उत्तराखंड बीजेपी की बड़ी भूल -हरक का निष्कासन, प्रियंका ने कांग्रेस ज्वाइन कराई, भाजपा के खिलाफ प्रचार का अहम किरदार होगे, इस विधानसभा से लडेगे
HIGH LIGHT 21 JAN. 2022 ; (Himalayauk Bureau) उत्तराखंड बीजेपी की बड़ी भूल साबित होगी- सोशल मीडिया की खबरों का संज्ञान लेकर हरक सिंह का आनन फानन में निष्कासन –हरक सिंह ने शीर्ष नेताओं से मुलाकात के दौरान अपने प्रभाव से पार्टी को 5 से 10 सीटें दिलवाने का भरोसा दिलाया है। बीजेपी से 6 साल के लिए निस्कासन के बाद प्रियंका गांधी की मौजूदगी में हरक सिंह रावत ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली है. हरीश रावत ने सब पुरानी बाते भूल कर हरक सिंह रावत को गले लगा कर कांग्रेस में स्वागत किया,# हरक भाजपा के खिलाफ प्रचार का अहम किरदार होंगे। # हरक सिंह रावत के पार्टी में शामिल होने से गढ़वाल क्षेत्र में कांग्रेस मजबूत होगी. हरक गढ़वाल की कई सीटों पर मजबूत पकड़ रखते हैं
उत्तराखंड में पूर्व बीजेपी नेता हरक सिंह रावत आज कांग्रेस में शामिल हो गए. उनके साथ उनकी पुत्रवधु अनुकृति गुसांई रावत ने भी कांग्रेस की सदस्यता ली.
चंद्रशेखर जोशी Group Editor की एक्सेकलुसिव रिपोर्ट www.himalayauk.org (Leading Newsportal & Print Media (Publish at Dehradun & Haridwar) Mob. 9412932030
21 जनवरी 22 शुक्रवार को दिल्ली में हरक सिंह रावत को प्रदेश के प्रभारी देवेंद्र यादव, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कांग्रेस की सदस्यता दिलाई।
भीड़ जुटाने में माहिर, वाकपटु और राजनीति में क़भी हार का मुह न देखने वाले हरक सिंह रॉवत चौबट्टाखाल से सतपाल महाराज के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी होंगे
बीजेपी से निकाले जाने के बाद हरक सिंह रावत ने रोते हुए आरोप लगाया था कि पार्टी ने उनसे बात किए बिना निकाल दिया.
वही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरक को लेकर कहा कि जब तक वे हमारे साथ थे तब तक उन्हें उचित सम्मान दिया गया. जब रिपोर्ट्स सामने आईं तब पार्टी ने उन्हें निष्कासित करने का फैसला लिया. सीएम धामी ने आगे कहा कि हमने अपना फैसला ले लिया है अब फैसला कांग्रेस को करना है.
21 जनवरी 2022 को उत्तराखंड चुनाव से पहले हरक सिंह रावत ने कांग्रेस की सदस्यता ले ली है. विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस के लिए प्रचार के लिए मैदान में उतरेंगे. सोशल मीडिया की खबरों का संज्ञान लेकर आनन फानन में हरक सिंह को पार्टी से 6 साल को लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था
हरक सिंह उत्तराखंड के बड़े नेता माने जाते हैं. वे 2002 में उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद से लगातार चार बार के विधायक हैं. उन्होंने 2002 में लैंसडाउन से चुनाव जीता था. वे 2007 में भी इसी सीट से विधानसभा पहुंचे थे. 2012 में वे रुद्रप्रयाग से चुनाव जीते. 2017 में हरक सिंह बीजेपी के टिकट से कोटद्वार से चुनाव जीते थे. वे उत्तराखंड सरकार में मंत्री भी रहे हैं
कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा, ‘इससे बड़ी माफी क्या हो सकती है कि प्रदेश में 10 मार्च को पूर्ण बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनेगी तो मुझे लगेगा कि मैंने माफी मांग ली. उस दिन मुझे सबसे ज़्यादा खुशी होगी.
बीजेपी से निकाले जाने पर भावुक हरक सिंह ने कहा था कि 10 मार्च को नतीजे आएंगे तो बीजेपी सत्ता से बाहर होगी और कांग्रेस 40 सीटों के साथ सरकार बनाएगी.
हरक सिंह ने शीर्ष नेताओं से मुलाकात के दौरान अपने प्रभाव से पार्टी को 5 से 10 सीटें दिलवाने का भरोसा दिलाया है।
उत्तराखंड विधानसभा चुनावों से पहले यहां मचे सियासी घमासान के बीच आज प्रियंका गांधी की मौजूदगी में हरक सिंह रावत ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की। इस मौके पर उनकी बहु अनुकृति भी उनके साथ मौजूद रहीं. बीजेपी से 6 साल के लिए निष्कासन के बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि हरक सिंह रावत जल्द ही कांग्रेस पार्टी में दोबारा से आ सकते हैं. हरक सिंह रावत ने कुछ दिनों पहले ये भी कहा था कि वो हरीश रावत से 100 बार मांफी भी मांगने को तैयार हैं। हरीश रावत ने बड़ा दिल दिखाया और हरक सिंह को माफ कर दिया।
हरक सिंह रावत ने इससे पहले कहा था कि वह हरीश रावत को बड़ा भाई मानते हैं। कांग्रेस के साथ की गई पिछली गलतियों पर उन्होंने कहा कि 100 बार माफी मांगने के लिए तैयार हैं। उन्होंने बताया कि उनकी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, हरीश रावत के करीब समेत कई नेताओं से फोन पर बात हुई है। सभी ने कांग्रेस में आने के लिए उनका स्वागत किया है।
कांग्रेस में शामिल होने के बाद हरक सिंह ने कहा कि 20 साल तक कांग्रेस के लिए संघर्ष किया है। एक बार फिर कांग्रेस को मजबूत करने में हम लोग जुटेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में शामिल होने के लिए कोई शर्त नहीं रखी है। बिना शर्त शामिल हुआ। टिकट की बातों से भी इनकार किया। कहा कि यहां एक ही शर्त है, भाजपा को हराना।
हरक सिंह ने कहा कि 2016 में जब मैंने बगावत की उसके बाद भी लगातार सोनिया गांधी की मैंने तारीफ की है। लगातार टीवी चैनलों पर भी कहा था कि सोनिया गांधी का कई एहसान है। उन्होंने लगातार मुझ पर भरोसा किया है। कहा कि कोई माफीनामा नहीं दिया गया है। राजनीति में माफीनामा की कोई जगह नहीं होती है। मैं यहां एक गिलहरी की तरह भूमिका अदा करूंगा।
राजनीति का सिकन्दर सनक मिजाज हरक सिंह रॉवत :
उत्तराखंड की राजनीति के दिग्गज हरक सिंह रावत का जन्म 15 दिसंबर 1960 को श्री नारायण सिंह रॉवत के घर हुआ था। बचपन से हरक सिंह अद्भुत प्रतिभा के धनी थे, हरक सिंह रावत ने 1984 में कला में स्नातकोत्तर पूरा किया। उन्होंने 1996 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर, उत्तराखंड से सैन्य विज्ञान में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की डिग्री प्राप्त की। उनकी पत्नी का नाम दीप्ति रावत है। 1991 में हरक सिंह रावत ने पौरी से विधानसभा चुनाव जीता और यूपी राज्य के सबसे छोटी उम्र के मंत्री बने।
उत्तराखंड के इस प्रभावशाली नेता का नाम कभी यूपी के सबसे कम उम्र के मंत्री के रूप में लिया जाता था, लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद उत्तराखंड की राजनीति में हरक सिंंह रावत अपने विवादों और राजनेताओं से अपने गतिरोध को लेकर अधिक चर्चा में रहे हैं.
15 दिसंबर 1960 में जन्मे हरक सिंंह रावत ने 80 के दशक में श्रीनगर गढ़वाल विवि की छात्र सियासत से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. फिर वह यहीं विवि में प्रवक्ता बन गए. हालांकि उन्होंंने नौकरी ज्यादा दिन तक नहीं की और वह 1984 में बीजेपी के टिकट से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े. इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 1991 में फिर वह भाजपा के टिकट पर पौड़ी से चुनाव लड़े, जिसमें उन्हें जीत मिली. उस दौरान भाजपा की कल्याण सिंह सरकार में उन्हें पर्यटन मंत्री बनाया गया और इसी के साथ हरक सिंंह रावत कल्याण सिंंह की कैबिनेट के सबसे युवा मंत्री बने.
1993 में एक बार फिर हरक सिंह रावत भाजपा के टिकट पर पौड़ी से ही चुनाव लड़े और दोबारा विधायक बने, लेकिन तीसरी बार टिकट नहीं मिलने पर उन्होंंने भाजपा छोड़ दी और बसपा का दामन थाम लिया. इसके बाद उन्होंने 1998 में बसपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन वह चुनाव हार गए. इसी साल उन्होंने बसपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था और फिर उत्तराखंड बना तो वह कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हो गए.
अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद 2002 में पहला विधानसभा चुनाव आयोजित किया गया. इस चुनाव में हरक सिंंह रावत कांग्रेस के टिकट से लैंसडौन सीट से विधायक चुने गए.
2003 में एनडी तिवारी की सरकार में मंत्री रहे हरक सिंह को चर्चित जैनी प्रकरण की वजह से मंत्री पद गंवाना पड़ा था. तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री एन डी तिवारी ने जांच सीबीआई को सौंप दी थी, उस समय हिमालयायूके सम्पादक चंद्रशेखर जोशी के आग्रह पर तत्कालीन रक्षामंत्री एवम एनडीए संयोजक जॉर्ज फर्नाडीज ने हरक सिंह को न्याय दिलाया था परन्तु हरक सिंह ने न्याय मिलने के बाद इन दोनों को कभी धन्यवाद करने की भी जरूरत महसूस नही की, इससे आप हरक के सनकी मिजाज का अंदाज लगा सकते है
2003 में एनडी तिवारी की सरकार में मंत्री रहे हरक सिंह को चर्चित जैनी प्रकरण की वजह से मंत्री पद गंवाना पड़ा था. तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री एन डी तिवारी ने जांच सीबीआई को सौंप दी थी, उस समय हिमालयायूके सम्पादक चंद्रशेखर जोशी के आग्रह पर तत्कालीन रक्षामंत्री एवम एनडीए संयोजक जॉर्ज फर्नाडीज ने हरक सिंह को न्याय दिलाया था परन्तु हरक सिंह ने न्याय मिलने के बाद इन दोनों को कभी धन्यवाद करने की भी जरूरत महसूस नही की, इससे आप हरक के सनकी मिजाज का अंदाज लगा सकते है
वहीं 2007 में भी हरक सिंह रावत कांग्रेस के टिकट से लैंसडौन से दोबारा चुनाव लड़े और जीते. वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में हरक सिंंह रावत ने कांग्रेस के टिकट से रुद्रप्रयाग विधानसभा चुनाव लड़ा और वह इस बार भी विजय हुए. इसके बाद मार्च 2016 में हरक सिंंह रावत अपनी ही सरकार से बगावत को लेकर चर्चा में आए. तब हरक सिंंह रावत ने हरीश रावत की सरकार को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हालांकि इसके बाद उन्हें विधासनसभा सदस्यता गवानीं पड़ी, लेकिन 2017 में चुनाव से पहले वह बीजेपी में शामिल हो गए.
2017 के चुनाव में बीजेपी ने हरक सिंह रावत को कोटद्वार सीट से चुनाव लड़ाया. जिसमें वह विजय हुए और विधायक चुने गए. इसके बाद उन्हें उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया, लेकिन इस सरकार में वह कई बार कई मामलों को लेकर त्रिवेंद्र सिंंह सरकार से उलझते नजर आए. जिसमें श्रम मंत्रालय को लेकर उनकी त्रिवेंद्र सरकार से नाराजगी रही. वहीं पुष्कर सिंंह धामी के कार्यकाल में हरक सिंंह रावत ने कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज को मान्यता नहीं दिए जाने के आरोप में कैबिनेट बैठक में ही अपना इस्तीफा सौंप दिया था. हालांकि बाद में बीजेपी ने डैमैज कंट्रोल करते हुए उनका इस्तीफा वापस ले लिया था.