मतदान 15 फरवरी; वोटिंग 11 मार्च ; ग्रह नक्षत्र किसको सत्ता सुख देगे
मतदान परिणाम के दिन चन्द्र राहु का ग्रहण योग – यह सितारों की चाल पर पर निर्भर करेगा- हिमालयायूके न्यूज पोर्टल के लिए विभिन्न भविष्यवक्ताआे तथा विद्वजन की राय को चन्द्रशेखर जोशी सम्पादक द्वारा संकलित कर प्रकाशित किया गया- (www.himalayauk.org) Leading Digital Newsportal . एक्सक्लूसिव रिपोर्ट –
गोवा विधानसभा का कार्यकाल 18 मार्च 2017, मणिपुर का 18 मार्च 2017, पंजाब 18 मार्च 2017,उत्तराखंड का 26 मार्च 2017 और उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल 27 मई 2017 को समाप्त हो रहा है। उत्तराखंड में 15 फरवरी को होंगे विधानसभा चुनाव सभी राज्यों के विधानसभा चुनावों की मतगणना 11 मार्च को होगी। उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए अंतिम चरण का मतदान आठ मार्च को होगा ।
मतदान के दिन बडा ही शुभ मुहूर्त 15 फरवरी तिथि 2017- पंचमी बुधवार हस्ता/चित्रा नक्षत्र वही चुनाव परिणाम का दिन 11 मार्च 2017 को। 11 मार्च 2017 को माघ नक्षत, फाल्गुन महीने की चतुर्दशी (होलिका दहन), वार शनिवार रहेगा| चंद्रमा सिंह राशि में रहेगा | शनिवार सुबह 9 बजकर 40 मिनट से 11 बजे तक राहु काल प्रभावी रहेगा| इस अवधि में अनेक रोचक/अद्भुत/अविश्वसनीय परिणाम सुनने -देखने को मिल सकते हैं ; 15 फरवरी बुध हस्त ; गुरु-7 फरवरी 2017 से वक्री होगा जो 9 जून तक रहेगा। फिर 13 अक्टूबर से अस्त होकर 10 नवंबर तक अस्त रहेगा। शुक्र-5 मार्च से वक्री होकर 15 अप्रैल तक रहेगा। 30 नवंबर से अस्त होकर 23 फरवरी 2018 तक अस्त रहेगा।
आकाशमंडल में ग्रह नक्षत्रों की स्थिति काफी भिन्न भिन्न बन रहीं हैं। ज्यादातर चुनाव एक ही गृह के प्रभाव में पूरे हो जाते हैं। 11 मार्च 2017 को जब मतगणना व चुनाव परिणाम की घोषणा होगी उस समय चंद्र राहु का ग्रहण योग चल रहा होगा। सूर्य और चंद्र दोनों राहु केतु की गिरफ्त तथा ग्रहण योग के प्रभाव में होंगे। उस समय दिनभर केतु का नक्षत्र होगा जो उस समय विशेष रूप से प्रभावी होगा केतु आकस्मिक और अनुमान से परे होने वाली घटनाओं के कारक है। सभी पंचांग गणना दृक गणित पर आधारित है, मतलब की आकाश में ग्रहो के नक्षत्रो की स्थीती के हिसाब से। इस गणना में लहरी या चित्रपक्षीय अयनांशा का उपयोग हुआ है। वर्तमान दिन के सूर्योदय का समय लेकर ग्रहो की स्थिति का आकलन किया गया है और उसके हिसाब से बाकी की गणना की गयी है।
उत्तराखण्ड के वर्तमान मुख्यमंत्री की कुण्डली बलवान होने पर भी चुनाव काल से हरीश रावत के जन्म के चन्द्रमा से गोचर के शनि से दूरी बनाए होने कारण सत्ता से दूरी का योग बन रहा है- पं0 दयानंद शास्त्री के
के अलावा पं0 बिजेन्द्र पाण्डे जी महाराज के अनुसार उत्तराखण्ड में नये मुख्यमंत्री आसीन होने का प्रबल योग है- जबकि बेजन दारूवाला द्वारा ने विगत वर्ष भविष्यवाणी की थी कि उत्तराखंड में हरीश रावत की सरकार दोबारा आएगी। वह भी पूर्ण बहुमत के साथ। महान व्यक्ति बनकर लौटेंगे। वही ज्योतिषविदों के अलावा आम जनता का भी यह मानना है कि जब बहुगुणा मुख्य्मंत्री थे, हरीश रावत ने भी कम कांटे नहीं बोए थे। बहुगुणा को चलता करवाकर खुद मुख्य्मंत्री बने थे
जनता जनार्दन खुद को लोकतंत्र का सिकंदर घोषित कर दिग्गज नेताओं को दाँतों तले अँगुली दबाने पर मजबूर कर देगी। कौन सत्ता के नजदीक है और कौन दूर। वर्तमान दशा अन्तर्दशा प्रत्यन्तर दशा भी बताती है कि सितारें, दल और नेता के कितने साथ हैं और कितनी दूर।
वैसे तो इंसान अपना कर्म करता है, परन्तु सितारों की स्थिति उसे शुभ और अशुभ में बदल देती है- जैसे 2012 में विजय बहुगुणा जब उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बने, उनका वह समय ही उनका राजयोग छीनने का योग लिख गया- उसी तरह केदारनाथ के कपाट खोलने का मुहूर्त निकाला गया तथा मुख्यमंत्री के रूप में विजय बहुगुणा कपाट खोलने हरक सिंह के साथ गये- वह मुहूर्त ही उनसे राजपाट छीनने का मुहर्त बन गया- सत्ता से दूर होने का मुहुर्त बन गया- ।
हिंदू वैदिक ज्योतिष में पंचांग का बड़ा महत्व होता है। क्योंकि पंचांग की मदद से ही मुहूर्त की गणना की जाती है। पंचांग के 5 अंग; वार, तिथि, नक्षत्र, योग और करण की गणना के आधार पर मुहूर्त निकाला जाता है। इनमें तिथियों को पांच भागों में बांटा गया है। नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता, और पूर्णा तिथि है। उसी प्रकार पक्ष भी दो भागों में विभक्त है; शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। वहीं नक्षत्र 27 प्रकार के होते हैं। एक दिन में 30 मुहूर्त होते हैं। इनमें सबसे पहले मुहूर्त का नाम रुद्र है जो प्रात:काल 6 बजे से शुरू होता है। इसके बाद क्रमश: हर 48 मिनट के अतंराल पर आहि, मित्र, पितृ, वसु, वराह, विश्वेदवा, विधि आदि होते हैं। इसके अलावा चंद्रमा और सूर्य के निरायण और अक्षांश को 27 भागों में बांटकर योग की गणना की जाती है।
इसके अलावा शुभ मुहूर्त जानने के लिए निम्न कारक भी अहम होते हैं। ग्रहों की चाल और उनकी स्थिति। पंचांग के जरिए उक्त दिन में चंद्रमा के संचरण की स्थिति को सुनिश्चित करना। शुभ नक्षत्र को ध्यान में रखना। विभिन्न समारोह और आयोजनों के लिए मुहूर्त अलग-अलग होते हैं। इन सभी कारकों की गणना के बाद शुभ मुहूर्त निकाला जाता है ताकि घर परिवार में होने वाले समस्त कार्य शुभ और मंगलकारी हो।
13 मार्च को होली का रंग किसके लिए मुफीद होगा, और कौन होगा जो रंगो से जी चुराएगा, जी हा, इस बार की होली कुछ खास विशेष होने जा रही है, 11 मार्च को उत्तएराखण्डथ विधानसभा चुनाव परिणाम आ चुके होगें और 13 मार्च को होली है, कौन रंगों से होगा सरोबोर, होली का रंग किसके लिए होगा मुफीद, यह काफी कुछ सितारों की प्रतिकूलता पर भी निर्भर करेगा
8 नवम्बर 2008 को उत्तरप्रदेश से अलग हो कर नया राज्य बनने के बाद से उत्तराखंड में कोई भी मुख्यमंत्री चुनाव जीत कर सत्ता में वापसी नहीं कर सका है l 71 सीटों वाली इस विधानसभा में चुनावों के दौरान मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के मध्य होता रहा है l अब इस बार 15 फरवरी को होने वाले मतदान पर सब की निगाह लगी हैं, क्योंकि यह देखना दिलचस्प होगा की पिछले साल अपनी पार्टी कांग्रेस में हुई बगावत से लड़कर मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने वाले हरीश रावत क्या चुनावों की वैतरणी को पर कर पुनः सत्ता का सुख हासिल कर पाएंगे ?
मुहूर्त वह विचार है जिसके माध्यम से हम जीवन में होने वाले शुभ और मांगलिक कार्यों के शुभारंभ के लिए समय और तिथि का निर्धारण करते हैं। अगर सरल शब्दों में परिभाषित करें तो किसी अच्छे समय का चयन कर किसी कार्य का शुभारंभ ही मुहूर्त कहलाता है। हिंदू वैदिक ज्योतिष विज्ञान के अनुसार हर शुभ और मंगल कार्य को आरंभ करने का एक निश्चित वक्त होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उस खास समय में ग्रह और नक्षत्र के प्रभाव से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और शुभ फल की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में जन्म, विवाह, गृह प्रवेश समेत कई शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत मुहूर्त देखकर की जाती है।
मुहूर्त को लेकर किए गए कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि, ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति की गणना करके ही मुहूर्त का निर्धारण किया जाता है। प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में मुहूर्त को महत्व दिया जाता रहा है। इसके अलावा हर महत्वपूर्ण और शुभ कार्य के दौरान यज्ञ और हवन करने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि यज्ञ व हवन से उठने वाला धुआं वातावरण को शुद्ध करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मुहूर्त और उससे जुड़ी पौराणिक मान्यताओं के चलते हिंदू धर्म में आज भी इसका महत्व बरकरार है। हमारे समाज में लोग आज भी मांगलिक कार्यों का शुभारंभ और सफलतापूर्वक संपन्न होने की कामना के लिए शुभ घड़ी का इंतज़ार करते हैं।मुहूर्त की महत्वता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि, प्राचीन काल में स्वयं राजा, महाराजा शुभ मुहूर्त के अनुसार सभी समारोह का आयोजन किया करते थे। आज के आधुनिक युग में धार्मिक आस्था और मान्यताओं की उपेक्षा होने लगी है। यही वजह है कि मुहूर्त को लेकर हर व्यक्ति की अपनी एक सोच है। हालांकि वक्त के साथ-साथ समाज कितना भी बदल जाए लेकिन हमें हमारी संस्कृति, पुरातन और धार्मिक मान्यताओं को हर हाल में संरक्षित रखना चाहिए।
मुहूर्त को लेकर अलग-अलग तर्क और धारणाओं के बीच, हमें चाहिए कि हम स्वयं जीवन में इसकी प्रासंगिकता और महत्व का अवलोकन करें। मुहूर्त की आवश्यकता क्यों होती है ? दरअसल मुहूर्त एक विचार है, जो इस धारणा का प्रतीक है कि एक तय समय और तिथि पर शुरू होने वाला कार्य शुभ व मंगलकारी होगा और जीवन में खुशहाली लेकर आएगा। ब्रह्मांड में होने वाली खगोलीय घटनाओं का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। क्योंकि विभिन्न ग्रहों की चाल के फलस्वरूप जीवन में परिवर्तन आते हैं। ये बदलाव हमें अच्छे और बुरे समय का आभास कराते हैं। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि हम वार, तिथि और नक्षत्र आदि की गणना करके कोई कार्य आरंभ करें, जो शुभ फल देने वाला साबित हो।
शुभ मुहूर्त किसी भी मांगलिक कार्य को शुरू करने का वह शुभ समय होता है जिसमें तमाम ग्रह और नक्षत्र उत्तम परिणाम देने वाले होते हैं। हमारे जीवन में कई शुभ और मांगलिक अवसर आते हैं। इन अवसरों पर हमारी कोशिश रहती है कि ये अवसर और भी भव्य व बिना किसी रुकावट के शांतिपूर्वक संपन्न हों। ऐसे में हम इन कार्यों की शुरुआत से पूर्व शुभ मुहूर्त के लिए ज्योतिषी की सलाह लेते हैं। लेकिन विवाह ,मुंडन और गृह प्रवेश समेत जैसे खास समारोह पर मुहूर्त का महत्व और भी बढ़ जाता है। विवाह जीवन भर साथ निभाने का एक अहम बंधन है इसलिए इस अवसर को शुभ बनाने के लिए हर परिवार शुभ घड़ी का इंतज़ार करता है ताकि उनके बच्चों के जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहे। इसके अलावा कई अवसर जैसे गृह प्रवेश, प्रॉपर्टी और वाहन खरीदी जैसे कई कामों में भी शुभ मुहूर्त देखने की परंपरा है।
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