उत्तराखण्ड के प्रमुख समाचार
नैनीताल हाईकोर्ट में सोमवार को तीन अहम मामलों पर सुनवाई होनी थी, लेकिन एक मामले पर बहस हुई जबकि दो अन्य मामलों पर सुनवाई टल गई.
प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर पद से इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन से जुड़े मामले पर हाईकोर्ट की एकलपीठ में सुनवाई हुई. मामले में दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर अधिवक्ताओं की ओर से अपना पक्ष रखा गया. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने वरिष्ठता के तहत पदोन्नति प्रक्रिया करने की मांग को लेकर दलीलें पेश की.
कोर्ट की ओर से पूछा गया कि क्या राज्य सरकार नियम के खिलाफ ऐसा कर रही है, तो संतोषजनक दलील नहीं दी जा सकी.
हालांकि मामले से जुड़े कई अन्य पहलू भी दूसरे अधिवक्ताओं की ओर से कोर्ट के सामने रखे गए. तमाम दलीलों को सुनने के बाद अदालत फिलहाल किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. मामले की अगली सुनवाई 28 सितम्बर को होगी.
वहीं, दूसरी ओर शिक्षामित्रों से जुड़ी याचिका पर भी हाईकोर्ट में आज सुनवाई नहीं हो सकी. महाधिवक्ता के मौजूद न होने के चलते सुनवाई टल गई. नीट (NEET) मामले पर भी हाईकोर्ट की एकलपीठ में सुनवाई होनी थी, लेकिन समय की कमी के चलते सुनवाई नहीं हो सकी.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश सरकार के खिलाफ भाजपा के पदयात्रा कार्यक्रम पर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चुटकी ली. रावत ने कहा कि जब तक वह मुख्यमंत्री रहेंगे, भाजपा शीर्षासन करती रहेगी. साथ ही जनता का इसीतरह मनोरंजन होता रहेगा. राजभवन में शिक्षक सम्मान समारोह के बाद मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा पर निशाना साधा.
नोएडा स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म एंड ट्रैवल मैनेजमेंट (आईआईटीटीएमसी) को फोन कर किसी ने केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम को उड़ाने की धमकी दी है. नोएडा के सेक्टर-58 में इस बाबत मामला दर्ज कर लिय गया है. उधर उत्तराखंड पुलिस का कहना है कि केदारनाथ, बद्रीनाथ सहित चारों धामों की सुरक्षा पुख्ता है.
नोएडा पुलिस के मुताबिक रविवार रात करीब साढ़े 11 बजे (आईआईटीटीएमसी) कॉल सेन्टर पर किसी ने फोन किया. फोन करने वाले ने केदारनाथ और बद्रीनाथ को लेकर तमाम जानकारियां ली. दोनों धामों पर चढ़ावे और सुरक्षा की बाबत भी फोने करने वाले से जानना चाह. कॉल सेंटर कर्मचारी ने जब काउंटर सवाल किया तो फोन करने वाले ने कहा कि वह केदारनाथ और बद्रीनाथ को बम से उड़ाएगा. इसस बाबत नोएडा के थाना सेक्टर-58 में मामला दर्ज कर लिया गया है.
उधर बुधवार को इस मामले पर उत्तराखंड पुलिस ने कहा कि यूपी पुलिस ने अभी तक इस मामले को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है. एडीजी रामसिंह मीणा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि चारों धामों की सुरक्षा व्यवस्था पहले से ही पुख्ता है. यूपी पुलिस की तरफ से अभी तक इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली है.
श्रीनगर गढ़वाल में सैन्यकर्मियों की ओर से बद्रीनाथ हाईवे पर आ-जा रहे व्यावसायिक वाहनों को रोककर वाहन चालकों से की जा रही पूछताछ से जहां वाहन चालक परेशान हैं. वहीं, इस जांच पड़ताल पर कई सवाल भी उठ रहे हैं.
हाईवे पर वाहनों को रोककर उनके चालकों से एसएसबी प्रशिक्षण अकादमी की पार्किंग में 6 कुमाऊं रेजीमेंट के अधिकारी वाहन और चालक से जुड़ी जानकारियां दर्ज कर वाहन पर स्टीकर लगा रहे हैं. खास बात यह है कि इस पूरी कार्यवाही के दौरान ना तो परिवहन विभाग और ना ही पुलिस के अधिकारी या सिपाही शामिल हैं. वाहन चालक कुंदनराम और संजय रावत का कहना है कि सेना के जवानों ने उन्हें रोका और उनके अधिकारियों की ओर से हमारे लाइसेंस, पते-ठिकाने की जानकारी और अन्य जानकारियां हासिल की हैं, जिन्हें उन्होंने दर्ज किया है. उनका कहना है कि हमने सेना कर्मियों से इस बारे में पूछा तो उनका कहना है कि भविष्य में कभी आपदा आई तो आपसे सीधा सम्पर्क हो पाएगा.
दूरभाष पर एसएसपी पौड़ी निवेदिता कुकरेती कुमार से जब सेना की ओर से की जा रही जांच पड़ताल से उनके संज्ञान में होने के बावल पूछा गया तो उन्होंने इस तरह की किसी कार्यवाही के संज्ञान में न होने की बात कही. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार पुलिस-प्रशासन की बगैर अनुमति या जानकारी के आखिरकार सेना की ओर से एकाएक ऐसा क्यों किया जा रहा है?
इस पूरी कार्यवाही को देख रहे 6 कुमाऊं रेजीमेंट के सूबेदार नरेन्द्र सिंह का कहना है कि रक्षा मंत्रालय और सेना की ओर से कोई भी एक्सरसाइज चलेंगी या कभी ऐसा नौबत आ जाय कि हमें सिविल से गाड़ियां हायर करनी पड़ जाएंगी तो इसलिए सारी डिटेल ली जा रही हैं. उनका कहना है कि सुरक्षा के मद्देनजर ऐसा किया जा रहा है. ऐसा नहीं है कि हम किसी को परेशान कर रहे हो या शुल्क ले रहे हो.
खास बात यह है कि अकेले हाईवे पर चलते वाहनों को रोककर उनसे जानकारियां जुटाते सेना से जुड़े लोग यदि हाईवे पर जांच पड़ताल करने के लिए सीधे जिम्मेदार पुलिस और परिवहन विभाग के लोगों को साथ रख ऐसा करते तो इस पूरी कार्यवाही पर सवाल भी नहीं उठते.
महत्वपूर्ण बिंदु ये भी है कि सेना को यदि वाहन चालकों या वाहनों से जुड़ी जानकारियां ही जुटानी होती तो वो किसी भी राज्य या जिले के परिवहन विभाग से भी इस आशय की सारी जानकारियां आसानी से हासिल कर सकती थी.
दूसरी तरफ ध्यान देने वाली बात ये भी है कि सैन्यकर्मी वाहनों की तलाशी नहीं ले रहे हैं बल्कि केवल वाहनों को रोककर उनके वाहन चालकों से ही आवश्यक जानकारी लेकर दर्ज कर रहे हैं.
हालांकि ये भी माना जा रहा है कि बद्रीनाथ-केदारनाथ धाम को बम से उड़ा देने की मिली धमकी या सीमा पर किसी संभावित गतिविधि के मद्देनजर ऐसा किया जा रहा हो, लेकिन यदि ऐसा भी हो तो फिर वाहनों की तलाशी भी ली जाती. बहरहाल सेना ऐसा क्यों कर रही है और आखिरकार वो कौन सी गोपनीय योजना पर कार्य कर रही है, ये सवाल फिलहाल सवाल ही बना हुआ है.
उधर बुधवार को इस मामले पर उत्तराखंड पुलिस ने कहा कि यूपी पुलिस ने अभी तक इस मामले को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है. एडीजी रामसिंह मीणा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि चारों धामों की सुरक्षा व्यवस्था पहले से ही पुख्ता है. यूपी पुलिस की तरफ से अभी तक इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली है. माहारा ने कहा हरीश रावत सरकार के विकास कार्यों को देखकर भाजपा में जो बैचेनी दिख रही है वह सड़कों पर नजर आ रही है. यही वजह है कि उत्तराखंड में 2017 में होने वाली विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा कई तरह के हथकंडे अपना रही है. साथ ही उत्तराखंड से जीत कर गए पांचों सांसदों पर उत्तराखंड के लिए गंभीर न होने का आरोप भी लगाए.
राज्यसभा सांसद ने कहा कि भाजपा के सांसद और नेता राज्यसभा या लोकसभा में उत्तराखंड में पड़े सूखे और हाल में हुई बारिश से नुकसान के साथ रोजगार जैसे मुद्दों के सवाल करने पर भाजपा के पांचों सांसद और चुने हुए नेता दोनों सदनों पर कांग्रेस को रोकने का काम करती आ रही हैं.