11 अगस्त- अमावस्या और शनिवार का शुभ योग : ऊँ रामदूताय नम:
अमावस्या और शनिवार का शुभ योग : ऊँ रामदूताय नम: #
शनिवार, 11 अगस्त 2018, प्रकृति धर्म के लिए उत्तम कर्म- हरियाली अमावस्या संकल्प! # 11 अगस्त को शुभ योग – शनिवार, 11 अगस्त को हरियाली अमावस्या – शनिवार को आने वाली अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। सावन माह में ये एक शुभ योग है। इस योग में शिवजी के साथ ही शनि के भी उपाय करना चाहिए। खासतौर पर उन लोगों को जिनकी राशि पर शनि की साढ़ेसाती और ढय्या चल रही है। इस समय वृषभ, कन्या पर ढय्या और वृश्चिक, धनु, मकर पर साढ़ेसाती लगी हुई है।
शनिवार, 11 अगस्त को सावन माह की अमावस्या – सूर्यास्त के बाद हनुमानजी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं। मंदिर में ऊँ रामदूताय नम: मंत्र बोलते हुए नारियल को अपने सिर पर से सात बार वार लें। मंत्र का जाप कम से कम 11 या 21 बार करें। सिर पर से वारने के बाद नारियल हनुमानजी के सामने फोड़ दें। भगवान को नारियल चढ़ाएं। भगवान से परेशानियों को दूर करने की प्रार्थना करें। हनुमानजी को लाल वस्त्र, सिंदूर, चमेली का तेल, लाल पुष्प चढ़ाएं। हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस उपाय से कुंडली के सभी दोष और परेशानियां दूर हो सकती हैं। शनिवार को पीपल से 11 पत्ते तोड़ें। पत्ते कहीं से टूटे हुए या कटे हुए नहीं होना चाहिए। सभी पत्तों को साफ पानी से धो लें। इसके बाद हनुमान मंदिर जाकर सभी पत्तों पर चंदन से श्रीराम नाम लिखें। पत्तों की माला बनाएं और हनुमानजी को अर्पित करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें।
शनिवार, 11 अगस्त को सावन माह की अमावस्या – सूर्यास्त के बाद हनुमानजी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं। मंदिर में ऊँ रामदूताय नम: मंत्र बोलते हुए नारियल को अपने सिर पर से सात बार वार लें। मंत्र का जाप कम से कम 11 या 21 बार करें। सिर पर से वारने के बाद नारियल हनुमानजी के सामने फोड़ दें। भगवान को नारियल चढ़ाएं। भगवान से परेशानियों को दूर करने की प्रार्थना करें। हनुमानजी को लाल वस्त्र, सिंदूर, चमेली का तेल, लाल पुष्प चढ़ाएं। हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस उपाय से कुंडली के सभी दोष और परेशानियां दूर हो सकती हैं। शनिवार को पीपल से 11 पत्ते तोड़ें। पत्ते कहीं से टूटे हुए या कटे हुए नहीं होना चाहिए। सभी पत्तों को साफ पानी से धो लें। इसके बाद हनुमान मंदिर जाकर सभी पत्तों पर चंदन से श्रीराम नाम लिखें। पत्तों की माला बनाएं और हनुमानजी को अर्पित करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें।
इस महीने शनिचरी अमावस्या 11 अगस्त 2018 को है। यह श्रावण मास की अमावस्या को पड़ती है। ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से भी इस अमावस्या का अत्यधिक महत्व है। जब चन्द्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होती है तो उसे अमावस्या कहा जाता है। शास्त्रों में अमावस्या को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है। जैसे अमावस्या, सूर्य-चन्द्र संगम, पंचदशी, अमावसी, अमावासी या अमामासी। अमावस्या के दिन चन्द्र नहीं दिखाई देता अर्थात् जिसका क्षय और उदय नहीं होता है उसे अमावस्या कहा गया है। अमावस्या सूर्य और चन्द्र के मिलन का काल है। इस दिन सूर्य और चन्द्रमा एक ही राशि में रहते हैं। वर्ष के मान से उत्तरायण में और माह के मान से शुक्ल पक्ष में देव आत्माएं सक्रिय रहती हैं। दक्षिणायन और कृष्ण पक्ष में दैत्य आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं। जब दानवी आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं, तब मनुष्यों में भी दानवी प्रवृत्ति का असर बढ़ जाता है। इसीलिए इन दिनों के महत्वपूर्ण दिन में व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को धर्म की ओर मोड़ दिया जाता है।
श्रावण अमावस्या (शनि अमावस्या) – शनिवार, 11 अगस्त 2018
अमावस्या या अमावस हिंदू कैलेंडर के अनुसार वह तिथि होती है जिसमें चंद्रमा लुप्त हो जाता है व रात को घना अंधेरा छाया रहता है। हिंदू मास को दो हिस्सों में विभाजित किया जाता है जिसमें चंद्रमा बढ़ता रहता है वह शुक्ल पक्ष कहलाता है पूर्णिमा की रात के पश्चात चांद घटते-घटते अमावस्या तिथि को पूरा लुप्त हो जाता है। इस पखवाड़े को कृष्ण पक्ष कहते हैं। पंचांग के अमांत मास का अंत भी इसी तिथि को माना जाता है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है जो कि बहुत ही पुण्य फलदायी मानी गई है। वहीं यदि यह तिथि शनिवार को पड़े तो शनि अमावस्या कहलाती है यह तिथि बहुत ही सौभाग्यशाली मानी जाती है। इसके अलावा सोमवार, मंगलवार व बृहस्पतिवार की अमावस्या को यदि अनुराधा, विशाखा या स्वाति नक्षत्र रहता है तो यह भी बहुत ही शुभ योग माना जाता है। अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव माने जाते हैं इसलिये श्राद्ध कर्म या पितर शांति के लिये भी यह तिथि अनुकूल मानी जाती है। ज्योतिष शास्त्र व धार्मिक दृष्टि से यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती है। पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिये इस तिथि का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस तिथि को तर्पण, स्नान, दान आदि के लिये बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है। भारत का प्रमुख त्यौहार दीपावली अमावस्या को ही मनाया जाता है। सूर्य पर ग्रहण भी इसी तिथि को लगता है। कोई जातक यदि काल सर्पदोष से पीड़ित है तो उससे मुक्ति के उपाय के लिये भी अमावस्या तिथि काफी कारगर मानी जाती है।
ज्योतिषविदो के अनुसार 9 अगस्त से एक खास योग बनना शुरू जिसका नाम है ‘राजयोग’। ये राजयोग 9 अगस्त से शुरु हुआ और 12 में से 5 राशियों के लिए अत्यंत शुभ है। इन राशियों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। खासकर धन संबंधी फायदा होगा। मेष- अत्यंत शुभ – मिथुन राजयोग शुभ फल प्रदान करने वाला -सिंह -राजयोग शुभ समय आरंभ – वृश्चिक हर क्षेत्र में सफलता – मीन राशि – बेहद खास परिवर्तन – किसी की सहायता करेंगे जिससे प्रसन्न होकर मां लक्ष्मी आप पर मेहरबान, लंबी दूरी की यात्रा – वृष – आगे लाभकारी समय-‘ कर्क जीवनसाथी को बड़ी सफलता, विदेश घूमने के मौके , कन्या बहुत शुभ नहीं पर बुध आपकी बुद्धि को सही दिशा में ले जाएंगे ; तुला लोग आपको विशेष रूप से पसंद करेंगे। धनु ; कोई परेशानी आ सकती है लेकिन इसे अनदेखा ना करें, अन्यथा यह भविष्य में किसी बड़ी परेशानी का कारण मकर थोड़ी-बहुत कठिनाइयां आएंगी कुंभ थोड़ी बहुत समस्याएं आएंगी
हरियाली अमावस्या
अमावस्या हर माह की 30वीं अर्थात कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि है, जिस तिथि में चन्द्र और सूर्य साथ रहते हैं, वही अमावास्या तिथि है. सावन की अमावस्या हरियाली अमावस्या कहलाती है, जो प्रकृति की हरियाली की रक्षा करने की हमारी जिम्मेदारी की याद दिलाती है. श्रावण कृष्ण अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. यह सावन में पृथ्वी पर हरियाली के जन्मोत्सव की खुशियों का त्योहार है. इसका मुख्य उद्देश्य आमजन को प्रकृति के करीब लाना, हरियाली का महत्व दर्शाना एवं इसके प्रति हमारी जिम्मेेदारी की याद दिलाना है. कई जगहों पर इस दिन मेले लगते हैं.
इस दिन कल्पवृक्ष, पीपल आदि पवित्र वृक्षों की पूजा करने का उत्तम फल मिलता है. यदि इस दिन पौधा लगाकर उसकी रक्षा की जाए तो जैसे-जैसे पौधा वृद्धि करेगा वैसे-वैसे हमारी की प्रगति होगी. पौधा अपने प्रियजन की समृद्धि की कामना के साथ भी लगा सकते हैं. उत्तम होगा यदि प्रकृति धर्म कर्म के लिए हरियाली अमावस्या पर हरसाल एक पौधा लगाने का संकल्प लें!
हिन्दू धर्म में माना जाता है कि वृक्षों में देवताओं का वास होता है. धर्मशास्त्रों के अनुसार पीपल के वृक्ष में त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास होता है तो केले के पौधे में श्रीविष्णु निवास करते हैं. आंवले के पौधे में भगवान लक्ष्मीनारायण बसते हैं तो बरगद में पितृ देवों का अंश होता है. श्वेत आक में गणपति का निवास होता है. इसलिए हरियाली अमावस्या के दिन पौधे लगाना बहुत पुण्य का कार्य माना गया है. धर्मशास्त्रों के अनुसार एक वृक्ष दस योग्य पुत्रों के समान होता है.
ंहिंदू धर्म की मान्यता है कि पितृदेव अपने कुल के रक्षक होते हैं. अमावस्या के दिन किए गए दान, श्राद्ध, तर्पण से उन्हें प्रसन्नता मिलती है जो आशीर्वाद के रूप में हमें प्राप्त होती है और भाग्योदय होता है.
अमावस्या के अवसर पर किसी पवित्र तीर्थ में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है. हरियाली अमावस्या पर कई जगहों पर मेलों का आयोजन किया जाता है जिसमें सभी लोगों उत्साह के साथ शामिल होते हैं. इस अवसर पर गुड़ और गेहूं की धानि का प्रसाद वितरित जाता है. इस अवसर पर धान की सांकेतिक बुआई भी होती है ताकि आनेवाली फसल का अनुमान लगाया जा सके. धर्मग्रंथों के अनुसार वृक्ष योनि पूर्व जन्मों के कमों का फल है जो परोपकार के लिए है.
अलग-अलग मनोकामनाएं पूर्ण करने हेतु विविध वृक्ष लगाए जाते हैं-
*धनलाभ प्राप्ति के लिए- तुलसी, आँवला, केल, बिल्वपत्र के वृक्ष लगाये.
*उत्तम स्वास्थ्य प्राप्ति के लिए- ब्राह्मी, पलाश, अर्जुन, आँवला, सूरजमुखी, तुलसी लगाये.
*भाग्योदय के लिए- अशोक, अर्जुन, नारियल, बड़ के वृक्ष लगाये.
*संतान सुख के लिए- पीपल, नीम, बिल्व, नागकेशर, गुडहल, अश्वगन्धा लगाये.
*पद-पदोन्नति के लिए- आँकडा, शंखपुष्पी, पलाश, ब्राह्मी, तुलसी लगाये.
*सुख-समृद्धि के लिए- नीम, कदम्ब और छायादार वृक्ष लगाये.
*जीवन में आनन्द के लिए- पारिजात, रातरानी, मोगरा, गुलाब आदि लगाये.
Presented by- हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्तराखण्ड
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CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR
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