चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को साइड लगाने से हरीश रावत और किशोर एक दूसरे के समक्ष ताल ठोक कर आ चुके हैं, विधान सभा चुनाव से पूर्व स्थिति विस्फोटक होने की आशंका लगातार व्यक्त की जाती रही, आखिर वह घडी आ गयी थी, जिसमें कांग्रेस आलाकमान दोंनो की कुर्सी बदलने को तैयार था परन्तु तभी दोनों ने आंशिक समझौता कर लिया ।