सरकार ने कोविड के नियमों का पालन नहीं किया, चार धाम यात्रा पर रोक -हाईकोर्ट

28 JUNE 2021# Himalayauk Newsportal # High Light# अदालत ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा था कि सरकार ने कोविड के नियमों का पालन नहीं किया है. # हाईकोर्ट ने राज्‍य सरकार के अधिकारियों को आधी अधूरी जानकारी देने पर फटकार लगाने के साथ भक्‍तों के लिए लाइव दर्शन का इंतजाम करने का आदेश दिया है. तीरथ सिंह रावत सरकार ने चमोली, रूद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों के निवासियों को ही कोरोना निगेटिव रिपोर्ट (Corona Negative Report) के साथ 1 से 10 जुलाई तक धामों में दर्शन की अनुमति दी थी.

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देहरादून. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चार धाम यात्रा पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने सात जुलाई तक यात्रा पर रोक लगाई है. साथ ही हाईकोर्ट ने चार धाम की लाइव स्ट्रीमिंग करने का आदेश दिया है. बता दें कि तीरथ सरकार की ओर से एक जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू करने का आदेश दिया था. इसके लिए कोरोना की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट आवश्यक की गई थी.

एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को दोबारा से शपथ पत्र 7 जुलाई तक दाखिल करने को कहा है. पूर्व में सरकार की तरफ से 700 पेज का शपथ पत्र पेश किया गया था. तब अदालत ने शपथ पत्र को भ्रामक और न्यायालय को गुमराह करने वाला बताया था. कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदेश में कोरोना से हुई मौतों का कारण सरकार की आधी-अधूरी तैयारियां हैं. अदालत ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा था कि सरकार ने कोविड के नियमों का पालन नहीं किया है.

हाईकोर्ट ने राज्‍य सरकार की आधी अधूरी जानकारी को लेकर भी नाराजगी जताई है. यही नहीं, उतराखंड हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि वह भक्‍तों के लिए चारधाम के लाइव दर्शन करने का इंतजाम भी करे. वहीं, इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख को लाइव दर्शन के इतंजाम पर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है.

चारधाम यात्रा शुरू करने के संबंध में अदालत ने मुख्य सचिव से पूछा था कि आगामी 28 जून को को बताया जाए कि या तो चारधाम यात्रा स्थगित करें या यात्रा की तिथि आगे बढ़ाए. मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान की खंडपीठ ने आज सुनवाई के दौरान सरकार के तर्कों और जवाब से असंतुष्ट होकर चारधाम यात्रा पर सात जुलाई तक रोक लगा दी. कोर्ट ने सरकार से अपने जवाब का एफिडेविट जमा करने को भी कहा है.

उतराखंड हाईकोर्ट ने आधी अधूरी जानकारी देने के कारण न सिर्फ अधिकारियों को फटकार लगाई बल्कि यात्रा के लिए सरकार द्वारा आरटी-पीसीआर निगेटिव रिपोर्ट लागू करने के फैसले पर सवाल उठाया है. कोर्ट ने कहा कि कुम्भ में भी कोरोना जांच में हुआ फर्जीवाड़ा था. जबकि चारधाम में सेनेटाइजर और साबुन से हाथ धोने के कौन इंतजाम देखेगा. वहीं, चारधाम यात्रा के लिए सरकार के स्वास्थ्य इंतजाम से भी कोर्ट नहीं संतुष्ट नहीं दिखा. कोर्ट ने कहा कि हमारे लिए श्रद्धालुओं का जीवन है महत्‍वपूर्ण है.’

वहीं, यात्रा शुरू न होने पर सरकार को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि पिछले 4 सालों में सरकार के कई ऐसे निर्णय रहे हैं जिनको उच्च न्यायालय ने पलटा है. सरकार में बैठे लोग बिना सोचे समझे इस तरह के निर्णय लेते हैं जिन पर हाईकोर्ट को कड़ी टिप्पणी करनी पड़ती है.

आप ने भी चार धाम यात्रा के लिए सरकार की पर्याप्त व्यवस्था ना होने पर आरोप लगाया है. आप के प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया ने कहा कि हाईकोर्ट की रोक के बाद यह साफ हो गया है कि चार धाम यात्रा के लिए सरकार की पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं थी. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि चार धाम यात्रा शुरू हो ताकि लोगों का रोजगार चले, लेकिन सरकार की अव्यवस्थाएं यह साबित कर रही हैं कि सरकार खुद नही चाहती कि चार धाम यात्रा शुरू हो.

मुख्यमंत्री के निर्देश थे कि राज्य में निकट भविष्य में चार धाम यात्रा के प्रारंभ होने पर चार धाम यात्रा से सम्बन्धित समस्त पुजारी,दुकानदार,ढाबा संचालक स्थानिय निवासी, खच्चर-कंडी संचालक,कैब ड्राइवर और अन्य जो चार धाम में आने वाले यात्रियों के सीधे संपर्क में आ सकते है. उनका कोविड-19 वैक्सीनेशन प्राथमिकता के आधार पर जल्द से जल्द किया जाए, जिससे यात्रा में आने वाले यात्रियों के साथ-साथ इन सबकी सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके.

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