केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में सबकुछ ठीक नहीं
War in CBI द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट
देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी में उत्पन्न आंतरिक कलह ने खलबली मचा दी है। इस मामले को लेकर कई तरह की बातें सामने आई हैं। सीबीआई के विशेष निदेशक की नियुक्ति को लेकर मामले ने तूल पकड़ लिया है। जिसमें साफ कहा जा रहा है कि जिसकी जांच खुद सीबीआई कर रही उसे सर्वोच्च पद पर कैसे रखा जा सकता है।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सीबीआई के नए विशेष निदेशक की नियुक्ति को लेकर मुख्य निदेशक आलोक वर्मा ने आपत्ति जताई है।
देश की शीर्ष जांच एजंसी, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में सबकुछ ठीक नहीं है। एजंसी ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को लिखा है कि उसके दूसरे वरिष्ठतम अधिकारी, विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के पास अपने प्रमुख, निदेशक आलोक वर्मा का प्रतिनिधित्व करने का शासनादेश नहीं है। सीबीआई ने सीवीसी से यह भी कहा कि कई अधिकारियों जिन्हें संस्था में शामिल किए जाने पर विचार किया जा रहा है, ‘वह स्वयं आपराधिक मामलों में संदिग्ध/आरोपी हैं और सीबीआई उनकी जांच कर रहा है।’
आलोक वर्मा ने सीवीसी को खत लिखकर बताया है कि राकेश आस्थाना पर भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हैं जिसकी जांच सीबीआई कर रही है। ऐसे में राकेश आस्थान को सीबीआई का विशेष निदेशक कैसे बनाया जा सकता है। सीबीआई के शीर्ष पदों की नियुक्ति सीवीसी के आदेशानुसार होती है। हालांकि सीवीसी ने इसको लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। सूत्रों का कहना है कि इसको लेकर बैठक की जाएगी।
पत्र में यह बताते हुए कि अस्थाना कई मामलों में खुद ‘जांच से गुजर’ रहे हैं, एजंसी ने कहा है कि ”संस्थागत निष्ठा बरकरार” रखने के लिए निदेशक की अनुपस्थिति में उनसे ”सीबीआई में अधिकारियों को शामिल करने के लिए सलाह नहीं ली जा सकती।” एजंसी ने प्रस्तावित अधिकारियों की ”उचित जांच” करने के लिए ”पर्याप्त अग्रिम समय” मांगा है।
सीबीआई के प्रवक्ता ने द इंडियन एक्सप्रेस के कॉल्स और मेसेजेस का जवाब नहीं दिया। सीवीसी, सीबीआई निदेशक और सीबीआई विशेष निदेशक ने द इंडियन एक्सप्रेस के टेक्स्ट मेसेज का जवाब नहीं दिया। सीबीआई द्वारा उठाए गए मुद्दों की टाइमिंग इसलिए अहम है क्योंकि वह अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले कई राजनेताओं की जांच कर रही है।
Exposing the fault lines in India’s top investigating agency, the Central Bureau of Investigation (CBI) has written to the Central Vigilance Commission (CVC) saying that its second most senior officer, Special Director Rakesh Asthana, does not have the mandate to represent its chief, Director Alok Verma. That’s not all, it has informed the CVC that several officers being considered for induction in the agency “were under examination by the CBI as suspects/ accused in criminal cases under investigation with the Bureau”. Pointing out that Asthana is himself “under (the) scanner” in several cases, the agency has conveyed that in order to “maintain organizational integrity”, he “cannot be consulted for inducting officers into CBI” in the absence of the Director. The agency has also asked for “sufficient time in advance” to conduct “due diligence checks” on officers being proposed for induction. The CBI spokesperson did not respond to calls and text messages from The Indian Express seeking comment. The CVC, CBI Director and CBI Special Director did not respond to text messages from The Indian Express. The issues raised by CBI assume significance at a time when it is probing several politicians in the run-up to the general elections next year. In a separate case this month, the Supreme Court diluted the protection given to Enforcement Directorate joint director Rajeshwar Singh from a probe on charges of corruption — Singh is probing the controversial Aircel Maxis case. The CBI’s concerns were conveyed in two letters sent by its policy division in response to a telephone call from the CVC on July 10, informing it about a meeting of the CBI selection committee on July 12.
The letters, issued by the division with the “approval of the Director, CBI”, informed the CVC that it had not received any formal agenda for the meeting. It reminded the CVC about its past concern of holding selection committee meetings at such short notice without an agenda. The CBI said that it “had already expressed its concern on May 18th, 2018 vide letter.. wherein it was requested that CBI be given sufficient time in advance to conduct due diligence checks on the officers/ candidates being proposed for induction”. The agency noted that “in the previous CBI Selection Committee meeting, names of officers who were being considered for induction in CBI were under examination by the CBI as suspects/ accused in criminal cases under investigation with the Bureau”. It said that apart from a letter sent on July 6, “this was also formally conveyed in the previous CBI Selection Committee meetings as well as during the monthly meetings held between the CVC and the CBI”. Citing Section 4C of the Delhi Special Police Establishment Act, 1946, as amended by the CVC Act, 2003, which explicitly states that “the committee shall consult the Director before submitting its recommendations to the Central Government”, the CBI letter asked for a postponement of the July 12 meeting to any date after July 19. CBI director Alok Verma was abroad on an official tour that day, attending an Interpol conference at Punta del Este in Uruguay. When the CVC asked over the telephone for the officer holding charge of CBI director — referring to Special Director Asthana who is next in seniority — to attend the meeting, the CBI wrote a second letter stating that “the charge/ powers of Director, CBI have not been given to” Asthana. This letter by the policy division stated that the “issue was discussed with the Director CBI over telephone”, and that Asthana’s “role is under scanner of this bureau (CBI) in certain cases”. The letter also referred to the case of UP-cadre IPS officer, Jyoti Narayan, currently Joint Director General in Bureau of Civil Aviation Security, for induction into the CBI, linking him to Asthana. “It has been observed that, during investigation in one of the cases that the name of Sh. Jyoti Narayan, IPS (UP-1996) for the post of Jt. Director in CBI was being pursued by the Special, Director CBI,” the letter said, adding that Narayan “was being examined for his role as a suspect in a criminal case being investigated by the CBI”. The role of the CVC-chaired selection committee had come under the spotlight after Asthana became the CBI Special Director last year. The committee, at the time, chose to ignore a note from CBI director Verma pertaining to corruption allegations and objecting to Asthana’s name.
Indian Express
सीबीआई ने अपनी चिंता अपने नीति डिविजन द्वारा दो पत्रों में सीवीसी को भिजवाईं हैं। यह पत्र 10 जुलाई को सीवीसी की टेलिफोन कॉल के जवाब में भेजे गए, जिसमें 12 जुलाई को सीबीआई चयन समिति की बैठक की जानकारी दी गई थी। ”सीबीआई निदेशक की अनुमति” के बाद डिविजन द्वारा भेजे गए पत्र में सीवीसी को बताया गया है कि बैठक को लेकर उसे कोई औपचारिक एजेंडा नहीं मिला है।
सीबीआई ने 12 जुलाई की बैठक को 19 जुलाई के बाद किसी भी तारीख में कराने को कहा है। इसके लिए उसने दिल्ली स्पेशनल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 1946 की धारा 4सी (सीवीसी एक्ट, 2003 द्वारा संशोधित) का हवाला दिया है जो स्पष्ट कहता है, ”केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपने से पहले कमेटी निदेशक से राय-मशवरा करेगी।” सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा 12 जुलाई को उरुग्वे में इंटरपोल की एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा ले रहे थे।
जब सीवीसी ने फोन पर सीबीआई निदेशक का कार्यभार देख रहे – वरिष्ठता में दूसरे नंबर पर आने वाले विशेष निदेशक अस्थाना – से बैठक में हिस्सा लेने को कहा, तब सीबीआई ने दूसरा पत्र लिखा जिसमें कहा गया है कि ‘सीबीआई निदेशक का कार्यभार/शक्तियां अस्थाना को नहीं दी गई हैं।”
सीवीसी की अध्यक्षता वाली चयन समिति की भूमिका उस समय चर्चा में चर्चा में आई जब पिछले साल अस्थाना सीबीआई के विशेष निदेशक बने। कमेटी ने उस समय अस्थाना पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों और उनके नाम पर आपत्ति जताने वाले सीबीआई निदेशक वर्मा के नोट को दरकिनार कर दिया था। इसी महीने एक अलग मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद प्रवर्तन निदेशालय के संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह को जांच से मिली छूट को हटा दिया था। सिंह विवादित एयरसेल-मैक्सिस केस की जांच कर रहे हैं।
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