मीडिया की सुर्खियां- उत्तराखण्ड की एकमात्र महिला सांसद को साइड लगाने की रणनीति

विजय बहुगुणा ने राज्य में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. इसके लिए उन्होंने शनिवार को नगरीय निकाय में जीते उम्मीदवारों को एक पार्टी भी दी. उधर, टिहरी लोकसभा सीट से प्रदेश बीजेपी की महिला सांसद रानी राज्यलक्ष्मी शाह ने फिर से टिहरी लोकसभा सीट से अपनी दावेदारी जताई है. रानी राज्यलक्ष्मी शाह का कहना है कि मौजूदा वक्त में टिहरी की सांसद है और आगे भी तैयार हैं. लोस चुनाव से ऐन पहले उनकी ओर से नगर निगम के महापौर और पार्षदों के लिए डिनर के आयोजन से सियासी गलियारों में हलचल भी मची है। शनिवार को इस आयोजन से पहले पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने संकेत दिए कि कुछ नेता भाजपा में आ सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडिया में आई उन खबरों को भी बचकाना करार दिया, जिसमें उनकी घर वापसी का संभावना जताई गई थी।

लोकसभा चुनाव लड़ने के संबंध में पूछे प्रश्न पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनीति में विकल्प हमेशा खुले रहते हैं। मैं यह भी नहीं कहूंगा लड़ रहा हूं और ये भी नहीं कि लड़ंगा। चुनाव किसे और कहां से लड़ाना है, ये तो पार्टी आलाकमान तय करता है। उन्होंने यह भी दावा कि उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा का परचम लहराएगा। यहां की पांचों सीटें भाजपा ही जीतेगी।

उत्तराखंड में इस समय सभी सांसद बीजेपी के हैं. लोकसभा चुनावा सिर पर हैं, लेकिन लगता है इस बार बीजेपी को यहां पर बगावत का सामना करना पड़ सकता है. इसकी शुरुआत टिहरी सीट से हो सकती है. इस सीट से अभी बीजेपी की सांसद राज्यलक्ष्मी हैं. लेकिन इसी सीट पर बीजेपी के एक और नेता विजय बहुगुणा की भी नजरें हैं. अब तक निष्क्रीय  रहे बहुगुणा ने राज्य में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. इसके लिए उन्होंने शनिवार को नगरीय निकाय में जीते उम्मीदवारों को एक पार्टी भी दी.  

उधर, टिहरी लोकसभा सीट से प्रदेश बीजेपी की महिला सांसद रानी राज्यलक्ष्मी शाह ने फिर से टिहरी लोकसभा सीट से अपनी दावेदारी जताई है. रानी राज्यलक्ष्मी शाह का कहना है कि मौजूदा वक्त में टिहरी की सांसद है और आगे भी तैयार हैं. यानी पहला अधिकार उनका है. दरअसल टिहरी सांसद रानी राज्यलक्ष्मी शाह का ये बयान तब आया है जब पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता विजय बहुगुणा ने अपनी सक्रियता बढ़ाते हुए देहरादून में एक दावत दी. बहुगुणा की इस दावत के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. देहरादून में दी गई इस दावत में टिहरी लोकसभा क्षेत्र को फोकस किया गया. यहां से निकाय चुनाव जीते जनप्रतिनिधियों के अलावा देहरादून के विधायकों, सरकार के मंत्रियों, भाजपा के पदाधिकारियों और मुख्यमंत्री को भी दावत में बुलाया गया, लेकिन टिहरी सांसद रानी राज्य लक्ष्मी को दावत का न्योता नहीं भेजा गया. विजय बहुगुणा 2004 और 2009 में यहां से सांसद रह चुके हैं.

सांसद रानी राज्य लक्ष्मी ने स्वयं दावत का न्योता मिलने से इंकार किया. लेकिन साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को भी इशारा कर दिया कि उनकी इस दावत के लजीज पकवानों का जायका वो इतने आसानी ने नहीं लेने देंगी.

राज्यलक्ष्मी शाह ने साफ संकेत दे दिए हैं कि वह इस सीट पर मौजूदा सांसद हैं और इस सीट पर किसी और का अधिकार वो इतने आसानी से नहीं होने देंगी. रानी के सख्त तेवर ये बताने को काफी हैं कि वे अब इस सीट पर किसी भी सूरत में पूर्व सीएम विजय बहुगुणा को नहीं आने देंगी. हालांकि वे ये भी कहती हैं कि फैसला शीर्ष नेतृत्व करेगा. खास तौर से बहुगुणा के भोज ने इस सियासत को एक नया मोड़ दे दिया है. सियासी गलियारों में चर्चा हैं कि विजय बहुगुना टिहरी सीट से बड़ा दांव खेलना चाहते हैं इसीलिए उन्होंने सक्रियता भी बढ़ा दी है.

लोकसभा चुनाव से ऐन पहले डिनर डिप्लोमेसी का सिलसिला शुरू हो गया है। इस कड़ी में पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता विजय बहुगुणा की ओर से शनिवार को डिनर का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री, मंत्रियों, सांसदों व विधायकों और नगर निगम के महापौर एवं पार्षदों ने शिरकत की। उनके इस आयोजन से सियासत भी गरमा गई है। इस मौके पर बहुगुणा ने कहा कि लोकसभा चुनाव को लेकर अभी कुछ नहीं सोचा है। चुनाव कहां से लड़ा जाए इस बारे में वह मार्च में फैसला लेंगे।

पूर्व मुख्यमंत्री बहुगुणा की ओर से शनिवार को यहां हरिद्वार रोड स्थित एक होटल में डिनर के आयोजन से संबंधित निमंत्रण पत्र बंटने के बाद सियासी हल्कों में चर्चा शुरू हो गई थी। इसे बहुगुणा की लोकसभा चुनाव की तैयारियों के रूप में देखा जाने लगा। बताया गया कि यह डिनर नगर निगम के महापौर व पार्षदों के लिए था। बाद में इसके सुर्खियां बनने पर मुख्यमंत्री, सांसदों, विधायकों, मंत्रियों को भी इसमें आमंत्रित किया गया।

शनिवार को डिनर में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल व प्रकाश पंत, विस अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, विधायक हरबंस कपूर, सौरभ बहुगुणा, प्रदीप बत्र, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, सहदेव सिंह पुंडरी, मुन्ना सिंह चौहान, विनोद चमोली, केदार सिंह रावत, दून के महापौर सुनील उनियाल गामा और भाजपा पार्षद शामिल हुए। इस दौरान पूर्व सीएम बहुगुणा ने कहा कि वह भाजपा पार्षदों को निजी तौर से नहीं जानते थे, इसीलिए इस डिनर का आयोजन किया गया।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि डिनर का आयोजन सामान्य बात है। इसके कोई निहितार्थ नहीं निकाले जाने चाहिएं। उधर, डिनर से पहले बहुगुणा ने मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री रावत से मुलाकात की। इस दौरान आगामी बजट के संबंध में चर्चा की गई। बहुगुणा ने बताया कि केंद्र पोषित योजनाओं के बारे में भी इस दौरान मंथन किया गया। डिनर में टिहरी सांसद महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह नजर नहीं आईं। इसे लेकर चर्चा रही। हालांकि, बहुगुणा ने बताया कि महारानी को निमंत्रण भेजा गया था। पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता विजय बहुगुणा की डिनर डिप्लोमेसी के चाहे जो निहितार्थ निकाले जाएं, मगर उन्होंने विपक्ष में टूट के संकेत जरूर दे दिए हैं। शनिवार को डिफेंस कॉलोनी स्थित आवास पर पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने कहा-‘घर (भाजपा) को बड़ा कर रहा हूं, जल्द कुछ नए लोग आएंगे।’ उन्होंने कहा कि चुनाव के मौके पर माइग्रेशन होता है। ये एक तरह का ट्रेंड भी है। जो पार्टी मजबूत व बड़ी होती है, उसकी तरफ लोग रुख करते हैं। यह पूछने पर कौन-कौन नेता भाजपा में आ रहे हैं, इसे वह मुस्कुराकर टाल गए।

पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा मार्च 2016 में कांग्रेस में हुई टूट के सूत्रधार रहे हैं। उनके ही नेतृत्व में तब नौ विधायकों ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था। हालांकि, बाद में इस फेहरिस्त में दो और विधायकों के नाम भी जुड़ गए थे। अलबत्ता, बहुगुणा ने विस चुनाव नहीं लड़ा था। ऐसे में माना गया कि वे रास या लोस चुनाव लड़ सकते हैं। गत वर्ष राज्य से रास की सीट के चुनाव में उन्हें मौका नहीं मिला। यही नहीं, दो साल के दौरान वह सियासत में अधिक सक्रिय भी नहीं दिखे।

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