आठ जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल – दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का दावा
#www.himalayauk.org (Uttrakhand Leading Newsportal & Print Media) Mail us; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030## Special Bureau Report
दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने दावा किया है कि आठ जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 25 करोड़ लोग शामिल होंगे. सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया गया है. ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी सहित विभिन्न संघों और फेडरेशनों ने पिछले साल सितंबर में आठ जनवरी, 2020 को हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी.
दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त बयान में कहा, ‘आठ जनवरी को आगामी आम हड़ताल में हम कम से कम 25 करोड़ लोगों की भागीदारी की उम्मीद कर रहे हैं. उसके बाद हम कई और कदम उठाएंगे और सरकार से श्रमिक विरोधी, जनविरोधी, राष्ट्र विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग करेंगे.’ बयान में कहा गया है, ‘श्रम मंत्रालय अब तक श्रमिको को उनकी किसी भी मांग पर आश्वासन देने में विफल रहा है. श्रम मंत्रालय ने दो जनवरी, 2020 को बैठक बुलाई थी. सरकार का रवैया श्रमिकों के प्रति अवमानना का है.’
बयान में कहा गया है कि छात्रों के 60 संगठनों तथा कुछ विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने भी हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है. उनका एजेंडा बढ़ी फीस और शिक्षा के व्यावसायीकरण का विरोध करने का है.
ट्रेड यूनियनों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंसा तथा अन्य विश्वविद्यालय परिसरों में इसी तरह की घटनाओं की आलोचना की है और देशभर में छात्रों तथा शिक्षकों को समर्थन देने की घोषणा की है.
यूनियनों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि जुलाई, 2015 से एक भी भारतीय श्रम सम्मेलन का आयोजन नहीं हुआ है. इसके अलावा यूनियनों ने श्रम कानूनों की संहिता बनाने और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का भी विरोध किया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, यूनियनों ने कहा, ‘जितने भी 12 हवाईअड्डे पहले ही निजी हाथों में बिक चुके हैं, एयर इंडिया की 100 प्रतिशत बिक्री पहले से ही तय है, बीपीसीएल को बेचने का फैसला, बीएसएनएल-एमटीएनएल विलय की घोषणा की गई और 93,600 दूरसंचार कर्मचारी पहले ही वीआरएस ( स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) की आड़ में नौकरियों से बाहर कर दिए गए.’
यूनियन रेलवे में निजीकरण, 49 रक्षा उत्पाद इकाइयों के निगमीकरण और बैंकों के जबरन विलय के खिलाफ भी है. उन्होंने कहा, ‘175 से अधिक किसानों और कृषि श्रमिक यूनियनों का संयुक्त मंच श्रमिकों की मांगों के लिए अपना समर्थन देगा और वे 8 जनवरी को अपनी मांगों के साथ ग्रामीण भारत बंद करेंगे.’
बता दें कि, इससे पहले पिछले साल 8 जनवरी को विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने रकार पर श्रमिकों के प्रतिकूल नीतियां अपनाने का आरोप लगाते हुए दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल की थी.
असम, मेघालय, कर्नाटक, मणिपुर, बिहार, झारखंड, गोवा, राजस्थान, पंजाब , छत्तीसगढ़ और हरियाणा में- खास कर औद्योगिक इलाकों में हड़ताल का काफी असर दिखा था. परिवहन विभाग के कर्मचारी और टैक्सी और तिपहिया ऑटो चालक भी हड़ताल में शामिल थे.
इनमें एटक, इंटक, एचएमएस, सीटू, एआईटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा,एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी शामिल थे. यूनियनों ने हड़ताल में 20 करोड़ मजदूरों के शामिल होंने का दावा किया था. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी मजदूर यूनियन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) इस हड़ताल में शामिल नहीं था.