25 मार्च 2020; मां दुर्गा ‘नाव की सवारी’ से पधारेगी,विदा वाहन हाथी से होगी-ज्योतिष शास्त्र क्या कहता है?
HIGH LIGHT# Himalayauk Bureau#राजा बुध और मंत्री चन्द्रमा होगे : इस बार वासंतिक चैत्र नवरात्र 25 मार्च से 3 अप्रैल तक रहेगा : 24 मार्च को दिन के 1:56 मिनट से प्रतिपदा का प्रवेश हो रहा है जो 25 मार्च को 4:02 मिनट तक रहेगा। नवरात्र दस दिनों का होगा # इस बार मां दुर्गा नाव पर आएगी और हाथी पर जायेगी। प्रत्येक वर्ष मां के आगमन और प्रस्थान अलग-अलग-वाहन से होता है। # मां दुर्गा हाथी पर जायेगी इससे बारिश की संभावना है और फसल नुकसान हाेने की संभावना है। # आगमन और प्रस्थान का प्रभाव कभी शुभ और कभी अशुभ भी होता है।
चैत्र नवरात्र 25 मार्च 2020 से लेकर 2 अप्रैल 2020 तक रहेंगे. # दुर्गा मां कैलाश छोड़कर धरती पर अपने भक्तों के साथ रहती हैं #देवी आराधना के पर्व नवरात्रि में उपासक अगर कठिन पाठ और मंत्र जप से डरते हैं तो नौ दिन तक मां दुर्गा के नौ रूपों की साधना दिव्य एकाक्षरी मंत्र से करना चाहिए। यह सरल मंत्र ही समस्त बाधा, अरिष्ट व अनिष्ट का नाश करते हैं तथा देवी मां मनोवांछित फल प्रदान करती हैं#
HIGH LIGHT# ज्योतिषशास्त्र में नवरात्र का बड़ा ही महत्व है। आश्विन और चैत्र नवरात्र में माता के वाहन से आने वाले साल की स्थिति का आकलन किया जाता है। आश्विन नवरात्र में इस बार माता की विदाई मनुष्य वाहन पर हुई थी, जिसे अशुभ फलदायी माना गया था। ज्योतिषो ने जनधन की हानि, अर्थव्यवस्था सुस्त, निराशा, चिंता की भविष्यवाणी की थी, चैत्र नवरात्र 2020 का आगमन बुधवार को हो रहा है। देवीभाग्वत पुराण में बताया गया है कि नवरात्र का आरंभ बुधवार को होगा तो देवी नौका पर यानी नाव पर चढ़कर आएंगी। माता के नौका पर चढ़कर आने का मतलब यह है कि इस साल खूब वर्षा होगी जिससे आम लोगों का जीवन प्रभावित हो सकता है। बाढ़ की वजह से जन धन का बड़ा नुकसान हो सकता है। चैत्र नवरात्र का समापन 3 अप्रैल शुक्रवार को हो रहा है। पुराण में कहा गया है कि अगर शुक्रवार के दिन माता विदा होती है तो उनका वाहन हाथी होता है। हाथी वाहन होना भी इसी बात का सूचक है कि अच्छी वर्षा होगी। नवसंवत् के मंत्री चंद्रमा और राजा बुध का होना भी यह बताता है आने वाले साल में अर्थव्यवस्था को संभलने का मौका मिलेगा।
मां दुर्गा ‘नाव की सवारी’ पर आएंगी: इस बार 25 मार्च 2020 को रेवती नक्षत्र और ब्रह्म योग बन रहा है#राजा बुध और मंत्री चन्द्रमा होगे # 25 मार्च प्रतिपदा के दिन रेवती नक्षत्र और ब्रह्म योग होने के कारण सूर्योदय के बाद और अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करना शुभ होगा।: चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी 25 मार्च से विक्रम नवसंत्सवर 2077 का प्रारंभ होगा। इस प्रकार से देखें तो चैत्र नवरात्रि और हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ एक ही दिन हो रहा है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 25 मार्च से प्रारंभ होकर 02 अप्रैल तक रहेगी। 02 अप्रैल को नवमी तिथि होगी। 03 अप्रैल को दशमी के साथ नवरात्रि का पारण होगा।
HIGH LIGHT# नवरात्र प्रथम : 25 मार्च को घटस्थापन व शैलपुत्री की पूजा – ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम: # नवरात्र द्वितीय : 26 मार्च को ब्रह्मचारिणी की पूजा- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।’# नवरात्र तृतीय : 27 मार्च को चंद्रघंटा की पूजा- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चंद्रघंटायै नम:।’# नवरात्र चतुर्थी : 28 मार्च को कूष्मांडा की पूजा – ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम: # नवरात्र पंचमी : 29 मार्च को स्कंदमाता की पूजा- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:।’ # नवरात्र षष्ठी : 30 मार्च को कात्यायनी की पूजा- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम:# नवरात्र सप्तमी : 31 मार्च को कालरात्रि की पूजा – ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:।’ # नवरात्रि अष्टमी : 1 अप्रैल को महागौरी की पूजा नवरात्र नवमी : 2 अप्रैल को सिद्धिदात्री की पूजा- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:।’#
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में 22 मार्च यानी रविवार को जनता कर्फ्यू में भाग लेने के लिए देशवासियों से अपील की है. ज्योतिष गणित के अनुसार 22 मार्च का दिन कई मायनों में खास है. आइए जानते हैं क्या कहते हैं ज्योतिष शास्त्र के जानकार. ज्योतिष शास्त्र पर पकड़ रखने वाले आचार्य डॉ. ज्योति वर्धन साहनी बताते हैं कि जो भी वायरस महामारी फैलाता है वो राहु और शनि से प्रभावित होता है, वायरस ऑक्सीजन को दूषित करके हवा को विषैला बनाते हैं. राहु जीवाणु, विषाणु और विपत्तियों का कारक माना जाता है. राहु का अंक 4 होता है, 4 नंबर यानि 22 मार्च. राहु का शतभिषा नक्षत्र भी 22 मार्च को लग रहा है. 24 मार्च को चैत्र अमावस्या भी है, इसके पहले यह दिन रखा गया है. जब लोग घर से नहीं निकलेंगे और एक दूसरे के संपर्क में नहीं आएंगे तो जीवाणु, विषाणु खुद ही मर जाएंगे. 22 मार्च को राहु काल 4.30 से लेकर 6 बजे के बीच है. राहु काल के दौरान अधिकतर लोग शंख और घंटा बजाते हैं. इन ध्वनों की वजह से वातावरण में फैले विषाणु खत्म हो जाते हैं.
गूगल ने अपने सर्च इंजन में रखा वरियता क्रम में- BY: www.himalayauk.org (Uttrakhand Leading Newsportal & Daily Newspaper) Publish at Dehradun & Hariwar Mail us; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030## Special Report by Chandra Shekhar Joshi- Chief Editor & G.S. Kurmanchal Parishad Dehradun
सृष्टि का संहार और पालन करने की अपार शक्ति मां दुर्गा के पास है। मां अपने भक्तों के लिए विशेष कृपालु होती है और अपने भक्तों के सारे कष्टों को दूर कर देती है। प्रस्तुत है सरल और चमत्कारी देवी मंत्र : इन दिनों पूरा विश्व एक भयानक महामारी से ग्रस्त है। ऐसे में दुर्गा सप्तशती का यह मंत्र निरंतर जपने और हवन के साथ आहुति देने से चमत्कारी सिद्ध हो सकता है। महामारी विनाश ; जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
विपत्ति नाश : शरणागतदीनार्थपरित्राण परायणे। सर्वस्तयार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते।।
इस नवरात्रि में नृसिंह भगवान की आराधना का बहुत महत्व है। नवरात्रि में रोज नृसिंह भगवान का पूजन करें एवं निम्न मंत्र की रोज माला करें। मंत्र : ॐ उग्रवीरं महाविष्णु ज्वलन्तं सर्वतोमुखं। नृसिंह भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्।
हिंदू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र मास के शुक्ल की प्रतिपदा तिथि से माना जाता है। इस दिन से ही चैत्र मास की नवरात्रि का आरंभ भी माना जाता है। पुराणों के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही सृष्टि का आरंभ हुआ था। इसी कारण से ही यह तिथि हिंदू धर्म के लोगों के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्णा मानी जाती है। इस समय से ही ग्रहों की स्थितियां भी बदलती है। जिनका प्रत्येक राशि पर असर पड़ाता है तो चलिए जानते हैं कैसा रहेगा सभी 12 राशियों के जातको लिए हिंदू नववर्ष।नवरात्रि वह समय होता है। जब दोनों ऋतुओं का मिलन होता है। मुख्य रूप से दो नवरात्रि को विशेष महत्व दिया जाता है। जो चैत्र नवरात्रि और अश्विन नवरात्रि है। चैत्र नवरात्रि से ही गर्मियों का आरंभ होता है और प्रकृति एक प्रमुख जलवायु परिवर्तन से गुजरती है। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि में उपवास करने से शरीर मौसम के बदलाव के लिए तैयार हो जाता है। नवरात्रि का त्योहार उत्तर भारत में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि में उपवास के तीन दिन की ऊर्जा मां दुर्गा को समर्पित होती है। अगले तीन दिन की ऊर्जा मां लक्ष्मी को समर्पित होती है और आखिरी के तीन दिन की ऊर्जा की देवी मां सरस्वती को समर्पित होती है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। कलश स्थापना को ब्रह्माण्ड का प्रतीक माना जाता है और घर में शुद्धि और खुशहाली लाता है। इसके साथ ही माता चौकी स्थापित की जाती है और पूरे विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा करके उपवास किया जाता है। चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा की अखंड ज्योत भी जलाई जाती है।
नवरात्र के दिनों में दुर्गा मां कैलाश छोड़कर धरती पर अपने भक्तों के साथ रहती हैं और जो भी भक्त मां की पूरी श्रद्ध से आराधना करता है मां उसकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं। चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा के अलग- अलग रूपों की पूजा का विधान है।
चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा की जाती है, माना जाता है कि नवरात्रि (Navratri) पर मां दुर्गा (Goddess Durga) की विधिवत पूजा करने से मनुष्य की सभी प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति होती है तो चलिए जानते हैं चैत्र नवरात्रि की पूजा विधि। चैत्र नवरात्रि का पर्व (Chaitra Navratri Festival) 25 मार्च 2020 से प्रारंभ हो रहा है। यह पर्व मां दुर्गा (Maa Durga) को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि पर मां दुर्गा की विधिवत पूजा करने से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। चैत्र नवरात्रि के नौ दिनो में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि की पूजा विधि (Chaitra Navratri Puja Vidhi) – . चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की पूजा से पहले साधक को स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। उसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर गंगाजल डालकर उसे शुद्ध करना चाहिए और उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछाना चाहिए।
.इसके बाद चावल का अष्टदल कमल बनाएं और मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मूर्ति स्थापित करने के बाद अष्टदल कमल पर कलश स्थापित करें और उस पर मौली बांधे।इसके बाद कलश में गंगाजल, सुपारी, हल्दी, चावल और एक सिक्का डालें। 5. इसके बाद उस कलश को आम के पत्तों से ढकें फिर एक नारियल लेकर उस पर मौली बांधें और फिर नारियल को पान के पत्तों पर रखें। 6. नारियल स्थापित करने के बाद घी का एक अखंड दीपक मां दुर्गा के बाईं और रखें और मां दुर्गा को रोली का तिलक करें और स्वंय को भी तिलक लगाएं। 7. इसके साथ ही कलश पर भी तिलक करें और अखंड दीपक प्रज्वल्लित करें फिर फूल से जल लेकर प्रतिमा और कलश पर जल छिड़कें।
जल छिड़कने के बाद अक्षत को प्रतिमा के ऊपर छोड़ें।इसके बाद एक लाल रंग की चुनरी माता पर चढ़ाएं। 9.इसके बाद मां दुर्गा को लाल रंग के फूलों की माला और श्रृंगार का सामान मां दुर्गा को अर्पित करें। 10.श्रृंगार अर्पित करने के बाद माता को पांच प्रकार के फल अर्पित करें। इसके बाद एक मिट्टी का पात्र लेकर उसमें जौं को बो दें और उस पात्र पर फूल अर्पित करें। जौं को बोने के बाद गोबर के उपले को जलाकर पूजा स्थल में रखें और उस पर घी डालें। इसके बाद उस उपले पर कपूर , दो लौंग के जोड़े और बताशे अर्पित करें। बताशे अर्पित करने के बाद मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें और दुर्गासप्तशती का पाठ करें। इसके बाद मां की धूप व दीप से आरती उतारें और माता को बताशे का भोग लगाकर उसका प्रसाद वितरण करें और क्षमा याचना करें।
नवरात्रि का पर्व (Navratri Festival) साल में दो विशेष रूप से मनाई जाती है और इन दोनों नवरात्रि का अलग- अलग महत्व है, पहली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि और दूसरी नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। लेकिन चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि (Ram Navratri) के रूप में भी मनाया जाता है तो चलिए जानते हैं क्यों कहा जाता है चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) चैत्र मास में मनाई जाती है। नवरात्रि के इस पर्व पर मां दुर्गा (Goddess Durga) के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि साल में चार बार आती हैं। इन चारों नवरात्रि में पहली नवरात्रि चैत्र नवरात्रि और दूसरी शारदीय नवरात्रि होती है। जिन्हें पूरे भारत वर्ष में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि को महानवरात्रि कहा जाता है। यह नवरात्रि सितंबर या अक्टूबर माह में आते हैं। वहीं यदि चैत्र नवरात्रि की बात करें तो यह मार्च या अप्रैल में मनाए जाते हैं। शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है।
.: माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था और माता सीता को मुक्त कराया था। वहीं चैत्र नवरात्रि के नवें दिन को भगवान श्री राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। जिसे रामनवमी के नाम से भी जाना जाता है।माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्री राम ने माता कौश्यलया के गर्भ से अयोद्धया में जन्म लिया था। इसी कारण चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि भी कहा जाता है।इस नवरात्रि के बाद ही गर्मियों की शुरूआत मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार भगवान राम ने सबसे पहले समुद्र के किनारे नौ दिनों तक मां दुर्गा का पूजन किया था और इसके बाद ही रावण से युद्ध करने के लिए लंका की और बढ़े थे। जिसके बाद उन्होंने युद्ध में विजय भी प्राप्त की थी। पुराणों में नवरात्रों की महिमा का बहुत ही अधिक गुणगान मिलता है। स्वंय ब्रह्म देव ने मां दुर्गा की महिमा बृहस्पति देव को बताते हुए उस ब्राह्मण कन्या की कथा सुनाई। जिसने सबसे पहले देवी दुर्गा का व्रत रखा था। नवरात्र में घर में पूजा से पहले सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। माना जाता है कि नवरात्र के दिनों में दुर्गा मां कैलाश छोड़कर धरती पर अपने भक्तों के साथ रहती हैं और जो भी भक्त मां की पूरी श्रद्ध से आराधना करता है मां उसकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं। चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा के अलग- अलग रूपों की पूजा का विधान है।
मेष राशि के जातको के लिए हिंदू नववर्ष काफी अच्छा रहने वाला है। इस साल आपको अपनी सभी पुरानी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। इस साल आपकी नौकरी में तरक्की होगी और आपको उच्च पद की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही आपका मान सम्मान भी इस साल बढ़ेगा। नवंबर में गुरु के दशम भाव में आने पर नीच भंग राजयोग का लाभ प्राप्त होगा और आपके मान- सम्मान में भी वृद्धि होगी। इस समय में आपको धनलाभ होने की पूर्ण संभावना बन रही है। यदि आप राजनिती से जुड़े हुए हैं तो नबंवर के बाद का समय आपके लिए काफी उपयुक्त है।
यदि वृषभ राशि के जातको की बात की जाए तो यह हिंदू नववर्ष आपके लिए भी काफी शुभ रहने वाला है। इस साल आपको शनिदेव का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होने वाला है। आपका भाग्य इस साल पूरी तरह से आपका साथ देगा। आपको इस साल कई प्रकार के लाभ प्राप्त हो सकते है। इस समय में आपके सभी रूके हुआ कार्य पूर्ण होंगे विशेषकर नंबवर के बाद का समय आपके लिए काफी अच्छा है।इस समय में आप धार्मिक यात्रा पर भी जा सकते हैं।
मिथुन राशि के जातको के लिए हिंदू नववर्ष सामान्य रहेगा। इस साल में आपको शनि के अष्टम भाव में होने के कारण कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन गुरु के सातवें भाव में होने के कारण आपको समय- समय पर सुधार भी मिलेगा। लेकिन जब गुरु अपनी नीच राशि मकर में गोचर करेगा उस समय में आपके कष्ट और भी अधिक बढ़ सकते हैं। आपको इन सभी समस्याओं से बचने के गुरु और शनि के उपाय अवश्य करने चाहिए।
कर्क राशि के लिए आने वाला संवत्सर बहुत ही शुभ और मंगलकारी रहेगा। शनि के सातवें भाव में गोचर करने कारण आपकी आय में वृद्धि होगी। लेकिन नबंवर तक गुरु की स्थिति कुछ आपके लिए कुछ अच्छी नहीं है। इस समय में आपको किसी प्रकार की बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन जब यह गुरु गोचर करके मकर राशि में जाएगा तो आपको पूर्ण रूप से नीच भंग राज योग का लाभ मिलेगा। जिसमें आपको कई प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे। यदि आप व्यापारी हैं तो आने वाला यह समय आपके लिए काफी शुभ है।
हिंदू नववर्ष सिंह राशि के जातको के लिए भी शुभफलदायी है। शनि के छठे भाव में होने के कारण आपके सभी शुत्रुओं का दमन होगा। आपके शत्रु इस समय में आपके सामने आने की हिम्मत भी नहीं करेंगे। वहीं गुरु और केतु के पांचवें भाव में होने पर आपको संतान की और से कोई शुभ समाचार भी प्राप्त हो सकता है। इसके साथ ही राहु का ग्यारहवें भाव में गोचर इस बात की ओर इशारा करता है कि आपकी आय में भी इस साल जबरदस्त वृद्धि होगी।
Chaitra Navratri Date 2020 चैत्र मास में पड़ने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस बार चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना (Ghatsthapna) मीन लग्न (Meen Lagan) में होगी, जिसका समय सुबह 6 बजकर 19 मिनट से लेकर 7 बजकर 17 मिनट तक रहेगा तो चलिए जानते हैं चैत्र नवरात्रि 2020 में कब है (Chaitra Navratri 2020 Mai kab Hai), चैत्र नवरात्रि पर घट स्थापना का शुभ मुहूर्त ( Chaitra Navratri Ghatasthapana Subh Muhurat),चैत्र नवरात्रि का महत्व (Chaitra Navratri Importance), चैत्र नवरात्रि पूजा विधि (Chaitra Navratri Puja Vidji), चैत्र नवरात्रि की कथा (Chaitra Navratri Story), मां दुर्गा के मंत्र (Goddess Durga Mantra) और मां दुर्गा की आरती (Goddess Durga Aarti)Chaitra Navratri Date 2020 चैत्र नवरात्रि का पर्व (Chaitra Navratri Festival) चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होकर रामनवमी (Ram Navami) तक मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा (Maa Durga) के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा (Goddess Durga Puja) करने से सभी प्रकार की सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है और जीवन की सभी व्याधियां दूर होती हैं तो आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि 2020 में कब है, चैत्र नवरात्रि पर घट स्थापना का शुभ मुहूर्त,चैत्र नवरात्रि का महत्व, चैत्र नवरात्रि पूजा विधि, चैत्र नवरात्रि की कथा, मां दुर्गा के मंत्र और मां दुर्गा की आरती
चैत्र नवरात्रि 2020 तिथि (Chaitra Navratri 2020 Tithi) 25 मार्च 2020 से 3 अप्रैल 2020 तक चैत्र नवरात्रि 2020 शुभ मुहूर्त (Chaitra Navratri 2020 Subh Muhurat) घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 19 मिनट से 7 बजकर 17 मिनट तक प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – , दोपहर 02 बजकर 57 मिनट से (24 मार्च 2020) प्रतिपदा तिथि समाप्त – अगले दिन शाम 05 बजकर 26 मिनट तक (25 मार्च 2020 ) मीन लग्न प्रारम्भ – सुबह 6 बजकर 19 मिनट से (25 मार्च 2020) Also Read – Chaitra Navratri 2020 Festival : जानिए क्यों कहा जाता है चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि मीन लग्न समाप्त – सुबह 07 बजकर 17 मिनट तक (25 मार्च 2020)
चैत्र नवरात्रि पूजन विधि (Chaitra Navratri Puja Vidhi/ Pujan Vidhi) चैत्र नवरात्रि पर साधक को सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद एक चौकी लेकर उस गंगाजल छिड़क कर मिट्टी, पीतल या ताबें का कलश स्थापित करना चाहिए। इसके बाद उस कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और उस पर एक नारियल लाल रंग की चुन्न लपेट कर रखें। 4. इसके बाद किसी बड़े बर्तन में मिट्टी डालक उसमें ज्वार बोएं। इसके बाद मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और उसका रोली से तिलक करें। इसके बाद कलश और नारियल का भी तिलक करें और मां दुर्गा को फूलों की माला पहनाकर उन्हें पुष्प अर्पित करें। इसके बाद एक गोबर के उपले को जलाकर पूजा स्थल में रखें और उस पर घी डालें। इसके बाद उस उपले पर कपूर , दो लौंग के जोड़े और बताशे अर्पित करें। इसके बाद मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें और दुर्गासप्तशती का पाठ करें। इसके बाद मां की धूप व दीप से आरती उतारें और माता को बताशे का भोग लगाकर उसका प्रसाद वितरण करें।
चैत्र नवरात्रि की कथा (Chaitra Navratri Ki Katha/ Story) एक नगर में एक ब्राह्मण रहा करता था। वह मां भगवती दुर्गा का परम भक्त था। उसकी एक कन्या थी। जिसका नाम सुमति था। ब्राह्मण नियम पूर्वक प्रतिदिन दुर्गा जी की पूजा और यज्ञ किया करता था। ब्राह्मण की बेटी भी प्रतिदिन इस पूजा में भाग लिया करती थी। एक दिन सुमति खेल में व्यस्ति हो गई और मां दुर्गा की पूजा में शामिल नहीं हुई। यह देखकर उसके पिता को अत्यंत क्रोध आ गया और उसने अपनी पुत्री से कहा वह उसका विवाह किसी दरिद्र और कोढ़ी से करा देगा। पिता की बात सुनकर उसकी बेटी को बहुत दुख हुआ। उसने पिता के द्वारा क्रोध में कही गई बात को स्वीकार कर लिया। अपनी बात के अनुसार उसके पिता ने अपने बेटी का विवाह एक दरिद्र और कोढ़ी व्यक्ति से करा दिया। सुमति अपने पति के साथ विवाह करके चली गई। उसके पति का घर न होने के कारण उसे वन में ही रात बड़ी मुश्किल से बीतानी पड़ी। उस कन्या की यह दशा देखकर मां भगवती उसके द्वारा किए गए पिछले जन्म के प्रभाव से प्रकट हो गईं और बोली हे कन्या मैं तुमसे अत्याधिक प्रसन्न हूं। इसलिए तुम मुझसे कुछ भी मांग सकती हो। इस पर सुमति बोली की मां आप मुझ पर किस बात से प्रसन्न हैं। तब मां दुर्गा ने बताया कि पिछले जन्म में तुम एक भील की पत्नी थीं। एक दिन तुम्हारे पति की चोरी के कारण तुम्हें और तुम्हारे पति को जेल में बंद कर दिया गया था। उन सिपाहियों ने तुम्हें और तुम्हारे पति को कुछ भी खाने के लिए नहीं दिया था। जिसके कारण तुम्हारा नवरात्रि का व्रत हो गया था। इसी वजह से मैं तुमसे प्रसन्न हूं। तुम कुछ भी मांग सकती हो। इस पर उस कन्या ने कहा कि मां कृपा करके आप मेरे पति को कोढ़ दूर कर दीजिए। माता ने उसके कन्या के पति को रोग से मुक्त कर दिया। इसलिए नवरात्रि का व्रत करने वाले व्यक्ति को उसके हर जन्म में शुभ फलों की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के नौ दिन इन देवियों की करें पूजा (Navratri Ke No Din in Deviyo ki Kare Puja) पहला दिन- देवी शैलपुत्री दूसरा दिन- ब्रह्मचारिणी तीसरा दिन- चंद्रघंटा चौथा दिन- कूष्मांडा पांचवा दिन- स्कंध माता छठा दिन- कात्यायिनी सातवां दिन- कालरात्रि आठवां दिन- महागौरी नौवां दिन- सिद्धिदात्री पहला दिन- देवी शैलपुत्री दूसरा दिन- ब्रह्मचारिणी तीसरा दिन- चंद्रघंटा चौथा दिन- कूष्मांडा पांचवा दिन- स्कंध माता छठा दिन- कात्यायिनी सातवां दिन- कालरात्रि आठवां दिन- महागौरी नौवां दिन- सिद्धिदात्री
मां दुर्गा के मंत्र (Maa Durga Ke Mantra) 1.सर्वसूर्यमांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।। 2.ॐ जयन्ती शुक्रा काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। 3. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 4.या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 5.ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै मां दुर्गा के 108 नाम (Maa Durga Ke 108 Naam) 1. सती- अग्नि में जल कर भी जीवित होने वाली 2. साध्वी- आशावादी 3. भवप्रीता- भगवान शिव पर प्रीति रखने वाली 4. भवानी- ब्रह्मांड में निवास करने वाली 5. भवमोचनी- संसारिक बंधनों से मुक्त करने वाली 6. आर्या- देवी 7. दुर्गा- अपराजेय 8. जया- विजयी 9. आद्य- शुरुआत की वास्तविकता 10. त्रिनेत्र- तीन आंखों वाली 11. शूलधारिणी- शूल धारण करने वाली 12. पिनाकधारिणी- शिव का त्रिशूल धारण करने वाली 13. चित्रा- सुरम्य, सुंदर 14. चण्डघण्टा- प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली, घंटे की आवाज निकालने वाली 15. सुधा- अमृत की देवी 16. मन- मनन-शक्ति 17. बुद्धि- सर्वज्ञाता 18. अहंकारा- अभिमान करने वाली 19. चित्तरूपा- वह जो सोच की अवस्था में है 20. चिता- मृत्युशय्या 21. चिति- चेतना 22. सर्वमन्त्रमयी- सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली 23. सत्ता- सत-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है 24. सत्यानंद स्वरूपिणी- अनन्त आनंद का रूप 25. अनन्ता- जिनके स्वरूप का कहीं अंत नहीं 26. भाविनी- सबको उत्पन्न करने वाली, खूबसूरत औरत 27. भाव्या- भावना एवं ध्यान करने योग्य 28. भव्या- कल्याणरूपा, भव्यता के साथ 29. अभव्या- जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं 30. सदागति- हमेशा गति में, मोक्ष दान 31. शाम्भवी- शिवप्रिया, शंभू की पत्नी 32. देवमाता- देवगण की माता 33. चिन्ता- चिन्ता 34. रत्नप्रिया- गहने से प्यार करने वाली 35. सर्वविद्या- ज्ञान का निवास 36. दक्षकन्या- दक्ष की बेटी 37. दक्षयज्ञविनाशिनी- दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली 38. अपर्णा- तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली 39. अनेकवर्णा- अनेक रंगों वाली 40. पाटला- लाल रंग वाली 41. पाटलावती- गुलाब के फूल 42. पट्टाम्बरपरीधाना- रेशमी वस्त्र पहनने वाली 43. कलामंजीरारंजिनी- पायल को धारण करके प्रसन्न रहने वाली 44. अमेय- जिसकी कोई सीमा नहीं 45. विक्रमा- असीम पराक्रमी 46. क्रूरा- दैत्यों के प्रति कठोर 47. सुन्दरी- सुंदर रूप वाली 48. सुरसुन्दरी- अत्यंत सुंदर 49. वनदुर्गा- जंगलों की देवी 50. मातंगी- मतंगा की देवी 51. मातंगमुनिपूजिता- बाबा मतंगा द्वारा पूजनीय 52. ब्राह्मी- भगवान ब्रह्मा की शक्ति 53. माहेश्वरी- प्रभु शिव की शक्ति 54. इंद्री- इंद्र की शक्ति 55. कौमारी- किशोरी 56. वैष्णवी- अजेय 57. चामुण्डा- चंड और मुंड का नाश करने वाली 58. वाराही- वराह पर सवार होने वाली 59. लक्ष्मी- सौभाग्य की देवी 60. पुरुषाकृति- वह जो पुरुष धारण कर ले 61. विमिलौत्त्कार्शिनी- आनन्द प्रदान करने वाली 62. ज्ञाना- ज्ञान से भरी हुई 63. क्रिया- हर कार्य में होने वाली 64. नित्या- अनन्त 65. बुद्धिदा- ज्ञान देने वाली 66. बहुला- विभिन्न रूपों वाली 67. बहुलप्रेमा- सर्व प्रिय 68. सर्ववाहनवाहना- सभी वाहन पर विराजमान होने वाली 69. निशुम्भशुम्भहननी- शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली 70. महिषासुरमर्दिनि- महिषासुर का वध करने वाली 71. मसुकैटभहंत्री- मधु व कैटभ का नाश करने वाली 72. चण्डमुण्ड विनाशिनि- चंड और मुंड का नाश करने वाली 73. सर्वासुरविनाशा- सभी राक्षसों का नाश करने वाली 74. सर्वदानवघातिनी- संहार के लिए शक्ति रखने वाली 75. सर्वशास्त्रमयी- सभी सिद्धांतों में निपुण 76. सत्या- सच्चाई 77. सर्वास्त्रधारिणी- सभी हथियारों धारण करने वाली 78. अनेकशस्त्रहस्ता- कई हथियार धारण करने वाली 79. अनेकास्त्रधारिणी- अनेक हथियारों को धारण करने वाली 80. कुमारी- सुंदर किशोरी 81. एककन्या- कन्या 82. कैशोरी- जवान लड़की 83. युवती- नारी 84. यति- तपस्वी 85. अप्रौढा- जो कभी पुराना ना हो 86. प्रौढा- जो पुराना है 87. वृद्धमाता- शिथिल 88. बलप्रदा- शक्ति देने वाली 89. महोदरी- ब्रह्मांड को संभालने वाली 90. मुक्तकेशी- खुले बाल वाली 91. घोररूपा- एक भयंकर दृष्टिकोण वाली 92. महाबला- अपार शक्ति वाली 93. अग्निज्वाला- मार्मिक आग की तरह 94. रौद्रमुखी- विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा 95. कालरात्रि- काले रंग वाली 96. तपस्विनी- तपस्या में लगे हुए 97. नारायणी- भगवान नारायण की विनाशकारी रूप 98. भद्रकाली- काली का भयंकर रूप 99. विष्णुमाया- भगवान विष्णु का जादू 100. जलोदरी- ब्रह्मांड में निवास करने वाली 101. शिवदूती- भगवान शिव की राजदूत 102. करली- हिंसक 103. अनन्ता- विनाश रहित 104. परमेश्वरी- प्रथम देवी 105. कात्यायनी- ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय 106. सावित्री- सूर्य की बेटी 107. प्रत्यक्षा- वास्तविक 108.ब्रह्मवादिनी- वर्तमान में हर जगह वास करने वाली
मां दुर्गा की आरती (Maa Durga Ki Aarti) जय अम्बे गौरी मैया जय सूर्यमूर्ति । तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥ मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को । उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥ कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै। रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥ केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी । सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥ कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती । कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥ शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती । धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥ चौंसठ योगिनि सूर्यगावैं नृत्य करत भैरू। बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥ भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी। मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥ कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती । श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥ श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै । कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥
गूगल ने अपने सर्च इंजन में रखा वरियता क्रम में- BY: www.himalayauk.org (Uttrakhand Leading Newsportal & Daily Newspaper) Publish at Dehradun & Hariwar Mail us; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030## Special Report by Chandra Shekhar Joshi- Chief Editor & G.S. Kurmanchal Parishad Dehradun