उत्तर प्रदेश- 2300 मदरसों की मान्यता खत्म होने की कगार पर
योगी सरकार ने पिछले साल जून में एक वेब पोर्टल जारी करते हुए प्रदेश के सभी मान्यता प्राप्त मदरसों से उस पर अपनी प्रबन्ध समिति, शिक्षकों, छात्रों तथा अन्य कर्मचारियों के बारे में 15 जुलाई तक जानकारी अपलोड करने को कहा था. उसके बाद समय-समय पर इस अवधि को बढ़ाया गया था. सरकार का कहना है कि पोर्टल का उद्देश्य मदरसों के संचालन में पूर्ण पारदर्शिता लाना उत्तर प्रदेश के मदरसों के लिए पिछले साल एक पोर्टल बनाकर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने और स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण और राष्ट्रगान की वीडियोग्राफी करने के फरमान के बाद नए साल में योगी सरकार ने उनकी विशेष धार्मिक छुट्टियों पर कैंची चला दी है. यही नहीं, रक्षाबंधन, महानवमी, दशहरा और दिवाली जैसे पर्वों पर मदरसों में अवकाश घोषित कर दिया है.
अभी तक उत्तर प्रदेश के मदरसों में मुस्लिम पर्वों पर विशेष अवकाश होता था. इसके अलावा वे होली और अंबेडकर जयंती पर बंद रहते थे. दशहरा-दिवाली पर वहां छुट्टी की व्यवस्था नहीं थी. प्रदेश में बीजेपी की प्रचण्ड विजय के बाद गोरक्ष पीठ के महंत आदित्यनाथ योगी के नेतृत्त्व में बनी सरकार के इन कदमों को मुस्लिम संस्थाओं पर नजर रखने और उनकी स्वायत्तता छीनने के रूप में देखा जा रहा है. योगी की छवि आक्रामक हिंदू नेता की है. मुख्यमंत्री बनने से पहले उनके कई मुस्लिम विरोधी बयान विवाद का मुद्दा रहे हैं.
मदरसों की छुट्टियों में कटौती और गैर-मुस्लिम पर्वों पर छुट्टियां अनिवार्य करने का ताजा फैसला सरकार के मुस्लिम विरोधी रवैये के रूप में देखा जा रहा है. एक मदरसा मौलवी ने कहा कि मदरसे धार्मिक शैक्षिक संस्थान हैं. उनमें अपने धार्मिक पर्वों पर छुट्टी होती रही है. दशहरा-दिवाली पर छुट्टी हो, यह तो ठीक है लेकिन मुस्लिम पर्वों पर छुट्टी कम करना आपत्तिजनक है. इस फैसले की मुस्लिम समाज में तीव्र प्रतिक्रिया होगी.
योगी सरकार इससे पहले भी मदरसों के लिए कुछ फरमान जारी कर चुकी हैं. पिछले साल जुलाई में उसने एक पोर्टल बनाया, जिस पर सभी मदरसों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया था. इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं करने वाले मदरसे सरकारी अनुदान से वंचित हो जाएंगे.
मदरसों को स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने, राष्ट्रगान गाने और पूरे कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कराके प्रशासन को भेजने के निर्देश भी योगी सरकार ने बीती अगस्त में जारी किए थे. प्रदेश में 19 हजार से कुछ ज्यादा मदरसे हैं. उनमें अभी तक मुस्लिम पर्वों पर दस छुट्टियों की व्यवस्था थी. ईद और मुहर्रम जैसे मौकों पर मदरसों के व्यवस्थापक अपने हिसाब से कुल दस दिन छुट्टी कर सकते थे. सन् 2018 के नए सरकारी कैलेंडर के मुताबिक अब वे इन अवसरों पर सिर्फ चार दिन अवकाश रख सकते हैं. वह भी एक बार में एक दिन से ज्यादा नहीं. कोई मदरसा किस दिन अवकाश रखेगा, यह सूचना उसे एक हफ्ते पहले जिला अल्पसंख्यक अधिकारी को लिखित रूप में देनी होगी.
मदरसों के लिए नए कैलेंडर में मुस्लिम पर्वों पर छुट्टियों की कटौती करने के साथ सात नए अवकाश जोड़े गए हैं. इसके मुताबिक अब उन्हें महानवमी, दशहरा, दीपावली, बुद्ध पूर्णिमा, महावीर जयंती और क्रिसमस पर भी अवकाश रखना होगा.
एक रिपोर्ट में मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार राहुल गुप्ता ने बताया है कि पहले दस दिन का अवकाश मदरसा व्यवस्थापकों के विवेक पर रहता था, लेकिन अब चार दिन का अवकाश पूर्व-निर्धारित होगा.
नए निर्देशों के अनुसार स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर मदरसों में पढ़ाई नहीं होगी लेकिन विद्यार्थियों, शिक्षकों, कर्मचारियों और प्रबंधकों को मदरसे में आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होना होगा. उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के वेब पोर्टल पर अपना ब्यौरा नहीं देने वाले करीब 2300 मदरसों की मान्यता खत्म होने की कगार पर है. राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने ऐसे मदरसों को फर्जी माना है. प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने बताया ‘‘प्रदेश में 19 हजार 108 मदरसे राज्य मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं. उनमें से 16 हजार 808 मदरसों ने पोर्टल पर अपना ब्योरा फीड किया है. वहीं, करीब 2300 मदरसों ने अपना विवरण नहीं दिया है. उन्हें हम फर्जी मान रहे हैं.’’ चौधरी ने बताया कि मदरसा बोर्ड की परीक्षा फॉर्म भरने की अंतिम तारीख 15 जनवरी है, लिहाजा इस माह के बाद इन मदरसों की मान्यता खत्म होने की सम्भावना है. मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार राहुल गुप्ता ने भी बताया कि वेब पोर्टल पर जानकारी डालने की मीयाद गुजर चुकी है, लिहाजा इन 2300 मदरसों की मान्यता खत्म की जाएगी. उन्होंने बताया कि इस बार आलिया (कक्षा आठ से ऊपर) स्तर के 3691 मदरसे पंजीकृत हुए हैं. इनके छात्र-छात्राओं को बोर्ड की परीक्षाओं में शामिल किया जाएगा. परीक्षा फॉर्म भरने की अंतिम तारीख 15 जनवरी है. पिछली बार 2773 मदरसों के छात्रों ने परीक्षा दी थी.
मंत्री नारायण ने कहा कि सरकार अपनी जानकारी पोर्टल पर नहीं देने वाले मदरसों के प्रति अब भी नरम रुख अपनाये हुए है. ऐसे मान्यता प्राप्त मदरसे अब भी आकर अपनी समस्या से अवगत कराते हैं तो हम समाधान के लिये तैयार हैं. पोर्टल पर पंजीकृत मदरसों के किसी भी छात्र को परीक्षा से वंचित नहीं किया जाएगा.
नारायण ने कहा कि सरकार मदरसों में पारदर्शिता लाने के लिये प्रयासरत है, जबकि विपक्ष इसे लेकर इल्जाम लगाने का खेल खेल रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार कोई नयी व्यवस्था बनायेगी, जिससे मदरसों में शिक्षकों तथा अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति या बर्खास्तगी सरकार की सहमति से हो.
इस बीच, टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया ने 2300 मदरसों की मान्यता खत्म किये जाने की तैयारियों के बारे में कहा कि वेब पोर्टल पर मदरसों का ब्यौरा उपलब्ध नहीं होने में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों की भूमिका की जांच होनी चाहिये. उसके बाद ही मदरसों पर कोई कार्रवाई हो. एसोसिएशन के महासचिव दीवान साहब ज़मां ने आरोप लगाया कि जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ही मदरसों की जानकारी को पोर्टल पर डालने की अहम औपचारिकताएं पूरी करते हैं. अनेक ऐसे मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, जिन्होंने पोर्टल पर अपनी जानकारी डालने के बाद उस प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिये अपना विवरण अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के यहां जमा किया है लेकिन रिश्वत ना दे पाने की वजह से उनका ब्यौरा पोर्टल पर नहीं आ पा रहा है.
उन्होंने सरकार से मांग की कि वह जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों के कार्यालय से जानकारी मांगे कि उनके यहां कितने मदरसों ने अपना विवरण जमा कराया है और उनमें से कितने मदरसों का ब्यौरा वेब पोर्टल पर आ चुका है. तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो सकेगा.
ज़मां ने कहा कि उन्होंने जिलों में पोर्टल पर ब्यौरा डालने के लिये जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के नाम पर हो रही लूट-खसोट के बारे में सम्बन्धित प्रमुख सचिव से लेकर मुख्यमंत्री तक को कई चिटि्ठ्यां लिखीं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. ऐसे में अगर इन 2300 मदरसों की मान्यता खत्म की जाएगी तो यह अन्याय होगा.
ब्यूरो रिपोर्ट- हिमालयायूके न्यूज पोर्टल एवं दैनिक समाचार पत्र –
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