ढैंचा बीज घोटाले में दायर जनहित याचिका हुई खारिज

HIGH LIGHT; 18 Sep. 2018 ढैंचा बीज घोटाले में दायर जनहित याचिका हुई खारिज, मोर्चा जायेगा सुप्रीम कोर्ट ;जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी याचिकाकर्ता के राजनीतिक होने की वजह से की याचिका खारिज ढैंचा बीज खरीद एवं वितरण  श्री त्रिवेन्‍द्र सिंंह  रावत अपने राजनीतिक जीवन के सबसे बढिया दौर से गुजर रहे हैं,जब उन पर भाजपा हाईकमान का विश्‍वास जमा वही विधान सभा से लेकर हाईकोर्ट तक उनके पक्ष में फैसला दे रहे हैं-और प्रदेेेश के मुख्‍यमंत्री के नाते वह बडे बडे तथा कडेे फैसले ले रहे हैं, परन्‍तु जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष का कहना है कि ‘हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा’ सुप्रीम कोर्ट जाउंंगा;

जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जी0एम0वी0एन0 ने पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्‍ति के अनुसार- बताया गया है कि मा0 उच्च न्यायालय की पीठ जिसमें कार्यवाहक मा0 मुख्य न्यायधीश श्री राजीव शर्मा व मा0 न्यायाधीश श्री मनोज तिवारी ने यह कहकर जनहित याचिका खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता रघुनाथ सिंह नेगी पूर्व में गढ़वाल मण्डल विकास विभाग के उपाध्यक्ष रहे हैं तथा वह राजनैतिक व्यक्ति है। मा0 न्यायालय ने नेगी द्वारा त्रिवेन्द्र रावत पर ढैंचा बीज घोटाले व एक्षन टेकन रिपोर्ट को की मैरिट को बरकरार है यानि उन तथ्यों को खारिज नहीं किया है। जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष का कहना है कि ‘हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा’ सुप्रीम कोर्ट जाउंंगा;

जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष का कहना है कि ‘हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा’ सुप्रीम कोर्ट जाउंंगा;  मा0 न्यायालय ने नेगी द्वारा त्रिवेन्द्र रावत पर ढैंचा बीज घोटाले व एक्षन टेकन रिपोर्ट को की मैरिट को बरकरार है यानि उन तथ्यों को खारिज नहीं किया है। 

इससे पूर्व भी ढैंचा बीज घोटाले मामले में उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने ढैंचा बीज घोटाले मामले की सुनवाई के दौरान पूर्ण तथ्य उपलब्ध नहीं होने कारण याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा व न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी की खण्डपीठ ने मामले को सुनने के बाद याचिकाकर्ता को लिबर्टी दी है कि वह सम्पूर्ण तथ्यों के साथ दुबारा याचिका दायर कर सकता है। गाजियाबाद निवासी जय प्रकाश डबराल ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि वर्ष 2005-06 में तत्कालीन सरकार ने खरीफ की फसल को बढ़ावा देने के लिए ढैंचा बीज वितरण की योजना बनाई और ढैंचा बीज निर्धारित बाजार मूल्य से 60 फीसदी अधिक दरों से खरीद गया इस मामले की जांच के लिए गठित त्रिपाठी आयोग की रिपोर्ट आने के बाद भी आरोपियों के खिलाफ सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी है।

जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जी0एम0वी0एन0 ने पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि मुख्यमन्त्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वर्श 2010 में कृशि मन्त्री रहते हुए 9680 कुंटल ढैंचा बीज की मांग के सापेक्ष 15000 कुंटल ढैंचा बीज की खरीद हेतु आदेष पारित किये तथा उक्त बढ़ी हुई मांग की समुचित प्रक्रिया अपनायें अनुमोदन कर दिया। उक्त बीज मिलीभगत कर 3839/-कुंटल की दर से खरीदा गया जबकि वही बीज खुले बाजार में उस वक्त 1538/-कुंटल की दर पर उपलब्ध था।

उक्त ढैंचा बीज निधि सीड्स कारपोरेषन नैनीताल से खरीदा गया, जबकि राज्य/ केन्द्रीय एजेन्सियों के पास पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध था। उक्त बीज खरीद की रवानगी निधि सीड्स द्वारा ट्रकों से दर्षायी गयी जबकि दर्षाये गये अधिकांष ट्रकों की आमद/एंट्री व्यापार कर चैकियों में कहीं भी दर्ज नहीं थी।
उक्त पूरे प्रकरण को लेकर जनसंघर्श मोर्चा अध्यक्ष एवं जी0एम0वी0एन0 ने पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी द्वारा मा0 उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गयी थी जिसमें तत्कालीन कृशि मन्त्री श्री त्रिवेन्द्र रावत (वर्तमान मुख्यमन्त्री) द्वारा किये गये भ्रश्टाचार एवं मुख्यमन्त्री बनते ही मातहत अधिकारियों पर दबाव डालकर त्रिपाठी जाॅंच आयोग की रिपोर्ट को ही पलटवा दिया गया था। एक्षन टेकन कमेटी की रिपोर्ट में क्लीन चिट दिये जाने सम्बन्धी रिपोर्ट को मा0 न्यायालय में पेश  करा दिया गया कि एक्षन टेकन रिपोर्ट में श्री त्रिवेन्द्र रावत दोषी नहीं पाये गये हैं। उक्त सभी तथ्यों को लेकर मोर्चा द्वारा मा0 न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया था।
पूर्व में उक्त मामले की गूॅंज पूरे प्रदेश में होने पर प्रकरण में तत्कालीन कांगे्रस सरकार के समय वर्ष 2013 में एकल सदस्यीय एस0सी0 त्रिपाठी जाॅंच आयोग गठित किया, जिसमें ढैंचा बीज घोटाले की जाॅंच हेतु निर्देषित किया गया था।

इससे पूर्व सदन में पेश त्रिपाठी आयोग की रिपोर्ट में तत्कालीन कृषि मंत्री और सचिव को क्लीन चिट दी गई है। सरकार का आरोप है कि पूर्व सरकार ने जांच रिपोर्ट एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) चार बार कैबिनेट में आने के बावजूद इसे सदन में नहीं रखा। रिपोर्ट में कहीं भी तत्कालीन कृषि मंत्री और मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को आरोपी नहीं बनाया गया है। तत्कालीन सचिव कृषि भी इस मामले से बाहर आते नजर आ रहे हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2005-06 में कृषि विभाग ने प्रदेश में खरीफ की फसल को बढ़ावा देने के लिए ढैंचा बीज वितरण करने की योजना बनाई। इसके क्रम में तत्कालीन कृषि निदेशक ने योजना को मूर्त रूप देने के लिए विभाग को निर्देश जारी किए। ऊधमसिंह नगर, देहरादून व चंपावत में तकरीबन 15,000 कुंतल ढैंचा बीज की आवश्यकता बताते हुए टेंडर जारी कराए गए। आरोप यह लगे की यह टेंडर 60 फीसद से अधिक दर पर दिए गए। इसके बाद वर्ष 2010 में एक निजी कंपनी को बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाए बीज आपूर्ति का भी ठेका दे दिया गया, मामले के तूल पकड़ने के बाद कांग्रेस सरकार ने इसकी जांच त्रिपाठी आयोग को सौंपी थी। 2014 में आयोग की ओर से रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई।

उक्त मामले की गहन जाॅंच के उपरान्त त्रिपाठी जाॅंच आयोग द्वारा तत्कालीन कृशि मंत्री श्री त्रिवेन्द्र रावत के खिलाफ तीन बिन्दुओं पर कार्यवाही की सिफरिष की, जिसमें कृशि अधिकारियों का निलम्बन एवं फिर उस आदेष की पलटना, सचिव, कृशि की भूमिका की जाॅंच बिजीलेंस से कराये जाने के मामले में अस्वीकृती दर्षाना तथा बीज डिमांड प्रक्रिया सुनिश्चित किये बिना अनुमोदन करना। इस प्रकार आयोग ने इसे उ0प्र0 (अब उत्तराखण्ड) कार्य नियमावली 1975 का उल्लंघन माना है। आयोग ने श्री रावत के खिलाफ सिफारिश की है कि श्री रावत Prevention & Corruption Act 1988   की धारा 13(1) (d) (iii) के अन्तर्गत आते हैं तथा सरकार उक्त तथ्यों का परीक्षण कर कायवाही करे।
उक्त पूरे घोटाले की लीपापोती में अपनी गर्दन फंसी देखकर तत्कालीन कृषि मन्त्री श्री रावत ने तीन-चार कृशि अधिकारियों के निलम्बन के आदेष पारित किये तथा बाद में उनका निलम्बन निरस्त कर दिया तथा यह उल्लेख किया कि इन अधिकारियों के निलम्बन से कृशि योजनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इस मामले में छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाया गया।
मा0 उच्च न्यायालय की पीठ जिसमें कार्यवाहक मा0 मुख्य न्यायधीष श्री राजीव षर्मा व मा0 न्यायाधीष श्री मनोज तिवारी ने यह कहकर जनहित याचिका खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता रघुनाथ सिंह नेगी पूर्व में गढ़वाल मण्डल विकास विभाग के उपाध्यक्ष रहे हैं तथा वह राजनैतिक व्यक्ति है। मा0 न्यायालय ने नेगी द्वारा त्रिवेन्द्र रावत पर ढैंचा बीज घोटाले व एक्षन टेकन रिपोर्ट को की मैरिट को बरकरार है यानि उन तथ्यों को खारिज नहीं किया है।
नेगी ने कहा कि मोर्चा उक्त मामले को लेकर मा0 सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायेगा।

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