मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं -अदालत ने जाँच करने का आदेश दिया
30 Oct. 20: अदालत ने इनके ख़िलाफ़ साम्प्रदायिक विद्वेष और अपमानजनक बयानबाज़ी से सम्प्रदाय विशेष की भावनाओं को आहत करने के मामले की जाँच करने का आदेश दिया है। Presents by: www.himalayauk.org (Newsportal)
मुंबई की तुलना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से करने तथा सुशांत सिंह आत्महत्या प्रकरण में महाराष्ट्र सरकार और ख़ासकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके मंत्री पुत्र आदित्य ठाकरे के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया तथा गोदी मीडिया के माध्यम से बेलगाम बयानबाज़ी करने वाली रनौत बहनों– कंगना और रंगोली की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। अदालत ने इन दोनों के ख़िलाफ़ साम्प्रदायिक विद्वेष और अपमानजनक बयानबाज़ी से सम्प्रदाय विशेष की भावनाओं को आहत करने के मामले की जाँच करने का आदेश दिया है।
मुंबई महानगर दंडाधिकारी कोर्ट, अंधेरी (मेट्रोपोलिटन मॅजिस्ट्रेट अंधेरी) के न्यायाधीश भागवत झिरपे ने पुलिस को आदेश दिया कि मामले की प्राथमिक जाँच रिपोर्ट पाँच दिसंबर तक कोर्ट के समक्ष पेश की जाए।
दरअसल, इसी साल अप्रैल महीने में अधिवक्ता अली काशिफ ख़ान देशमुख ने मुंबई के आंबोली पुलिस स्टेशन में रनौत बहनों कंगना और रंगोली के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई थी। उस शिकायत में उन्होंने कहा था कि कंगना की बहन रंगोली चंदेल ने कुछ दिनों पूर्व मुसलमानों की तब्लीग़ी जमात को लेकर द्वेषयुक्त व अपमानकारक ट्वीट किये थे। याचिका में कहा गया कि गत दिनों उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की एक बस्ती में कोरोना की जाँच को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों पर हुए हमले के मामले में भी कंगना रनौत की बहन ने हमला करने वालों को आतंकवादी कहकर सम्बोधित किया था तथा उन्हें गोलीमार देने की बात कही थी। रंगोली की इस ट्वीट को लेकर माहौल बहुत गर्म हुआ था। सोशल मीडिया और मीडिया में ख़ूब बहस हुई थी और ट्विटर ने उनका अकॉउंट सस्पेंड कर दिया था।
एडवोकेट देशमुख ने अदालत को बताया कि उनकी इस शिकायत पर मुंबई पुलिस ने कंगना की बहन का ट्विटर अकाउंट बंद करवा दिया था। लेकिन इस मामले की जाँच को आगे नहीं बढ़ाया। लिहाजा उन्होंने इस संबंध में अदालत में याचिका दायर की है।
उस वीडियो में कंगना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से अपील की थी कि वे ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर पाबंदी लगा दें। कंगना ने कहा था कि ये सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म हमारे देश से अरबों रुपये कमाते हैं, हमारे देश का खाते हैं और हमारे देश में कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री, गृहमंत्री तथा आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) जैसे संगठन को आतंकवादी कहने वालों के ख़िलाफ़ कुछ नहीं करता।
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इस याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने आदेश दिया कि मामले में साक्ष्य इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप के हैं। इसलिए इसकी जाँच की जानी चाहिए तथा इस बात का भी पता लगाया जाना चाहिए कि आरोपी की इस तरह की बयानबाज़ी के पीछे क्या मक़सद था। कंगना की बयानबाज़ी को लेकर यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले उन्होंने मुंबई पुलिस को लेकर जो ट्वीट किये थे उस पर उनके ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं। उन्होंने मुंबई पुलिस और महानगरपालिका के कर्मचारियों को बाबर की सेना कहा था।
सुशांत सिंह राजपूत मामले में सिर्फ़ कंगना रनौत ही नहीं दक्षिणपंथी विचारधारा और बीजेपी आईटी सेल की तरफ़ से उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर जमकर अनाप-शनाप बातें कही गयी थीं। इस संबंध में गत दिनों नागपुर में बीजेपी की आईटी सेल के एक सदस्य को महाराष्ट्र पुलिस ने उद्धव ठाकरे और आदित्य के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक ट्वीट करने के आरोप में गिरफ़्तार किया है। इस शख़्स का नाम समीत ठक्कर है। ख़ास बात यह है कि इस शख्स को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्विटर पर फॉलो करते हैं। ठक्कर ने उद्धव और आदित्य के अलावा महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत के ख़िलाफ़ भी आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया।
ठक्कर ने गिरफ़्तारी से बचने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का रूख़ किया था और एफ़आईआर को रद्द करने की माँग की थी। इस मामले में 1 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान एसएस शिंदे और एमएस कार्णिक की बेंच ने अपने आदेश में कहा था कि ठक्कर वीपी रोड पुलिस थाने में जाकर अपना बयान दर्ज कराएँ। ऐसा ही एक मामला सुनैना होली नामक महिला का भी है। वे भी बीजेपी की आईटी सेल से सम्बद्ध बतायी जाती हैं तथा मुंबई पालघर में साधुओं की लिंचिंग की घटना में उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के ख़िलाफ़ ट्विटर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। पुलिस ने जब जाँच आगे बढ़ाई तो आरोपी महिला अपनी गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण के लिए अदालत पहुँच गयी। लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने संरक्षण देने से इनकार करते हुए कहा कि मुंबई और पालघर पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज किया है, लिहाजा आरोपी को जाँच में सहयोग करना चाहिए।