22 मई- शनि न्‍यायाधीश की जयंती पर बन रहे है विशेष संयोग & 21 जून को साल का पहला सूर्य ग्रहण- राशियो पर व्‍यापक असर;

High Light # 22 मई को ज्येष्ठ महीने की अमावस्या # पुराणों के अनुसार इस दिन शनिदेव का जन्म # 22 मई को ज्येष्ठ माह की अमावस्या   # वट वृक्ष की पूजा # शुक्रवार, 22 मई 2020 को कृत्तिका नक्षत्र में शनि जयंती # शनि, सूर्य और छाया के पुत्र # उनके भाई यमराज और बहन यमुना हैं# शनि का रंग काला है और वे नीले वस्त्र धारण करते हैं# ज्येष मास की अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है# इसी तिथि पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए वट यानी बरगद की पूजा करती हैं# शनि जयंती पर शनि की साढ़ेसाती-ढय्या के अशुभ से बचने के लिए तेल का दान करना चाहिए# हनुमानजी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें# शनि के मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप # इस पर्व के दौरान शनि देव का वक्री होना, उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जिन पर साढ़ेसाती या ढय्या चल रही है#वक्री यानी पृथ्वी और शनि के बीच की दूरी के कारण शनि ग्रह बहुत ज्यादा धीरे या उल्टा चलता हुआ दिख रहेे है # कुछ ज्योतिष विद्वान इसे शनि की उल्टी चाल भी कहते हैं # शनि की इस स्थिति का असर 29 सितंबर तक रहेगा # इसलिए शनि जयंती पर मिथुन, तुला, धनु, मकर और कुंभ राशि वाले लोगों को विशेष पूजा करनी चाहिए # शनिदेव और उनके भाई यम दोनों की पूजा एक ही दिन हो, ऐसा संयोग सिर्फ शनि जयंती पर आता है # शनि जयंती पर पश्चिम दिशा में और शाम के समय पूजा करने का विशेष महत्व # 21 जून को सूर्य ग्रहण #कड़ाके की ठंड, फसल के खराब होने की आशंका, सूखा और ज्‍वालामुखी फटने की घटनाएं बढ़ सकती हैं.  # 22 मई, शुक्रवार – राजा राममोहन राय जयंती

 मिथुन राशि पर सूर्य ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा.

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शनि जयंती यानी ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को मनाई जाती है। सूर्य और चंद्रमा के नक्षत्र में ये पर्व मनाया जाता है यानी इस दिन चंद्रमा कृत्तिका या रोहिणी नक्षत्र में होता है। इस पर्व पर चंद्रमा उच्च राशि में सूर्य के साथ होता है। स्कंदपुराण के अनुसार सूर्य और संवर्णा यानी छाया के पुत्र शनि है। इनके भाई मनु और यमराज है। ताप्ति और यमुना इनकी बहनें हैं। शनि जयंती पर भगवान शनिदेव के साथ यम, यमुना और ताप्ति की पूजा भी की जाती है। इस पर्व पर भगवान शनिदेव की पूजा खासतौर से शाम को की जाती है। पश्चिम दिशा के स्वामी होने के कारण शनिदेव की पूजा करते समय पश्चिम दिशा में मुंह होना शुभ माना जाता है। शनि पर्व पर सुबह तीर्थ स्थान पर या गोशाला में पितरों के लिए तिल से किए गए तर्पण का विशेष महत्व होता है। इस पूजा से पितृ दोष खत्म होता है और पितरों को तृप्ति भी मिलती है। शनि जयंती पर सुबह पानी में शमी पेड़ के पत्ते, अपराजिता के नीले फूल और तिल मिलाकर नहाया जाता है।

ज्योतिष के नजरिये से ये बड़ी घटना

 शनि उन लोगों को सबसे अधिक कष्टट देते हैं जो दूसरों को सताते हैं. मजदूर और गरीबों पर अत्याचार करते हैं. 22 मई को शनि जयंती है. इस दिन सूर्य पुत्र शनि देव का जन्म दिवस मनाया जाता है. इस दिन अमावस्या की तिथि भी है. शनि देव ने इस तिथि पर ही जन्म लिया था. इस दिन दिन विधिवत पूजा और उपासना करने से शनि की अशुभता को दूर किया जा सकता है. मान्यता है कि शनि जिस पर मेहरबान हो जाएं उसे राजा से रंक बनाने में देर नहीं करते हैं वहीं अगर इनकी नजर तिरछी हो जाए तो नुकसान का अंदाजा लगाना भी मुश्किल होता है. शनि जब अशुभ होते हैं तो एक साथ कई कष्टट देते हैं. यहां तक ये कभी कभी मृत्यु तुल्य कष्ट भी प्रदान करते हैं. इसलिए इन्हे प्रसन्न रखना बहुत ही जरुरी हो जाता है.  शनि की साढ़ेसाती धनु, मकर और कुंभ राशि पर है. वहीं मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या है. इसलिए इन राशि वालों को विशेष ध्यान देने की जरुरत है. शनि एक न्याय प्रिय ग्रह हैं. इसलिए इन्हें अन्याय पसंद नहीं है. कलयुग में शनि को मनुष्य को उसके किए गए कर्मों का फल इसी जन्म में देने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसलिए शनि देव व्यक्ति के अच्छे बुरे कर्मों का फल उसे इसी जन्म में प्रदान करते हैं. शनि को धोखा देने वाले, स्वार्थी, दूसरों के हक का अतिक्रमण करने वाले और रिश्वत लेने वाले व्यक्ति बिल्कुल भी पसंद नहीं है. ऐसे लोगों को भी शनि कठोर दंड देते हैं.

ज्योतिषिय नजरिये से ये सप्ताह;19 मई, सोमवार – सर्वार्थसिद्धि योग 23 मई, शनिवार –  सर्वार्थसिद्धि योग  24 मई, रविवार – बुध का राशि परिवर्तन ;;हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस सप्ताह की शुरुआत ज्येष्ठ महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि से हो रही है। इसके बाद ये सप्ताह शुक्लपक्ष द्वितिया तिथि पर पूरा हो जाएगा। इन दिनों में एकादशी, प्रदोष, शिव चतुर्दशी, वट सावित्रि और शनि जयंती जैसे व्रत और त्याेहार मनाए जाएंगे। इन दिनों में राजा राममोहन राय जयंती भी मनाई जाएगी। वहीं इस हफ्ते में 2 दिन सर्वार्थसिद्धि योग बनेगा और सप्ताह के आखिरी दिन बुध ग्रह राशि बदलकर मिथुन में आ जाएगा। ज्योतिष के नजरिये से ये बड़ी घटना है।

शुक्रवार, 22 मई को शनि जयंती है। हिन्दी पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है। इस दिन जो शनिदेव के लिए व्रत रखा जाता है और विधि-विधान से पूजा की जाती है। तेल का दान किया जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जानिए शनि जयंती पर शनि से पहले गणेशजी पूजा जरूर करें। गणेशजी प्रथम पूज्य देव हैं। हर पूजन कर्म की शुरुआत इनके ध्यान के साथ ही करना चाहिए।

21 जून को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. सूर्य ग्रहण को एक प्रमुख खगोलीय घटना के तौर पर देखा जाता है. ज्योतिष शास्त्र में भी सूर्य ग्रहण का विशेष महत्व है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण का असर सभी राशियों पर पड़ता है.

हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल शनि जयंती पर्व पर तिथि, नक्षत्र और ग्रहों की विशेष स्थिति बनती है। इसलिए दिन शनिदेव की पूजा का तो महत्व है ही साथ में इस दिन पितृ पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है। शनिदेव और उनके भाई यम दोनों की पूजा एक ही दिन हो ऐसा संयोग सिर्फ शनि जयंती पर आता है। क्योंकि इस दिन वट सावित्रि व्रत किया जाता है। इस व्रत में सावित्रि ने अपने सतीत्व से यमराज को प्रसन्न किया और अपने पति को फिर से जीवित कर दिया। इसलिए इस दिन घर के बाहर दक्षिण दिशा में यम के लिए दीपक लगाया जाता है।

शनिदेव का जन्म अमावस्या पर होने के कारण हर महीने पड़ने वाली अमावस्या शनिदेव की पूजा के लिए खास होती है। इनमें ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को शनि जयंती पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 22 मई, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन ज्येष्ठ महीने की अमावस्या रहेगी। इसके साथ ही छत्र योग, कृतिका नक्षत्र और चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृष में रहेगा। इस महत्वपूर्ण शनि पर्व पर भगवान शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है। शनिदेव के शुभ प्रभाव पाने के लिए विशेष तरह के दान भी किए जाते हैं।

18 से 24 मई तक का पंचांग

18  मई, सोमवार –  ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी, अचला एकादशी व्रत   19  मई, मंगलवार – ज्येष्ठ कृष्ण द्वादशी, प्रदोष व्रत  20  मई, बुधवार –    ज्येष्ठ कृष्ण, त्रयोदशी  21  मई, गुरुवार –    ज्येष्ठ कृष्ण, चतुर्दशी  22  मई, शुक्रवार –  ज्येष्ठ अमावस्या, शनि जयंती, वट सावित्रि व्रत 23  मई, शनिवार –  ज्येष्ठ शुक्ल प्रतिपदा    24  मई, रविवार –  ज्येष्ठ शुक्ल द्वितिया, चंद्र दर्शन

ढय्या और साढ़ेसाती वाली राशियों को रहना होगा सावधान

मिथुन और तुला राशि वाले लोगों को शनि की ढय्या चल रही है। इसलिए इन राशि वाले लोगों को मेहनत ज्यादा करनी पड़ सकती है। विवाद, मानसिक तनाव और दौड़-भाग वाला समय रहेगा। धन हानि भी हो सकती है। धनु, मकर और कुंभ राशि वालों को साढ़ेसाती चल रही है। इस कारण इन राशि वालों को चोट और दुर्घटना की संभावना है। गुप्त बातें उजागर हो सकती है। धन हानि और कामकाज में रुकावटें आ सकती हैं। कर्जा बढ़ने की संभावना भी है। 

ढय्या वाली राशियों का फल

मिथुन – शनि के कारण आपकी गुप्त बातें उजागर हो सकती हैं। गलत कामों फंसने की संभावना है। गैरकानूनी काम करने से बचें। इस दौरान कानूनी मामलों में उलझनें बढ़ सकती हैं। प्रॉपर्टी संबंधी मामलों रुकावटें आ सकती हैं। किस्मत का साथ नहीं मिल पाएगा। शनि के कारण नौकरी, बिजनेस, सेविंग और संतान के मामलों में आप परेशान हो सकते हैं। योजनाएं भी अधूरी रह सकती हैं।   क्या करें, क्या न करें –शनिदेव को तेल चढ़ाएं और शनिवार को उड़द से बनी चीजें न खाएं।

तुला – शनि वक्री होने के कारण आपके सुख में कमी आ सकती है। वर्तमान में आपको शनि की ढय्या चल रही है, इसलिए सेहत संबंधी मामलों में संभलकर रहना होगा। आपके स्वभाव में भी रुखापन आ सकता है। जरूरी कामकाज में रुकावटें और देरी होने की संभावना है। फालतू खर्चे बढ़ सकते हैं। पारिवारिक मामलों को लेकर चिंता रहेगी। कलेश भी हो सकता है। व्हीकल पर खर्चा हो सकता है। बीमारियों से परेशानी बढ़ सकती है। कर्जा बढ़ सकता है। मानसिक तनाव वाला समय रहेगा।  क्या करें, क्या न करें – शनिदेव की पूजा में नीले फूल का उपयोग करें, शनिवार को लाल कपड़े न पहनें।

साढ़ेसाती वाली राशियों का फल

धनु –शनि के प्रभाव से मेहनत ज्यादा होगी और उसका फायदा कम ही मिल पाएगा। साढ़ेसाती के कारण जरूरी कामकाज में देरी हो सकती है। कामकाज में रुकावटें आने की भी संभावना है। प्रॉपर्टी संबंधी मामलों में विवाद हो सकता है। माता की सेहत को लेकर सावधान रहना होगा। गुप्त मामले उजागर हो सकते हैं। बातचीत में सावधानी रखें। सोच-समझकर बोलें।  सेहत बिगड़ सकती है। क्या करें, क्या नहीं – उड़द से बनी खाने की चीजें दान करें और शनिवार को सात्‍विक रहे।

 मकर –  नौकरी और बिजनेस में आपकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। साढ़ेसाती चलने के कारण सोचे हुए काम बिगड़ सकते हैं। जरूरी कामों में रुकावटें आ सकती हैं। वैवाहिक जीवन के लिए समय ठीक नहीं रहेगा। रोजमर्रा के कामों में और देरी हो सकती है। भाइयों और दोस्तों से मदद नहीं मिल पाएगी। सेहत को लेकर सावधान रहें। चोट या दुर्घटना की संभावना है। क्या करें, क्या नहीं -शनिदेव को तिल के तेल का दीपक लगाएं, शनिवार को लहसुन-प्याज न खाएं।

 कुंभ – शनि की साढ़ेसाती के कारण सेहत बिगड़ सकती है। यात्राओं का योग बन रहा है। दुर्घटना भी हो सकती है। नकारात्मक विचारों के कारण परेशानी बढ़ सकती है। दुश्मन परेशान कर सकते हैं। लंबी दूरी की यात्रा का योग बन रहा है। कहीं घूमने भी जा सकते हैं। किस्मत का साथ नहीं मिल पाएगा। खर्चा बढ़ सकता है। सेविंग खत्म होगी। क्या करें, क्या नहीं – शनिदेव को अपराजिता के फूल चढ़ाएं, शनिवार को खाने में तेल का उपयोग न करें।

Surya Grahan 2020: 21 जून को सूर्य ग्रहण लगेगा. इस ग्रहण के बारे में बताया जा रहा है कि यह ग्रहण वलयकार होगा. यह इस वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण होगा जो वलयकार होगा.

21 जून को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. सूर्य ग्रहण को एक प्रमुख खगोलीय घटना के तौर पर देखा जाता है. ज्योतिष शास्त्र में भी सूर्य ग्रहण का विशेष महत्व है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण का असर सभी राशियों पर पड़ता है.

मिथुन राशि पर सूर्य ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा.

13 अप्रैल को सूर्य का मेष राशि में गोचर हुआ है. जिसे मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. सूर्य मेष की उच्च राशि है. 21 जून को लगने वाले सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल मान्य होगा. जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंचती है तो इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है. सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पूर्व लग जाता है. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. ग्रहण के समाप्त होते ही सूतक काल भी समाप्त हो जाता है. इसके बाद ही कोई भी शुभ कार्य करना चाहिए. 21 जून को सूर्य ग्रहण सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर लगेगा. यह सूर्य ग्रहण दोपहर 3 बजकर 3 मिनट तक रहेगा. यह ग्रहण भारत के अलावा दक्षिण-पूर्व यूरोप, हिन्द महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका एवं दक्षिण अमेरिका के प्रमुख हिस्सों में भी देखा जा सकता है. इस ग्रहण का सबसे ज्यादा असर मिथुन राशि पर पड़ेगा. क्योंकि पंचांग के अनुसार 21 जून आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है. इस दिन मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में यह ग्रहण लगेगा. मिथुन राशि पर सूर्य ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा.

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