वॉट्सऐप का चौंकाने वाला खुलासा
HIGH LIGHT; Himalayauk (Web & {Print Media) # वॉट्सऐप ने आरोप लगाया कि इजरायली एनएसओ समूह ने पेगासस से करीब 1,400 वॉट्सऐप उपयोगकर्ताओं को निशाना बनाया.: फेसबुक के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म वॉट्सऐप ने कहा है कि भारत में आम चुनाव के दौरान पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर निगरानी के लिए इजरायल के स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग किया गया.
वॉट्सऐप के ज़रिए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की जासूसी कराने के मुद्दे पर जहाँ एक ओर राजनीति शुरू हो गई है, सरकार ने इस पर बचाव का मुद्रा अपना लिया है। उसने वॉट्सऐप से कहा है कि वह बताए कि निजता का उल्लंघन करते हुए कैसे भारतीयों को निशाना बनाया गया। गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, ‘भारत सरकार हर नागरिक के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह कृतसंकल्प है। इसमें निजता का हक़ भी शामिल है।’
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा था, ‘मोदी सरकार जासूसी करते हुए पकड़ी गई! यह बहुत ही बुरी बात है, पर आश्चर्य की बात नहीं है। बीजेपी सरकार ने पहले कार्यकाल में ही निजता के अधिकार का जम कर विरोध किया था। इसने तो लोगों पर निगरानी रखने के लिए एक निकाय तक बना लिया था, सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही उसने इसे रोका। अदालत को इसका संज्ञान लेना चाहिए और बीजेपी सरकार को नोटिस देना चाहिए।’
फेसबुक के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म वॉट्सऐप ने कहा है कि भारत में आम चुनाव के दौरान पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर निगरानी के लिए इजरायल के स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग किया गया.
वॉट्सऐप ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा है कि भारत में आम चुनाव के दौरान पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर निगरानी के लिए इजरायल के स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग किया गया. यह खुलासा सैन फ्रांसिस्को में एक अमेरिकी संघीय अदालत में मंगलवार को दायर एक मुकदमे के बाद हुआ जिसमें वॉट्सऐप ने आरोप लगाया कि इजरायली एनएसओ समूह ने पेगासस से करीब 1,400 वॉट्सऐप उपयोगकर्ताओं को निशाना बनाया.
यह काम पेगासस नाम के एक स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर ने किया. इस तकनीक का विकास इजरायली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ने किया है. स्पाइवेयर एक ऐसा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जो आपके कंप्यूटर और मोबाइल से गोपनीय और व्यक्तिगत जानकारी चुरा लेता है.
किसी की निगरानी करने के लिए पेगासस ऑपरेटर एक खास लिंक तैयार करता है और उपयोगकर्ता से उस पर किसी भी तरह से क्लिक करवाता है. लिंक पर क्लिक करने के बाद ऑपरेटर को उपयोगकर्ता के फोन की सुरक्षा में सेंध लगाने का अधिकार मिल जाता है और वह पेगासस को बिना उपयोगकर्ता की मंजूरी और जानकारी के उसके फोन में इंस्टाल कर देता है.
फोन की सुरक्षा में सेंध लगने और पेगासस इंस्टाल होने के बाद ऑपरेटर लोकप्रिय मोबाइल मेसेजिंग एप्स के सहारे उपयोगकर्ता के पासवर्ड, कॉन्टैक्ट लिस्ट, कैलेंडर इवेंट्स, टेक्स्ट मैसेजेज और लाइव वॉयस कॉल की जानकारी हासिल कर सकता है. इसके साथ ऑपरेटर उपयोगकर्ता की गतिविधि की जानकारी के लिए फोन के कैमरा और माइक्रोफोन को भी ऑन कर सकता है.
हालिया मामले में जिस तरह से वॉट्सऐप के सहारे लोगों के फोन में सेंधमारी की गई है उसमें किसी लिंक को भी क्लिक करने की जरूरत नहीं थी और यह काम केवल एक मिस्ड वीडियो कॉल से ही हो गया, जिसमें उपयोगकर्ता को उस वीडियो कॉल का जवाब देने की भी जरूरत नहीं थी.
फेसबुक के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म वॉट्सऐप ने कहा, ‘मई में हमने एक हमले को रोका जहां एक अत्याधुनिक साइबर स्पाइवेयर ने उपयोगकर्ता के उपकरणों पर मैलवेयर स्थापित करने के लिए हमारे वीडियो कॉलिंग सुविधा का फायदा उठाया.’
वॉट्सऐप ने स्वीकार किया कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान दो हफ़्ते के लिये भारत में कई पत्रकारों, शिक्षाविदों, वकीलों, मानवाधिकार और दलित कार्यकर्ताओं पर नज़र रखी गई। फ़ेसबुक के स्वामित्व वाले वॉट्सऐप ने कहा है कि इजरायली एनएसओ समूह ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर 1400 वॉट्सऐप यूजर्स की निगरानी की थी। वॉट्सऐप यह दावा करता है कि उसके प्लेटफ़ॉर्म पर जो चैटिंग होती है, वह पूरी तरह इनक्रिप्टेड है यानी चैटिंग कर रहे दो लोगों के सिवा कोई तीसरा शख़्स इसे नहीं पढ़ सकता है। अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, यह हैरान करने वाली जानकारी सैन फ़्रांसिस्को की एक अमेरिकी संघीय अदालत में एक मुक़दमे की सुनवाई के दौरान सामने आई। इस मुक़दमे में वॉट्सऐप ने आरोप लगाया कि इजरायली एनएसओ समूह ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर 1400 वॉट्सऐप यूजर्स पर नजर रखी थी। मुक़दमे के दौरान वॉट्सऐप ने इन यूजर्स की पहचान और फ़ोन नंबर बताने से इनकार कर दिया। वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि जिन लोगों पर निगाह रखी जा रही थी, वॉट्सऐप उनके बारे में जानता था और उनमें से सभी से संपर्क किया गया।