उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने मंत्री समेत पत्रकार को तलब किया
HIGH LIGHT; स्टिंगबाजों की सी0बी0आई0 जाँच मामले में मा0 उच्च न्यायालय ने जारी किये नोटिस …….. नेगी
स्टिंग में षामिल डाॅ0 हरक सिंह रावत, पत्रकार उमेश शर्मा एवं पूर्व विधायक मदन सिंह बिश्ट के खिलाफ सी0बी0आई0 जाँच हेतु की गयी थी माँग तत्कालीन मुख्यमन्त्री श्री हरीष रावत का किया गया था स्टिंग। प्रदेश में राश्ट्रपति शासन लगने से हो गया था लोकतान्त्रिक संकट। मा0 न्यायालय ने दिया 4 सप्ताह का समय।
देहरादून- जनसंघर्श मोर्चा अध्यक्ष एवं जी00एम0वी0एन0 के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने हिमालयायूके को विज्ञप्ति भेज कर अवगत कराया कि उनके द्वारा की गयी कार्यवाही पर हाईकोर्ट उत्तराखण्ड ने मन्त्री श्री हरक सिंह रावत, पत्रकार श्री उमेष शर्मा व पूर्व विधायक श्री मदन सिंह बिश्ट व सी0बी0आई0 सहित अन्य को चार सप्ताह का नोटिस जारी कर तलब किया है।
स्थानीय होटल में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जनसंघर्श मोर्चा अध्यक्ष एवं जी00एम0वी0एन0 के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि मा0 उच्च न्यायालय, नैनीताल में योजित जनहित याचिका सं0 114/2016 रघुनाथ सिंह नेगी बनाम भारत सरकार व अन्य में मा0 उच्च न्यायालय की खण्डपीठ के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीष आ0 श्री राजीव षर्मा व मा0 न्यायाधीश आ0 श्री मनोज तिवारी द्वारा पारित आदेष दिनांक 28.08.2018 के द्वारा प्रख्यात स्टिंगबाज भाजपा सरकार में मन्त्री श्री हरक सिंह रावत, पत्रकार श्री उमेष शर्मा व पूर्व विधायक श्री मदन सिंह बिश्ट व सी0बी0आई0 सहित अन्य को चार सप्ताह का नोटिस जारी किया।
जनसंघर्श मोर्चा अध्यक्ष एवं जी00एम0वी0एन0 के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि मा0 उच्च न्यायालय, नैनीताल में योजित जनहित याचिका सं0 114/2016 रघुनाथ सिंह नेगी बनाम भारत सरकार व अन्य में मा0 उच्च न्यायालय की खण्डपीठ के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीष आ0 श्री राजीव षर्मा व मा0 न्यायाधीष आ0 श्री मनोज तिवारी द्वारा पारित आदेष दिनांक 28.08.2018 के द्वारा प्रख्यात स्टिंगबाज भाजपा सरकार में मन्त्री श्री हरक सिंह रावत, पत्रकार श्री उमेश शर्मा व पूर्व विधायक श्री मदन सिंह बिष्ट व सी0बी0आई0 सहित अन्य को चार सप्ताह का नोटिस जारी किया।
नेगी ने कहा कि जनहित याचिका में मा0 न्यायालय से आग्रह किया गया था कि तत्कालीन मुख्यमन्त्री श्री हरीश रावत के कार्यकाल के समय किये गये स्टिंगबाजों के इतिहास की भी जाॅंच होनी चाहिए, क्योंकि जिनके द्वारा जो स्टिंग किये गये थे वो जनहित में न होकर व्यक्तिगत स्वार्थों से परिपूर्ण थे तथा स्टिंगबाजों मंे से एक स्टिंगबाज श्री उमेश शर्मा पर एक दर्जन से अधिक ब्लैकमेलिंग, फर्जीवाड़े व अन्य संगीन अपराधों में मुकदमें दर्ज थे तथा डाॅ0 हरक सिंह रावत, जिन पर फर्जी तरीके से जमीन हथियाने व अन्य के कई मामले विधानसभा तक गॅूजे, उनके द्वारा अपने स्वार्थों के चलते प्रदेष को गर्त में ढकेलने के उद्देष्य से श्री हरीष रावत का स्टिंग किया गया, जिस कारण प्रदेष के तमाम विकास कार्य ठप्प हो गये थे।
मा0 न्यायालय से आग्रह किया गया था कि तत्कालीन मुख्यमन्त्री श्री हरीष रावत के कार्यकाल के समय किये गये स्टिंगबाजों के इतिहास की भी जाॅंच होनी चाहिए, क्योंकि जिनके द्वारा जो स्टिंग किये गये थे वो जनहित में न होकर व्यक्तिगत स्वार्थों से परिपूर्ण थे तथा स्टिंगबाजों मंे से एक स्टिंगबाज श्री उमेश शर्मा पर एक दर्जन से अधिक ब्लैकमेलिंग, फर्जीवाड़े व अन्य संगीन अपराधों में मुकदमें दर्ज थे तथा डाॅ0 हरक सिंह रावत, जिन पर फर्जी तरीके से जमीन हथियाने व अन्य के कई मामले विधानसभा तक गॅूजे, उनके द्वारा अपने स्वार्थों के चलते प्रदेष को गर्त में ढकेलने के उद्देष्य से श्री हरीष रावत का स्टिंग किया गया, जिस कारण प्रदेष के तमाम विकास कार्य ठप्प हो गये थे।
नेगी ने मा0 न्यायालय से मांग की थी कि श्री हरीष रावत जी के स्टिंग में षामिल समस्त स्टिंगबाजों की भी सी0बी0आई0 जाॅंच होनी चाहिए, क्योंकि इनका इतिहास किसी से छिपा नहीं है तथा इन्होंने निजी स्वार्थों के चलते स्टिंग को अन्जाम दिया। चूॅंकि श्री हरीष रावत वाले मामले में सी0बी0आई0 जाॅंच गतिमान थी इसलिए मोर्चा ने मा0 न्यायालय से मांॅग की थी कि श्री हरीष रावत के साथ-साथ स्टिंगबाजों की भी सी0बी0आई0 जाॅंच होनी चाहिए।
मा0 न्यायालय में स्टिंगबाजों सहित सी0बी0आई0 को नोटिस देकर प्रदेष में लोकतन्त्र को मजबूत करने का काम किया है।पत्रकार वार्ता में:- मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह, प्रेमलता भरतरी, विनोद काम्बोज, सुशील भारद्वाज आदि थे।
उत्तराखण्ड में संवैधानिक संकट लाते हुए उथल पुुुुथल मचा दी गयी थी-
ज्ञात हो किसीबीआई ने स्टिंग मामले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को समन भेजा था. जांच एजेंसी ने रावत से पूछताछ के लिए हाजिर होने को कहा था. हरीश रावत को कथित स्टिंग की सीडी में लेन-देन की बात करते दिखाया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने स्टिंग में अपनी आवाज होने की बात मानी थी. लेकिन साथ ही यह भी कहा था कि वीडियो का एक ही हिस्सा दिखाया जा रहा है जो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ है. उत्तराखंड में बागी विधायकों और सियासी संकट के बाद 27 मार्च को केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. हरक सिंह रावत के मुताबिक स्टिंग ऑपरेशन 23 मार्च को जौलीग्रांट में किया गया था.
27 मार्च, 2016 को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। उत्तराखंड के राज्यपाल, श्री के.के. पाॅल की सिफारिश, कि वहां “संविधान का भंग” हुआ है, के आधार पर ऐसा किया गया। इससे पूर्व, उसी राज्यपाल ने उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत को 28 मार्च, 2016 को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने का निमंत्रण दिया था।
उत्तराखंड के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को 28 मार्च, 2016 को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने का निमंत्रण दिया, तो भाजपा और कांग्रेस पार्टी दोनों अपने-अपने इरादों को हासिल करने के लिये, बड़ी सरगर्मी से काम करने लगीं। भाजपा ने अपने 26 विधायकों और 9 कांग्रेसी दलबदलुओं को गुड़गांव में एक 5 सितारा होटल में, हरियाणा की भाजपा सरकार की कड़ी निगरानी में रखा। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने अपने विधायकों को हिमाचल प्रदेश में एक ऐसे ही होटल में, हिमाचल प्रदेश की कांग्रेसी सरकार की कड़ी निगरानी में रखा। दोनों पार्टियांे ने ऐसा किया, यह सुनिश्चित करने के लिये कि प्रतिस्पर्धी पार्टी उसके विधायकों को न चुरा ले।
जब हरीश रावत की सरकार को यह पता चल गया कि वह दलबदलुओं को वापस नहीं ला सकेगी, तो उसने स्पीकर की ताक़त का इस्तेमाल करके, उन 9 दलबदलुओं को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य करार कर दिया। उसे पूरी उम्मीद थी कि ऐसा करके वह 28 मार्च, 2016 को उत्तराखंड विधानसभा में अपना बहुमत साबित कर सकेगी।
जब यह स्पष्ट हो गया कि उन 9 विधायकों के अयोग्य करार दिये जाने के बाद मुख्यमंत्री को विधानसभा में बहुमत मिल जायेगा, तो 26 मार्च की रात को, विधानसभा में मुख्यमंत्री के अपने बहुमत साबित करने के ठीक एक दिन पहले, केन्द्रीय मंत्रीमंडल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में एक आपातकालीन बैठक की। राज्यपाल के.के. पॉल की रिपोर्टों और भूतपूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को दलबदल की कार्यवाहियों में भाग लेते दिखाते हुये एक स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर, केन्द्रीय मंत्रीमंडल ने उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का प्रस्ताव किया। राष्ट्रपति ने उस प्रस्ताव पर अपना हस्ताक्षर कर दिया। इस तरह केन्द्र सरकार ने सुनिश्चित किया कि हरीश रावत की सरकार को अपना बहुमत साबित करने का मौका न दिया जाये।
उत्तराखंड विधानसभा में शासक कांग्रेस पार्टी को 43 विधायकों का समर्थन प्राप्त था, जबकि भाजपा के 26 विधायक थे। सत्ता परिवर्तन की हरकत को अंजाम देने के लिये भाजपा ने 18 मार्च, 2016 को विधानसभा में विनियोग विधेयक पर मतदान की मांग की। भाजपा को यह उम्मीद थी कि इस कदम से वह सरकार को गिरा सकेगी या कम से कम संकट में डाल सकेगी, क्योंकि उसे 9 कांग्रेसी विधायकों का गुप्त समर्थन प्राप्त था। परन्तु स्पीकर ने मतों की गिनती करने की भाजपा की मांग को इजाज़त दिये बिना ही, विनियोग विधेयक को पास कर दिया।
उत्तराखंड की संविधानीय तौर पर निर्वाचित सरकार को गिराने और वहां केन्द्रीय शासन लागू करने का फैसला केन्द्रीय मंत्रीमंडल द्वारा, उसके दूत, राज्यपाल की सिफारिशों के आधार पर, लिया गया था। हिन्दोस्तानी राज्य के प्रधान, राष्ट्रपति ने इस फैसले का अनुमोदन किया था। हिन्दोस्तान का संविधान, धारा 356 के तहत केन्द्र सरकार को, किसी भी राज्य सरकार को बर्खास्त करने की सर्वोपरि ताक़त देता है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि जिस पार्टी की केन्द्र सरकार होती है, वह अपनी ही पार्टी या गठबंधन की सरकार हर राज्य में बिठाने की कोशिश करती है।
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