मज़दूर से उद्यमी – गुजरात के सुदूर इलाके में रहने वाली- सीताबेन की यात्रा – कोशिश और कड़ी मेहनत की कहानी
Dt 20 FEB 2023: High Light # जहां चाह वहां राह- गुजरात के आदिवासी उद्यमी ने पेश की मिसाल# गुजरात के सुदूर इलाके में रहने वाली एक साधारण महिला सीताबेन # प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आदि महोत्सव का उद्घाटन किया# आदि महोत्सव में भाग लेने के बाद काफी लोकप्रियता हासिल की # एक सफल उद्मी बनने के लिए किसी कॉलेज की डिग्री की ज़रूरत नहीं# पहले वो एक खेतिहर मज़दूर थी # उनके प्रोडक्ट्स को इतना पसंद किया गया कि कार्यक्रम के पहले दो दिनों में ही उनके उत्पाद बिक गए # सीताबेन उन उद्यमियों में से एक थीं जिन्हें माननीय प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करने का मौका मिला # By (नीलेश शुक्ला)
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सीताबेन- गुजरात के सुदूर इलाके में रहने वाली एक साधारण महिला जिन्होंने ये सच कर दिखाया है कि एक सफल उद्मी बनने के लिए किसी कॉलेज की डिग्री की ज़रूरत नहीं होती है। अभी हाल ही में सीताबेन ने नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में आयोजित आदि महोत्सव में भाग लेने के बाद काफी लोकप्रियता हासिल की है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आदि महोत्सव का उद्घाटन किया था। सीताबेन गुजरात के डांग जिले के सापुतारा से आती हैं। पहले वो एक खेतिहर मज़दूर थी जिन्होंने अपने शराबी पति जिनकी बाद में मृत्यु हो गई और अन्य पांच सदस्यों के परिवार की सारी ज़िम्मेदारी उठाई।
एक मज़दूर से उद्यमी बनने तक की सीताबेन की यात्रा बेहद दिलचस्प और प्रेरक है। उन्होंने मिलेट बिस्कुट की कई किस्मों जैसे चकरी, पापड़ आदि का उत्पादन शुरू किया। वह वर्तमान में न केवल गुजरात में बल्कि पूरे भारत में अपने मिलेट उत्पादों की मार्केटिंग कर रही है। दिल्ली में 16-27 फरवरी 2023 तक आदि महोत्सव का आयोजन किया , जिसमें सीताबेन ने उत्साहपूर्वक अपने मिलेट बिस्कुट का प्रदर्शन किया। उनके लिए आश्चर्य की बात थी कि इस कार्यक्रम में उनके प्रोडक्ट्स को इतना पसंद किया गया कि कार्यक्रम के पहले दो दिनों में ही उनके उत्पाद बिक गए।
उद्घाटन के समय, सीताबेन उन उद्यमियों में से एक थीं जिन्हें माननीय प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करने का मौका मिला। सीताबेन को माननीय प्रधानमंत्री से गुजराती में बात करने और उनके साथ एक तस्वीर खिंचवाने का भी मौका मिला। पीएम से अपनी बातचीत याद करते हुए सीताबेन बताती हैं, “मैंने उनसे कहा था कि मेरे दोस्त पूछेंगे कि मैं दिल्ली में किससे मिली थी। वह मुस्कुराए और मैंने उनके साथ एक तस्वीर खिंचवाई।” यह तस्वीर एग्री-बिजनेस कंसोर्टियम ऑफ स्मॉल फार्मर्स (SAFC) द्वारा ट्वीट की गई थी। SAFC कृषि समेकन (farm consolidation) और विकास के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों की आय बढ़ाने पर केंद्रित एक विशेष संघ है। अपने छोटे से व्यवसाय से, सीताबेन महीने में 15,000 से 20,000 रुपये आय कमा लेती हैं। इसी आय से वह अपने परिवार का पालन-पोषण करती हैं। वह अब ‘डांगी आदिवासी महिला खेडुत उत्पादक प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की एक बोर्ड सदस्य हैं।
ग्रामीण गुजरात से आए श्री वजीरभाई कोछड़िया और उनका परिवार भी हिम्मत, साहस और दृढ़ संकल्प की मिसाल हैं। वह भरूच जिले के हथकुंड गांव में बांस के विभिन्न उत्पादों का उत्पादन करते हैं। उनके परिवार के सभी सदस्य बांस के उत्पाद बनाते और बेचते हैं। साल 2019 में वह 2 लाख रुपये से अधिक के बांस के उत्पाद बेचते थे। वजीरभाई याद करते हैं “जब मोदी साहब मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने हम ग्रामीणों को प्रशिक्षित करने के लिए “गुजरात बांस कला उद्योग” को 60 लाख रुपये आवंटित किए थे। आगाखान ट्रस्ट के माध्यम से हमें प्रशिक्षण मिला जिससे हमारे बांस उत्पादों की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है”।
गुजरात के डांग और भरूच ज़िलों के ये दो उद्यमी अपने जैसे कई सफल आदिवासी उद्यमियों के उदाहरण है जिन्हें आदि महोत्सव के ज़रिए अपनी सफलता की कहानी सुनाने का अवसर मिला। इनकी कोशिश और कड़ी मेहनत की कहानी आज के युवाओं को प्रेरित करते हुए उन्हें आशावान बनाने में मदद करेगी।