अखिलेश ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.; चौका देगे सबको
#मुलायम केे सामने बड़ा दिल दिखाने का मौका #अखिलेश क्यों हट पर अडे है#चौका देगे देश व दुनियां #दो टूक साफ़ कर दिया है कि अध्यक्ष बने रहेंगे #लेकिन चुनाव के बाद खुद पार्टी की बैठक बुलाकर अध्यक्ष की कुर्सी तथा सत्ता मिली तो वह भी, वो मुलायम के चरणों में रख देंगे# मुलायम का एकतरफा संघर्षविराम का एलान # हिमालयायूके न्यूज पोर्टल की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट-
(www.himalayauk.org) HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND
मुलायम सिंह यादव के नरम तेवरों के बाद मंगलवार सुबह अखिलेश यादव मुलायम से मिलने के लिए उनके घर पहुंचे हैं. दोनों की मुलाकात के दौरान शिवपाल यादव, अमर सिंह और रामगोपाल यादव मौजूद नहीं थे.
सियासी उलटफेर के माहिर माने जाने वाले मुलायम सिंह यादव के तरकश में अब कोई तीर बचा नहीं है. समझौते की ओर लौटने की संभावना टटोलने में ही भलाई बची है. शायद इसलिए रविवार से ही उन्होंने अपने सुर बदलने शुरू कर दिए थे. रविवार को वो एक तरफ तो साइकिल पर दावा जताने चुनाव आयोग के चक्कर लगा रहे थे. दूसरी तरफ कार्यकर्ताओं के सामने ये स्वीकार भी कर रहे थे कि विधायकों की फौज तो अखिलेश के पास है.
राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के अनुसार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें साफ़ कर दिया है कि फ़िलहाल अगले तीन महीने के लिए वह राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे. लालू यादव ने सोमवार शाम को अखिलेश यादव से बात की थी. इससे पहले भी उन्होंने अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव दोनों से बात की थी. लालू का कहना है कि अखिलेश ने दो टूक साफ़ कर दिया है कि फ़िलहाल वह अध्यक्ष बने रहेंगे लेकिन चुनाव के बाद खुद पार्टी की बैठक बुलाकर फिर अध्यक्ष की कुर्सी दे देंगे. अखिलेश ने लालू यादव से कहा कि वह अभी भी अपने पिता और पार्टी के साथ पूर्ववत ही हैं. अखिलेश यादव के स्टैंड के बारे में सार्वजनिक घोषणा के बाद ये माना जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव को फ़िलहाल पार्टी अध्यक्ष का ताज उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने तक नहीं मिलने वाला.
वो मीडिया के सामने अपनी मजबूरी ज्यादा अच्छे से रख पाए. पहले कहा कि मेरे बेटे को बहका दिया गया है, बाप-बेटे में कोई विवाद नहीं है. शाम होते-होते उन्होंने एकतरफा संघर्षविराम का एलान भी कर दिया. बेटे के सामने हथियार डाल दिए कहा, ‘ चुनाव में सीएम के उम्मीदवार अखिलेश ही होंगे. न पार्टी टूटी है और न टूटेगी. समाजवादी पार्टी की एकता के लिए काम करूंगा. हर मंडल में चुनाव प्रचार करूंगा.’
बड़े-बुजुर्ग कह गए हैं कि बड़े-छोटे के झगड़े में जब छोटा अड़ जाए तो बड़े को बड़ा दिल दिखाना चाहिए. शायद मुलायम सिंह यादव के लिए बड़ा दिल दिखाने का ये आखिरी मौका है. हालांकि इसके बाद भी मामला जम ही जाए इसकी गांरटी नहीं ली जा सकती. लेकिन इतना है कि मुलायम सिंह यादव सिर्फ रामगोपाल यादव को किनारे करके समझौते के मूड में दिखने लगे हैं. ये अलग बात है कि मामला इतना आगे बढ़ चुका है कि लौटने के लिए भारी मशक्कत करनी होगी. कुछ दिनों पहले तक मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव को सीएम का चेहरा बनाने को भी तैयार नहीं थे. उन्होंने एलान किया था कि सीएम का फैसला चुनावों के बाद विधायक दल की बैठक में होगा. बाप-बेटे के बीच चली महीनों की जंग आखिर में यहां तक आ पहुंची है कि बाप अपने बेटे की शर्तों पर हामी भरता दिख रहा है. अब बेटे को अपने बाप से मोल-तोल के बाद फैसला करना है. सोमवार को दिन में खबर मिली कि मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे के खिलाफ चुनावों में जाने का प्लान बी तैयार करके रखे हैं. खबर मिली कि मुलायम के गुट की तरफ से आजम खान को सीएम पद का उम्मीदवार प्रोजेक्ट किया जा सकता है. इसे मुस्लिमों को रिझाने के लिए इसे मुलायम के बड़े दांव की तरह देखा जा रहा था. जबकि आजम खान खुद को समझौते का पुल साबित करने में जुटे थे. अपने पुराने बयान पर कायम आजम खान ने कहा कि सूबे में बीजेपी को रोकने के लिए वो समझौते की हर संभावना पर जोर आजमाइश करते रहेंगे. समाजवादी पार्टी में सियासत के बंटवारे की लड़ाई दिलचस्प मोड़ पर है. मुलायम गुट हर तरह के समझौते करने को तैयार दिख रहा है. शिवपाल यादव सियासी कुर्बानी देने के लिए राष्ट्रीय राजनीति से लेकर अपनी सीट छोड़ने तक को राजी दिख रहे हैं. अमर सिंह बिना शर्त पार्टी से दूर हो जाने को तैयार हैं, बस नेताजी इशारा कर दें. नेताजी अपने बेटे अखिलेश की शर्तों पर राजी होने को तैयार हैं. लेकिन समझौते के लिए बनते माहौल में अखिलेश ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. मुलायम और अखिलेश के गुट में यही फर्क है कि मुलायम गुट चुनाव आयोग के दरवाजे से भी बीच का रास्ता बनाने को तैयार दिख रहा है, जबकि अखिलेश चुप्पी ओढ़े हैं और उनके बदले चाचा रामगोपाल यादव बोल रहे हैं. रामगोपाल यादव समझौते की संभावना को सिरे से नकार रहे हैं. कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग में अपने दावे को लेकर रामगोपाल यादव ने अपनी तरफ से प्लान बी का खाका भी पेश कर दिया था. खबर के मुताबिक चुनाव आयोग से चर्चा के दौरान रामगोपाल यादव ने कहा था कि अगर साइकिल चुनाव चिन्ह फ्रीज होने की स्थिति आ जाए तो अखिलेश वाले गुट का नाम प्रोगेसिव समाजवादी पार्टी रखा जाए. उन्होंने दरख्वास्त की है कि नए नाम के साथ उन्हें मोटरसाइकिल का चुनाव चिन्ह दिया जाए. 17 जनवरी से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है. समाजवादी पार्टी की एक एक हलचल पर नजर रखते हुए बाकी पार्टियां अपने दांव चल रही है. बीजेपी ने खासतौर पर नजर बना रखी है. समाजवादी पार्टी के उलटफेर का सबसे बड़ा फायदा बीजेपी को ही मिलने वाला है.
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