एनएसजी में भारत के विरोध के बाद चीन को सताने लगा है डर, अफसरों पर निकाली भड़ास
चीन ने न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में भारत की सदस्यता का विरोध करने के लिए चीन के समर्थन में ज्यादा देशों को खड़ा कर पाने में असफल रहने अधिकारियों और मध्यस्थों को फटकार लगाई है। इनमें चीन ने प्रमुख मध्यस्थ वांग कुन और विदेश मंत्रालय के हथियार नियंत्रण विभाग के प्रमुख के नाम शामिल हैं।
खबर के मुताबिक वांग कुन ने बीजिंग से यह दावा किया था कि भारत के विरोध में चीन के साथ एनएसजी सदस्यों के करीब एक तिहाई देश उसके समर्थन में खड़े रहेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 48 देशों की सदस्यता वाले इस समूह में भारत के समर्थन में करीब 44 देश खड़े थे जबकि चीन के अलावा मात्र तीन ही ऐसे देश थे जिन्होंने भारत का विरोध किया था।
एनएसजी मामले में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिलने के बाद चीन को अब इस बात की चिंता सताने लगी है कि कहीं इसका असर हेग अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में फिलीपींस द्वारा दायर की गई याचिका पर न पड़े। फिलीपींस ने चीन पर दक्षिण सागर में उसकी जमीन हथियाने का आरोप लगाया है।
चीन की सबसे बड़ी चिंता फिलहाल यही है कि अगर वह हेग अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में यह मामला हार जाता है तो उसे फिलीपींस की जमीन तो छोड़ने ही पड़ेगी साथ ही भारत भी इस फैसला का उसके खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। इसके अलावा यह बात भी साबित हो जाएगी कि चीन समुद्री कानून से जुड़े संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन (यूएनसीएलओएस) का भी उल्लंघन किया है। चीन ने भी इस अधिवेशन के कानूनों के तहत दस्तखत किए थे।
हेग न्यायालय में लंबित मामले के खिलाफ चीन ने वैश्विक स्तर पर अभियान चलाया है जिससे कि उसके फैसले के खिलाफ माहौल बनाया जा सके। चीन का दावा है कि फिलहास उसके पास 60 देशों का समर्थन है जो यह मामते हैं कि हेग में होने वाला फैसला अनुचित और गैरकानूनी है।
चीन को इस बात की भी चिंता है कि हेग न्यायालय का पक्ष उसके खिलाफ आ गया तो यूएनसीएलओएस से उसकी सदस्यता भी खत्म हो सकती है और इसका लाभ भारत को मिल सकता है। भारत उसके खिलाफ वैश्विक स्तर पर मोर्चा खोल सकता है और कई मुद्दों पर उसे घेरने की कोशिश करेगा।