2020;मौत और भय का तांडव; हिमालय के अलौकिक संतो और ज्योतिष का क्या है संकेत;
2020 मे हमने मौत और भय का तांडव झेला था, अब ऐसा क्या होने जा रहा है कि सब ठीक होगा # किसके आने से पहले ग्रह सितारे सब सकारात्मक संदेश देने लगे है # क्या अब ज्योतिषिय आधार पर ग्रहों के फेर बदल को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि कोरोना का अंत निकट है? # आईये; एक सारगर्भित रिपोर्ट देखे- महाकुम्भ- 2021 का समय निकट आ रहा है और इस बार महाकुम्भ सौभाग्य से हरिद्वार में होगा, इसी के साथ निकट आ रहा है हिमालय में तपस्यारत घोर साधको का महाकुम्भ के स्नान करने का समय # हिमालय में तपस्यारत संत महाकुम्भ में स्नान के लिए हिमालय से नीचे उतरते है, उनके आने से पूर्व ही क्या ग्रहो में फेरबदल होनी शुरू हो गयी है # सितम्बर 2020 माह के ग्रह तो यही इशारा कर रहे है # हमारे गुरूजनो द्वारा निर्देेशित – हिमालयायूके न्यूज पोर्टल के लिए चन्द्रशेखर जोशी मुख्य सम्पादक द्वारा लिखित अदभूत अलौकिक, एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
हिमालय की गुफा, कंदराओं से निकलकर महाकुंभ में पहुचेगे योगी, इन तपस्वी बाबाओं के हठ योग में कोई वर्षों से हाथ उठाए होतां हैं, तो कोई कई साल से खड़े ही होता हैं। उनकी कठिन तपस्या महाकुम्भ में पूर्ण होती है। कुंभ के समाप्त होने के बाद अधिकतर साधु अपने शरीर पर भभूत लपेट कर हिमालय की चोटियों के बीच चले जाते हैं। वहां यह अपने गुरु स्थान पर अगले कुंभ तक कठोर तप करते हैं। इस तप के दौरान ये फल-फूल खाकर ही जीवित रहते हैं। 12 साल तक कठोर तप करते वक्त उनके बाल कई मीटर लंबे हो जाते हैं। और ये तप तभी संपन्न होता है, जब ये कुंभ मेले के दौरान गंगा में डुबकी लगाते हैं। जी हां कहा जाता है कि गंगा स्नान के बाद ही एक नागा साधु का तप खत्म होता है। इनमें से कई सिद्ध होते हैं तो कई औघड़।
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अब सम-सप्तक योग का अंत हो चुका हैं चंद्र, सूर्य, मंगल, गुरु, और शनि अपनी राशि मे स्थापित हो चुके हैं अतः यह कहा जा सकता हैं कि 17 अगस्त से लोगो की इम्युनिटी मे अचानक वृद्धि देखने को मिलेगी और जो कोरोना के मामले पिछले 30 दिनों से अचानक बढे थे उनमे विराम लग सकता हैं । फरवरी 2021 को एक बार फिर 6 ग्रह एक राशि मे एकत्र होंगे उसके बाद विश्व और समाज के लिए नई दिशा का निर्धारण होगा।
अब कोरोना का अंत काफ़ी निकट हैं हम देख सकते हैं वैक्सीन भी आने वाली हैं ।लगभग हर वैक्सीन अंतिम दौर के ट्रायल मे पहुँच चुकी हैं। वैसे भी यह देखने को मिल रहा हैं की अब लोग स्वतः ठीक होने लगे हैं। इसलिए हम एक तरह से कह सकते हैं सब ग्रहो ने 26 दिसंबर को जिस विनाश लीला की शुरुआत की थी अपने अपने घर पहुँच कर वो उसे विराम लगाएंगे। वही जो मांगलिक कार्य रुके थे अब संभव हो सकेंगे। धीरे धीरे स्थिति सामान्य होने लगेगी। व्यापार और बाजार फिर से पटरी पर आने लगेगा। जिनकी नौकरी पर तलवार लटक रही थी उन्हें अब भय से मुक्ति मिलेगी। जिनका रोजगार छिन चुका था वो पुनः उसे प्राप्त करेंगे। अर्थव्यवस्था पुनः विकसित होने लगेगी।
ग्रह स्थिति कुदरत भी अब सकारात्मक सन्देश दे रही हैं। अतः सकारात्मक सोच के साथ अपना जीवन पुनः शुरू करें। अपने दिल और दिमाग़ से महामारी का भय दूर कर ले। अब सब ठीक होता जायेगा। 23 सितम्बर के बाद से और गति मिलेगी इस साल के अंत तक लगभग हम कोरोना के भय से लगभग दूर हो चुके होंगे। विश्व स्तर पर UNO और WHO जैसी नई संस्था का गठन संभव होगा। पुराने संगठनों को अंत होना लगभग तय हैं।
बहुत सारे गुरु हिमालय की ऊंची दरों में निवास करते हैं, वे नीचे कभी-कभी ही जैसे कुंभ इत्यादि के मौकों पर ही आते हैं! इन योगी जी की हिमालय में कुल 7 गुफाएं हैं! उन सात गुफाओं में से दो गुफाएं आइस केव्स हैं! उन्हीं के चित्र आपके समक्ष – यह वृत्तांत हिमालयन मास्टर एंड द सिक्स्थ सेंस का एकअंश है!
अगले वर्ष 2021 महाकुम्भ- और हिमालय की दुर्गम गुफाओ से विलक्षण संत हरिद्वार पधारेगे- इनके आने से पूर्व कोरोना क्या गायब हो जायेगा?- अगले साल हरिद्वार कुंभ में 11 मार्च 2021 को पहला और 27 अप्रैल को होगा अंतिम शाही स्नान, हरिद्वार कुंभ 2021 का पहला शाही स्नान गुरुवार, 11 मार्च को होगा। इस दिन महाशिवरात्रि रहेगी। शाही स्नान के दिन – गुरुवार, 11 मार्च 2021 महाशिवरात्रि, सोमवार, 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या, बुधवार, 14 अप्रैल मेष संक्रांति और वैशाखी, मंगलवार, 27 अप्रैल चैत्र माह की पूर्णिमा।
प्रमुख स्नान के दिन – गुरुवार, 14 जनवरी 2021 मकर संक्रांति, गुरुवार, 11 फरवरी मौनी अमावस्या, मंगलवार, 16 फरवरी बसंत पंचमी, शनिवार, 27 फरवरी माघ पूर्णिमा, मंगलवार, 13 अप्रैल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (हिन्दी नववर्ष), बुधवार, 21 अप्रैल राम नवमी।
महाकुंभ-2021 के शाही स्नानों की तिथियों का ऐलान हो गया है, 11 मार्च 2021, महाशिवरात्रि को पहला शाही स्नान 12 अप्रैल 2021, सोमवती अमावस्या को दूसरा स्नान 14 अप्रैल 2021, बैशाखी को तीसरा स्नान 27 अप्रैल 2021, चैत्र पूर्णिमा पर चौथा शाही स्नान, इनके अलावा ये स्नान भी होंगे
14 जनवरी – मकर संक्रांति 11 फरवरी -मौनी अमावस्या 13 फरवरी – वसंत पंचमी 27 फरवरी -माघ पूर्णिमा 13 अप्रैल – नव संवत्सर
इस महाकुम्भ में हिमालयायूके के दिव्य संत साधारण मानव बन कर गंगा की पवित्र नदियो में स्नान करने हरिद्वार ही क्यो आते है, और सभी अखाड़ों के साधु-संत और सभी श्रद्धालु यहां की पवित्र नदियों में स्नान करने हरिद्वार ही क्यो पधारते हैं। हिमालयायूके न्यूज पोर्टल के लिए चन्द्रशेखर जोशी मुख्य सम्पादक की विशेष रिपोर्ट-
कुंभ के संबंध में समुद्र मंथन की कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार प्राचीन समय में एक बार महर्षि दुर्वासा के शाप की वजह से स्वर्ग श्रीहीन यानी स्वर्ग से ऐश्वर्य, धन, वैभव खत्म हो गया था। तब सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए। विष्णुजी ने उन्हें असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि समुद्र मंथन से अमृत निकलेगा, अमृत पान से सभी देवता अमर हो जाएंगे। देवताओं ने ये बात असुरों के राजा बलि को बताई तो वे भी समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए। इस मंथन में वासुकि नाग की नेती बनाई गई और मंदराचल पर्वत की सहायता से समुद्र को मथा गया था। समुद्र मंथन में 14 रत्न निकले थे। इन रत्नों में कालकूट विष, कामधेनु, उच्चैश्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, अप्सरा रंभा, महालक्ष्मी, वारुणी देवी, चंद्रमा, पारिजात वृक्ष, पांचजन्य शंख, भगवान धनवंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर निकले थे। जब अमृत कलश निकला तो सभी देवता और असुर उसका पान करना चाहते थे। अमृत के लिए देवताओं और दानवों में युद्ध होने लगा। इस दौरान कलश से अमृत की बूंदें चार स्थानों हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में गिरी थीं। ये युद्ध 12 वर्षों तक चला था, इसलिए इन चारों स्थानों पर हर 12-12 वर्ष में एक बार कुंभ मेला लगता है। इस मेले में सभी अखाड़ों के साधु-संत और सभी श्रद्धालु यहां की पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
वही आज भी हिमालय में ऐसे कई संत महात्मा हैं जिन्होंने कई वर्षों से भोजन नहीं किया, लेकिन वे सूर्य योग के बल पर आज भी स्वस्थ और जिंदा हैं। भूख और प्यास से मुक्त सिर्फ सूर्य के प्रकाश के बल पर वे जिंदा हैं। प्राचीनकाल में भी ऐसे कई सूर्य साधक थे, जो सूर्य उपासना के बल पर भूख-प्यास से मुक्त ही नहीं रहते थे बल्कि सूर्य की शक्ति से इतनी ऊर्जा हासिल कर लेते थे कि वे किसी भी प्रकार का चमत्कार कर सकते थे। उनमें से ही एक सुग्रीव के भाई बालि का नाम भी लिया जाता है। बालि में ऐसी शक्ति थी कि वह जिससे भी लड़ता था तो उसकी आधी शक्ति छीन लेता था। वर्तमान युग में गुजरात के प्रहलाद जानी इस बाद का पुख्ता उदाहरण है कि बगैर खाए-पीए व्यक्ति जिंदगी गुजार सकता है। गुजरात में मेहसाणा जिले के प्रहलाद जानी एक ऐसा चमत्कार बन गए हैं जिसने विज्ञान को चौतरफा चक्कर में डाल दिया है। वैज्ञानिक समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर ऐसा कैसे संभव हो रहा है? अर्थात ये सभी ऋषि है हठ योग के बल पर जीवित रहते हैं आज भी कई ऋषि हिमालय पर रहते है
सितंबर माह में ग्रह गोचर में जो स्थिति बन रही है, जिस तरह चार ग्रह 4 ग्रह राशि बदल रहे हैं और दो ग्रह मार्गी हो रहे हैं, उससे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई तरह की हलचल देखने को मिलेगी। कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगेग्रहों में सेनापति मंगल उल्टी चाल चलने लगेंगे, कई ग्रह अपना स्थान बदलेंगे, इससे सभी राशियों, देश,दुनिया पर असर पड़ेगा, 23 सिंतबर को राहु-केतु भी अपनी राशि बदलेंगे, जो इस साल की सबसे बड़ी ज्योतिषी घटना होगी, 29 सिंतबर को न्याय के देवता सीधी चाल चलेंगे
सितारों की चाल को पढ़ने में माहिर ज्योतिषविदों का कहना है कि
सितारों की चाल को पढ़ने में माहिर ज्योतिषविदों का कहना है कि 1 सितंबर को 2:02 पर चंद्रमा की कर्क राशि में प्रवेश करेंगे और फिर 28 सितंबर को वह सूर्य की सिंह राशि में चले जाएंगे। यानी शुक्र का राशि परिवर्तन सितंबर महीने में दो बार होगा। इसके अलावा बुध ग्रह 2 सितंबर को 12:03 पर पहले अपनी उच्च कन्या राशि में प्रवेश करेंगे और फिर 22 सितंबर को 4:55 पर शुक्र की तुला राशि में चले जाएंगे। ग्रहों में सेनापति का दर्जा प्राप्त मंगल ग्रह 10 सितंबर को 3:50 पर अपनी ही मेष राशि में वक्री होकर गोचर करने लगेंगे यानी उल्टी चाल चलने लगेंगे।सितंबर में जहां देव गुरु बृहस्पति व शनि लंबे अरसे तक वक्री रहने के बाद अब मार्गी होने जा रहे हैं, वहीं बुध व शुक्र के अलावा राहु व केतु भी अब अपना राशि परिवर्तन करने वाले हैं। ग्रहों की बड़े स्तर पर होने वाली इस हलचल के बड़े दूरगामी असर होंगे और सभी 12 राशियों के साथ-साथ इसका बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा”; शुक्र व बुध के राशि परिवर्तन से थोड़ी बहुत हलचल होगी लेकिन असली हलचल शुरू होगी 13 सितंबर को जब देव गुरु बृहस्पति 6:12 पर धनु राशि में मार्गी अवस्था में आ जाएंगे यानी सीधी चाल चलने लगेंगे। 23 सितंबर को पाप ग्रहों में शुमार राहु व केतु अपनी-अपनी राशियां बदलेंगे। जो इस साल की सबसे बड़ी ज्योतिषीय घटना मानी जाएगी। राहु, बुध की मिथुन राशि से शुक्र की वृषभ राशि में चले जाएंगे जबकि केतु देव गुरु बृहस्पति की धनु राशि से मंगल की वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे। इसके बाद 29 सितंबर को न्याय के देवता शनि 10:30 पर अपनी ही मकर राशि में मार्गी हो जाएंगे यानी सीधी चाल चलने लगेंगे।ज्योतिष विज्ञान में सबसे रहस्यमयी ग्रह माने जाने वाले राहु ग्रह 23 सितंबर को मिथुन राशि से वृषभ राशि में गोचर शुरू करेंगे और 12 अप्रैल 2022 तक इसी वृषभ राशि में रहेंगे। इसी तरह केतु ग्रह भी राशि परिवर्तन करके वृश्चिक राशि में आने के बाद 12 अप्रैल, 2022 तक इसी राशि में रहेंगे। राहु व केतु हमेशा उल्टी चाल चलते हैं और राशि चक्र में अपने से अगली राशि में जाने की बजाय वे पिछली राशि में स्थान परिवर्तन करते हैं।
वही जयपुर के ज्योतिषीविदो का कहना हैै कि
चीन के वुहान शहर से 26 दिसम्बर 2019, अमावस्या मूला, मकर लग्न में कोरोना वायरस सुर्खियो में आया, उस समय छह ग्रह अर्थात सूर्य, चन्द्रमा, बुध व़हस्पति, शनि केतु धनु राशि में थे, धनु मकर राशि से बारहवी घर अस्त था, पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास का कहना है कि मंगल व़श्चिक में, शुक्र मकर राशि में और राहु मिथुन राशि में था, शुक्र को छोडकर पूरे आठ ग्रह इस महामारी को जन्द देने में सीधे तौर पर शामिल थे, उस समय शुक्र के पास अम़त संजीवनी थी और शुक्र ने जीवनदान भी दिया, ऐसे ग्रह संयोग 100 वर्षो में एक बार होते हैं, यह सभी ग्रह कोरोना महामहारी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, परन्तु जीवन और म़त्यु तो भोलेनाथ के हाथ में हैं, अगर कोई महामारी आरम्भ हुई है तो उसका अंत भी समय पर होगा, हालांकि अंत कब होगा, इस पर ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि मैने दो बार पहले भविष्यवाणी की है और मैने ज्योतिष के रिसर्च पर कोरोना महामारी को शामिल किया और भगवान हनुमान जी की कपा से मैं यह जानकारी शेयर कर रहा हूं कि दिनांक 14 और 15 सितम्बर 2020 को आठ ग्रह अपने अपने शुभ लक्ष्णो में होगे, सोमवार 14 सितम्बर को कोरोना महामारी के लिए वैज्ञानिक वैक्सीन लाने में सफल होगे, और मंगलवार 15 सितम्बर तक यह आ जायेगी, दिनांक 14 सितम्बर20 को द्वाद्वशी है, साथ में सोमवार अश्मेषा मेघा लग्न है, साथ ही सर्वार्थ सिद्वि योग भी है, 15 सितम्बर को मास शिवरात्रि, त्रयोदशी और सर्वार्थ सिद्वि योग के अलावा भौम प्रदोष भी है, इसी दिन मेघा लग्न के साथ मगलवार भी है और 8 ग्रह शुभ स्थिति में है, शिव के अवतार और संकट मोचन श्रीराम भक्त हनुमान जी के आशीर्वाद से कोरोना महामारी का अंत होगा
महावतार बाबाजी;; 55 वर्षों तक अमरनाथ की गुफा तथा शिव खोली मैं स्थित गुफा में तपस्यारत रहे- पता तथा नाम सार्वजनिक नहीं कर सकते- दुनिया में कोई विरला भक्त ही पहचान पायेगा, कि किस संत के बारे में लिखा है ;;;;
NOTE; यदि आप ज्योतिष पर विश्वास नही करते तो इसे पढ़ें और भूल जायें।
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