विदेश यात्राओ के लिए लोन पर लोन ले रही उत्तराखण्ड सरकार ?
आखिर कर्ज लेने की जरूरत क्यों पड़ रही है? सरकार को इन हालात में केन्द्र से बेलआउट पैकेज की मांग प्रमुखता से करनी चाहिए. उत्तराखण्ड में विकास कार्यो को भूल जाओ सरकार कर्मचारियो के वेतन भत्तेे चुकाने के लिए लोन पर लोन ले रही है- इस फाइनेंशियल सत्र में अभी तक 1400 करोड का लोन लिया जा चुका है#इसके अलावा एडीबी का लोन विभाग के कुल बजट से भी दोगुना है# राज्य बनने से लेकर अब तक उत्तराखंड राज्य पर अभी तक लगभग 41,000 करोड़ का कर्ज है जो जल्द ही 50 हजार करोड तक हो जायेगा और इसके अलावा खुद त्रिवेंद्र सरकार भी 6,100 करोड़ का कर्ज अपने एक साल के कार्यकाल में ले चुकी है. लोन लेकर चल रही है त्रिवेन्द्र सरकार- #सूत्रों का कहना है कि आर्थिक पैकेज के लिए प्रधानमंत्री से आज तक कोई मांग तक नही रखी गयी: क्या मुख्यमंत्री इस बारे में कोई स्पष्टीकरण देगे
लोन की धनराशि से ही मंत्रियो की टोली, विधायक, उच्च नौकरशाह विदेश में लगातार भ्रमण पर जा रही है , त्रिवेन्द्र सरकार के आने के बाद विदेश यात्रा पर हुए धन की बर्बादी जान कर आप हैरत में पड जायेगे, करोडो रूपये विदेश यात्रा में उडा चुके है
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चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में दाखिल होते ही राज्य सरकार अपने कार्मिकों के वेतन-पेंशन के लिए उत्तराखण्ड के संसाधन अादि को गिरवी रख कर लोन ले रही है। जून के पहले हफ्ते में 300 करोड़ उधार लेने के आदेश जारी किए गए हैं। इस वित्तीय वर्ष में कर्ज बढ़कर 1400 करोड़ हो जाएगा। वहीं प्रदेश के हर व्यक्ति पर बाजार की उधारी बढ़कर 45 हजार से ज्यादा हो गई है। यह बात अलग है कि इस लोन से उच्च नौकरशाही तथा मंत्रियों की टोली विदेश यात्रा कर रही है-
राज्य सरकार को हर महीने अपने कार्मिकों के वेतन और पेंशन के खर्च की प्रतिपूर्ति के लिए धन का बंदोबस्त करने में खासा पसीना बहाना पड़ रहा है। इस वित्तीय वर्ष 2018-19 के पहले दो महीनों अप्रैल और मई माह में तकरीबन 1100 करोड़ रुपये कर्ज लिया जा चुका है। तीसरे महीने यानी जून में प्रवेश करते ही फिर कर्ज लेने की नौबत है। 300 करोड़ रुपये कर्ज के लिए सरकार ने बाजार में दस्तक दे दी है। आमदनी कम और खर्चा ज्यादा होने से राज्य की माली हालत हर साल खराब हो रही है। इस वजह से कर्ज का बोझ साल-दर-साल बढ़ रहा है। राज्य बनने के वक्त राज्य के हिस्से में 4430.04 करोड़ कर्ज आया था।
उत्तराखण्ड में राज्य सरकार के मंत्रियों का विदेश दौरा अक्सर चर्चा का विषय बना रहता है। हर बार विपक्ष कहता है कि लगभग 45 हजार करोड़ के कर्ज तले दबे उत्तराखण्ड के मंत्रियों को बेवजह विदेश दौरों पर धन व्यय नहीं करना चाहिये। लेकिन, वही विपक्षी दल जब सत्ता में आते हैं, तो उनकी सरकार के मंत्री भी विदेश दौरों के अवसरों को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। भाजपा को ही देख लीजिए। उत्तराखण्ड में कांग्रेस सरकार के समय भाजपा जब विपक्ष में थी, तो मंत्रियों के विदेश दौरों को लेकर भाजपाई खूब बवाल काटते थे। अब जब भाजपाई सत्ता में हैं, तो अपने तर्कों को भूलकर वही कर रहे हैं जिसके लिए जनता ने पिछली सरकार को सत्ता से बेदखल किया था। त्रिवेन्द्र सरकार का अब तक 14माह का कार्यकाल पूरा हुआ है। सीएम समेत 10 मंत्रियों वाली सरकार के अनेक मंत्री अनेक नौकरशाह विदेश में कई कई बार घूम आए हैं।
राज्य सरकार को कार्मिकों के वेतन-भत्ते, मानदेय और पेंशन के भुगतान को एक बार फिर कर्ज के लिए बाजार में दस्तक देनी पड़ी है। नए वित्तीय वर्ष के दूसरे माह में लगातार कर्ज लेने का ये दूसरा मौका है। 300 करोड़ रुपये कर्ज लेने के साथ ही चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 800 करोड़ बाजार से लिया जा चुका है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में लगातार दूसरे माह सरकार को कर्ज लेने को विवश होना पड़ा है। इससे पहले बीते अप्रैल माह में 500 करोड़ का कर्ज लिया गया था। दरअसल, सातवां वेतनमान लागू होने के बाद से ही सरकार को हर महीने वेतन व पेंशन देने में पसीने छूट रहे हैं। वहीं गैर विकास मदों में बढ़ते खर्च की पूर्ति के लिए सरकार अपने संसाधनों में अपेक्षित इजाफा नहीं कर पा रही है। सरकारी आंकड़ों में चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में कर्ज की यह राशि 47580.42 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। हालांकि, बीते वित्तीय वर्षो में लगातार कर्ज लेने के बावजूद राज्य सरकार के लिए राहत की बात ये रही है कि कर्ज सालाना निर्धारित सीमा के भीतर रहा है। चालू वित्तीय वर्ष में उत्तराखंड के लिए कर्ज की सीमा बढ़ाकर 7300 करोड़ तय की गई है। बीते वित्तीय वर्ष 2017-18 में यह 6600 करोड़ थी।
एडीबी का लोन विभाग के कुल बजट से भी दोगुना है।
राज्य के जन्म के साथ मिला यह कर्ज वित्तीय वर्ष 2016-17 में 40793.70 करोड़ होने का अनुमान बजट आंकड़ों में लगाया गया था, जो 31 मार्च, 2017 तक लोक ऋण 35209.59 करोड़ पहुंच गया। चालू वित्तीय वर्ष तक यह ऋण 45 हजार करोड़ से ज्यादा पहुंच रहा है। हालांकि चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में कर्ज की यह राशि 47580.42 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। वित्त सचिव अमित नेगी ने 300 करोड़ कर्ज लेने के आदेश जारी किए हैं।
वही दूसरी ओर राज्य एडीबी के लोन से पट चुका है, एडीबी के 1750 करोड़ रुपए लोन को सरकार बड़ी कामयाबी के तौर पर देख रही है। दरअसल, इस साल प्रदेश के शहरी विकास और आवास विभाग का कुल बजट ही 773 करोड़ रुपए का है। इस तरह एडीबी का लोन विभाग के कुल बजट से भी दोगुना है।
वही दूसरी ओर
एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) से खुलासा हुआ है कि उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)सरकार ने नौ महीनों में चाय और नाश्ते पर कुल 68.59 लाख रुपये खर्च किए हैं. यह आरटीआई आवेदन हेमंत सिंह गौनिया ने यहां भारतीय जनता पार्टी सरकार को 19 दिसंबर, 2017 को भेजा था. आरटीआई के माध्यम से वह यह जानना चाहते थे कि 18 मार्च 2017 को सत्ता संभालने के बाद से रावत सरकार ने चाय और नाश्ते पर कितने रुपये खर्च किए. इसके जवाब में उत्तराखंड सरकार ने बताया कि इस बाबत अब तक 68 लाख 59 हजार 865 रुपये खर्च किए गए हैं. सरकार ने बताया कि यह राशि मंत्रियों और अन्य अधिकारियों द्वारा मेहमानों के स्वागत खासकर चाय और नाश्ते के लिए खर्च की गई.
डबल इंजन के नारे के साथ सत्ता में आई भाजपा की राज्य सरकारे कर्ज पर चल रही है- जहां जहां भाजपा सरकारे है वहां आर्थिक स्थिति अच्छी नही है- हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार एक बार फिर कर्ज लेने जा रही है. पहले से ही गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे हिमाचल में कर्ज लेने की परंपरा खत्म नहीं हो रही है. इस बार जयराम सरकार 700 करोड़ रूपये का कर्ज लेगी.
भाजपा सरकारे डबल इंजन का सपना जरूर दिखाती है पर बिना कर्ज के नही चल पा रही है, हिमाचल भाजपा सरकार भी आर्थिक हालात खराब; आर्थिक संकट से जूझ रही राज्य सरकार 800 करोड़ का कर्ज लेने जा रही है। राज्य के कर्मचारियों व पैंशनरों को 4 फीसदी आई.आर. व डी.ए. का भुगतान करने के लिए राज्य सरकार 800 करोड़ रुपए का कर्ज लेगी।
राज्य सरकार को एक बार फिर 2 माह से भी कम अवधि के भीतर 700 करोड़ रुपए का कर्ज लेने की जरूरत पड़ गई है। इससे पहले राज्य सरकार ने 300 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। इस तरह वर्तमान सरकार अब तक 3,000 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। कर्ज लेने का यह क्रम यहीं पर थमता नजर नहीं आ रहा और आगामी दिनों में सरकार को कर्ज लेने के लिए फिर बाध्य होना पड़ेगा। इस तरह राज्य सरकार अब तक करीब 49,385 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी
है। इससे पहले पूर्व कांग्रेस सरकार के समय प्रदेश पर 46,385 करोड़ रुपए का कर्ज था।
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