2013 में उत्तराखंड में आपदा का कहर ; सरकार अधिकतर वादों को भूल गई.
मौसम केंद्र द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में, नैनीताल, उधमसिंहनगर, चंपावत, अल्मोडा, पौडी, हरिद्वार, देहरादून और टिहरी जिलों में कल सुबह से 72 घंटों के दौरान कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश तथा अन्य पांच जिलों में छिटपुट स्थानों पर भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। पिथौरागढ़ में 26 लोगों की मौत के अलावा 4 लोग गंभीर रूप से घायल चमोली जिले में भूस्खलन में 9 लोगों के मरने की खबर है नई टिहरी परेशानियां बढ़ गई देहरादून जिले में सॉन्ग नदी और हरिद्वार में गंगा उफान पर हैं. सड़के पानी में डूब गई हैं. उत्तराखंड में हो रही बारिश और तबाही को देखते हुए बचाव दल की कोई खास तैयारी दिखाई नहीं देती है.
साल 2013 में उत्तराखंड में आपदा का कहर बरपा था. आपदा के बाद भविष्य की सुरक्षा के लिए तमाम दावे किए गए थे लेकिन सरकार अधिकतर वादों को भूल गई.
2013 की आपदा ने चमोली जिले के 84 गावों में कहर ढाया था. तब 84 गावों में से अधिकतम गांवों का विस्थापन करने की बात चली थी. लेकिन तीन साल में बात सर्वे से आगे नहीं बढ़ पाई. सर्वे भी महज 17 गांवों का ही हो सका है.
उत्तराखंड में बादल फटने की घटना के बाद मलबे में दबे 14 शवों को बाहर निकाला गया है. पुलिस ने शनिवार को कहा कि पिथौरागढ़ और चमोली जिलों के छह गांवों में शुक्रवार को बादल फटने से 39 लोगों की मौत हो गई.
इस घटना से अधिकतम क्षति बासतेड़ गांव में हुई है, जहां 30 लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है. क्षेत्र में लगातार बारिश के बाद बादल फटने से 60 से अधिक घर नष्ट हो गए हैं। गांवों में 200 मवेशियों की मौत हो गई है.
अधिकारियों का कहना है कि सिर्फ दो घंटे में 100 मिलीमीटर बारिश हुई है, जिससे अधिकांश नदियों में बाढ़ आ गई है. आपदा प्रबंधन दल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि खराब मौसम की वजह से बचाव कार्य बाधित हुए हैं.
राज्य आपदा बचाव बल, अर्धसैनिक बल और सेना बचाव दल की कई टीम आपदा प्रभावित क्षेत्रों में फंसी हुई हैं. संचार के सभी साधन नष्ट हो गए हैं.
उत्तराखण्ड 16 वर्ष में अपना कोई तंत्र ही विकसित नही कर पाया, उत्तराखण्ड हर छोटे व बडे कार्य के लिए केन्द्र पर निर्भर रहता है, यह बात अलग है कि भारी भरकम बजट हर वर्ष व्यय होता है, परन्तु हर वर्ष बरसात में जान व माल का नुकसान होता है, राज्य सरकार का तंत्र छाता पकड कर खडा जरूर हो जाता है, वही उत्तराखण्ड में बरसात हो, जंगलों में आग लगे, कुछ भी हो, केन्द्र सरकार मौके पर जाना छोडकर केन्द्र से मदद मांगने दिल्ली भागती नजर आती है-
केंद्र तत्काल हरकत में आया और प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ की अतिरिक्त कंपनियां भेजी गयीं तथा अन्य केंद्रीय एजेंसियों को हालात पर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया.’ किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरएफ के चार दलों को तैयार रखा गया है. केंद्र सरकार राज्य के साथ लगातार संपर्क में है
भट्ट ने कहा, ‘इससे पहले केंद्र में भाजपा नीत सरकार ने तब राज्य सरकार को मदद का हाथ बढ़ाया था जब इस साल राज्य में जंगलों में लगी आग ने संकट की स्थिति पैदा कर दी थी.’ भाजपा के केंद्रीय नेताओं के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाने के लिए मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ कांग्रेस की प्रदेश इकाई की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें राजनीतिक शिष्टाचार नहीं भूलना चाहिए.् हमारे संवाददता प्रमोद उनियाल ने बताया है कि गढ़वाल के कईं जिलों में संपर्क मार्ग क्षति ग्रस्त हो गए हैं. ग्राम पंचायत भीरी के बगर तोक में बारिश के चलते जहां निर्माणाधीन भवन और पुश्ते बह गए हैं. आवासिय भवनों के किनारे भूस्खलन के चलते भवन मलबे में दब गए हैं. हर तरफ बस तबाही का मंजर देखने के मिल रहा है.
नई टिहरी,जाखणीधार,घनसाली और लंबगांव में बारिश शुरू हो गई.बारिश के चलते नई टिहरी जिला मुख्यालय में लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं. कई कालोनियों में जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है. नगर पालिका प्रशासन की लापरवाही से अकसर बरसात के समय नालियां चोक होने से बारिश का पानी सड़कों पर बहता है और आवासीय बस्तियों में जलभराव की समस्या बढ़ जाती है..लेकिन नगर पालिका द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है.
बारिश को देखते हुए डीएम इंदुधर बौड़ाई ने सोमवार तक सभी स्कूल कॉलेजों को बंद करने के निर्देश दिए और आपदा की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों पर अधिकारियों को एलर्ट पर रहने के निर्देश दिए डीएम इंदुधर बौड़ाई ने लगातार हो रही बारिश को देखते हुए आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम को एलर्ट पर रहने के निर्देश दिए
पिथौरागढ़ में 26 लोगों की मौत के अलावा 4 लोग गंभीर रूप से घायल बताए गए हैं. जिन्होंने इस भूस्खलन में अपनों को खोया है, वे सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. एक पिता ने आत्महत्या कर ली क्योंकि उसका बेटा भूस्खलन में आए मलबे में दबकर काल के गाल में समा गया है.
बारिश और भूस्खलन ने जिस तरह पिथौरागढ़ और चमोली में मौत का तांड़व किया है, उससे 2013 की आपदा का मंजर एक बार फिर लोगों के जहन में ताजा हो गया है. उत्तराखंड पर अगले 48 घंटे भारी गुजरने वाले हैं. मौसम विभाग की माने तो इस दौरान भारी से भारी बारिश होने का अलर्ट दिया है. अभी तक अकेले पिथौरागढ़ में ही 26 लोगों की मौत होने की सूचना है. जबकि चमोली में भी 9 लोगों की जान चली गई है. पिथौरागढ का बस्तड़ी गांव पूरी तरह जमींदोज हो गया है. उत्तराखंड में भारी बारिश और भूस्खलन का का दौर जारी है.
चमोली जिले में भूस्खलन में 9 लोगों के मरने की खबर है. यहां प्रशासन ने 6 लोगों के मरने की पुष्टि की है. तीन लोगों का अभी तक कुछ अतापता नहीं है. लोग भारी बारिश को देखते हुए बेहद डरे हुए हैं.
ऊधर्मंसह नगर जिले में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। खटीमा में खकरा नाले के ओवरफ्लो होने से सबसे अधिक दिक्कतें हुईं। सितारगंज और जसपुर में नदियों से भू-कटाव हो रहा है। रुद्रपुर के साथ ही अन्य कस्बों में जलभराव से भी लोगों को दिक्कत हो रही है। बारिश के चलते कई शहरों में बिजली गुल होने से लोग परेशान रहे।
खटीमा में ओवर फ्लो हुए खकरा नाले का पानी मयूर विहार, राजीव नगर से लेकर मेलाघाट रोड तक कई कालोनियों में घुस गया। अमाऊं, गोसीकुआं, बरी अंजनिया, बंगाली कालोनी, खलड़िया, कंजाबाग हाईडिल कालोनी और सीमांत क्षेत्र मेलाघाट, खलड़िया व नगरातराई में 50 से अधिक घरों में बरसाती पानी घुस गया है। यहां दिन भर बाढ़ जैसे हालात रहे। प्रशासन की टीम, विधायक और नेताओं ने खटीमा विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर लोगों को बरसाती पानी की निकासी का आश्वासन दिया।
सितारगंज में नालों की सफाई नहीं होने से बरसात का पानी घुसने से राधास्वामी सत्संग भवन के पास करीब 10 एकड़ में लगाई गई धान की पौध खराब हो गई। कैलाश नदी में 30 हजार क्यूसेक और बैगुल नदी में 20 हजार क्यूसेक तक पानी आया। नदियों का जलस्तर बढ़ने के बाद खेतों का कटाव तेज हो गया है।