नवगठित विधानसभा अल्पायु होगी? अकाटय तथ्य
उत्तराखण्ड को मिलेगा 2 वर्ष की अल्प अवधि का नया मुख्यमंत्री #क्या कठोर कदम उठायेगे मोदी जी#भयंकर राजनीतिक उलट पुलट के संकेत #सितारो की चांल का ज्योतिषाचार्य संकेत देते हैं#वही सितारों की चाल के अनुसार स्थितियां, परिस्थितयां बनती चली जाती है#एक्सक्लूसिव आलेख #मार्च 2017 में गठित होने वाली विधानसभा अल्पायु का शिकार होगी#मात्र दो वर्ष का ही कार्यकाल होगा नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री का तथा विधायकों का #ऐसा क्यों ?#असम्भव सी भविष्यवाणी के क्या है निहितार्थ #हिमालयायूके न्यूज पोर्टल की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट #यह केवल धार्मिक भविष्यवाणी नही है#अपितु ठोस कारण भी उल्लेखित है#2019 में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभा के लिए चुनाव एक साथ हो सकते हैं*? जिससे नव गठित विधानसभा अल्पायु का शिकार होगी #पहले सितारों की चाल के अनुसार उत्पन्न होने वाली स्थितियां देखते हैै-क्या कह रहे हैे सितारे तथा भविष्यवक्ता #पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव निपट जाने के बाद निर्वाचन आयोग से तमाम संबंधित मसलों पर चर्चा #राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव तो अगले लोकसभा चुनाव के साथ करा ही लिए जाएंगे’ #क्या करेगे मोदी जी- यह तो सितारों के संकेतों का अध्ययन कर ज्योतिषाचार्यो ने भविष्यवाणी की परन्तु हिमालयायूके ने इसके लिए अपने अन्य सूत्र तलाशे तो ज्ञात हुआ कि www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal & Daily Newspaper)
March 29, 2017 को हिन्दू नव वर्ष 2072 का प्रारम्भ होगा, उस दिन शनिवार होने से वर्ष का राजा शनि है, उसी दौरान आखिरी सप्ताह मार्च 2017 में राजनीतिक मोर्चे पर बहुत कुछ होनेे के बीज का रोपण हो जायेगा। सितारे कुछ इस तरह करवट लेगे कि आसुरिक तत्त्व अपना विध्वंस देखने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य ज्योतिष गुरु एवं शनिधाम के संचालक हरिदयाल मिश्र के अनुसार भ्रष्टाचारियो के लिए आने वाला वर्ष अशुभ है क्योंकि 2017 के शुरूआत से शनि का अहम रोल है क्योंकि शनि न्याय के देवता है अयोध्या के जाने माने ज्योतिषाचार्य हरिदयाल मिश्र ने संजय गांधी और इंदरा गांधी की मौत कि भविष्यवाणी की थी जो बिल्कुल सच साबित हुई। ज्योतिषाचार्य ने कहा है कि पीएम मोदी को शनि 2017 में अजेय रखेगा। वहीं राहुल गांधी को लेकर ज्योतिषाचार्य ने कहा कि उनका समय ठीक नहीं चल रहा उन्हें अब शांत बैठना चाहिए।
ज्योतिषशास्त्र के दार्शनिक खंड अनुसार सूर्य पुत्र शनि को पापी ग्रह माना गया है और इसे नवग्रह में न्यायाधीश की उपलब्धि प्राप्त है ने रोग, दुख, संघर्ष, बाधा, मृत्यु, दीर्घायु, भय, व्याधि, पीड़ा, नंपुसकता व क्रोध का कारक माना गया है। मकर व कुंभ राशियों के स्वामी हैं। ज्योतिषशास्त्र की गोचर प्रणाली अनुसार शनि गुरुवार दिनांक 26.01.17 को रात 09:34 पर वृश्चिक से धनु राशि में प्रवेश कर चुके हैं। शनि के इस राशि परिवर्तन से मकर राशि हेतु शनि की साढ़ेसाती शुरू होगी। वृश्चिक राशि हेतु यह अंतिम चरण की साढ़ेसाती होगी व तुला राशि साढ़ेसाती से मुक्त होंगे। शनि के धनु में आते ही कन्या राशि हेतु लघु कल्याणि शुरू होगी व वृष राशि हेतु अष्ठम शनि की ढ्य्या शुरू होगी। शनि धनु राशि में पहले केतु के नक्षत्र मूल में आकर बाद में शुक्र व सूर्य के नक्षत्र में भ्रमण करेंगे। साल 2017 में शनि का गोचर अत्यधिक अस्थिर रहेगा क्योंकि यह कुछ समय के लिए वक्री हो कर पुनः वृश्चिक राशि में आकर दोबारा मार्गी होकर धनु राशि में प्रवेश करेंगे। साल 2017 में शनि अपनी वक्र अवस्था से बुधवार दिनांक जून 21.06.17 को रात 01:37 पर धनु से वृश्चिक में जाएंगे तथा पुनः सक्रिय होकर गुरुवार दिनांक 26.10.17 को वृश्चिक से धनु में प्रवेश करेंगे।
भारत के प्रघानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वृश्चिक राशि है तथा गजकेसरी योग बनाने वाले चन्द्रमॉ और वृहस्पति में से चन्द्रमां की महादशा में चल रहे हैं और शनि अन्तर्दशा की शुद्र प्रत्यंतर दशा में २७ दिसम्बर तक रहेगे। शुक्र उनके लिए मारक ग्रह है, इसलिए इस प्रत्यंतर में उन्हें थोडा नुकसान हुआ है। नरेन्द्र मोदी की कुण्डली की सबसे असाधारण बात है कि पांच महत्वपूर्ण ग्रहों का एक साथ केन्द्र स्थान में स्थित होना है। उनकी दशांश कुण्डली में भी ३ महत्वपूर्ण ग्रह केन्द्र स्थान में है। उनकी षोडशांस कुण्डली में भी ५ महत्वपूर्ण ग्रह केन्द्र में ४ ग्रह त्रिकोणों में स्थित है। उनकी लोकप्रियता बढने का यही एक कारण है। उनकी विशांश कुण्डली अति शक्तिशाली है और नवम, पंचम के बीच में परिवर्तन योग से नवमेश दशमेश नवम में स्थित है। उतरती हुई साढे साती नरेन्द्र मोदी को जीवन दान दे सकती है, अगर वे अपने चारों ओर चल रहे षडयंत्रों से सावधान रहे। मार्च २०१७ के अंतिम दिनों में वृहस्पति और शुक्र दोंनों ही वक्री रहेगें। अप्रैल में शनि, गुरू और शुक्र तीनों ही वक्री रहेगे जो मोदी की आक्रामकता को बढायेगे और बाद में शुक्र के स्थान पर बुध वक्री हो जायेगें। तीन तीन ग्रह जब वक्री होते हैं तो इतिहास बनाने वाली घटनाएं जन्म लेती है।
वक्री शनि और वक्री बुध के गोचर के कारण नरेन्द्र मोदी कुछ असाधारण घोषणायें करेगें। यह पुनः एक तरह से किसी नई क्रांति का सूत्रपात्र होगा विपक्षी पार्टियां उनके समक्ष तेजहीन हो जायेगी।
उक्त भविष्यवाणी पं० सतीश शर्मा ने की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाग्यशाली नंबर 8 है ! जिसका संबध शनि ग्रह से है ! शनिदेव एक न्यायप्रिय देवता है ! इसलिए शनि ग्रह का संपर्क सीधा जनता से होता है ! प्रधानमंत्री मोदी जी का भाग्यशाली नंबर 8 होने के कारण वो जनता से संपर्क में रहेंगे ! सौरमंडल में शनि ग्रह की सूर्य से दूरी होने के कारण अन्य ग्रह की अपेक्षा एक पूरा चक्कर लगाने में अधिक समय लगता है ! इसलिए मोदी जी जो भी जनहित के कार्य करेंगे उसके दूरगामी परिणाम होंगे जिसका असर दिखने में थोडा समय लगेगा ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की कुंडली मोदी जी का जन्म 17/09/1950 को हुआ था इसलिए उनका भाग्यांक 5 (17+09+1950=5) बनता है ! और 5 का संबंध बुद्ध ग्रह से है ! बुद्ध ग्रह के प्रभाव वाला व्यक्ति तीव्र बुद्धि वाला होता है ! और लोगो की समस्याओ को सुनने और समझने वाला होता है ! ऐसा व्यक्ति जब भी जनहित का कार्य करता है ! उसको विश्व में सम्मान और प्रसिद्धि मिलती है ! 17 सितंबर 2016 में मोदी जी 66 वर्ष के हो चुके है ! इनको जोड़ने पर नंबर 3 बनता है जो बृहस्पति ग्रह से सम्बंधित है !
आने वाले समय में मोदी जी जो भी जनहित के कार्य करेंगे ! उसकी चर्चा पूरे विश्व में होगी ! जन्मकुंडली के अनुसर मोदी जी पर अभी चन्द्रमा की महादशा और बुद्ध की अंतरदशा चल रही है ! वृश्चिक राशि में शनि गौचर है ! मोदी जी की कुंडली वृश्चिक राशि और लग्न दोनों ही है ! मोदी जी की जन्मकुंडली में शनि का प्रभाव होने के कारण वो जनहित के लिए कार्य करते रहेंगे ! मोदी जी पर चन्द्रमा की महादशा होने पर उनको मानसिक तनाव से गुजरना पड़ेगा ! जिससे उसके स्वास्थ्य पर भी थोडा प्रभाव पड़ेगा ! इसलिए उनको अपने स्वस्थ की चिंता भी करनी चाहिए ! 2017 शुरू होने के बाद आने वाले समय में मोदी जी ऐसे ऐसे कार्य करेंगे जिससे भारत की जनता का मोदी जी पर विश्वास बढ़ता जायेगा !
क्या करेगे मोदी जी- यह तो सितारों के संकेतों का अध्ययन कर ज्योतिषाचार्यो ने भविष्यवाणी की परन्तु हिमालयायूके ने इसके लिए अपने अन्य सूत्र तलाशे तो ज्ञात हुआ कि
*क्या 2019 में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभा के लिए चुनाव एक साथ हो सकते हैं*?
2019 में लोकसभा के साथ राज्य विधानसभाओं के चुनाव भी कराए जा सकते हैं. विधि आयोग के अध्यक्ष बीएस चौहान ने द टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में यह संभावना जताई है. चौहान ने कहा, ‘पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव निपट जाने के बाद निर्वाचन आयोग से तमाम संबंधित मसलों पर चर्चा की जाएगी. अगर सभी पक्षों में सहमति बनी तो कोशिश रहेगी कि कम से आधे राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव तो अगले लोकसभा चुनाव के साथ करा ही लिए जाएं.’
यह मुद्दा बीते कुछ समय से गर्म है. विधि एवं न्याय मंत्रालय की स्थायी संसदीय समिति में भी इस चर्चा हो चुकी है. उसने भी इस विचार के पक्ष में अपनी राय दी है. कुछ सुझावों के साथ दिसंबर 2015 में समिति अपनी रिपोर्ट भी संसद को सौंप चुकी है.
समिति के सुझावों में भी यह शामिल है कि आधे राज्यों के चुनाव अगले लोकसभा चुनाव के साथ कराए जा सकते हैं. बाकी के आधे राज्यों में 2019 के ही अंत में चुनाव हो सकते हैं. निर्वाचन आयोग और विधि आयोग के बीच भी इससे पहले गहराई से इस मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है. इस सिलसिले में नीति आयोग ने अध्ययन भी किया है. इसके मुताबिक, देश में करीब-करीब हर छह महीने…
2019 में लोकसभा के साथ राज्य विधानसभाओं के चुनाव भी कराए जा सकते हैं. विधि आयोग के अध्यक्ष बीएस चौहान ने द टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में यह संभावना जताई है. चौहान ने कहा, ‘पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव निपट जाने के बाद निर्वाचन आयोग से तमाम संबंधित मसलों पर चर्चा की जाएगी. अगर सभी पक्षों में सहमति बनी तो कोशिश रहेगी कि कम से आधे राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव तो अगले लोकसभा चुनाव के साथ करा ही लिए जाएं.’
यह मुद्दा बीते कुछ समय से गर्म है. विधि एवं न्याय मंत्रालय की स्थायी संसदीय समिति में भी इस चर्चा हो चुकी है. उसने भी इस विचार के पक्ष में अपनी राय दी है. कुछ सुझावों के साथ दिसंबर 2015 में समिति अपनी रिपोर्ट भी संसद को सौंप चुकी है.
समिति के सुझावों में भी यह शामिल है कि आधे राज्यों के चुनाव अगले लोकसभा चुनाव के साथ कराए जा सकते हैं. बाकी के आधे राज्यों में 2019 के ही अंत में चुनाव हो सकते हैं. निर्वाचन आयोग और विधि आयोग के बीच भी इससे पहले गहराई से इस मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है. इस सिलसिले में नीति आयोग ने अध्ययन भी किया है. इसके मुताबिक, देश में करीब-करीब हर छह महीने में कहीं न कहीं चुनाव होते हैं. इससे प्रशासनिक और विकास कार्याें में बाधा पहुुंचती है क्योंकि केंद्र और राज्यों की सरकारें चुनाव आचार संहिता से बंध जाती हैं.
विधि आयोग के अध्यक्ष के मुताबिक देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना कोई नई बात नहीं है. आजादी के बाद 1952, 1957 और 1962 में ये चुनाव साथ में ही हुए थे. यह सिलसिला 1968 में टूटा जब कुछ विधानसभाओं को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही भंग कर दिया गया. इसी तरह 1970 में लोकसभा भी समय से पहले भंग कर दी गई. ऐसा कई बार हुआ. लिहाजा, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक सााथ कराने का सिलसिला फिर बहाल नहीं हो पाया.
इसकी तैयारी काफी समय पहले ही शुरू कर दी गयी थी
केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश डॉ. बलबीर सिंह (बी.एस.) चौहान को विधि आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया था। यह पद पिछले वर्ष सितंबर से खाली पड़ा था। डॉ. बलबीर सिंह चौहान विधि आयोग के 21वें अध्यक्ष हैं। वह वर्तमान में कावेरी नदी जल विवाद ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष हैं। वे मई, 2009 से जुलाई, 2014 तक सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश रहे।
न्यायमूर्ति डॉ॰ बलबीर सिंह चौहान भारतीय विधि आयोग के 21 वें अध्यक्ष हैं। 10 मार्च, 2016 को केंद्र सरकार ने उन्हें इस पद पर नियुक्त किया।इसके पूर्व वे कावेरी नदी जल विवाद न्यायाधिकरण के अध्यक्ष थे। वे मई, 2009 से जुलाई, 2014 के मध्य भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं। वे 16 जुलाई 2008 से 10 मई 2009 तक उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।
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