26 April 20; अक्षय तृतीया का पर्व- भगवान विष्णु तथा परशुराम जी की पूजा का दिन
26 April 20# अक्षय तृतीया का मुहूर्त- तृतीया तिथि प्रारंभ: 11:50 बजे (25 अप्रैल 2020) तृतीया तिथि समापन: 13:21 बजे (26 अप्रैल 2020) 26 अप्रैल 2020 का व्रत और त्यौहार – अक्षय तृतीया, रोहिणी व्रत, वर्ष तप पारण, मातङ्गी जयंती
24 अप्रैल से शुरू हो रहा है वैशाख शुक्लपक्ष
दिनांक 26 अप्रैल 2020, रविवार के शुभ मुहूर्त शुभ विक्रम संवत्- 2077, हिजरी सन्- 1440-41, ईस्वी सन् -2020 अयन- उत्तरायण, मास-वैशाख पक्ष- कृष्ण संवत्सर नाम- प्रमादी ऋतु- ग्रीष्म वार-रविवार तिथि (सूर्योदयकालीन)-तृतीया नक्षत्र (सूर्योदयकालीन)-रोहिणी योग (सूर्योदयकालीन)-शोभ नकरण (सूर्योदयकालीन)- गरज लग्न (सूर्योदयकालीन)- मेष शुभ समय-9:11 से 12:21, 1:56 से 3:32 राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक दिशा शूल- पश्चिम योगिनी वास-आग्नेय शुक्र तारा-उदित चंद्र स्थिति-वृषभ व्रत/मुहूर्त- अक्षय तृतीया (आखातीज) यात्रा शकुन- इलायची खाकर यात्रा प्रारंभ करें। आज का मंत्र- ‘ॐ घृणि: सूर्याय नम:। आज का उपाय- मंदिर में गुड़ से बनी मिठाई दान करें। वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
दान करने की विशेष वस्तुएं – 1- इस दिन ठंडी चीजें जैसे- जल से भरे घड़े, कुल्हड़, पंखे, छाता, चावल, खरबूजा, ककड़ी, चीनी,सत्तू आदि का दान करना बहुत उत्तम माना जाता है। 2-यदि इस शुभ दिन आप अपने भाग्योदय के लिए कुछ खरीदना चाहते हैं तो खरीदें ये चीजें जैसे- सोना, चांदी, मिट्टी के पात्र, रेशमी वस्त्र, साड़ी, चावल, हल्दी, फूल का पौधा और शंख।
Akshaya Tritiya 2020: हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। यह पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल अक्षय तृतीया 26 अप्रैल, रविवार को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ काम किया जा सकता है।
अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु के छठें अवतार भगवान परशुराम का भी जन्म हुआ था। यही वजह है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की उपासना के साथ परशुराम जी की भी पूजा करने का विधान बताया गया है।
माना जाता है कि इस दिन गृहस्थ लोगों को अपने धन वैभव में अक्षय बढ़ोतरी करने के लिए अपनी कमाई का कुछ हिस्सा धार्मिक कार्यों के लिए दान अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से उनके धन और संपत्ति में कई गुना बढ़ोत्तरी होती है।
धन वैभव में अक्षय बढ़ोतरी के लिए आपको किन वस्तुओं का दान करना चाहिए। अगर नहीं तो आपको बताते हैं उन खास चीजों के बारे में जिनका अक्षय तृतीया के दिन दान करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
26 अप्रैल का पंचांग / 26 April 2020 Panchang Shubh Muhurat
- महीना : वैशाख
- तारीख : 26/4/2020
- तिथि : तृतीया – 01:22 PM तक
- वार : रविवार
- सूर्योदय : 05:26 AM
- सूर्यास्त : 06:26 PM
- चंद्रोदय : 07:33 AM
- चन्द्रास्त : 09:23 PM
- नक्षत्र : रोहिणी – 10:56 PM तक
- पक्ष : शुक्ल पक्ष
26 अप्रैल 2020 शुभ मुहूर्त
अभिजित मुहूर्त – 11:30 AM से 12:22 PM
अमृत काल – 07:29 PM से 09:12 PM
सर्वार्थ सिद्धि योग – कोई नहीं
रवि योग – 05:26 AM से 10:56 PM
26 अप्रैल 2020 का अशुभ मुहूर्त
- दुष्टमुहूर्त – 17:08:25 से 18:01:02 तक
- कालवेला / अर्द्धयाम – 11:52:43 से 12:45:20 तक
- कुलिक – 17:08:25 से 18:01:02 तक
- यमघण्ट – 13:37:57 से 14:30:34 तक
- कंटक – 10:07:29 से 11:00:06 तक
- यमगण्ड – 12:19:02 से 13:57:41 तक
- राहुकाल – 17:15:00 से 18:53:40 तक
- गुलिक काल – 15:36:21 से 17:15:00 तक
वैशाख माह के शुक्लपक्ष में महत्वपूर्ण तीज और त्योहार आते हैं। ग्रंथों के अनुसार वैशाख माह की तृतीया, सप्तमी अष्टमी, नवमी, एकादशी और पूर्णिमा पर व्रत और विशेष पूजा करने का विधान है। इन महत्वपूर्ण तिथियों पर भगवान विष्णु, बुद्ध, देवी दुर्गा और गंगा की पूजा के साथ दान देने का भी बहुत महत्व है। वैसे तो पूरे वैशाख माह में ही दान दिया जाता है, लेकिन इन महत्वपूर्ण दिनों में दान देने से उसका फल और बढ़ जाता है। इन महत्वपूर्ण पर्व और तीज-त्योहारों की शुरुआत 26 अप्रैल अक्षय तृतीया से होगी। वहीं वैशाख शुक्लपक्ष 24 अप्रैल से 7 मई तक रहेगा।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख शुक्लपक्ष के व्रत-त्योहार
26 अप्रैल रविवार – अक्षय तृतीया
इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। जो कि भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। इनके अलावा इस दिन दिया गया दान अक्षय फल देता है। वहीं सूर्य और चंद्रमा उच्च राशि में होने से इस दिन को अबूझ मुहूर्त माना जाता है।
28 अप्रैल मंगलवार – आद्य शंकराचार्य जयंती
माना जाता है कि वैशाख माह के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को आद्य गुरु शंकाराचार्य जी का जन्म हुआ था। इसी दिन श्रीकृष्ण भक्त संत सूरदास जी का भी जन्म हुआ था। इसलिए वैशाख माह की पंचमी को महत्वपूर्ण माना गया है।
30 अप्रैल गुरुवार – गंगा सप्तमी
पद्म पुराण के अनुसार शुक्लपक्ष की सप्तमी को गंगाजी की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि इसी तिथि को महर्षि जह्नु ने अपने दक्षिण कर्ण से गंगा जी को बाहर निकाला था। इस दिन भगवान चित्रगुप्त का प्राकट्योत्सव भी मनाया जाता है।
कुछ ग्रंथों के अनुसार वैशाख शुक्ल सप्तमी को भगवान बुद्ध का भी जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है।
1 मई शुक्रवार – अष्टमी
वैशाख शुक्ल अष्टमी को अपराजिता पूजा की जाती है। यानी इस दिन देवी दुर्गा की प्रतिमा को कपूर तथा जटामासी युक्त जल से स्नान कराना चाहिए। दिनभर व्रत भी करना चाहिए। इस दिन व्रत करने वाले को भी पानी में थोड़ा सा आम का रस डालकर नहाना चाहिए। इस तरह व्रत और पूजा करने से दुश्मनों पर जीत मिलती है।
2 मई, शनिवार – सीता नवमी
वैशाख माह के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी कहा जाता है। इस दिन को जानकी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। ग्रंथों के अनुसार इसी तिथि पर राजा दशरथ को खेती करते हुए पृथ्वी माता से देवी सीता प्राप्त हुई थी। ये दिन खासताैर से बिहार और नेपाल के कुछ हिस्सों में महत्वपूर्ण माना जाता है।
3 मई, रविवार – मोहिनी एकादशी
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस व्रत के प्रभाव से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और व्रत करने वाले पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। ग्रंथों में ये भी कहा गया है कि ये एकादशी व्रत को करने वाले लोगों के पितरों को तृप्ति प्राप्त होती है।
5 मई, मंगलवार – प्रदोष व्रत
वैशाख माह के शुक्लपक्ष का प्रदोष व्रत हर तरह के संकट दूर करने वाला माना गया है। इस बार ये व्रत मंगलवार को होने से भौम प्रदोष का संयोग बन रहा है। इस व्रत को करने से कर्जा और बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है।
6 मई, बुधवार – नृसिंह जयंती
विष्णु पुराण के अनुसार वैशाख माह में ही भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था। भगवान ने वैशाख माह के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि को नृसिंह रूप लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया और उसे मोक्ष प्रदान किया था।
7 मई, गुरुवार – वैशाख पूर्णिमाा
वैशाख माह की पूर्णिमा पर ब्रह्मा जी ने श्वेत तथा कृष्ण तिलों का निर्माण किया था। इसलिए इस दिन सफेद और काले तिलों को पानी में डालकर नहाना चाहिए, अग्नि में तिलों की आहुति दें, शहद और तिलों से भरा हुआ मिट्टी का बर्तन दान दें।