मुख्यमंत्री के नाम खुला खत; उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी
घोटालों को लेकर उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी का मुख्यमंत्री के नाम खुला खत; खुले आम स्टिंग में पकडे जाने के बाद खुद ही इस मामले की जांच करना चाहते हैं,# आपदा घोटालों के साथ नानीसार समेत जमीनों की लूट की भी जांच करें। २९ दिसम्बर २०१६ # www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal & Print Media)
आदरणीय,
माननीय मुख्यमंत्री हरीश रावत जी सादर नमस्कार।
कल से कुछ समाचार चैनलों व आज के अखबारों में कथित आपदा के दौरान हुए घोटालों खासकर स्कूटर तेल घोटाले को लेकर आफ द्वारा सेवानिवृत्त न्यायाधीश से न्यायायिक जांच कराने का समाचार मिल रहा है। जनता इसको कैसे लेगी यह तो समय बताएगा पर हमारे जैसे लोग, जो आपको जानते हैं वे इस बात को बखूबी समझते हैं कि आप अपने व अपनी पार्टी के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालनें के लिए न्यायायिक जांच की हेकडी दिखा रहे है। रावत जी आपको तो याद भी नहीं होगा कि केदारनाथ समेत पूरे प्रदेश में आई त्रासदी के दौरान हम लोग इस पूरे मामले की न्यायायिक आयोग गठित कर जांच की मांग कर रहे थे, ताकि पर्वतीय क्षेत्रों में जो कथित विकास के नाम पर जो लूट खसोट हुई उनकी नीतिगत विफलतां एवं आपदा के दौरान अपने दायित्वों की आपराधिक उपेक्षा करने वाले राजनेताओं व नौकरशाहों व तंत्र की विस्तृत जांच कर उन्हें दण्डित किया जाए और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनर्रावृत्ति रूके। पर आप हमारी बातों पर गौर नहीं करना चाहते।
महोदय, राज्य की जनता यह जानती है कि तब आपके खास सहयोगी विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल जी ने खुद दस हजार से अधिक लोगों के मरने का जिक्र इस आपदा में किया था। लेकिन कोई विश्वसनीय जांच न होने के कारण बेमौत मरने वाले इन लोगों और इनके परिजनों को न्याय मिलना तो दूर इनकी सुनवाई तक नहीं हो पाई और आज भी उस क्षेत्र में लाशें मिल रही है।
मुख्यमंत्री जी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी व आपके बीच अंतर केवल इतना है कि वे भारत के प्रधानमंत्री व आप इस राज्य के मुख्यमंत्री । अगर आपको केंद्र सरकार के अंदर काम करने वाली सीबीआई से शिकायत है तो आप याद कीजिए कि आफ अधीन जो पुलिस विभाग व सीबीसीआईडी व अन्य संस्थाएं जो काम करने है। उनका आप कितना सदुपयोग/दुरूपयोग करते हैं। नानीसार अल्मोडा में जमीन की लूट के खिलाफ संघर्ष में उतरे लोगों राज्य के सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ताओं को हैरान परेशान करने एवं अपने से विमत लोगों के साथ कैसा सलूक करते है यह भी आपको याद करना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी तमाम लोग इस पूरे मामले में दलितों, आपदा पीडतों, भूमिहीनों आदि का हक मारे जाने, कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघ करने व खुद कथित स्कूल का शिलान्यास करने के मामले की न्यायायिक व सीबीआई जांच चाहते थे। पर आफ कानों में जूं तक नहीं रेंगी और आपने पुलिस प्रशासन के बल पर इन आवाजों को कुचलने की निर्लज्ज व भरपूर कोशिश की। मामले को दबाने के लिए आपने प्रदेश के मुखिया की हैसियत से श्रीमती राधा रतूडी, शैलेश बगौली व आयुक्त कुमाऊ से जांच करने की जो सार्वजनिक घोषणा की, गांव वालों के न चाहने पर नानीसार की जमीन वापस लेने के जो आश्वासन दिए वे कभी पूरे नहीं हुए। आप बता सकते हैं क्यों? आपकी कृपा से हम लोगों व महिलाओं से मारपीट करने वाले प्रतीक जिंदल, अनिल जिंदल, उनके गुण्डे व कथित बाउंसर आदि आपकी छत्र छाया में आज भी मौज में हैं उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर सीबीसीआईडी के हल्द्वानी कार्यालय में पिछले एक साल से धूल खा रही है। जबकि आपकी मिलीभगत से कराए गए झूठे मुकदमे में ग्रामीणों व आंदोलनकारियों को जेल काटनी पडी है।
इस मामले में न्यायालयों द्वारा भी आपकी सरकार के हरकतों पर सख्त टिप्पणियां की गई है पर आप उनका संज्ञान आर उनसे सबक लेने को तेयार नहीं है। राज्य बनने के बाद लगातार हो रहे घोटालों को लेकर आपकी पार्टी व भाजपा के बीच वाक युद्ध चलता रहा है पर आश्चर्य है कि इस जमानी जमाखर्च के अलावा आप लोगों ने केाई ठोस कार्यवाही नहीं की, ऐसा क्यों? क्या यह भष्टाचार के मामलों में आपकी मिली भगत का प्रमाण नहीं हैं?
मुख्यमंत्री जी हमारी समझ में नहीं आता कि आजादी के संग्रामियों से लेकर जनता की लडाई लडने वाले तमाम लोग धैर्य व साहस से पहले अंग्रेजों और अब आप जैसे काले अंग्रेजों के जुर्म हंसते हंसते सह गए। पर आप स्वयं व अपने कांग्रेस पार्टी को उस आजादी के संग्राम का वारिश बताने वाले खुले आम स्टिंग में पकडे जाने के बाद खुद ही इस मामले की जांच करना चाहते हैं, ऐसा क्यों? क्या आपको लगता है कि जनता आपके इस फरेब को नहीं समझती? यहां पर आप किसी उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायाधीश से निष्पक्ष जांच कराने का साहस दिखाने से क्यों चूक रहे हैं। क्या आपके मन में बैठा कोई चोर आपको रोकता है? या आप केवल कोरी बातें कर अपने बचाव के लिए ऐसी रणनीति बना रहे हैं।
रावत जी नानीसार में जमीनों की लूट को लेकर हमने आप व आफ राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनियां गांधी, प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय विधानसभा अध्यक्ष श्री गोविंद ंसह कुंजवाल के कथनी करनी के अंतर को लेकर अनेक पत्र लिखे जिन्हें समाचार पत्रों ने भी प्रकाशित किया। पर खुद चिटठी पत्री परम्परा के वाहक होने के बाद भी आपने इन मामलों पर आपराधिक चुप्पी क्यों साध रखी है। क्या यह आपकी स्वीकारोक्ति का परिचायक नहीं है। मुख्यमंत्री जी हम चाहते हैं कि आप नानीसार (द्वारसों) में आप व आपकी सरकार पर लगने वाले आरोपों के लिए आप निष्पक्ष न्यायायिक जांच आयोग का गठन करें। और हो सके तो तब तक अपनी कृपा पात्र जिंदलों से कहें कि वे जांच तक नानीसार में अवैध निर्माण पर रोक लगाएं।
हम तो चाहेंगे कि जिंदल की सुरक्षा के लिए पिछले १० माह से जो पीएसी की कंपनी लगा कर ७० से ७५ लाख रूपया मात्र उनके वेतन पर खर्च हो चुका है उसे जिंदल से वापस लेकर आप इस धन से बेरोजगार युवाओं के फार्म फीस माफ कर दें। पर ऐसा आप करेंगे इसमें भी संदेह है। हमें लगता है कि आफ पास आम लोगों और उत्तराखण्डियों के लिए अच्छी अच्छी बातें और कोरी घोषणाएं है, माल ताल आप किसे देते हैं यह अब किसी से छुपा नहीं है। निष्पक्ष न्यायायिक जांच अच्छी बात है कि क्योंकि आज न्यायपालिका ही जनता की थोडी बहुत आजादी की रक्षा कर पा रही है। पर आप जैसे लोग अपनी तिकडमों से न्यायालय को भी प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे अनेक मामले आज प्रबुद्ध जनों व गली मोहल्लों में चर्चा में है कि जिससे कभी कभी न्यायायिक प्रक्रिया पर भी अनावश्यक संदेह पैदा होता है।
फिलहाल हम चाहते हैं कि माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के सार्वजनिक वक्तव्य के बाद आपने जिस न्यायायिक जांच आयोग का गठन करने की घोषणा की है आप स्वयं उसमें किसी न्यायाधीश का नाम न सुझाऐ। ऐसा करने से उस न्यायायिक जॉच की विश्वसनीयता भी संदिग्ध हो जाएगी। अच्छा हो यदि आप सर्वोच्च न्यायालय से किसी सेवारत न्यायाधीश को नामित कर ऐसी जॉच कराने का ईमानदारी व साफ इरादे से आग्रह करें। हम चाहेंगे कि इसी प्रकार की जांच आप उत्तराखण्ड में हो रही जमीनों की लूट खसोट व नानीसार मामले में भी करने का साहस दिखाएं।
सधन्यवाद!
पी.सी. तिवारी
केंद्रीय अध्यक्ष
उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी
संफ- ९४१२०९२१५९