कोविशील्ड की कोई अहमियत नही? कोविशील्ड- ‘वैक्सीन पासपोर्ट’ में शामिल नही, & WHO की ईएमए यानी इमरजेंसी यूज़ लिस्टिंग में भी शामिल नहीं
HIGH LIGHT# कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड को अभी कई देशों ने अपने यहां मान्यता नहीं दी है। वहीं कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले यात्रियों को यूरोपीय संघ के देश अपने यहां आने की इजाजत नहीं देंगे। भारत में 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा रहा है. ज्यादातर लोगों को कोविशील्ड का टीका ही लगाया है. इसको लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है. दरअसल, कोविशील्ड लगवाने वाले लोगों को यूरोपीय संघ के देश अपने यहां आने की इजाजत नहीं देंगे. इसपर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
Adar Poonawalla COVISHIELD are facing issues with travel
यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (EMA) द्वारा चार टीकों को मंजूरी दी गई है, जिन्हें लगवाने वाले लोगों को ही यूरोपीय संघ के सदस्य देशों द्वारा ग्रीन पास जारी किया जा सकता है. ईएमए ने फाइजर/बायोएनटेक की कॉमिरनाटी, मॉडर्ना, एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की वेक्सजेरविरिया और जॉनसन एंड जॉनसन की जॉनसेन को मंजूरी दी है.
यूरोप के देशों का साझा मंच यूरोपीय संघ वैक्सीन पासपोर्ट स्कीम लाने वाला है लेकिन कोविशील्ड लगाए लोगों को उसका फायदा नहीं मिलेगा। वैक्सीन पासपोर्ट स्कीम के तहत जिन 4 वैक्सीन को हरी झंडी मिली है उस वैक्सीन को लगाने वाले लोगों को यूरोपीय यूनियन के देशों में मुक्त रूप से यात्रा करने की छूट मिलेगी। इन चारों वैक्सीन में कोविशील्ड शामिल नहीं है।
भारत में फ़िलहाल तीन टीके लगाए जाने की मंजूरी मिली है। कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पुतनिक वी। स्पुतनिक वी की वैक्सीन बड़े पैमाने पर अभी भी देश में नहीं लगाई जा रही है। अब जो कोवैक्सीन है उसको तो अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन की ईएमए यानी इमरजेंसी यूज़ लिस्टिंग में भी शामिल नहीं किया गया है।
इधर भारत सरकार ने ‘वैक्सीन पासपोर्ट’ जैसी नीति का विरोध किया है। भारत के स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने जी7 देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में इसका विरोध किए जाने को लेकर ट्वीट किया। उन्होंने ट्वीट में कहा कि महामारी के ऐसे वक़्त में वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर भारत की चिंता है और यह इसका जोरदार विरोध करता है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों की अपेक्षा विकासशील देशों में टीकाकरण काफ़ी कम हुआ है और इसलिए ऐसा कोई प्रयास भेदभाव वाला है।
यूरोपीय संघ की 1 जुलाई से डिजिटल कोविड सर्टिफिकेट शुरू करने की योजना है। इस योजना से कोरोना महामारी के दौरान लोगों को सुरक्षित और आसान यात्रा में मदद मिलेगी। ऐसा इस तरह से होगा कि उन लोगों को सर्टिफिकेट दिया जाएगा जिन्होंने वैक्सीन लगवाई है या जो कोरोना नेगेटिव आए हैं या जो संक्रमण से ठीक हुए हैं।
लेकिन यूरोपीय संघ की मेडिकल नियामक संस्था यूरोपीयन मेडिसीन एजेंसी यानी ईएमए ने इसके लिए सिर्फ़ 4 वैक्सीन को ही मंजूरी दी है। इसमें ऑक्सफोर्ड एस्ट्राज़ेनेका द्वारा विकसित वैक्सीन भी है, लेकिन वह वैक्सीन सिर्फ़ यूरोप में बनाने वाली कंपनी वैक्सज़रविया की वैक्सीन के लिए ही है। यानी ऑक्सफोर्ड एस्ट्राज़ेनेका द्वारा विकसित उसी वैक्सीन को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा कोविशील्ड के नाम से तैयार की जाने वाली वैक्सीन के लिए नहीं है।
यूरोपीय संघ यह भी कहता है कि ‘सदस्य देश इस (प्रमाण पत्र) को यूरोपीय संघ के यात्रियों के लिए भी विस्तारित करने का निर्णय ले सकते हैं जिन्हें दूसरा टीका लगा है।’
इसी मुद्दे को लेकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि वह इस मुद्दे को जल्द सुलझाएँगे। उन्होंने ट्वीट किया, ‘मुझे एहसास है कि कोविशील्ड लेने वाले बहुत से भारतीयों को यूरोपीय संघ की यात्रा वाले मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है, मैं सभी को विश्वास दिलाता हूँ, मैंने नियामकों और राजनयिक स्तर पर देशों के साथ, दोनों स्तर पर इसे उच्चतम स्तर पर उठाया है और इस मामले के जल्द ही हल होने की उम्मीद है।’
अदार पूनावाला के लिए यह इसलिए भी चिंता की बात है क्योंकि सीरम इंस्टीट्यूट से बनी वैक्सीन दुनिया भर के कई देशों में जाती है। यह वैक्सीन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। अब तक इसकी वैक्सीन की 28 करोड़ खुराक लगाई जा चुकी है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में निर्मित कोविशील्ड को अभी तक ईएमए (EMA) ने मान्यता नहीं दी है. जबकि वैक्सजेवरिया और कोविशील्ड दोनों ही एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन हैं. भारत में कोविशील्ड वैक्सीन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाई गई है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंजूरी दे दी है. भारत ने मदद के तौर पर कोविशील्ड वैक्सीन कई देशों को भी दिया है.
ईएमए में शामिल किए जाने पर दुनिया भर के देशों में इस वैक्सीन को मान्यता मिल सकती है और वैक्सीन को बड़े पैमाने पर निर्यात करना आसान होगा। कोवैक्सीन को बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा है कि वह जल्द ही इसको शामिल करने का प्रयास कर रही है।
I realise that a lot of Indians who have taken COVISHIELD are facing issues with travel to the E.U., I assure everyone, I have taken this up at the highest levels and hope to resolve this matter soon, both with regulators and at a diplomatic level with countries. ;- Adar Poonawalla
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इण्डिया एक भारतीय संस्थान है जो टीके सहित प्रतिरक्षात्मक दवाओं का एक प्रमुख निर्माता है। इसकी स्थापना 1966 में साइरस पूनावाला ने की थी। कम्पनी होल्डिंग कम्पनी पूनावाला इन्वेस्टमेण्ट एण्ड इण्डस्ट्रीज़ की एक सहायक कम्पनी है। यह कम्पनी दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन उत्पादक है कम्पनी प्रत्येक वर्ष लगभग 1.3 अरब वैक्सीन का उत्पादन करती है। इसके द्वारा विकसित उत्पादों में तपेदिक वैक्सीन Tubervac (BCG), पोलियोमाइलाइटिस (poliomyelitis) के लिए पोलियोवैक (Poliovac), और बाल्यावस्था टीकाकरण अनुसूची के लिए अन्य टीकाकरण शामिल हैं। कम्पनी ने फार्मा फर्म एस्ट्राजेनेका के साथ करार किया है, जो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी में एक वैक्सीन विकसित कर रही है यह बताया गया है कि सीरम संस्थान भारत और अन्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों में वैक्सीन की 1 अरब खुराक प्रदान करेगा। यह कहा जाता है कि इसकी कीमत लगभग $ 3 (लगभग ₹225) प्रति खुराक है।वे भारत और अन्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों में नोवाक्स ‘Novavax’ NVX-CoV2373 V कोविड-19 वैक्सीन उम्मीदवार के विकास और व्यावसायीकरण के लिए नोवावैक्स (Novavax) के साथ एक समझौते पर भी पहुंचे हैं।
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