दुनिया में सबसे गुणकारी और रोग को हरने वाला दूध- उत्तराखण्ड में है? हैरान करने वाली खबर
एक शोध में ये तथ्य सामने आया है कि बद्री गाय का दूध दुनिया में सबसे गुणकारी और रोग को हरने वाला है। यह शोध युकॉस्ट(उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योधिकी परिषद्) व आईआईटी ( भारतीयप्रौद्योधिकी संसथान) रूडकी के वैज्ञानिकों ने किया है। इस शोधसे पता चला है कि पहाड़ी गाय के दूध में 90 फीसदी ए-2 जीनोटाइप बीटा कसीन पाया जाता है जो डायबिटीज और ह्रदय रोगों के लिए फायदेमंद होता है।
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आमतौर पर बाजार में गाय का घी 400-500 रुपये किलो मिलता है लेकिन क्या आपको पता है कि उत्तराखंड में एक ऐसी भी गाय है जिसका 1 किलो घी खरीदने के लिए आपको 4 हजार रुपये खर्च करने होंगे. जी हां बाजार में मिल रहे 400 रुपये किलो वाले घी की जगह बद्री नस्ल की गाय के घी के लिए आपको 10 गुना ज्यादा पैसे देने होंगे.
दरअसल उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके में बद्री नस्ल की गाय पाई जाती और गाय की यह नस्ल वहां तेजी से खत्म हो रही थी. इस नस्ल को बचाने में नरियालगांव पशु प्रजनन केन्द्र की मुहिम रंग लाई और अब इस नस्ल की 140 गायें वहां मौजूद हैं.
बद्री गायों से अभी हर दिन करीब 125 लीटर दूध मिलता है और इसे पहले 25 रुपये प्रतिलीटर के हिसाब से बेच दिया जाता था. बाद में पशु प्रजनन केन्द्र ने बद्री गाय के दूध की लैब में सैम्पलिंग कराई तो लैब टेस्ट में बद्री गाय के दूध में ए2 प्रोटीन के साथ अन्य पोषक तत्वों की उपलब्धता और गुणवत्ता के आधार पर पशुपालन विभाग ने इसके दूध को खरीदने के लिए निविदा आमंत्रित की. इसके बाद पशुपालन विभाग ने दूध का पेटेंट कराया जिसके बाद गाजियाबाद की एक कंपनी ने 41 रुपये प्रति किलो की दर से दूध लेना शुरू कर दिया.
बद्री गाय इसे ‘पहाड़ी‘ गाय के रूप में जाना जाता है। ये मवेशी पहाड़ी इलाकों और उत्तराखंड की जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल हैं। यह मजबूत और रोग प्रतिरोधी नस्ल उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है। चंपावत जिले के पशु पालक पहाड़ी नस्ल बद्री गाय के साथ जर्सी की भी पालते हैं और दोनों का दूध मिक्स कर दुग्ध संघ को बेचते हैं। बद्री गाय का दूध काफी गाढ़ा और स्वादिष्ट होता है जिसके चलते इस दूध से बने घी की गुणवत्ता काफी अधिक बढ़ जाती है। इस गाय की नस्ल तेजी से खत्म हो रही थी जिसे बचाने में नरियालगांव पशु प्रजनन केन्द्र की मुहिम रंग लाई और अब इस नस्ल की 140 गायें वहां मौजूद हैं। इन गायों के दूध से नरियाल गांव की स्थानीय महिलाएं ही कंपनी के लिए जैविक घी तैयार करने लगीं, जिससे स्थानीय स्तर पर ही उन्हें रोजगार भी मिल गया। आम घी के मुकाबले इसमें ज्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं इसलिए इसकी कीमत 4 हजार रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी है। हाल ही में इस घी को बेंगलुरू भेजने का करार किया गया है। दुग्ध संघ ने देहरादून की हिमालया नामक संस्था से करार किया है। यह संस्था चम्पावत का घी खरीदकर उसे बेंगलुरू तक पहुंचाएगी। दुग्ध संघ प्रतिमाह एक हजार किलो घी भेजेगा। स्वाद और महक में काफी अच्छा होने के चलते अब इसकी डिमांड बाहर से भी आने लगी है।
इस दूध से नरियाल गांव की स्थानीय महिलाएं ही कंपनी के लिए जैविक घी तैयार करने लगीं, जिससे स्थानीय स्तर पर ही उन्हें रोजगार भी मिल गया. इस गाय के घी की मांग को देखते हुए कंपनी ने ऑनलाइन बेचना भी शुरू कर दिया. चूंकि आम घी के मुकाबले इसमें ज्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं इसलिए इसकी कीमत 4 हजार रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी है.
पशुपालन विभाग की सफल पहल के बाद एक बार फिर से लोग बद्री गाय पालने लगे हैं. पहले गांव में लोगों ने बद्री गाय को आवारा छोड़कर अधिक दूध देने वाली जर्सी या फिर दूसरे नस्ल की गायों को पालना शुरू कर दिया था.
उत्तराखंड की बद्री गाय कई मायनों में उत्तराखंड के लिए फायदेमंद हैं। इसी फायदे को देखते हुए सरकार और पशुपालन विभाग बद्री गाय के सरक्षण के लिए जी जान से जुटी है। ग्रामीण क्षेत्रों में बद्री गाय बड़ा रोजगार का साधन है बद्री गाय एक समय में 3-4 किलो दूध देती है। पहाड़ों पर हरी घास और दाना पानी बराबर मिलता है जिसकी वजह से इसके दूध की गुणवता काफी बढ़ जाती है। बद्री गाय का दूध ही नहीं मूत्र भी दवाई और खाद बनाने के काम आता है। गाँवों के कई जगह सरकार की योजनाओं के तहत लोग दी गयी हैं। बद्री गाय का मूत्र बेचकर रूपये कमाए जाते हैं।दूध बेचकर अच्छा रोजगार मिल जाता है।
एक शोध में ये तथ्य सामने आया है कि बद्री गाय का दूध दुनिया में सबसे गुणकारी और रोग को हरने वाला है। यह शोध युकॉस्ट(उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योधिकी परिषद्) व आईआईटी ( भारतीयप्रौद्योधिकी संसथान) रूडकी के वैज्ञानिकों ने किया है। इस शोधसे पता चला है कि पहाड़ी गाय के दूध में 90 फीसदी ए-2 जीनोटाइप बीटा कसीन पाया जाता है जो डायबिटीज और ह्रदय रोगों के लिए फायदेमंद होता है।