यशवंत सिन्हा का करारा जवाब- “अर्थव्यवस्था का चीरहरण नहीं होने दूंगा”
जी.एस.टी. से जुड़ी समस्याओं पर सरकार की नजर; आखिर प्रधानमंत्री को कहना पडा- यशवंत सिन्हा ने कहा- मैं शल्य नहीं भीष्म हूं, भीष्म तो नहीं बोले थे लेकिन मैं बोलूंगा ; हिमालयायूकेे न्यूज
वही पूर्व वित्त मंत्री और दिग्गज बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जवाब दिया है. यशवंत सिन्हा ने कहा है कि मैं शल्य नहीं भीष्म हूं, भीष्म तो नहीं बोले थे लेकिन मैं बोलूंगा और अर्थव्यवस्था का चीरहरण नहीं होने दूंगा. कल प्रधानमंत्री मोदी ने अर्थव्यवस्था पर सवाल उठाने वालों निराशावादी बताते हुए शल्य से उनकी तुलना की थी. शल्य महाभारत के युद्ध के दौरान कर्ण का सारथी था. शल्य युद्ध के दौरान कर्ण को हतोत्साहित करते थे.
वही एलफिन्स्टन रेलवे ब्रिज पर मची भगदड़ के विरोध के बहाने महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (एमएनएस) ने गुरुवार को मुंबई के मेट्रो सिनेमा इलाके में प्रदर्शन किया। इस दौरान पार्टी चीफ राज ठाकरे ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, ”आखिर वो (पीएम मोदी) कब तक देश की जनता को झूठ बोलकर गुमराह करेंगे। बीजेपी ने देश को गर्त में धकेल दिया; । ”देश की जनता के बीच मोदी के लिए भरोसा कम हो गया है। वह रोजाना किसी न किसी प्रोग्राम में स्पीच देते हैं और कितना बोलेंगे? अब आप लोगों को भी सरकार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।”
मोदी ने अपने आवास पर एक बैठक बुलाई
वही 5 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर एक बैठक बुलाई है जिसमें वित्त मंत्री अरुण जेटली और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद हैं। बता दें कि 4 अक्टूबर को पीएम मोदी ने विज्ञान भवन के दौरान संबोधन में कहा था कि जी.एस.टी. से जुड़ी समस्याओं पर सरकार की नजर है, वहीं उन्होंने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर भी कई बड़ी बाते कहीं थी। ऐसे में माना जा रहा है कि इस मीटिंग में अर्थव्यवस्था के हालात पर कुछ फैसला लिया जा सकता है, वित्त मंत्री अरुण जेटली की मौजूदगी से भी इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है। पीएम ने अर्थव्यवस्था के हालात पर हो रही सरकार की अलोचना के जवाब में कहा था कि मेहनत से कमाए गए आपके एक एक पैसे की कीमत ये सरकार समझती है। इसलिए सरकार की नीतियों और योजनाओं में इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि वो गरीबों और मध्यम वर्ग की जिंदगी तो आसान बनाएं हीं, उनके पैसों की भी बचत कराए।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने ‘शल्य प्रवृति’ के लोगों से बचने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह पर पलटवार करते हुए कहा कि वह महाभारत के ‘भीष्म पितामह’ हैं और वह किसी भी कीमत पर अर्थव्यवस्था का चीर-हरण नहीं होने देंगे। मोदी ने कल ‘द इंस्टीट््यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया’के स्वर्ण जयंती समारोह में बिना किसी का नाम न लेते हुए सरकार की आर्थिक नीतियों की चौतरफा आलोचना के जवाब में कहा था कि कुछ लोग ‘शल्य’ प्रवृत्ति के हैं, जिनकी आदत निराशा फैलाने की होती है।
आलोचकों की शल्य से तुलना पर यशवंत सिन्हा ने कहा, ”महाभारत में हर प्रकार के चरित्र हैं, शल्य भी उनमें से एक हैं. शल्य कौरवों की ओर कैसे शामिल हुए इसकी कहानी सबको पता है. दुर्योधन ने उन्हें ठग लिया था. शल्य नकुल और सहदेव के मामा थे. वो पांडवों के साथ लड़ना चाहते थे लेकिन ठगी का शिकार हो गए. महाभारत में ही एक अन्य चरित्र हैं भीष्म पितामाह. भीषण पितामाह पर आरोप है कि जब द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था तब वो खामोश रह गए. अब अगर अर्थव्यवस्था का चीर हरण होगा तो मैं बोलूंगा.”
महाभारत में शल्य का जिक्र एक ऐसे शूरवीर योद्धा के रूप में है जो पांडव के खेमे के होते हुए भी कौरवों से जा मिले थे और उनके सेनापति बने थे। इसीलिए शल्य का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा था कि देश में ऐसे शल्य प्रवृति के लोगों की पहचान करना और उनसे बचना जरुरी है। सिन्हा ने एक निजी टीवी चैनल से साक्षात्कार में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में महाभारत के शल्य का जिक्र किया है लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि महाभारत में ही एक और चरित्र है और वह भीष्म पितामह का है। उन्होंने कहा कि ऐसा कहा जाता है कि जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था तो भीष्म पितामह खामोश रह गए थे लेकिन अब अगर अर्थव्यवस्था का चीरहरण होगा तो मैं बोलूंगा।
आंकड़ों का खेल नहीं जमीनी हकीकत देंखे
यशवंत सिन्हा ने कहा, ”मुझे पता नहीं था कि मेरी बात का जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री खुद सामने आ जाएंगे. आंकड़ों का खेल खतरनाक होता है. एक आंकड़ें से आप कुछ साबित करेंगे उसी आंकड़े से मैं दूसरी बात साबित कर दूंगा. इसलिए आंकड़े पर नहीं जमीनी हकीकत देखिए.”
लगातार जीडीपी नीचे आ रही है
प्रधानमंत्री ने कहा था कि यूपीए के कार्यकाल में लगातार आठ तिमाही जीडीपी नीचे रही. इस पर यशवंत सिन्हा ने कहा, ”यह सिर्फ एक तिमाही की बात नहीं है. पिछली लगभग छह तिमाही से जीडीपी दर नीचे आ रही है.”
2019 में लोग सवाल पूछेंगे तब क्या कहेंगे
यशवंत सिन्हा ने कहा, ”2019 में जब हम चुनाव में जाएंगे तो लोग हमारी तुलना यूपीए से नहीं करेंगे. वो उन वादों के बारे में पूछेंगे जो हमने किए थे. लोग पूछेंगे कि उन वादों का क्या हुआ. झब हम चुनाव में जाएंगे तो प्रधानमंत्री की तरह एक तरफा संवाद नहीं होगा, लोग सवाल पूछेंगे.”
रोजगार पर भी गलत आंकड़े पेश किए
रोजगार पर प्रधानमंत्री के दावे पर भी यशवंत सिन्हा ने पलटवार किया. यशवंत सिन्हा ने कहा, ”प्रधानमंत्री ने 80 से 85 लाख का एक आंकड़ा पेश किया कि इतने लोग प्रॉविडेंट फंड में नए शामिल हो गए. इसते विस्तार में जब आप जाएंगे तो पता चलेगा कि एक अभियान चलाकर 2009 से रोजगार में शामिल लोगों को ईपीएफ में शामिल कराया गया. यह कहना कि ये नए लोग हैं जिन्हें रोजगार मिला है ये गलत है.”
प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री को क्या सलाह देंगे इस सवाल पर यशवंत सिन्हा ने कहा, ”मैं कोई सलाह नहीं दूंगा, मैं खुद को सलाह देने के काबिल नहीं समझता हूं. सरकार में बेहद काबिल लोग हैं. मीडिया के जरिए सलाह देने का कोई उत्साह नहीं है. लेकिन अगर कुछ करना चाहते हैं तो जो मैंने किया उसका अध्ययन करें. मैंने करके दिखाया है.”
उन्होंने कहा, ”हम अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में खासतौर पर अपने वादों पर खरे नहीं उतर रहे हैं. भारत ऐसा देश है जिसमें अगर हम 8% की दर से लगातार आगे बढे तब भी हमें गरीबी से छुटकारा पाने के लिए 21 साल लगेंगे.”
सिन्हा ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री के उस बयान पर भी टिप्पणी की जिसमें उन्होंने अर्थव्यवस्था को लेकर पूववर्ती यूपीए सरकार के साथ अपनी सरकार की तुलना की थी। उन्होंने कहा था कि पिछली सरकार के शासन काल में 8 बार ऐसे मौके आए जब विकास दर 5.7 प्रतिशत या उससे भी नीचे रही। सिन्हा ने इस पर कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि अर्थव्यवस्था पर चर्चा शुरू हुई है। अगर प्रधानमंत्री ने खुद देश की जनता के सामने कुछ बातें रखी हैं तो यह स्वागत योग्य है। लेकिन प्रधानमंत्री ने जो आंकड़े दिए उस पर उन्हें यही कहना है कि आंकड़ों का खेल खतरनाक होता है। वर्ष 2019 में होने वाले चुनाव में अगर सरकार उतरेगी तो जनता यह नहीं पूछेेगी कि यूपीए की तुलना में कैसा काम किया बल्कि लोग पूछेंगे कि जो वादे किए गए थे वेपूरे हुए हैं या नहीं।
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