श्रीकृष्ण की प्रिय माला-ग्रह-नक्षत्रों का दोष भी खत्म हो जाता है
हमारे हिन्दू समाज में कई मालाओं को धारण किया जाता है। जिनकी धार्मिक धारणाएं होती है। इन सभी मालाओं में एक है वैजयंती माला (Vaijaynti Mala)। माला के सम्बन्ध में प्राचीन ग्रन्थों काफी महिमा का बखान किया गया है। श्रीकृष्ण (Krishna) को यह माला अत्यन्त प्रिय थी। जयंती माला (Vaijaynti Mala) को धारण करने वाला इंद्र (Indra) के समान सारे वस्त्रों को जीतने वाला बन जाता है श्री कृष्ण (Krishna) के समान सभी को मोहित करने वाला बन जाता है महर्षि नारद (Narad) के समान विद्वान बन जाता है। इस सिद्ध माला को धारण करने वाला हर जगह विजय प्राप्त करता है। उसके सर्व कार्य अपने आप बनते चले जाते हैं । वैजयंती माला (Vaijaynti Mala) को सिद्ध करने के लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। पूरा फल पाने के लिए जरूरी है कि माला सही विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही पहनी चाहिए।
मान्यता है कि पुष्य नक्षत्र में माला धारण करना बहुत ही शुभ फलदायक है। इस माला को धारण करने के बाद ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव खत्म हो जाता है, खासकर शनि (Shani) का दोष समाप्त हो जाता है।
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वैजयंती माला- एक ऐसी माला जो सभी कार्यों में विजय दिला सकती है इसका प्रयोग भगवान श्री कृष्ण माता दुर्गा, काली और दूसरे कई देवता करते थे। रत्न के जानकार मानते हैं कि अगर इस माला को सही विधि-विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठित करके धारण किया जाए तो इसके परिणाम आपको तत्काल मिल सकते हैं। कोई भी ऐसा कार्य नहीं है जो जिसमें रुकावट आएगी।
वैजयंती फूलों का बहुत ही सौभाग्यशाली वृक्ष होता है। वैजयंती माला के सम्बन्ध में प्राचीन ग्रन्थों काफी महिमा का बखान किया गया है। यह माला धरा ने श्रीकृष्ण को भेंट में दी थी, अतः श्रीकृष्ण को यह माला अत्यन्त प्रिय थी। यह माला वैजयंती के बीजों से बनती है। इसे पूजा-पाठ, यज्ञ, हवन, तन्त्र व सात्विक साधनों में प्रयोग किया जाता है। वैसे तो हर मनुष्य इसे धारण कर सकता है लेकिन वैष्णव भक्त व लक्ष्मी भक्तों के लिए यह माला अत्यन्त श्रेष्ठ है। श्रीकृष्ण को मोहन इसलिए भी कहा जाता है कि वे जहां जाते थे, सभी को मोह लेते थे। इसको धारण करने से शत्रु मित्रवत व्यवहार करने लगते है। वैजयंती माला को धारण करने से सम्मान में वृद्धि होती है, कार्यो में सफलता मिलती है और मानसिक सुकून प्राप्त होता है। यदि बच्चों को परीक्षा से पहले भय लगता है तो बच्चों को एक वैजयंती माला पहनाने से लाभ मिलता है। संकट के समय जोर से श्वांस खीचकर छोड़ो और फिर माला पर हाथ फिरानें से हर प्रकार का भय दूर हो जाता है। जिन व्यक्तियों का मन लगातार परेशान रहता है या किसी कार्य में मन नहीं लगता है तो ऐसे व्यक्तियों को मंगलवार के दिन वैजयंती माला पहनाने से मन शान्त रहता है और मन में सकारात्मक विचार आते है। यदि आप आये दिन समस्याओं से घिरे रहते है तो वैजयंती माला से ‘ऊं नमः भगवते वासुदेवाय’ मन्त्र का 2100 बार जाप करके गले में पहन लेने से समस्याओं का निराकरण हो जाता है। वैजयन्ती माला को किसी शुभ मुहूर्त श्रीकृष्ण जी का ध्यान करके पहनने से शरीर में नई स्फूर्ति व आनन्द का संचार होता है। व्यक्ति में धैर्य व साहस बना रहता है।
वैजयंती फूलों का बहुत ही सौभाग्यशाली वृक्ष होता है। मान्यता है कि पुष्य नक्षत्र में वैजयंती के बीजों की माला धारण करना बहुत ही शुभ फलदायक है। इस माला को धारण करने के बाद ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव खत्म हो जाता है, खासकर शनि का दोष समाप्त हो जाता है। इसको धारण करने से नई शक्ति तथा आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। मानसिक शांति प्राप्त होती है जिससे व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में मन लगाकर कार्य करता है। इस माला को किसी भी सोमवार अथवा शुक्रवार को गंगाजल या शुद्ध ताजे जल से धोकर धारण करना चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण हमेशा अपने गले में एक खास माला धारण किए रहते हैं। ये है वैजयंती की माला। शास्त्रों में बताया गया है कि श्रीकृष्ण को 6 चीजें विशेष प्रिय हैं। ये चीजें हैं गाय, बांसुरी, मोर पंख, माखन, मिश्री और वैजयंती माला। अगर आप 13 जून से पहले वैजयंती की धारण करेंगे तो आपकी कई परेशानियां भगवान की कृपा से दूर हो सकती हैं। वैजयंती एक पौधे का नाम है। इसके पत्ते थोड़े लंबे होते हैं, चौड़ाई कम होती है। इसमें टहनियां नहीं होती हैं। वैजयंती में लगने वाले फूल लाल या पीले रंग के होते हैं। ये फूल गुच्छों में लगते हैं। फूलों के साथ ही छोटे-छोटे गोल दाने भी होते हैं, जो कि थोड़े कठोर होते हैं। इन कठोर दानों में छेद करके माला बनाई जाती है। इस माला को गले में धारण किया जाता है। ये माला किसी भी पूजन-सामग्री की दुकान से खरीदी जा सकती है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति वैजयंती की माला धारण करता है, वह सुख-समृद्धि और धन-सपंत्ति प्राप्त करता है। वैजयंती माला को किसी भी सोमवार या शुक्रवार को पहन सकते हैं। धारण करने से पहले गंगाजल या शुद्ध जल से धो लेना चाहिए। जिन लोगों में आत्म विश्वास की कमी होती है, अगर वे लोग ये माला धारण करते हैं तो व्यक्ति का खुद पर विश्वास बढ़ता है। अगर मन की अशांति दूर करना चाहते हैं तो इस माला को पहनने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। इस माला के असर व्यक्ति बुरी नजर से बचता है और नकारात्मकता से भी रक्षा होती है।
माला धारण की विधि-शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को स्नान-ध्यान करके ‘ऊं नमः भगवते वासुदेवाय’ मन्त्र का कम से कम 108 बार जाप करें फिर किसी मन्दिर में गरीबों को मीठा भोजन करायें उसके बाद इस माला को धारण करना चाहिए।
विवाह बाधा हेतु-यदि किसी लड़का या लड़की के विवाह में लगातार बाधा आ रही है तो वैजयंती माला से ‘ऊं नमः भगवते वासुदेवाय’ मन्त्र की कम से एक माला का नित्य जाप करें और केले के पेड़ पूजन करें। ऐसा करने से विवाह में आ रही हर प्रकार की बाधा दूर हो जाती है और जातक का शीघ्र विवाह सम्पन्न हो जाता है।
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